भारतीय चुनाव प्रणाली एवं चुनाव आयोग
भारत में चुनाव सुधार संबंधी लेख को पढ़ने हेतु इस लिंक के माध्यम से जाए- भारत में चुनाव सुधार
प्रश्न- भारतीय चुनाव प्रणाली की विशेषताओं तथा समस्याओं
को बताए। भारतीय चुनाव प्रणाली को और प्रभावी बनाने हेतु आप इसमें सुधार करना
चाहेंगे ।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 के अनुसार एक
निर्वाचन आयोग की व्यवस्था की गयी है जो भारत में निर्वाचन का कार्य करती है ।
भारतीय चुनाव प्रणाली की अपनी विशेषताएं है जिसे निम्न प्रकार समझा जा सकता है ।
भारतीय चुनाव प्रणाली की विशेषताएं
- प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष चुनाव
प्रणाली दोनों चुनाव प्रणाली अपनायी गयी है। लोकसभा एवं राज्य विधानसभा में
प्रत्यक्ष निर्वाचन पद्धति तो राष्ट्रपति,
उपराष्ट्रपति, राज्यसभा तथा विधान परिषद में
अप्रत्यक्ष निर्वाचन पद्धति।
- चुनाव संपन्न कराने
हेतु संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत निर्वाचन आयोग की व्यवस्था।
- फर्स्ट पास्ट द पोस्ट सिस्टम यानी सबसे ज्यादा मत प्राप्त करनेवाले प्रत्याशी की जीत।
- सार्वभौमिक मताधिकार के तहत 18 वर्ष के सभी
भारतीय नागरिक को प्राप्त अधिकार।
- गुप्त मतदान की व्यवस्था के तहत मतदाता अपनी इच्छानुसार मत देने हेतु स्वतंत्र।
- प्रत्येक निर्वाचित प्रतिनिधि द्वारा एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व तथा जनसंख्या के आधार पर निर्वाचन क्षेत्र आवंटन ।
- अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति को जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण की व्यवस्था।
- चुनावों में अनियमितता एवं अव्यवस्था अथवा विवाद होने पर न्यायालय जाने की व्यवस्था।
भारत विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र
में शामिल है तथा जनसंख्या तथा भौगौलिक रूप से बड़ा एवं विविधतापूर्ण होने के
कारण चुनाव प्रणाली में अनेक लोकतांत्रिक प्रक्रिया एवं विशेष्ताओं को समाहित
किया गया है फिर भी वर्तमान चुनाव प्रणाली में अनेक समस्याएं है जिनको हल किया
जाना आवश्यक है।
भारतीय चुनाव प्रणाली की समस्या
- लंबे समय तक चलने वाली प्रक्रिया। 2021 में पश्चिम
बंगाल विधानसभा चुनाव 8 चरण में सम्पन्न हुआ।
- एक से ज्यादा स्थानों से किसी
उम्मीदवार द्वारा चुनाव लड़ा जाना। वर्ष 2014
के लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी वाराणसी के अलावा गुजरात के
वडोदरा सीट से भी उम्मीदवार थे।
- चुनाव के दौरान नौकरशाहों में तटस्थता की कमी। इस प्रकार के अनेक उदाहरण हालिया विधानसभा चुनावों में देखने को मिले।
- कम मतदान प्रतिशत भी एक समस्या है जो भारतीय लोकतंत्र के प्रति नागरिकों की उदासीनता को दर्शाता है।
- हाल में चुनाव में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन संबंधी अनेक विवाद देखने को मिले हैं।
- चुनाव में टिकटों के बंटवारे से मतदान तक में धर्म तथा जाति का प्रयोग ।
- चुनाव में पढ़ते बाहुबल धन का प्रयोग तथा चंदे में पारदर्शिता की कमी।
- चुनाव में अपरधियों की बढ़ती
संख्या, बढ़ते धन बल के प्रयोग से ईमानदार,साफ छवि वाले एवं गंभीर जनप्रतिनिधियों का अभाव होता है।
- आदर्श आचार संहिता राजनीतिक दलों के बीच आम सहमति पर आधारित है तथा इसके पालन हेतु कोई भी कानूनी प्रावधान नहीं है।
- चुनाव सुधार के प्रति राजनीतिक दलों में इच्छाशक्ति की कमी।
- चंदे में पारदर्शिता तथा सूचना का अधिकार जैसे कानूनों को लाने के प्रति सभी राजनीतिक दलों में इच्छाशक्ति की कमी है।
इस प्रकार भारतीय चुनाव प्रणाली में
अनेक समस्याएं व्याप्त है जिसके कारण कई बार स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव पर
सवाल उठाए जाते हैं और धन बल,
जोड तोड के आधार पर चुनाव जीतने का प्रयास किया जाता है जो भारत
जैसे लोकतांत्रिक देश हेतु उचित नहीं है। अत: वर्तमान चुनाव प्रणाली को अधिक सक्षम
बनाने की आवश्यकता है जिसके लिए निम्न उपाय किए जा सकते हैं
- इवीएम संबंधी चिंताओं को दूर करने के साथ साथ चुनाव व्यवस्था में आधुनिक तकनीक के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाए।
- मतदाता जागरूकता तथा विश्वास बहाली
के प्रयासों को बढ़ावा देने हेतु उपाए किए जाए।
- चुनाव प्रणाली में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने हेतु उन्हें जागरुक एवं शिक्षित किया जाए
- मतदाता सूची को नियमित रूप से अद्यतन किया जाए ताकि फर्जी मतदान को रोका जाए।
- चुनावी चंदे में पारदर्शिता हेतु चुनावी बांड में आवश्यक सुधार किया जाए।
- चुनाव के दौरान हेट स्पीच, आचार संहिता उल्लंघन मामले पर तत्काल कार्यवाही की व्यवस्था की जाए।
इस प्रकार उपरोक्त सुधार किए जा
सकते हैं जो भारतीय चुनाव प्रणाली को और प्रासंगिक और लोकतांत्रिक बनाने में सहायक
सिद्ध हो सकते हैं ।
प्रश्न: एक स्वतंत्र और निष्पक्ष संस्था के तौर पर स्थापित भारतीय चुनाव
आयोग की स्वतंत्रता और निष्पक्षता को प्रभावित करनेवाले मुख्य कारणों का उल्लेख
करें तथा इसे स्वतंत्र और निष्पक्ष बनाने हेतु क्या उपाए किए जा सकते हैं ?
भारतीय संविधान द्वारा भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव
सम्पन्न कराने हेतु अनुच्छेद
324 से 329 में चुनाव आयोग और इसके सदस्यों की
शक्तियों, कार्य, कार्यकाल, पात्रता आदि संबंधी प्रावधान किया गया। हांलाकि कुछ अपवादों को छोड़ दिया जाए तो चुनाव आयोग एक स्वतंत्र और निष्पक्ष संस्था के तौर पर काम करती
रही है लेकिन पिछले कुछ वर्षों में ऐसे अनेक अवसर आए जब चुनाव आयोग को अपनी स्वतंत्रता
एवं निष्पक्षता पर कई सवाल उठाए गए जैसे -
- यह देखा गया कि चुनाव आयोग सत्तारूढ़ पार्टी के बड़े नेताओं द्वारा चुनाव संहिता के उल्लंघन पर चुप्पी साधे रहता है जबकि ऐसे मामलों में विपक्षी दलों के खिलाफ तेजी से कार्रवाई करता है।
- कई अवसरों पर चुनाव आयोग सरकार की सुविधा को ध्यान में रखते हुए चुनावों कार्यक्रम बनाता है।
- नवंबर 2021 में सरकार के वर्चुअल अनौपचारिक वार्ता में चुनाव आयुक्तों का शामिल होना।
आयोग की शक्तियों का अस्पष्ट होना
- चुनाव आयोग के पास चुनाव से जुड़ी शक्तियों की प्रकृति और विस्तार को लेकर भ्रम की स्थिति बनी रहती है इस कारण यही कारण है कि आदर्श आचार संहिता तथा चुनाव प्रक्रिया संबंधी विभिन्न मुद्दों पर चुनाव आयोग समय समय पर आवश्यक दिशा निर्देश एवं स्पष्टीकरण देता रहता है।
अधिकारियों का स्थानांतरण
- चुनाव कार्य सम्पन्न करानेवाले राज्य के अधीन कार्यरत अधिकरियों का अचानक स्थानांतरण होने से भी चुनाव आयोग का कामकाज बाधित होता है।
पर्याप्त अधिकार न होना
- चुनाव की प्रक्रिया को बाधित करने वाले उम्मीदवारों को अयोग्य घोषित करने या चुनाव प्रचार के दौरान राजनेताओं के भड़काऊ या विभाजनकारी भाषणों से निपटने के लिये पर्याप्त अधिकार भी इसके पास नहीं हैं।
चुनाव आयुक्त की नियुक्ति में पारदर्शिता का अभाव
- चुनाव आयुक्त की नियुक्ति का निर्णय सत्तारूढ़ सरकार द्वारा लिया जाता है जिसके कारण इसकी निष्पक्षता पर समय समय पर सवाल उठते रहे हैं।
चुनाव आयुक्त की स्वतंत्रता
- मुख्य चुनाव आयुक्त को महाभियोग द्वारा हटाया जा सकता है लेकिन
अन्य 2 चुनाव आयुक्त को
हटाने हेतु कोई विशेष प्रावधान नहीं है जिसके कारण ये स्वतंत्रतापूर्वक कार्य नहीं
कर पाते। इसी क्रम में इनको इस बार का भी डर रहता है कि सरकार के विरुद्ध जाने पर
वे मुख्य चुनाव आयुक्त नहीं बन पाए।
इस प्रकार उपरोक्त कारणों से चुनाव आयोग स्वतंत्रापूर्वक एवं
निष्पक्षता के साथ कार्य नहीं कर पाता और यदाकदा इस प्रकार के आरोप चुनाव आयोग पर
लगते रहते हैं । चुनाव आयोग को स्वतंत्र और निष्पक्ष बनाने हेतु निम्न उपायों
को किया जा सकता है
- निर्वाचन आयोग के सदस्यों की नियुक्ति के लिये एक स्वतंत्र कॉलेजियम की व्यवस्था की जाए। इस प्रकार की व्यवस्था द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग तथा एक याचिका के माध्यम से एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स द्वारा भी की गई।
- उल्लेखनीय है कि चुनाव आयोग एक अर्द्धन्यायिक आयोग है अतः इसमें चुनाव आयुक्त की नियुक्ति एक स्वतंत्र पैनल द्वारा लिया जाना उचित होगा ऐसी सिफारिश दिनेश गोस्वामी समिति और विधि आयोग द्वारा भी की गयी।
- निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के
नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश से बनी एक समिति की सलाह पर की जाए ।
- चुनाव आयुक्त को महाभियोग द्वारा पद से हटाए जाने के विरुद्ध संरक्षण।
- अन्य चुनाव आयुक्तों को हटाने का प्रावधान भी मुख्य चुनाव आयुक्त जैसा किया जाए।
- चुनाव आयोग को स्वतंत्र तथा सशक्त बनाए जाने हेतु अधिकार में वृद्धि।
- वरीयता के आधार पर मुख्य चुनाव आयुक्त के पद पर पदोन्नति।
भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव
हेतु चुनाव आयोग को राजनीति एवं शासन के हस्तक्षेप से मुक्त रखने हेतु एक निष्पक्ष
एवं पारदर्शी नियुक्ति प्रक्रिया की आवश्यकता है। उल्लेखनीय है कि वर्तमान
व्यवस्था में कार्यपालिका के माध्यम से चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति होने के कारण
चुनाव आयोग भी कार्यपालिका का एक हिस्सा बन कर कार्य करने लगती है। अतः इस दिशा
में यथोचित सुधार समय की मांग है।
BPSC मुख्य परीक्षा के नोटस की जानकारी अथवा सैंपल बुक देखने हेतु Whatsapp करें 74704-95829 या हमारे वेवसाइट gkbucket.com पर जाकर स्वयं अवलोकन करें।
BPSC मुख्य परीक्षा संबंधी नोट्स की विशेषताएं
- To the Point और Updated Notes
- सरल, स्पष्ट एवं बेहतर प्रस्तुतीकरण ।
- प्रासंगिक एवं परीक्षा हेतु उपयोगी सामग्री का समावेश ।
- सरकारी डाटा, सर्वे, सूचकांकों, रिपोर्ट का आवश्यकतानुसार समावेश
- आवश्यकतानुसार टेलीग्राम चैनल के माध्यम से इस प्रकार के PDF द्वारा अपडेट एवं महत्वपूर्ण मुद्दों को आपको उपलब्ध कराया जाएगा ।
- रेडिमेट नोट्स होने के कारण समय की बचत एवं रिवीजन हेत उपयोगी ।
- अन्य की अपेक्षा अत्यंत कम मूल्य पर सामग्री उपलब्ध होना।
- लेखन अभ्यास एवं स्वमूल्याकंन हेतु मुख्य परीक्षा को समर्पित टेलीग्राम ग्रुप की निशुल्क सदस्यता
No comments:
Post a Comment