कोविड काल एवं संघ राज्य संबंध
सामान्यतः भारतीय संघवाद सहयोगी
के बजाय परस्पर विरोधी की भावना में ही रहा है विशेषकर उस स्थिति में जब केन्द्र
और राज्य में अलग अलग दल की सरकारें रही हो। कोरोना महामारी के दौरान केन्द्र
राज्य संबंध में गहरे मतभेद उजागर हुए हैं।
सहयोगी संघवाद के
विरुद्ध लिए गए कुछ निर्णय
भारतीय
संघवाद के विरुद्ध संघ सरकार द्वारा उठाए गए हालिया कदम
|
कोरोना संकट और लॉकडाउन के बीच
राज्यों और संघ सरकार के मतभेद
- कोरोना काल में केरल, पंजाब, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, राजस्थान
जैसे कई राज्यों ने केंद्र पर अत्यधिक दबाव डालने और सलाहों की अनसुनी के आरोप
लगाए।
- केन्द्र के स्तर पर लॉकडाउन लागू करने से पूर्व न तो कोई योजना बनाई गयी और न ही राज्यों से परामर्श किया गया जिससे कई राज्यों को लॉजिस्टिक्स संचालन हेतु पर्याप्त समय नहीं मिला। बिहार द्वारा तो लॉकडाउन में आवाजाही और परिवहन को लेकर कड़ी नाराजगी जताई गयी।
- कई राज्यों राजस्व में कमी का सामना कर रहे थे। बिहार जहां शराबबंदी है तथा अचल संपत्ति बाजार में भी मंदी रही वहां वित्तीय हालत अच्छी नहीं थी इसी क्रम में केन्द्र के कदमों से कई राज्यों को और ज्यादा आर्थिक क्षति पहुंची।
- जहां पीएम केयर फंड
में दान करनेवाले निगम को CSR के संदर्भ में
छूट प्राप्त करने का लाभ दिया गया जबकि मुख्यमंत्री राहत कोष में इस प्रकार की कोई
सुविधा नहीं दी गयी। इस प्रकार यह राज्यों को केन्द्र सरकार पर निर्भरता बढ़ाता
है।
- लॉकडाउन से जुड़े नियमों-कानूनों को लेकर,
उद्योगों में काम बहाली अथवा बंदी, केंद्रीयकृत
जांच अभियानों आदि को कुछ राज्यों द्वारा इसे अपने अधिकारों में दखल और
कार्यक्षमता पर सवाल उठाने की मंशा की तरह लिया।
- कारोना महामारी के दौरान
वैक्सीन वितरण, आवश्यक दवाओं, ऑक्सीजन आपूर्ति आदि मामलों ने भी संघ
और राज्यों के बीच के संघर्ष को और ज्यादा व्यापक रूप से प्रभावित किया है।
- वैक्सीन, ऑक्सीजन, दवाइयों, उपकरणों के उत्पादन तथा वितरण को विनियमित
करने की जिम्मेवारी केन्द्र सरकार पर है लेकिन वैक्सीन, ऑक्सीजन
इत्यादि का पर्याप्त वितरण सुनिश्चित नहीं हो पाया और इस संबंध में भेदभाव को लेकर
कई राज्यों द्वारा शिकायतें की गयी।
- कोविड से बचाव हेतु नई टीकाकरण नीति के तहत केन्द्र द्वारा यह जिम्मेवारी राज्यों पर टालने का प्रयास।
- केन्द्र सरकार द्वारा
वैक्सीन खरीदने की जिम्मेवारी राज्यों पर डाल दी है। इससे न केवल राज्यों के
वित्तीय बोझों में वृद्धि होगी बल्कि विभिन्न राज्यों के बीच टकराव भी उत्पन्न हो
सकता है। कई राज्य कोविड महामारी के कारण ठप्प पड़ी अर्थव्यवस्था, GST कर व्यवस्था,
नोटबंदी के मिलेजुले प्रभावों से पहले से ही वित्तीय बोझ के तले तबे
हुए हैं।
- कोरोना महामारी से निपटने
हेतु केन्द्र सरकार द्वारा अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए बिना राज्यों से
परामर्श के महामारी रोग अधिनियम और आपदा प्रबंधन अधिनियम लागू किया गया और राज्यों
के लिए बाध्यकारी कोविड 19
संबंधी दिशा-निर्देश जारी किये जा रहे हैं।
कोविड महामारी संकट
के दौरान केन्द्र राज्य में असहयोग
|
संबंध सुधार हेतु सुझाव
- कोरोना महामारी के दौर में केंद्र राज्य संबंधों में सुधार हेतु महत्त्वपूर्ण कदम के तहत अंतरराज्यीय परिषद को सक्रिय किया जाना चाहिए जहां राज्य शिकायतों का समाधान कर सके और केन्द्र एवं राज्यों के आपसी सहयोग को बढ़ाया जाए।
- कोरोना संकट से निपटने
हेतु एक सभी राज्यों की क्षमताओं,
संसाधनों का आकलन करते हुए केंद्र के स्तर पर एक सफल दृष्टिकोण,
हस्तक्षेप और मार्गदर्शन की आवश्यकता है।
- कोरोना काल में कई राज्य
की आर्थिक हालत ठीक नहीं है इसी क्रम में टीकाकरण, स्वास्थ्य खर्च आदि को देखते हुए
राज्यों को भावी संकट से निपटने हेतु संघ सरकार द्वारा राज्यों को वित्तीय सहायता
उपलब्ध करायी जा सकती है।
कोविड-19 के पहली लहर से
प्राप्त आंकड़ों, जानकारी, अनुभवों के
आधार पर केन्द्र और राज्य की सरकारों को आपसी सहयोग तथा समन्वय से दूसरी लहर की
चुनौती का सामना करना चाहिए था किन्तु ऐसा कुछ नहीं हुआ और कुप्रबंधन और
अव्यवस्थाओं के कारण दूसरी लहर देश के लिए विनाशकारी साबित हुई और महामारी हजारों
लोगों की मृत्यु का कारण बना। अतः भविष्य में इस प्रकार की आपदाओं और आपात
स्थितियों से निपटने तथा प्रबंधन के तहत इसे समवर्ती सूची में शामिल किया जाना
बेहतर होगा।
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