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Aug 13, 2022

कृषि में नवीन प्रौद्यौगिकी का उपयोग

 

कृषि में नवीन प्रौद्यौगिकी का उपयोग


 

बजट 2022-23 में कृषि के लिए पिछले वर्ष की अपेक्षा 4.4% ज्यादा आवंटन किया गया। भारत का लगभग 55% कार्यबल कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र की गतिविधियों में संलग्न हैं तथा ग्रामीण क्षेत्रों के अधिकांश लोगों का प्राथमिक व्यवसाय कृषि ही है। कोविड19 महामारी के दौरान भी भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि ही एकमात्र क्षेत्र रहा, जिसने धनात्मक वृद्धि दर्ज की।

 

इस प्रकार भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कृषि का विकास आवश्यक है और कृषि के समग्र विकास में कृषि में जैव प्रौद्योगिकी, नैनो प्रौद्योगिकी, सूचना एवं संचार तकनीक जैसी नवीन प्रौद्योगिकियों के भूमिका महत्वपूर्ण है। नवीन प्रौद्योगिकियों के माध्यम से पर्यावरण अनुकूल, समावेशी तथा स्मार्ट कृषि में की परिकल्पना को साकार किया जा सकता है।

कृषि में प्रौद्योगिकी उपयोग संबंधी केन्द्रीय बजट 2022-23 में घोषणाएं

संपूर्ण देश में रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा जिसके प्रथम चरण में गंगा नदी के 5 किमी कोरिडोर्स में आने वाले किसानों की जमीनों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

किसानों को डिजिटलहाइटेक सेवाएँ देने हेतु पीपीपी मॉडल में एक योजना शुरू की जाएगीजिसमें सार्वजनिक क्षेत्र के अनुसंधान और विस्तार संस्थानों के साथ साथ निजी एग्रीटेक प्लेयर्स और स्टेकहोल्डर्स शामिल होंगे।

कृषि फसलों का आकलन करनेभू-दस्तावेजों का डिजिटाइजेशन करनेकीटनाशियों का छिड़काव करने और पोषक तत्वों के लिए ‘किसान ड्रोन्स’ के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाएगा।

राज्यों को प्रोत्साहित किया जायेगा कि वे अपनी कृषि विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में संशोधन कर सकें जिससे कि प्राकृतिकजीरो-बजट और आर्गेनिक फार्मिंगआधुनिक कृषिमूल्य संवर्धन और प्रबंधन की जरूरतों को पूरा किया जा सके।

नाबार्ड से सहायता से मिश्रित पूंजीयुक्त कोष की स्थापना होगा जिसका उद्देश्य कृषि और ग्रामीण उद्यमों के लिए स्टार्ट-अप्स को वित्तपोषित करना है। इन स्टार्ट-अप्स के क्रियाकलापों में एफपीओ को सहायताकृषि स्तर पर किराया आधार पर किसानों को विकेद्रीकृत मशीनरी उपलब्ध कराना और प्रौद्योगिकीजिनमें आईटी आधारित समर्थन शामिल हैजैसे कार्य आएँगे।

भू-अभिलेख प्रबंधन के तहत राज्यों को अभिलेखों के आईटी आधारित प्रबंधन को सरल और कारगर बनाने के लिए यूनिक लैंड पार्सल आईडेंटिफिकेशन नंबर अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।  

एक राष्ट्र एक रजिस्ट्रीकरण सॉफ्टवेयर’ के साथ नेशनल जेनेटिक डॉक्यूमेंट रजिस्ट्रेशन सिस्टम के अंगीकरण अथवा लिंकेज को रजिस्टरीकरण के लिए समरूप प्रक्रिया और विलेखों और दस्तावेजों के ‘कहीं भी रजिस्ट्रीकरण’ को एक विकल्प के रूप में बढ़ावा दिया जाएगा।

से 7 प्रतिशत बायोमास पेलेट को थर्मल पावर प्लांटों में जलाया जाएगा जिससे प्रतिवर्ष 38 एमएमटी कार्बन डाई ऑक्साइड की बचत होगी। इससे किसानों को अतिरिक्त आय होगी,  रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे और खेतों में पराली को जलाने से भी बच जाएंगे।



कृषि में नवीन प्रौद्योगिकी की आवश्यकता

  1. बढ़ती जनसंख्या बढ़ती जनसंख्या की भोजन संबंधी आवश्यकता को पूरा करने हेतु।
  2. जल एवं भूमि जैसे महत्वपूर्ण संसाधनों के कुशलतम उपयोग और सतत कृषि को बढ़ावा देने हेतु।
  3. हरित क्रांति, नीली क्रांति, श्वेत क्रांति, पीली क्रांति, सदाबहार क्रांति जैसी क्रांतियां हेतु।
  4. उत्पादन एवं उत्पादकता में मात्रात्मक एवं गुणात्मक सुधार हेतु।
  5. कृषि क्षेत्र में संलग्न व्यक्तियों की उत्पादन क्षमता को बढ़ाने एवं रोजगार अवसर बढ़ाने हेतु।
  6. पर्यावरण क्षरण के दुष्चक्र को रोकने तथा टिकाऊ एवं पर्यावरण अनुकूल कृषि हेतु।
  7. हानिकारक कृषि विधियां तथा कृषि प्रबंधन संबंधी प्रथाओं को रोकने के लिए 
  8. सूखा प्रतिरोधी, प्रतिकूल मौसम प्रतिरोधी फसल के विकास हेतु।
  9. वैश्विक तापन के कारण खाद्य सुरक्षा एवं फसलों के उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव को कम करने हेतु।
  10. किसानों के लिए आजीविका में विविधता एवं आय में वृद्धि हेतु।
  11. उच्च गुणवत्तावाले खाद्य पदार्थ एवं फसल पैटर्न में विविधता लाने हेतु।
  12. देश की अर्थव्यवस्था का आकार 5 ट्रिलियन डॉलर करने के लिए।

 

 

अक्टूबर, 2021 में जारी वैश्विक कृषि उत्पादकता रिपोर्ट (GAP रिपोर्ट)



  1. जलवायु परिवर्तन ने 1961 के बाद से वैश्विक स्तर पर उत्पादकता वृद्धि को 21%  तक कम कर दिया है।
  2. अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के शुष्क क्षेत्रों में, जलवायु परिवर्तन ने उत्पादकता वृद्धि को 34% तक धीमा कर दिया है।
  3. कुल कारक उत्पादकता 1.36 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ रही है जबकि वर्ष 2050 में खाद्य और जैव ऊर्जा के लिए उपभोक्ताओं की जरूरतों को स्थायी रूप से पूरा करने के लिए 1.73% की वृद्धि का वार्षिक लक्ष्य निर्धारित किया है।
  4. मानव प्रभावित गतिविधियों से होने वाले मीथेन उत्सर्जन का 37%  मवेशियों एवं अन्य जुगाली करने वाले पशुओं से उत्पन्न होता है।
  5. विश्व की 36% भूमि का उपयोग कृषि कार्य हेतु किया जाता है तथा 2050 तक पृथ्वी की 90% मिट्टी अपरदन से अपक्षीण हो सकती है।
  6. बढ़ता तापमान, वर्षा प्रतिरूप में बदलाव के कारण 2035 तक भारत की प्रमुख खाद्य फसलों की पैदावार में 10% तक कमी आ सकती है।
  7. इस रिपोर्ट में कृषि विकास हेतु अन्य सुझावों के साथ साथ कृषि में शोध, अनुसंधान और विकास में निवेश, विज्ञान और सूचना आधारित प्रौद्योगिकियों को अपनाने, सतत कृषि, आदि जैसे सुझावों को दिया गया है।

 

कृषि अर्थव्यवस्था में प्रौद्योगिकियों के उपयोग को प्रभावित करने वाले कारक

आवश्यकता एवं प्रौद्योगिकी की मांग

भारत जैसे कृषि प्रधान देश में विभिन्न क्षेत्र के किसानों को नवीन प्रौद्योगिकी द्वारा लागत कम करने, उत्पादकता बढ़ाने, पर्यावरण अनुकूल कृषि करने आदि जैसे अनेक लाभों को प्राप्‍त किया है । अतः किसान उन प्रौद्योगिकियों को अपनाएंगे जिससे उनकी उत्पादकता एवं लाभप्रदता में वृद्धि होगी।

पर्यावरण अनुकूल कृषि प्रणाली

कृषि क्षेत्र के क्रियाकलापों द्वारा विभिन्न प्रकार के ग्रीनहाउस गैसों जैसे मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड आदि का उत्सर्जन होता है जो जलवायु परिवर्तन को बढ़ा सकता है । अतः नवीन प्रौद्योगिकियों का अनुप्रयोग कर इन समस्याओं का समाधान किया जा सकता है तथा सतत कृषि प्रणालियों को बढ़ावा दिया जा सकता है।

वहनीय मूल्य पर उपलब्धता

भारत में लगभग 85% किसान लघु तथा सीमांत जोतधारक हैं जिनके पास पूंजी तथा बैंकों ऋण तक पहुंच कम होती है जिसके कारण उन्नत प्रौद्योगिकियों को वहन नहीं कर पाते । अतः भारत में उन्नत कृषि प्रौद्योगिकी को व्यापक पैमाने पर अपनाए जाने हेतु उसे वहनीय कीमत पर उपलब्ध कराया जाना चाहिए

कृषि विस्तार सेवाओं की उपलब्धता 

नवीन प्रौद्योगिकियों के माध्‍यम से कृषि विस्तार सेवाओं को बढ़ावा दे कर कृषि में प्रौद्योगिकी एवं यंत्रीकरण को बढ़ावा दिया जा सकता है । सरकार निजी क्षेत्र की भागीदारी के माध्यम से भी प्रौद्योगिकियों को अपनाने की दिशा में कदम बढ़ा रही है।

अनुकूल कृषि नीतियां

सरकार की नीतियां यदि किसी प्रौद्योगिकी को अपनाने में प्रोत्साहन देनेवाली होती है तो इसका सकारात्मक प्रभाव होता है। वर्तमान समय में विश्व के अनेक देश प्रौद्योगिकी को कृषि क्षेत्र में अपनाए जाने को बढ़ावा दे रहे हैं ताकि कृषि को लाभकारी बना कर लोगों की भोजन तथा अन्य आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।

 

कृषि में प्रौद्योगिकी समावेशन संबंधी सरकार की पहलें

संधारणीय कृषि हेतु राष्ट्रीय मिशन

वर्ष 2008 में जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना की शुरुआत की गयी जिसमें संधारणीय कृषि हेतु राष्ट्रीय मिशन आरंभ किया गया जिसका लक्ष्य कृषि को अधिक उत्पादक, टिकाऊलाभकारी और जलवायु अनुकूल बनाकर खाद्य सुरक्षा को बढ़ाना है।

इसके तहत भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की एक नेटवर्क परियोजना जलवायु अनुकूल कृषि पर राष्ट्रीय नवाचार नवोन्मेष का गठन किया गया। वर्ष 2021 से 2025 तक के प्रमुख लक्षणों में जैविक खेती के साथ साथ व्यापक क्षेत्र पर वृक्षारोपण कार्यक्रम भी शामिल है।

कृषि विज्ञान केंद्र की स्थापना

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद अपने कृषि विज्ञान केंद्र नेटवर्क के माध्यम से कृषि में अनुप्रयोग, क्षमता निर्माण, शोध एवं अनुसंधान जैसे कार्यो के साथ प्रशिक्षण कार्यक्रम और कौशल विकास कार्यक्रम आयोजित करता है। 

एम किसान पोर्टल

एम किसान पोर्टल के माध्यम से किसानों को कृषि परामर्श दिया जाता है। यह अनुसंधान संस्थानों और कृषि विश्वविद्यालयों से किसानों को संबद्ध कर वेब-आधारित मोबाइल सलाह प्रदान करता है।

SMS के माध्यम से जानकारी

लघु संदेश सेवा (SMS) के माध्यम से किसानों को मौसम, बाजार, विभिन्न कृषि कार्यों, कीटों के प्रकोप और बीमारी के प्रकोप और उनके नियंत्रण उपायों की जानकारी दी जाती है।

कृषि मशीनीकरण पर उप मिशन

कृषि मशीनीकरण के माध्यम से समावेशी विकास के लक्ष्य के साथ यह मिशन छोटे और सीमांत किसानों पर विशेष ध्यान देता है ताकि प्रौद्योगिकी को अपनाने में ये किसान पीछे न छुट जाएं।

इसरो के साथ समझौता

फसल उत्पादन अनुमान, बागवानी, सूखा आकलन आदि हेतु उपग्रह डेटा और जीआईएस प्रौद्योगिकी के उपयोग हेतु सरकार ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान परिषद के साथ समझौता किया है।

e-NAM

प्रतिस्पर्धी ऑनलाइन बोली प्रणाली के माध्यम से किसानों को उनकी उपज के लिए लाभकारी कीमत उपलबध कराने हेतु राष्ट्रीय कृषि बाजार (e-NAM) योजना लाया गया है।

कृषि में राष्ट्रीय -गवर्नेंस योजना 

सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के उपयोग के माध्यम से किसानों को कृषि से संबंधित जानकारी समय पर पहुंचाने के उद्देश्य से इस योजना को लाया गया है।

 

बिहार सरकार द्वारा कृषि  क्षेत्र में किए गए नवीन तकनीकी अनुप्रयोग

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