बिहार में शिक्षा व्यवस्था
बिहार की शिक्षा प्रणाली |
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प्रारंभिक |
प्राथमिकशिक्षा कक्षा 1 से 5 तक |
उच्च प्राथमिक शिक्षा कक्षा 6 से 8 तक |
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माध्यमिक |
माध्यमिक शिक्षा कक्षा 9 एवं 10 |
उच्च माध्यमिक शिक्षा कक्षा 11 एवं 12 |
|
उच्चशिक्षा |
अकादमिक शिक्षा विश्वविद्यालय या अन्य उच्चशिक्षा संस्थान
में पढ़ने हेतु तैयार करना । |
व्याव सायिक शिक्षा काम के लिए या आगे की व्यावसायिक शिक्षा
के लिए तैयार करना। |
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने 1986 में बनी राष्ट्रीय शिक्षा नीति का
स्थान लिया है जिसमें स्कूली शिक्षा की अनिवार्यता
वाले हर समूह का विस्तार करके 6 से 14 वर्ष की जगह 3 से 18 वर्ष
कर दिया गया है । इस नई प्रणाली में 3 वर्ष की आगनबाडी अथवा प्री
स्कूलिंग के अलावा 12 वर्षों की स्कूली शिक्षा होगी इन
सभी का आर्थिक वृद्धि और विकास में मानव विकास में योगदान होगा ।
नई शिक्षा नीति के अनुसार स्कूली शिक्षा के लिए
पाठ्यचर्या और शैक्षिक ढांचा 5+3+3+4 रूपरेखा पर आधारित होगा जिसमें सभी स्तरों पर सकल नामांकन अनुपात में सुधार
लाने हेतु अनेक उपाय प्रस्तावित किए गए हैं ।
- सभी बच्चों को सर्वव्यापी पहुंच और अवसर उपलब्ध कराना।
- प्रभावी और पर्याप्त अधिक संरचना का विकास करना ।
- सुरक्षित आवागमन और छात्रावास की व्यवस्था ।
- विद्यालय त्यागी बच्चों को पुनः विद्यालय में लाना ।
- अधिक संख्या में उच्च गुणवत्ता वाले शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना करना ।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के परिपेक्ष में वर्ष 2030
तक विद्यालय पूर्व से लेकर माध्यमिक स्तर तक शत प्रतिशत नामांकन अनुपात
हासिल करने के लिए बिहार सरकार द्वारा लक्ष्य तय किए गए हैं
साक्षरता दर
वर्ष 2011 में भारत में साक्षरता दर 72.9% थी पुरुष
साक्षरता 80.9% और महिला साक्षरता 64.6% थी । उस अवधि में बिहार में साक्षरता दर 61.8% , पुरुष साक्षरता 71.2% और महिला साक्षरता 51.5%
थी । इस प्रकार तुलनात्मक रूप से वृद्धि देखा जाए तो वर्ष
2001 से 2011 के बीच शिक्षा के क्षेत्र में
दशकीय वृद्धि बिहार में भारत की अपेक्षा ज्यादा रही।
वर्ष |
भारत |
बिहार |
||||
पुरुष |
महिला |
व्यक्ति |
पुरुष |
महिला |
व्यक्ति |
|
2001 |
75.3 |
53.7 |
64.8 |
60.3 |
33.6 |
47.0 |
2011 |
80.9 |
64.6 |
72.9 |
71.2 |
51.5 |
61.8 |
वृद्धि |
5.6 |
10.9 |
8.1 |
10.9 |
17.9 |
14.8 |
वर्ष 2001 से 2011 के बीच बिहार में साक्षरता दर 14.8%
बढ़ी जबकि पूरे देश में 10.9% अंकों की
वृद्धि हुई इसी प्रकार पुरुष एवं महिला साक्षरता दर में भी वद्धि भारत से ज्यादा रही
।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2001 से 2011 के
दशक में बिहार में साक्षरता दर में वृद्धि सभी राज्यों के बीच भी सर्वाधिक रही।
प्रांरभिक और उच्च प्राथमिक स्तर पर नामांकन
हाल के वर्षों में प्रारंभिक एवं उच्च प्राथमिक स्तर पर
नामांकन में सुधार हुआ है।वर्ष 2019-20 में प्राथमिक स्तर पर कुल
नामांकन 139.47 लाख था जबकि उच्च प्राथमिक स्तर पर कुल नामांकन 69.29 लाख हुआ।
वर्ष 2012-13 से 2019-20 तक लड़कों और लड़कियों के बीच
नामांकन का फासला प्राथमिक और उच्च दोनों स्तर पर कम हुआ है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2012-13 से 2019-20 के बीच अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों का 33.4% और अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों का नामांकन 50.5% बढ़ा जो निश्चित तौर पर शिक्षा में घटती सामाजिक असमानता का संकेत देता है।
हालांकि 2019-20 में प्रारंभिक स्तर पर हुए कुल 208.76 लाख नामांकन
में लड़कों की संख्या लड़कियों की संख्या 102.39 लाख से थोड़ी
ज्यादा रही और यही प्रवृत्ति अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों के
नामांकन के मामले में देखी गयी जिसमें लड़कों की संख्या लड़कियों से थोड़ी ज्यादा रही
। अतः सरकार को इस लैंगिक अंतराल को पाटने हेतु अधिक प्रयास की आवश्यकता है।
छीजन दर
छीजन दर किसी खास स्कूल वर्ष में किसी खास कक्षा में पढ़ाई छोड़ने वाले विद्यार्थियों
के प्रतिशत को व्यक्त करती है। बिहार में छात्रों द्वारा पढ़ाई बीच
में ही छोड़ देने की समस्या पायी जाती है जिसके पीछे अनेक निम्न
कारण है।
- आर्थिक कारक- गरीबी, मजूदरी से
आय, घरेलू कार्य ।
- सामाजिक एवं सांस्कृतिक कारक।
- विद्यालय का वातावरण एवं अधिसंरचना । उल्लेखनीय है कि लड़कियों द्वारा पढ़ाई छोड़ने का एक बड़ा कारण स्कूलों से घर की दूरी एवं अवसंरचना का अभाव रहा है ।
वर्ष 2012-13 से 2019-20 के मध्य प्राथमिक स्तर पर छीजन दर में 9.0% अंक
की और उच्च प्राथमिक स्तर पर 7.9% अंकों की गिरावट दर्ज की
गयी और यह गिरावट लड़कों और लड़कियों दोनों
के मामले में देखी गयी ।
बिहार में प्रारंभिक शिक्षा को सर्वसुलभ बनाने के लक्ष्य
की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति हुई है फिर भी कक्षा
1 में नामांकित 36.5 प्रतिशत विद्यार्थी
माध्यमिक शिक्षा पूरी नहीं कर पाते हैं और उच्च माध्यमिक शिक्षा पूरी करनेवाले विद्यार्थियों का अनुपात और घट जाता
है। अतः इस दिशा में और कार्य करने की आवश्यकता है।
हांलाकि लैंगिक स्तर पर देखा जाए तो यह सराहनीय बात यह है
कि प्रारंभिक स्तर पर छात्राओं की छीजन दरें छात्रों से कम है लेकिन माध्यमिक स्तर
पर और कार्य करने की आवश्यकता है।
विद्यालयों और शिक्षकों की संख्या
बिहार में प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों की संख्या 2016-17 के 72,981 से बढ़कर 2019-20 में 75,295 हो गयी । इस अवधि में अनेक विद्यालयों को उत्क्रमित भी किया गया है ।
नई शिक्षा नीति 2020 के अनुसार प्रत्येक विद्यालय के स्तर
पर विद्यार्थी एवं शिक्षक का अनुपात 30:1 से नीचे होना सुनिश्चित
किया जाएगा और सामाजिक आर्थिक रूप से वंचित विद्यार्थियों
के लिए यह 25:1 रखने का लक्ष्य है ।
बिहार में प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तरों पर शिक्षकों
की कुल संख्या 2016-17 के 3.9 लाख से बढ़कर 2019-20 में 4.3 लाख हो गयी।
शिक्षा पर व्यय
बिहार में शिक्षा पर व्यय का स्तर हाल के वर्षों में लगातार
बढ़ा है हालांकि वर्ष 2020-21 के व्यय में थोड़ी गिरावट आई है जिसका कारण कोविड-19 के कारण विद्यालय की नियमित गतिविधियों का अव्यवस्थित हो जाना है।
वर्ष 2020-21 में शिक्षा पर कुल व्यय 12,959 करोड़ रुपया था
जिसमें लगभग 46.7% प्रारंभिक शिक्षा पर और शेष
52.3% माध्यमिक और उच्च शिक्षा पर खर्च हुआ ।
मध्याह्न भोजन योजना
मध्याह्न भोजन योजना अधिकार आधारित योजना है जो बच्चों के पोषण संबंधी सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । सितम्बर 2021 से मध्याह्न भोजन योजना का नाम बदलकर प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण कर दिया गया है।
प्रधानमंत्री पोषण शक्ति
निर्माण योजना संशोधित योजना का विस्तार सरकारी या सरकारी सहायता प्राप्त
विद्यालयों में पूर्व प्राथमिक या बाल वाटिकाओं में पढ़ रहे विद्यार्थियों तक करने
का प्रस्ताव । विशेष अवसरों और उत्सव के मौकों पर बच्चों को विशेष भोजन
उपलब्ध कराने की तिथि भोजन की संकल्पना भी शुरू की जाएगी । बच्चों को प्रकृति और बागवानी की प्रत्यक्ष जानकारी देने
के लिए विद्यालयों में विद्यालय पोषण वाटिका ओं के विचार को भी बढ़ावा दिया जाएगा
। सभी जिलों में योजना का सामाजिक अंकेक्षण अनिवार्य होगा
। आकांक्षी जिलों में रक्ताल्पता की उच्च व्याप्ति वाले
जिलों में बच्चों को पूरक पोषण वाली चीजें देने के लिए विशेष प्रावधान । रसोई प्रतियोगिता , वोकल फॉर लोकल योजना के क्रियान्वयन के लिए कृषक उत्पाद संगठनों और महिला
स्वयं सहायता समूह की संलग्नता, क्षेत्र भ्रमण आदि गतिविधियों
को भी शामिल किया जाएगा योजना के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए दिशा-निर्देश
में मध्यान्ह भोजन में पोषक तत्वों की मात्रा का निर्धारण किया गया । |
वर्ष 2020-21 में योजना के तहत प्राथमिक स्तर पर 75.65 लाख तथा उच्च प्राथमिक स्तर
पर 42.01 लाख विद्यार्थी मध्याह्न भोजन योजना का लाभ ले
रहे हैं। इस योजना में स्कूल छोड़ने की घटनाओं में कमी लाने में महत्वपूर्ण भूमिका
निभायी है।
हाल के वर्षों में मध्याह्न भोजन योजना का आच्छादन बढ़ा
है लेकिन शत प्रतिशत आच्छादन हासिल करने हेतु और अधिक प्रयास की आवश्यकता है ।
बिहार में
शिक्षा संबंधी योजनाएं /कार्यक्रम |
कस्तूरबा
गांधी बालिका विद्यालय अनुसचित जाति, जनजति एवं अन्य
पिछड़ा वर्ग, मुसलमानों और BPL समुदाय की लड़कियों के लिए पिछड़े प्रखंडों में आवासीय उच्च प्राथमिक
विद्यालय की स्थापना जहां विद्यालय के अधिक दूरी होन पर लड़कियों के लिए सुरक्षा
समस्या होती है। अनुसचित जाति, जनजति एवं अन्य
पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्या समुदाय की लड़कियों हेतु
न्यूनतम 75% आरक्षण होता है जबकि शेष 25% गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों की लड़कियों को प्राथमिकता दी जाती है। वर्ष 2020-21 के
अनुसार राज्य में 535 कस्तूरबा गांधी बालिका
विद्यालय थी जिसमें कुल 57,175 लड़कियां
नामांकित थी। |
राष्ट्रीय
उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) 2013 में आरंभ केन्द्र प्रायोजित योजना जिसका लक्ष्य राज्य के पात्र उच्चतर
शैक्षिक संस्थानों को रणनीतिक वित्त पोषण उपलब्ध कराना है। |
समग्र शिक्षा
अभियान 2018-19 में केन्द्र सरकार द्वारा प्रारंभ किया गया कार्यक्रम जो विद्यालय पूर्व
से कक्षा 12 तक को आच्छदित करता है। |
उच्च शिक्षा वर्ष 2019-20 के
अनुसार राज्य में बिहार में उच्च शिक्षा 35 विश्वविद्यालय हैं जिनमें 4 केन्द्रीय विश्वविद्यालय,
17 राजकीय विश्वविद्यालय शामिल हैं। |
चन्द्रगुप्त
प्रबंधन संस्थान राज्य में
प्रबंधन शिक्षा और शोध संबंधी सुविधाओं को बढ़ाने हेतु 2008 में
स्थापित । |
बिहार में शिक्षा के क्षेत्र में व्याप्त समस्याओं को दूर
करने हेतु सरकार के प्रयास
- बालिका शिक्षा के प्रोत्साहन हेतु प्रत्यक्ष लाभांतरण द्वारा वित्तीय सहायता ।
- स्कूल की दूरी कम करने हेतु साइकिल का वितरण किया गया ।
- विद्यालय का वातावरण और अधिसंरचना (शौचालय, पेयजल,
खेल मैदान आदि) को अनुकूल किया गया।
- प्राथमिक विद्यालयों को उच्च प्राथमिक विद्यालयों में उत्क्रमित किया गया।
- अनुसचित जाति, जनजति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग, मुसलमानों और BPL समुदाय की लड़कियों के लिए आवासीय
उच्च प्राथमिक विद्यालय।
- प्रत्येक विद्यालय में 30:1 का विद्यार्थी-शिक्षक अनुपात सुनिश्चित करने का प्रयास।
- वर्ष 2014-15 से 2019-20 के मध्य शिक्षा पर कुल व्यय
58.3% बढ़ा है। इस प्रकार औसत वार्षिक वृद्धि दर 9.2% रही।
- वर्ष 2020-21 में 5082 नए उच्च माध्यमिक विद्यालय स्थापित किए
गए और बचे हुए 3304 पंचायतों में इसके लिए प्रस्ताव किया गया।
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