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Nov 18, 2022

भारतीय शिपिंग उद्योग व्‍यापक संभावनाओं से युक्‍त

 भारतीय शिपिंग उद्योग व्‍यापक संभावनाएं

अर्थव्‍यवस्‍था संबंधी अन्‍य महत्‍वपूर्ण प्रश्‍नों को आप नीचे दिए गए लिंक के माध्‍यम से देख सकते हैं।

भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था 


प्रश्‍न- विश्व की तेजी से बढ़ती अर्थव्‍यवस्‍था के रूप में भारतीय शिपिंग उद्योग व्‍यापक संभावनाओं से युक्‍त है। इस दिशा में सरकार के हालिया प्रयासों के बावजूद अनेक चुनौतियां हैं जिनको हल किए बिना लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन में सुधार नाकाफी होगा । विवेचना करें

 

हाल में जारी आंकड़ों के अनुसार भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था ने बेहतर प्रदर्शन करते हुए दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था का दर्जा प्राप्‍त करते हुए सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्‍यवस्‍थाओं में दर्ज हुई । निश्चित रूप से अर्थव्‍यवस्‍था की प्रगति में अन्‍य सभी कारकों के साथ लॉजिस्टिक एक महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाता है जिसमें रेलवे, सड़क, जल शिपिंग आदि शामिल है।

विश्व बैंक के लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक में भारत 44वें स्थान पर है। व्‍यापक संभावनाओं से युक्‍त शिपिंग क्षेत्र में हांलाकि हाल के वर्षो में सरकार द्वारा अनेक प्रयास किए गए हैं फिर भी भारत के नौवहन एवं शिपिंग क्षेत्र के अनेक चुनौतियों है जिनको हल किए जाने की आवश्‍यकता है । 

शिपिंग उद्योग को बढ़ावा देने हेतु सरकार के प्रयास

सागरमाला कार्यक्रम

  • सागरमाला कार्यक्रम भारत की 7500 किलोमीटर लंबी तटरेखा और 14,500 किलोमीटर संभावित जलमार्ग क्षमता का उपयोग करके देश में आर्थिक विकास को गति देना है।
  • भारत के बंदरगाहों का आधुनिकीकरण एवं विकास को बढ़ावा देने के लिए जहाजरानी मंत्रालय द्वारा सागरमाला परियोजना का संचालन किया जा रहा है जिसका  मुख्य उद्देश्य निर्यात, आयात तथा घरेलू व्यापार हेतु रसद लागत को कम करना है।
  • इस कार्यक्रम द्वारा बंदरगाहों का आधुनिककरण कर उन्हें विश्व स्तरीय बंदरगाहों में बदलना, औद्योगिक समूहों और बन्दरगाहों के भीतरी इलाकों के विकास को एकीकृत कर सड़क, रेल, अंतर्देशीय और तटीय जलमार्गों के माध्यम से कुशल निकासी प्रणाली के द्वारा एकीकृत करना है।

प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण अधिनियम 2021

  • इस अधिनियम को 2021 में सरकार द्वारा अधिसूचित किया गया इसका उद्देश्य निर्णयन की प्रक्रिया का विकेंद्रीकरण करने और प्रमुख बंदरगाह के शासन को उत्कृष्ट के साथ साथ भारत में प्रमुख बंदरगाहों के विनियमन, संचालन और योजना का प्रावधान करता है।

नौवहन के लिए समुद्री सहायता विधेयक 2021

  • नौवहन क्षेत्र में वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं, तकनीकी विकास और भारत के अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों के निर्वहन हेतु।

ड्राफ्ट इंडियन पोर्ट्स बिल 2021

  • राज्य सरकारों द्वारा प्रबंधित किये जा रहे छोटे बंदरगाहों के प्रशासन को केंद्रीकृत करने के उद्देश्य से लाया गया बिल।

इनलैंड वेसल्स बिल 2021

  • विभिन्न राज्यों द्वारा बनाए गए विभिन्न नियमावली के स्थान पर एक देश एक कानून का प्रावधान ।

अंतर्देशीय पोत अधिनियम 2021  

  • 100 वर्ष से अधिक पुरानी अंतर्देशीय अधिनियम 1917 को प्रतिस्थापित करते हुए अंतर्देशीय पोत अधिनियम 2021 को लाया गया जिसके माध्यम से भारत में अंतर्देशीय जल परिवहन क्षेत्र में नए युग की शुरुआत की गई।
  • इस अधिनियम का उद्देश्य अंतर्देशीय जल के माध्यम से किफायती, सुरक्षित परिवहन और व्यापार को बढ़ावा देना है । यह अंतर्देशीय जल परिवहन के प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करेगा और व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा देगा।
  • राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या1 की नौवहन क्षमता में वृद्धि की जा रही है ताकि बड़े जहाजों की आवाजाही को सक्षम बनाए जा सके । इसके तहत वाराणसी, साहिबगंज, हल्दिया में मल्टी मोडल टर्मिनल का निर्माण किया जा रहा है।

मैरीटाइम इंडिया विजन 2030

  • वैश्विक समुद्री क्षेत्र में भारत को आगे ले जाने हेतु मैरीटाइम इंडिया विजन 2030 जारी किया गया । यह बंदरगाह परियोजनाओं में 3 लाख करोड़ रुपये के निवेश की परिकल्पना करता है जिससे 20 लाख रोजगार के अवसर सृजित होंगे।
  • इसका  उद्देश्य विश्व स्तरीय मेगा पोर्ट, ट्रांस शिपमेंट हब विकसित करना, बुनियादी ढांचे का आधुनिकीकरण सुनिश्चित  करना है। इसके माध्यम से 2020 में भारतीय बंदरगाहों पर भारतीय कार्गो के ट्रांसशिपमेंट वॉल्यूम की क्षमता 25% से बढ़ाकर 2030 तक 75% करने की है।

इस प्रकार उपरोक्‍त हालिया प्रयासों के माध्‍यम से भारत के लॉजिस्टिक क्षमता में वृद्धि करने के उद्देश्‍य से शिपिंग क्षेत्र हेतु सरकार द्वारा अनेक कदम उठाए गए हैं फिर भी वर्तमान में अनेक चुनौतियां  हैं जिनको हल किया जाना अत्‍यंत आवश्‍यक है।

भारतीय नौवहन उद्योग की चुनौतियां

ढांचागत चुनौतियां

  • भारत के सभी बड़े और छोटे बंदरगाहों की क्षमता में कमी।
  • अन्य देशों में ट्रांसशिपमेंट पॉइंट्स होना।
  • भारतीय कार्गो द्वारा लिया जाने वाला अधिक समय ।
  • बंदरगाहों को जोड़नेवाले सड़क नेटवर्क, बिजली और समग्र ढांचागत विकास की कमी 
  • शिपिंग सेवाओं की मांग में वृद्धि के कारण जहाजों के बढ़ते आकार के परिप्रेक्ष्य में बंदरगाहों का आकार, सविधाओं का नहीं बढ़ना।
  • 2019 के बाद से नए कंटेनरों के उत्पादन में आयी गिरावट ।

संस्थागत चुनौतियां

  • कठोर भारतीय नौकरशाही केंद्र, राज्य और स्थानीय सरकारों की भागीदारी में असंतुलन।
  • सिंगल विंडो क्लीयरेंस सिस्टम की कमी ।
  • शिपिंग कंपनियों की शिपमेंट प्रक्रिया सुस्त होने के कारण शिपिंग समय और श्रमबल की बर्बादी ।

वित्तीय चुनौतियां

  • भारतीय शिपिंग कंपनियों हेतु सरकारी योजनाओं तक पहुंच का अभाव  
  • सीमा शुल्क, लैंडिंग शुल्क, आयकर जैसे करों का बिना किसी छूट के भारी बोझ ।

 

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