GK BUCKET is best for BPSC and other competitive Exam preparation. gkbucket, bpsc prelims and mains, bpsc essay, bpsc nibandh, 71th BPSC, bpsc mains answer writing, bpsc model answer, bpsc exam ki tyari kaise kare

Nov 20, 2022

आसियान एवं भारत संबंध

 

आसियान एवं भारत संबंध 

आसियान दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का एक महत्वपूर्ण संगठन है जिसकी स्थापना आर्थिक, राजनीतिक और सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देने हेतु 1967 को हुई थी। इसमें कुल 10 देश इंडोनेशिया, थाईलैंड, सिंगापुर, मलेशिया, फिलीपीन्स, वियतनाम, म्यांमार, कंबोडिया, ब्रूनेई और लाओस शामिल हैं।

 

 

आसियान एवं भारत संबंध

  • भारत आसियान संबंधों की शुरुआत 1992 से होती है जब 1991 में भारत द्वारा पूर्व की ओर देखो नीति [Look East Policy] लायी जाती है। वर्ष 1992 में भारत को आसियान का आंशिक वार्ताकार एवं 1996 में पूर्ण वार्ताकार राष्ट्र का दर्जा प्राप्त होता है।
  • इसी क्रम में वर्ष 2014 में अपनायी गयी एक्ट ईस्ट पॉलिसी ने भारत को आसियान के साथ अपनी साझेदारी को और आगे बढ़ाने और दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में संभावनाओं की तलाश करने का एक अवसर प्रदान किया।
  • भारत और आसियान दोनों उद्देश्‍य चीन की आक्रामक नीतियों के परिप्रेक्ष्‍य में इस क्षेत्र में शांतिपूर्ण विकास हेतु एक नियम आधारित सुरक्षा ढांचा स्थापित करना है। 
  • आर्थिक, सामरिक और सांस्कृतिक नज़रिये से भारत का आसियान देशों के साथ सम्बन्ध काफी महत्त्वपूर्ण रहा है।


19वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन 

प्रतिवर्ष आयोजित होनेवाला आसियान-भारत शिखर सम्मेलन  भारत व आसियान को उच्चतम स्तर पर जुड़ने का अवसर प्रदान करता है। इसी क्रम में नवम्‍बर 2022 में भारतीय उपराष्ट्रपति ने कंबोडिया में आयोजित19वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में भाग लिया और आसियान  तथा भारत ने एक संयुक्त वक्तव्य जारी किया ।

 

19वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन का महत्‍व

  • आसियान और भारत ने मौजूदा रणनीतिक साझेदारी को व्यापक रणनीतिक साझेदारी (कंप्रिहेंसिव स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप) में बदलने की घोषणा करते हुए एक संयुक्त बयान को अपनाया जिसमें समुद्री गतिविधियों, आतंकवाद, साइबर सुरक्षा, डिजिटल अर्थव्यवस्था, पर्यावरण, क्षेत्रीय संपर्क, स्‍मार्ट कृषि, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पर्यटन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की प्रतिबद्धता दोहराई। 
  • संयुक्‍त बयान में भारत ने हिंद प्रशांत में आसियान (ASEAN) की केंद्रीयता के प्रति अपना समर्थन को दोहराया है। 
  • भारत और आसियान ने हिंद प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता, समुद्री रक्षा और सुरक्षा, नेविगेशन की स्वतंत्रता को बनाए रखने व बढ़ावा देने के महत्त्व की पुष्टि की। 
  • संयुक्‍त  बयान में आसियान-भारत व्यापार समझौते की समीक्षा में तेजी लाने का भी प्रस्ताव है ताकि इसे अधिक उपयोगकर्ता के लिए अनुकूल, सरल एवं व्यापार हेतु सुविधाजनक बनाया जा सके।


आसियान के उद्देश्य

  • सदस्य देशों में शांति एवं स्थिरता को सुनिश्चित करना।
  • सदस्य देशों में सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक, तकनीकी, प्रशासनिक क्षेत्रों में विकास एवं सहयोग को बढ़ावा देना।
  • सदस्य देशों को शांतिपूर्ण तरीको से आपसी मतभेदों पर चर्चा एवं समाधान हेतु मंच उपलब्ध कराना।
  • कृषि, उद्योगों, व्यापार, परिवहन और संचार सुविधाओं में सुधार कर लोगों के जीवन स्तर में सुधार को बढ़ावा देना।
  • दक्षिण पूर्व एशिया में अध्ययन, शोध एवं तकनीकी सहायता को बढ़ावा देना।
  • समान उद्देश्य वाले अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय संगठनों के साथ घनिष्ठ और लाभकारी सहयोग बनाए रखना।

आसियान एवं भारत सहयोग

  • वर्ष 1996 में आसियान तथा भारत के मध्य सहयोग को बढावा देने हेतु संयुक्त सहयोग परिषद तथा व्यापार को बढ़ावा देने हेतु भारत आसियान व्यवसाय परिषद की स्थापना की गयी। आसियान भारत का चौथा सबसे बड़ा व्‍यापारिक भागीदार है।
  • लुक ईस्ट और एक्ट ईस्ट पॉलिसी भारत के आसियान देशों के साथ संबंधों का महत्वपूर्ण आधार एवं भारतीय विदेश नीति का एक भाग है।
  • आसियान और भारत ने वर्ष 2009 में व्यापार के संबंध में तथा वर्ष 2014 में सेवाओं तथा निवेश हेतु मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए।
  • पहली बार वर्ष 2018 में आसियान के 10 विशिष्ट अतिथियों के साथ भारत का गणतंत्र दिवस मनाया गया और एक साथ दक्षिण पूर्वी एशिया के राष्ट्राध्यक्षों को गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया।
  • आसियान देशों के साथ सहयोग बढ़ाने के साथ साथ हिंद प्रशांत क्षेत्र के सामरिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र में सुरक्षा, सामुद्रिक मार्गों की रक्षा और स्थिरता को सुनिश्चित करने हेतु वर्ष 2019 में भारत के प्रधानमंत्री द्वारा इंडो पैसिफिक ओशन्स इनिशिएटिव” (IPOI) को बढ़ावा देने की बात कही गयी ।
  • सितंबर 2020 में भारत और आसियान देशों के बीच मंत्रिस्तरीय बैठक में नए प्लान ऑफ़ एक्शन (2021-2025) पर सहमति बनी है जिसमें हिंद-प्रशांत महासागर पहल यानी IPOI के तहत भारत और आसियान देशों के बीच सहयोग पर सहमति बनी।
  • जनवरी 2022 में भारत-आसियान देशों के मध्‍य इंटरनेट ऑफ थिंग्स, 5G, उन्नत उपग्रह संचार, साइबर फोरेंसिक जैसे सूचना एवं  संचार प्रौद्योगिकियों के उभरते क्षेत्र में क्षमता निर्माण और ज्ञान साझा करने जैसे मुद्दों को शामिल करते हुए डिजिटल कार्य योजना वर्ष 2022 को अंतिम रूप दिया गया
  • भारत एवं आसियान के मध्‍य सहयोग को बढ़ाने हेतु वर्ष 2022 को ‘भारत-आसियान मैत्री वर्ष’ के रूप में घोषित किया।

भारत की हिंद-प्रशांत महासागर पहल (IPOI)

भारत की हिंद-प्रशांत महासागर पहल एक खुली, गैर-संधि आधारित पहल है जो इस क्षेत्र में आम चुनौतियों के सहकारी व सहयोगी समाधान के लिये मिलकर काम करती है। हिंद-प्रशांत महासागर पहल  निम्न सात स्तंभों पर ध्यान केंद्रित करने हेतु मौजूदा क्षेत्रीय संरचना और तंत्र पर आधारित है।

    1. समुद्री सुरक्षा
    2. समुद्री पारिस्थितिकी
    3. समुद्री संसाधन
    4. क्षमता निर्माण और संसाधन साझाकरण
    5. आपदा जोखिम न्यूनीकरण और प्रबंधन
    6. विज्ञान, प्रौद्योगिकी और शैक्षणिक सहयोग
    7. व्यापार संपर्क और समुद्री परिवहन

भारत के लिए आसियान का महत्व

आर्थिक वाणिज्यिक महत्त्व

  • आसियान भारत के लिए एक महत्त्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार है। दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में भारत द्वारा काफी निवेश किया गया है इस कारण भारत के लिए इस क्षेत्र का आर्थिक-वाणिज्यिक महत्त्व बढ़ जाता है। पिछले दो दशकों में भारत का आसियान देशों में निवेश 70 अरब डॉलर रहा हैजिसके भविष्य में और वृद्धि होने की संभावनाएँ हैं।

भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों हेतु महत्त्वपूर्ण

  • भारत का उत्तर-पूर्वी क्षेत्र सुरक्षा की दृष्टि से संवेदनशील है। आसियान के साथ सहयोग इस क्षेत्र में शांति एवं विकास हेतु महत्वपूर्ण है। आसियान देश सिंगापुर द्वारा पूर्वोत्तर राज्य असम में कई कौशल विकास केंद्र खोले गए हैं।

वैश्विक समस्याओं में सहयोग

  • जलवायु परिवर्तन एवं आपदा नियंत्रण, साइबर सुरक्षा, आतंकवाद, समुद्री सुरक्षा, कोविड महामारी के नियंत्रण हेतु भारत  एवं आसियान सहयोग महत्त्वपूर्ण है।

चीन को संतुलित करने में

  • विश्व महाशक्ति बनने की इच्छा रखनेवाला चीन अपनी राह में भारत को बाधक मानता है और इसी कारण डोकलाम, गलवान घाटी की घटनाओं द्वारा सीमा पर तनाव उत्पन्न करता है। इसके अलावा चीन की बढ़ती क्षेत्रीय और समुद्री महत्वाकांक्षा, भारत के पड़ोसी देशों में पैठ बनाना भारत के लिए चुनौती बन सकती है। अतः भारत के लिए यह आवश्यक है कि वह चीन के प्रतियोगी राष्ट्रों के साथ अपना एक गठबंधन बनाये और इस हेतु आसियान उपयुक्त मंच है।


भारत-आसियान और चीन

  1. भारत-आसियान संबंधों का एक मुख्य आधार साझा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक जड़ों के कारण व्यापार एवं व्यक्तियों के बीच संबंध रहा है।
  2. भारत आसियान संबंधों का हालिया आधार चीन के बढ़ते प्रभुत्त्व को संतुलित करना भी है जिसके तहत दोनों का लक्ष्य चीन की आक्रामक नीतियों के विपरीत क्षेत्र में शांतिपूर्ण विकास के लिये एक नियम आधारित सुरक्षा ढाँचा स्थापित करना है। उल्लेखनीय है कि भारत की तरह वियतनाम, फिलीपींस, मलेशिया और ब्रुनेई जैसे कई अनेक आसियान सदस्यों का चीन के साथ क्षेत्रीय विवाद है।
  3. वर्ष 2014 में भारत ने रणनीतिक दृष्टिकोण को विस्तार देते हुए न केवल दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ बल्कि प्रशांत क्षेत्र में भी जुड़ाव पर ध्यान केंद्रित किया पूर्व की ओर देखो और एक्‍ट ईस्‍ट नीति पर ध्‍यान दिया।

 ब्लू अर्थव्यवस्था

  • महासागर नौवहन, प्राकृतिक संसाधन खनन, मत्स्यन पर्यटन जैसे महत्वपूर्ण आर्थिक गतिविधियों के केंद्र हैं। नीली अर्थव्यवस्था के विकास हेतु हिंद महासागर के संसाधनों के दोहन तथा टिकाऊ विकास हेतु समावेशी अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी की आवश्यकता है जिसमें आसियान महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

कनेक्टिविटी

  • आसियान देशों के साथ कनेक्टिविटी इस क्षेत्र में भारत की उपस्थिति बढ़ाने में सहायक है । उल्‍लेखनीय है कि भारत एवं आसियान समुद्री परिवहन समझौता, नई दिल्ली तथा हनोई के बीच रेलवे लिंक पर भी विचार कर रहा है।
  • भारत एवं आसियान की कनेक्टिविटी परियोजनाएँ में पूर्वोत्तर भारत मुख्‍य केंद्र होने के कारण भारत के पूर्वोत्तर राज्यों का आर्थिक विकास सुनिश्चित करने के साथ साथ इस क्षेत्र में उग्रवाद, घुसपैठ का मुकाबला करने तथा चीन की उपस्थिति का मुकाबला करने में सहायक होगा।

आसियान की चुनौतियाँ

  • आसियान क्षेत्र में अमेरिका एवं चीन की रणनीतिक प्रतिस्पर्धा तेज़ होने के कारण आनेवाली समस्याओं से निपटना।
  • हिंद प्रशांत क्षेत्र में ऑकसक्वॉड का बढ़ता महत्व दीर्धकाल में आसियान को कमजोर बना सकता है। 
  • आसियान सदस्य राष्ट्रों जैसे सिंगापुर और कंबोडिया के बीच आर्थिक असमानता ज्यादा है। इस कारण कम विकसित देशों को क्षेत्रीय योजनाओं और प्रतिबद्धताओं को लागू करने में संसाधनों की कमी का सामना करना पड़ता है।
  • सदस्यों राष्ट्रों की अलग अलग राजनीतिक व्यवस्थाएं होना जैसे -लोकतंत्र, कम्युनिस्ट और सत्तावादी राजनीतिक प्रणाली।
  • आसियान में आम सहमति पर ज्यादा जोर होने के कारण कई समस्याओं को टाल दिया जाना । 
  • सहमति लागू करने के लिये केंद्रीय तंत्र का अभाव तथा विवाद निपटान तंत्र  में व्याप्त कमिंया।
  • दक्षिण चीन सागर में चीन का बढ़ता हस्तक्षेप तथा आसियान देशों द्वारा संगठित एवं एकीकृत दृष्टिकोण पर बातचीत करने में असमर्थता।
  • रोहिंग्याओं के खिलाफ म्यांमार में होनेवाली हिंसा तथा मानवाधिकार मुद्दे को हल करने में असफलताएं।

आगे की राह

आसियान यह एक सफल क्षेत्रीय संगठन माना जाता है तथा वर्तमान वैश्विक उदीयमान परिदृश्य का लाभ उठाने तथा बहुपक्षीयवाद को प्रोत्‍साहन देने हेतु आसियान एवं भारत की मजबूत साझेदारी को बढ़ावा देना होगा जो हिंद प्रशांत क्षेत्र में शांति एवं सुरक्षा के साथ साथ सभी देशों के आर्थिक विकास को भी प्रोत्‍साहन दे।  इस दिशा में आसियान एवं भारत नवीन तथा लचीले आपूर्ति शृखलाओं के निर्माण, परिवहन संबंधी आधारिक संरचना को मजबूत करना, कौशल विकास, रसद सेवाओं जैसे महत्‍वपूर्ण क्षेत्र में व्‍यापक सहयोग कर सकते हैं ।  


बिहार लोक सेवा आयोग मुख्‍य परीक्षा हेतु महत्‍वपूर्ण लेख के लिए यहां क्लिक करें। 

Whatsapp No. 74704-95829



No comments:

Post a Comment