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Oct 27, 2022

चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक 2021

 

चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक 2021 

प्रश्‍न- "भारत जैसे लोकतांत्रिक देशों में एक दोष-मुक्त मतदाता सूची, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की अनिवार्य शर्त है।" सरकार द्वारा लाए गए चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक 2021 के परिप्रेक्ष्‍य में इस कथन की समीक्षा करें।

भारत एक लोकतांत्रिक देश है जिसके संचालन हेतु स्‍वतंत्र और निष्‍पक्ष चुनाव आवश्‍यक है और इसे सुनिश्चित करने में एक दोषमुक्‍त मतदाता सूची अनिवार्य शर्त है । भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में दोषमुक्‍त मतदाता सूची के महत्‍व को निम्‍न प्रकार से समझा जा सकता है  

  1. नागरिकों (महिलाओं, अल्‍पसंख्‍यकों, पिछड़ो) के संवैधानिक अधिकार को सुनिश्चित करने हेतु ।
  2. संवैधानिक प्रावधानों में उल्‍लेखित सार्वभौम मताधिकार के अनुपालन हेतु।
  3. मतदाताओं की आकांक्षाओं को न्‍यायपूर्ण ढंग से व्‍यक्‍त करने हेतु ।
  4. प्रत्‍येक नागरिकों की इच्‍छाओं के सम्‍मान  तथा उसके अनुरूप  सरकार के चुनाव हेतु ।
  5. नागरिकों में संवैधानिक प्रक्रियाओं एवं संस्‍थाओं के प्रति सम्‍मान जाग्रत करने हेतु ।
  6. लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के अनुकूल स्‍वतंत्र एवं निष्‍पक्ष चुनाव हेतु ।

भारत की राजनीति व्‍यवस्‍था में जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950  में निर्वाचक नामावली से संबंधित प्रावधान है जिसको और प्रासंगिक और दोषमुक्‍त बनाने की प्रक्रिया में हाल ही में सरकार द्वारा चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 पारित किया गया जिसके मुख्‍य प्रावधान निम्‍नलिखित है-

  • यह निर्वाचक नामावली डेटा और मतदाता पहचान पत्र (Voter ID Cards) को आधार (Aadhaar) से जोड़ने का कार्य करेगा ताकि विभिन्न स्थानों पर एक ही व्यक्ति के एक से अधिक नामांकन को रोका जा सके।  
  • मतदाता पंजीकरण हेतु 'सेवा मतदाताओं की पत्नियों' (Wives of Service Voters) शब्दावली के स्थान पर अब 'जीवन साथी' (Spouse) शब्द का प्रयोग किया जाएगा।
  • मतदाता सूची को अपडेट करने हेतु पूर्व तिथि 1 जनवरी के बजाय चार क्वालिफाइंग तिथियों जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर माह का पहला दिन का प्रस्ताव है जिस दिन 18 वर्ष पूरा करने वाले व्यक्ति को इसमें शामिल किया जा सकता है।

 

सरकार द्वारा प्रस्‍तुत विधेयक के प्रावधान को देखा जाए तो निश्चित रूप से मतदाता सूची में व्‍याप्‍त कुछ दोषों को यह कम करने में मदद करेगा जैसे

  • आधार को जोड़े जाने पर यह फर्जी वोटिंग और फर्जी मतों को रोकने में सहायक होगा । 
  • मतदाता पहचान के साथ आधार को जोड़ने से दूरस्थ मतदान की सुविधा मिलेगी जिससे प्रवासी भी अपने वोट के अधिकार का प्रयोग कर सकेंगे ।
  • पंजीकरण में 'जीवन साथी' (Spouse) शब्द का प्रयोग से यह ज्यादा लिंग-तटस्थहोगा।

हांलाकि उपरोक्‍त कानून स्‍वागतयोग्‍य है तथा मतदाता सूची को ज्‍यादा प्रासंगिक तथा लैंगिक तटस्‍थ बनाता है लेकिन इसके साथ साथ कुछ  चिंताएं भी है जिनमें प्रमुख है  

सरकार के पास अंतिम अधिकार

  • आधार न होने की स्थिति में मतदाता सूची में  शमिल करने या न करने का अंतिम अधिकार आवश्यक शर्तों के साथ केंद्र सरकार के पास होगा जो नागरिक के संवैधानिक अधिकार का हनन कर सकता है।

उत्तरदायित्व का हस्तांतरण

  • भारतीय लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था में सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार को सुनिश्चित करने की जिम्‍मेवारी जो सरकार की है जिसे इस कानून द्वारा नागरिकों को हस्‍तांतरित कर दिया गया है ।

निजता संबंधी चिंताएँ

  • आधार और चुनाव संबंधी डेटाबेस के बीच लिंकेज से नागरिकों के मौलिक अधिकार यानी निजता के अधिकार का हनन हो सकता है। हाल के कई ऐसे उदाहरण है जिसमें नागरिकों के डेटा लिकेज हुए है ।

लाभार्थी मतदाताओं तक पहुंच हेतु

  • मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़े जाने पर सरकार पॉलिटिकल प्रोफाइलिंग बनाकर इन डाटाओं का उपयोग राजनीतिक दलों द्वारा अपने मतदाताओं को लक्षित करने हेतु कर सकती है ।

इस प्रकार इस विधेयक के माध्‍यम से जहां मतदाता सूची को दोषमुक्‍त बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं वहीं दूसरी ओर इससे कुछ अन्‍य चिंताएं भी उत्‍पन्‍न हुई है जिनको हल किया जाना अत्‍यंत आवश्‍यक है ।

उल्‍लेखनीय है कि चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक 2021 को संसद द्वारा बिना किसी संसदीय जांच, विचार-विमर्श, वाद-विवाद के जल्‍दबाजी में लाया गया । एक लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था में जहां निष्‍पक्ष एवं स्‍वतंत्र चुनाव आवश्‍यक है वहीं नागरिकों के मौलिक अधिकार भी सुनिश्चित होने चाहिए।

अत: स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव हेतु दोष-मुक्त मतदाता सूची निर्माण की प्रक्रिया में सरकार को इससे संबंधित चिंताओं को समझना होगा और संसद में उपयुक्त प्रक्रियाओं द्वारा कमियों को दूर करने का प्रयास करना उचित होगा।

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