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Oct 16, 2022

संविधान एवं राजव्‍यवथा- सहयोगी संघवाद

 संविधान एवं राजव्‍यवथा- सहयोगी संघवाद 

प्रश्‍न- "सामान्यतः भारतीय संघवाद सहयोगी के बजाय परस्पर विरोध की भावना में ही रहा है विशेषकर उस स्थिति में जब केन्द्र और राज्य में अलग अलग दल की सरकारें रही हो।" कोरोना महामारी के संदर्भ में कथन पर अपने विचार प्रस्‍तुत करें। ?

संविधान निर्माताओं द्वारा भारत में संघीय व्‍यवस्‍था को अपनाया गया ताकि केन्‍द्र और राज्‍यों की सरकारे कार्य संचालन में अपने-अपने अधिकार क्षेत्र और शक्तियों का उपयोग करने के साथ साथ एक दूसरे के साथ  क्षैतिज संबंधों को स्‍थापित करते हुए आपसी सहयोग से समस्‍याओं को हल करने का भी प्रयास करती है। केन्‍द्र एवं राज्‍य सरकारों के बीच इस सहयोगात्‍मक संबंध को ही सहयोगी संघवाद कहा जाता है। उल्‍लेखनीय है कि  इस अवधारणा में यह माना जाता है कि केंद्र और राज्य में से कोई भी किसी से श्रेष्ठ नहीं है।

स्‍वतंत्रता प्राप्ति के कुछ वर्षों तक भारतीय राजनीति में सहयोगी संघवाद देखने को मिला जब केन्‍द्र और राज्‍य में एक दल की सरकारें रही लेकिन कालांतर में अलग-अलग दलों की सरकार आने के बाद भारतीय संघवाद में सहयोगात्‍मक तत्‍व कम होते गए जिसको निम्‍न प्रकार समझ सकते हैं

  1. योजना आयोग को समाप्त कर राज्यों को आवंटन देने की शक्ति को वित्त आयोग को स्थानांतरित करना।
  2. केन्‍द्र द्वारा राज्‍यपाल के माध्‍यम से अपने हितों की पूर्ति, राष्‍टपति शासन इत्‍यादि।
  3. GST और नोटबंदी जैसे गंभीर मुद्दों पर अतिकेंद्रीकृत निर्णय।
  4. केन्‍द्र द्वारा समवर्ती सूची तथा अन्‍य माध्‍यमों से राज्‍यों के अधिकार क्षेत्र में हस्‍तक्षेप कर उनकी स्‍वायत्‍ता को प्रभावित करना ।


कोरोना महामारी के समय ऐसे अनेक अवसर आए जब केन्‍द्र और राज्‍य की सरकारों में सहयोगी संघवाद की भावना में कमी देखी गयी जिसे निम्‍न प्रकार से समझा जा सकता है -

  1. कोरोना काल में केरल, पंजाब, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, राजस्थान जैसे कई राज्यों ने केंद्र पर अत्यधिक दबाव डालने और सलाहों की अनसुनी के आरोप लगाए।
  2. केन्द्र के स्तर पर लॉकडाउन लागू करने से पूर्व न तो कोई योजना बनाई गयी और न ही राज्यों से परामर्श किया गया जिससे कई राज्यों को लॉजिस्टिक्स संचालन हेतु पर्याप्त समय नहीं मिला। बिहार द्वारा तो लॉकडाउन में आवाजाही और परिवहन को लेकर कड़ी नाराजगी जताई गयी।
  3. कई राज्यों राजस्व में कमी का सामना कर रहे थे। बिहार जहां शराबबंदी है तथा अचल संपत्ति बाजार में भी मंदी रही वहां वित्तीय हालत अच्छी नहीं थी इसी क्रम में केन्द्र के कदमों से कई राज्यों को और ज्यादा आर्थिक क्षति पहुंची।
  4. जहां पीएम केयर फंड में  दान करनेवाले निगम को CSR के संदर्भ में छूट प्राप्त करने का लाभ दिया गया जबकि मुख्यमंत्री राहत कोष में इस प्रकार की कोई सुविधा नहीं दी गयी। इस प्रकार यह राज्यों को केन्द्र सरकार पर निर्भरता बढ़ाता है।
  5. लॉकडाउन से जुड़े नियमों-कानूनों को लेकर, उद्योगों में काम बहाली अथवा बंदी, केंद्रीयकृत जांच अभियानों आदि को कुछ राज्यों द्वारा इसे अपने अधिकारों में दखल और कार्यक्षमता पर सवाल उठाने की मंशा की तरह लिया। 
  6. कारोना महामारी के दौरान वैक्सीन वितरण, आवश्यक दवाओं, ऑक्सीजन आपूर्ति आदि मामलों ने भी संघ और राज्यों के बीच के संघर्ष को और ज्यादा व्यापक रूप से प्रभावित किया है।
  7. वैक्सीन, ऑक्सीजन, दवाइयों, उपकरणों के उत्पादन तथा वितरण को विनियमित करने की जिम्मेवारी केन्द्र सरकार पर है लेकिन वैक्सीन, ऑक्सीजन इत्यादि का पर्याप्त वितरण सुनिश्चित नहीं हो पाया और इस संबंध में भेदभाव को लेकर कई राज्यों द्वारा शिकायतें की गयी।
  8. कोविड से बचाव हेतु नई टीकाकरण नीति के तहत केन्द्र द्वारा यह जिम्मेवारी राज्यों पर टालने का प्रयास।
  9. कोरोना महामारी से निपटने हेतु केन्द्र सरकार द्वारा अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए बिना राज्यों से परामर्श के महामारी रोग अधिनियम और आपदा प्रबंधन अधिनियम लागू किया गया और राज्यों के लिए बाध्यकारी कोविड 19 संबंधी दिशा-निर्देश जारी किये गए ।
 

निष्‍कर्ष

इस प्रकार कोरोना महामारी के दौरान केन्‍द्र द्वारा अनेक अवसरों पर बिना राज्‍य सरकारों को विश्‍वास में लिए अनेक कदम उठाए गए । हांलाकि महामारी जैसे स्थिति में तातकालिक अवसर पर कदम उठाना आवश्‍यक है फिर भी ऐसे अवसरों का सामना आपसी सहयोग से ही किया जाना बेहतर होता है और महामारी के दौरान कई ऐसे  अवसर भी आए जब दोनों सरकारों ने सहयोग का परिचय दिया तभी तो  महामारी को हराने में हम सफल हो पाए।

 

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