जीवधारियों का वर्गीकरण
आज के पोस्ट के माध्यम से जीवधारियों के वर्गीकरण संबंधी महत्वपूर्ण प्रश्नों को देखेंगे । आप चाहे तो इससे संबंधित विडीयो भी Youtube Channel GK BUCKET STUDY TUBE पर जा कर देख सकते हैं।
जीव
विज्ञान को अलग शाखा के रूप में स्थापित करने के कारण “जीव विज्ञान का जनक” किसे माना जाता है-
अरस्तु
1801 ई. में सर्वप्रथम बायोलॉजी (Biology)
शब्द का प्रयोग किनके द्वारा किया गया-लैमार्क (फ्रांस) और ट्रेविरेनस (जर्मनी)
वनस्पति विज्ञान का जनक
(Father of Botany) किसे माना जाता है-थियोफ्रेस्टस
(Theophrastus)
थियोफ्रेस्टस ने किस पुस्तक में
500 किस्म के पौधों का वर्णन किया है-Historia Plantarum में
जंतु विज्ञान का जनक किसे माना जाता है- अरस्तू
जीवधारियों के वर्गीकरण के क्रम में अरस्तू की वह पुस्तक जिसमें उसने में लगभग 500 जन्तुओं का वर्णन किया है- Historia
Animalium
जीवधारियों के वर्गीकरण
को वैज्ञानिक आधार किसके द्वारा दिया गया- जॉन रे (John Ray) द्वारा
जीवधारियों के आधुनिक वर्गीकरण
में सबसे प्रमुख योगदान किसका माना जाता है-
स्वीडिश वैज्ञानिक कैरोलस लीनियस
कैरोलस लीनियस ने अपनी
किस पुस्तक के माध्यम से जीवधारियों के वर्गीकरण पर प्रकाश डाला-
- जेनेरा प्लाण्टेरम (Genera Plantarum)
- सिस्टमा
नेचुरी (Systema
Naturae)
- क्लासेस
प्लाण्टेरम (Classes
Plantarum)
- फिलासोफिया बॉटेनिका (Philosophia Botanica)
लीनियस ने अपनी किस
पुस्तक में सम्पूर्ण जीवधारियों को दो जगतों पादप जगत (Plant kingdom) तथा
जंतु जगत (Animal kingdom) में बांटा- Systema Naturae
वर्गिकी का पिता (Father of Taxonomy) किसे कहा जाता है- केरोलस
लीनियस
नोट- केरोलस लीनियस के
वर्गीकरण की प्रणाली से आधुनिक वर्गीकरण प्रणाली की नींव पड़ी इस कारण इनको को वर्गिकी
का पिता कहा जाता है।
सन् 1969 ई० में परम्परागत
द्वि-जगत वर्गीकरण के स्थान पर किसके द्वारा प्रतिपादित
वर्गीकरण प्रणाली 5-जगत प्रणाली ने ले लिया – आर. एच. व्हिटेकर (R. H. whittaker)
मानव हित के लिए
जीवधारियों का अध्ययन क्या कहलाता है-
व्यावहारिक जीव विज्ञान(Applied Biology)
जिज्ञासा की शांति हेतु
जीवधारियों का अध्ययन क्या कहलाता है-
सैद्धांतिक जीव विज्ञान (Pure
Biology)
वायराइड सामान्यतः किसे
संक्रमित करता है- पादप को
वह जीव जो शैवाल तथा
कवक के सहजीवी सहवास होते हैं-
लाइकेन
जीवधारियों के वर्गीकरण के क्रम में आर. एच. व्हिटेकर ने समस्त जीवों को कितने जगत (Kingdom) में वर्गीकृत किया गया- 5
आर.एच. व्हिटेकर के पांच जगत वर्गीकरण में किन अकोशिकीय जीव को शमिल नहीं किया
गया-वायरस, वायरॉइड तथा लाइकेन
सभी प्रोकैरियोटिक जीव अर्थात्
जीवाणु, सायनोबैक्टीरिया तथा आर्कीबैक्टीरिया, तन्तुमय
जीवाणु को किस जगत
में रखा गया- मोनेरा (Monera)
5 जगत वर्गीकरण
में के अनुसार कौन सर्वव्यापी होते हैं-मोनेरा
उल्लेखनीय है कि मोनेरा
उन सभी स्थानों पर मिलते हैं जहां जीवन की थोड़ी भी संभावना है।
विभिन्न प्रकार के एककोशिकीय
जीव प्रायः जलीय
(Aquatic) यूकैरियोटिक जीव किस जगत में शामिल किए गए हैं-प्रोटिस्टा (Protista)
5 जगत वर्गीकरण
में मुख्य रूप से एककोशिकीय यूकैरियोटिक को किस जगत में रखा गया है- प्रोटिस्टा
पादप एवं जन्तु के बीच की
कड़ी यूग्लीना को किस
जगत में रखा गया है- प्रोटिस्टा
युग्लीना की
दोहरी जीवन पद्धति को क्या कहा जाता है- मिश्रपोषित (Mixotrophic)
युग्लीना को
पादप एवं जंतु के बीच की कड़ी क्यों माना जाता है - यह दो प्रकार
की जीवन पद्धति प्रदर्शित करती है- सूर्य के प्रकाश में स्वपोषित एवं प्रकाश के अभाव
में परपोषित।
5 जगत वर्गीकरण
में किनमें अत्यधिक विविधता पायी जाती है- प्रोटिस्टा
शैवाल, मॉस, पुष्पीय तथा अपुष्पीय बीजीय पौधे किस जगत के अंग हैं- पादप
(Plantae)
यूकैरियोटिक तथा परपोषित
जीवधारी जिनमें अवशोषण द्वारा पोषण होता है किस जगत में शामिल किए गए हैं- कवक(Fungi)
कवक द्वारा
शैवाल या साइनोबैक्टिरिया के साथ सहजीवी संबंध बनाकर क्या निर्माण किया जाता है- लाइकेन
नोट- कवक जगत के सभी जीव परपोषी होते हैं और ये परजीवी अथवा मृतोपजीवी
होते हैं।
कवकों की कोशिका भित्ति
किसकी बनी होती है- काइटिन
कवक में भोज्य पदार्थ
का संचय किस रूप में होता है-
ग्लाइकोजन अथवा वसा के रूप में
सभी बहुकोशिकीय जन्तु समभोजी, यूकैरियोटिक,
उपभोक्ता जीव को किस जगत में रखा गया है- जंतु/एनीमेलिया (Animalia)
किस जगत के जीव
मेटाजोआ (Metazoa) कहलाते
हैं- जंतु/एनीमेलिया
हाइड्रा, जेलीफिश,
कृमि, सितारा मछली, सरीसृप, उभयचर, पक्षी
तथा स्तनधारी किस जगत के अंग हैं- जंतु/एनीमेलिया
एनीमेलिया में
पोषण किस प्रकार से होता है- जन्तुसमभोजी
विधि से
पोषण की प्राप्त करने
की विधि के आधार पर जीवों को कितने समूह में बांटा गया है-2, स्वपोषी(Autotrophic) परपोषित (Heterotrophic)
पादप, कवक तथा जंतु
के बीच किस आधार पर विभेदन किया गया है-पोषण विधि के माध्यम से
जीवधारी (सभी कवक)
जब अपने शरीर से उपयुक्त एंजाइमों का स्रवण कर ठोस पदार्थ को सरल
पदार्थ में परिवर्तत कर उनका अवशोषण कर पोषण प्राप्त करते है तो यह क्या कहलाता है-
अवशोषी पोषण (Absorptive Nutrition)
जीवधारी (सभी जंतु)
जब ठोस पदार्थों का भक्षण कर निगल लेते हैं तथा अपने शरीर के
अंदर उपयुक्त एंजाइमों की मदद से इनका विघटन कर सरल पदार्थों में परिवर्तत कर पोषण
प्राप्त करते है तो यह क्या कहलाता है-जन्तुसमभोजी
अथवा अंतर्ग्रही पोषण (Holozoic/ingestive
Nutrition)
सरलतम जीव किसे माना
जाता है- एककोशीकीय जीव को (जैसे-
जीवाणु, अमीबा)
मानव सदृश लघुतम कपि
किसे माना जाता है- गिबन
जीवों की
कोशिकाओं में होनेवाले सभी रासायनिक क्रियाओं को संयुक्त रूप से क्या कहा जाता है- उपापचय/ मेटाबोलिज्म
उपापचय(Metabolism) क्रिया कितने भागों में बांटी जाती है- 2
- उपचय(Anabolism)- इस क्रिया द्वारा जीवद्रव्य का निर्माण होता है इसलिए यह क्रिया
रचनात्मक(Constructive) क्रिया कहलाती है। इसके माध्यम से
शरीर में वृद्धि तथा विकास होता है।
- अपचय (Catabolism)- इस क्रिया द्वारा जैव पदार्थों का नाश होता है इस कारण इसे नाशात्मक (Destructive)
क्रिया कहा जाता है। अपचय के फलस्वरूप गतिज ऊर्जा प्राप्त होती
है ।
जीवों के नामकरण की पद्धति
जीवों के नामकरण की द्विनाम
पद्धति को प्रचलित किया-कैरोलस लीनियस
लीनियस द्वारा
प्रचलित पद्धति के अनुसार प्रत्येक जीवधारी का नाम किस भाषा के शब्दों से मिलकर बनता है- लैटिन
किसी जीव के वर्गीकरण
में मूल इकाई क्या होती है-
जाति
- जाति/Species
- वंश/Genus
- कुल/Family
- गण/Order
- वर्ग/Class
- उपसंघ/Sub-Phylum
- संघ/Phylum
- जगत/Kingdom
जीवों के नामकरण की द्विनाम
पद्धति में पहला शब्द किसे सूचित करता है-
वंश नाम
जीवों के नामकरण की द्विनाम
पद्धति में वंश तथा जाति नाम किस प्रकार से लिखे जाने चाहिए- इटैलिक्स (तिरछे) जैसे- Homo sapiens Linn
नोट-वंश
नाम का पहला अक्षर बड़ा तथा जति के सभी अक्षर छोटे होने चाहिए
जीवों के नामकरण की
वैज्ञानिक पद्धति में न्यूनतम तथा अधिकतम कितने अक्षर होने चाहिए- कम से कम 3 तथा अधिक से अधिक 12
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