GK BUCKET is best for BPSC and other competitive Exam preparation. gkbucket, bpsc prelims and mains, bpsc essay, bpsc nibandh, 71th BPSC, bpsc mains answer writing, bpsc model answer, bpsc exam ki tyari kaise kare

Oct 19, 2022

प्रस्‍तावना की प्रकृति एवं शासन व्‍यवस्‍था के संचालन में भूमिका

 

प्रश्‍न- प्रस्‍तावना की प्रकृति स्‍पष्‍ट करते हुए शासन व्‍यवस्‍था के संचालन में इसकी भूमिका का उल्‍लेख कीजिए।

भारतीय संविधान की प्रस्‍तावना जवाहर लाल नेहरू द्वारा प्रस्‍तुत किए गए उद्देश्‍य प्रस्‍ताव पर आधारित है जिसे संविधान सभा द्वारा स्‍वीकार किया गया । प्रस्‍तावना का अध्‍ययन किया जाए तो इसकी प्रकृति के संबंध में निम्‍न बातें स्‍पष्‍ट होती है-

  1. संविधान निर्माताओं की महान एवं आदर्श सोच का प्रतिविंब
  2. संविधान का एक महत्‍वपूर्ण भाग
  3. वादयोग्‍य नहीं
  4. अनुच्‍छेद 368 के माध्‍यम से संशोधनीय
  5. शासन एवं न्‍याय संबंधी निर्णयों में पथ प्रदर्शक

भारतीय संविधान की प्रस्‍तावना संपूर्ण संविधान का दर्पण है जिसमें संविधान की एक झलक मिलती है । यह संविधान निर्माताओं की आकांक्षाओं को व्‍यक्‍त करता हैं और विभिन्‍न प्रकार से शासन संचालन में महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा करता है जिसे निम्‍न प्रकार समझा जा सकता है।

  • प्रस्‍तावना संविधान निर्माताओं की महान एवं आदर्श सोच का प्रतिविंब है जो हमें बताता है कि हमें भारतीय शासन का स्‍वरूप समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, गणतंत्र रूप में रखना है और इसी के अनुसार नीतियों का निर्माण कर शासन संचालित करना है।
  • संविधान के महत्‍वपूर्ण भाग के रूप में प्रस्‍तावना यह बताता है कि इसमें भी संशोधन हो सकता है लेकिन भारतीय शासन के मूल स्‍वरूप को किसी भी प्रकार से समाप्‍त नहीं किया जा सकता । यानी प्रस्‍तावना भारतीय शासन व्‍यवस्‍था की मौलिकता का संरक्षण करने का निर्देश देता है।
  • प्रस्‍तावना वादयोग्‍य नहीं है फिर भी यह शासन के लिए प्रदर्शक की भूमिका का निर्वहन करते हुए शासन को बताता है कि वह नागरिकों की स्‍वतंत्रता तथा उनके राजनीतिक, आर्थिक एवं सामाजिक न्‍याय के लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने की दिशा में नीति निर्माण तथा शासन को संचालित करें ।
  • संविधान के किसी भी भाग में अनुच्‍छेद 368 द्वारा संशोधन हो सकता है लेकिन भारतीय शासन व्‍यवस्‍था के मूल संरचना में परिवर्तन नहीं हो सकता । अत: कई महत्‍वपूर्ण मामलों में प्रस्‍तावना शासन का मार्गदर्शन करती है जिसके माध्‍यम से भारतीय शासन का संचालन होता है ।
  • न्‍यायालय के समक्ष कई ऐसे मामले आए है जब संविधान के गहन एवं मूल प्रश्‍न शामिल होते हैं तो इस स्थिति में न्‍यायालय भी प्रस्‍ताव का सहारा लेते हुए अपने निर्णय करता है । इस प्रकार यह पथ प्रदर्शक की भूमिका में रहते हुए शासन संचालन में मार्गदर्शन करता है ।
इस प्रकार संविधान की प्रकृति ऐसी है कि वह विभिन्‍न प्रकार से न केवल शासन व्‍यवस्‍था के संचालन में योगदान देता है बल्कि संविधान निर्माताओं की आकंक्षाओं एवं आदर्शो के अनुरूप भारत के निर्माण में पथ प्रदर्शक की भूमिका भी निभाता है।  

No comments:

Post a Comment