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Oct 13, 2022

भारतीय राष्‍ट्रपति-एकल संक्रमणीय मत प्रणाली एवं अप्रत्‍यक्ष चुनाव व्‍यवस्‍था

 

राष्‍ट्रपति का निर्वाचन-एकल संक्रमणीय मत प्रणाली

प्रश्‍न - भारतीय राष्‍ट्रपति के चुनाव के संदर्भ में एकल संक्रमणीय मत प्रणाली क्‍या है ? संविधान सभा के कुछ सदस्‍यों की आलोचनाओं के बावजूद राष्‍ट्रपति के निर्वाचन हेतु अप्रत्‍यक्ष चुनाव व्‍यवस्‍था को क्‍यों अपनाया गया?

भारतीय लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था में राष्‍ट्रपति भारत का राज्‍य प्रमुख होता है जिसका चुनाव अप्रत्‍यक्ष रूप से एक निर्वाचक मंडल द्वारा होता है जिसे इलेक्‍टोरेल कॉलेज भी कहा जाता है।

उल्‍लेखनीय है कि भारतीय संविधान के अनुच्‍छेद 55 के अनुसार राष्‍ट्रपति के चुनाव में वोटिंग हेतु एकल संक्रमणीय मत प्रणाली का उपयोग होता है जिसे निम्‍न प्रकार से समझा जा सकता है –

  1. एकल संक्रमणीय मत प्रणाली में मतदाता केवल एक वोट देता है लेकिन वह विभिन्‍न उममीदवारों के लिए अपनी प्राथमिकताएं भी तय करता है । इस प्रकार इस व्‍यवस्‍था में जितने उममीदवार होते हैं मतदाता उतनी वरीयता दे सकता है।
  2. यदि पहले चरण की वोटिंग में किसी उम्‍मीदवार को स्‍पष्‍ट बहुमत नहीं मिल पाता है तो दूसरे चरण की गणना होती है और उसका वोट स्‍थानांतरित की प्रक्रिया अपनायी जाती है और यह तब तक अपनायी जाती है जब तक कोई उम्‍मीदवार निर्धारित मत प्राप्‍त नहीं कर लेता इस कारण वोटिंग की यह प्रक्रिया एकल संक्रमणीय मत प्रणाली कहलाती है ।

संविधान सभा में राष्‍ट्रपति के चुनाव व्‍यवस्‍था की अप्रत्‍यक्ष प्रणाली अपनाए जाने के कारण कई सदस्‍यों द्वारा इस व्‍यवस्‍था को अलोकतांत्रिक बताया गया तथा प्रत्‍यक्ष चुनाव का समर्थन किया गया लेकिन फिर भी संविधान सभा द्वारा अप्रत्‍यक्ष निर्वाचन प्रणाली को अपनाया गया जिसके पक्ष में निम्‍न तर्क दिए गए-

राष्‍ट्रपति के निर्वाचन हेतु अप्रत्‍यक्ष चुनाव व्‍यवस्‍था को अपनाए जाने के कारण

  1. भारत द्वारा संसदीय व्‍यवस्‍था को अपनाया गया जहां पर वास्‍तविक शक्ति प्रधानमंत्री के पास होती है तथा राष्‍ट्रपति का पद नाममात्र का कार्यकारी प्रधान होता है । अत: शक्तियों के टकराव को रोकने हेतु यह आवश्‍यक है ।
  2. औपचारिक प्रधान होने के कारण इनके चुनाव पर होनेवाले अनावश्‍यक व्‍यय, समय, ऊर्जा, प्रशासनिक मशीनरी के अपव्‍यय रोकने हेतु ।
  3. औपचारिक प्रधान होते हुए भी संपूर्ण भारत का प्रतिनिधित्‍व करने हेतु ।   
  4. अध्‍यक्षात्‍मक शासन की तरह सामान्‍य स्थितियों में राष्‍ट्रपति में शक्तियों के केन्‍द्रीकरण को रोकने तथा आपातकालीन स्थितियों का सामना करने हेतु ।
  5. राष्‍ट्रपति को वास्‍तविक शक्तियां न देते हुए भी राष्‍ट्रपति पद को गरिमामय तथा प्रभुतापूर्ण बनाए रखना। 

औपनिवेशिक काल में संसदीय व्‍यवस्‍था से परिचित भारत में शासन हेतु इससे अच्‍छी शासन व्‍यवस्‍था नहीं हो सकती थी । अत: संविधान निर्माताओं ने जहां एक ओर संसदीय व्‍यवस्‍था को अपनाते हुए राष्‍ट्रपति हेतु अप्रत्‍यक्ष चुनाव प्रणाली को अपनाया ताकि सामान्‍य स्थितियों में राष्‍ट्रपति और प्रधानमंत्री के कार्यों एवं अधिकारों के मध्‍य संतुलन बनाया जा सके वहीं आपात स्थितियों से निपटने हेतु संपूर्ण भारत का प्रतिनिधित्‍व करने हुए राष्‍ट्रपति को पर्याप्‍त शक्ति भी दी जा सके।


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