खाद्य एवं पोषण सुरक्षा
संयुक्त
राष्ट्र संघ के खाद्य एवं कृषि संगठन के अनुसार खाद्य सुरक्षा का अर्थ है सभी
लोगों की हर समय पर्याप्त, सुरक्षित
और पोषक आहार तक भौतिक, सामाजिक और आर्थिक पहुंच जो उनके
सक्रिय और स्वस्थ जीवन हेतु उनकी आहार आवश्यकताओं तथा भोजन वरीयताओं को भी संतुष्ट
करें।
15 नवम्बर
2022 के अनुसार विश्व की 8 अरब आबादी 2050 तक 9.1 अरब हो जाएगी तो ऐसे में जनसंख्या बढ़ने से
खाद्यान्न एवं पोषण संबंधी मांग में वृद्धि होगी तथा इसकी पूर्ति हेतु जलवायु
परिवर्तन, कृषि भूमि की कमी, जल संकट
जैसी समस्याओं से निपटा जाना अत्यंत आवश्यक है।
महत्वपूर्ण संकेतकों के आधार पर भारत
में पोषण एवं स्वास्थ्य की स्थिति
- ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2022 के अनुसार भारत भारत 121 देशों की सूची में 107
वें स्थान पर आ गया है जबकि ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2021 में यह 116 देशों में 101 वें स्थान पर था।
- NFHS-5 के अनुसार भारत में पांच साल से कम उम्र के लगभग 35% बच्चे स्टंटिंग से प्रभावित हैं।
- NFHS -5 के अनुसार बीते पाँच वर्षों में अधिकांश राज्यों में पांच साल से कम उम्र के बच्चों में कुपोषण के मामले बढ़े हैं।
- एक
अध्ययन के अनुसार भारत के 5 वर्ष से कम
उम्र के 68.2 प्रतिशत बच्चों की मृत्यु कुपोषण के कारण होती है।
- हाल
ही में प्रकाशित यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 50% बच्चे
कुपोषित है।
- खाद्य
और कृषि संगठन के अनुसार वर्ष
2014 के सापेक्ष वर्ष 2019 तक 6.2 करोड़ अन्य लोग भी खाद्य असुरक्षा के दायरे में आ गए हैं तथा भारत सबसे बड़ी
खाद्य असुरक्षित आबादी वाला देश है।
- Public Health Foundation of India, ICMR और National Institute of Nutrition द्वारा जारी कुपोषण पर जारी रिपोर्ट के अनुसार 5 वर्ष की उम्र से छोटे हर 3 में से 2 बच्चों की मौत का कारण कुपोषण है।
बिहार में कुपोषण की स्थिति
|
उपरोक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि पिछले कुछ वर्षों में किए जा रहे अनगिनत प्रयासों के बावजूद देश में कुपोषण का खतरा कम नहीं हुआ है जिसका मुख्य कारण भारत में गरीबी, आहार की विविधता का अभाव, मातृ शिक्षा का निम्न स्तर, पुरुषवादी मानसिकता सहित कई प्रकार की वंचनाओं का होना हैं।
बिहार में खाद्य असुरक्षा/कुपोषण के कारण
- गरीबी, अशिक्षा एवं रोजगार की कमी।
- पोषक खाद्य पदार्थों तक पहुंच न होना।
- सूखा और बाढ़ के कारण स्थिति और भयावह हो जाना।
- जनकल्याण
योजनाएं, स्वास्थ्य
सुविधाओं की हालत ठीक नहीं होने से लाभ लोगों तक नहीं पहुंचना ।
- जनसंख्या की तीव्र वृद्धि से विकट होती स्थिति।
- सामाजिक अंधविश्वास के कारण तथा जागरुकता की कमी
- पोषण
कार्यक्रम टीकाकरण, स्तनपान के
प्रति उदासीनता।
भारत में खाद्य असुरक्षा के कारण
- भारत की एक चौथाई आबादी गरीबी के कारण पोषण-युक्त भोजन खरीद नहीं पाती ।
- न्यूनतम समर्थन मूल्य की नीति का अनाजों के पक्ष में होने से अन्य पोषक पदार्थों की खेती के प्रति उदासीनता।
- खाद्य
प्रसंस्करण, भंडारण,
परिवहन, संचार जैसी अवसंरचनाओं का अभाव।
- भारत में विविधतापूर्ण एवं गुणवत्तापूर्ण खाने के स्थान पर अधिक भोजन खाने को महत्त्व दिया जाना।
- पोषण
कार्यक्रमों जैसे ICDS,सूक्ष्म
पोषक कार्यक्रमों आदि
पर सकल व्यय GNPका केवल 0.19% होना।
- सरकारी
योजनाओं जैसे PDS, ICDS के
क्रियान्वयन में भ्रष्टाचार तथा सही लाभार्थी की पहचान न होना।
- योजनाओं के लाभ हेतु पात्रता संबंधी बाध्यताएं जैसे आधार इत्यदि जैसे पहचान पत्र की आवश्यकता।
- मांसाहार, अंडा, मत्स्य
आदि पोषक खाद्य पदार्थों के प्रति धर्मिक तथा अन्य कारणों से नकारात्मक प्रवृत्ति।
- भारत में महिला शिक्षा का अभाव तथा लैंगिक भेदभाव से महिलाओं को उचिति पोषण न मिल पाना।
- अंतर्राष्ट्ररीय स्तर पर विश्व व्यापार संगठन द्वारा व्यापार सुगमता के नाम पर खाद्यान्नों पर सब्सिडी कम करने का दबाव।
- खाद्य सुरक्षा कानून के क्रियान्वयन में कमियों से गरीबों तक खाद्यान्न नहीं पहुंच पाना ।
- कोविड
से ज्यादातर गरीब जनसँख्या प्रभावित हुई जिससे आजीविका, रोजगार, स्वास्थ्य
पर संकट आया।
ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2022 |
|
ग्लोबर
हंगर इंडेक्स 2022 के
अनुसार भारत का प्रदर्शन |
चाइल्ड वेस्टिंग
अल्पपोषण
चाइल्ड स्टंटिंग और मृत्यु दर
|
ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2022 एवं वैश्विक प्रदर्शन में ठहराव
- वैश्विक
स्तर पर हाल के वर्षों में भुखमरी के खिलाफ प्रगति लगभग स्थिर हो गई है। वर्ष 2022 में 18.2 का वैश्विक
स्कोर वर्ष 2014 में 19.1 की तुलना में थोड़ा बेहतर हुआ है। हालाँकि 2022 का GHI
स्कोर अभी भी मध्यम श्रेणी में है।
- इस प्रगति
में ठहराव के प्रमुख कारण विभिन्न देशों
के मध्य संघर्ष, रूस-यूक्रेन युद्ध, जलवायु
परिवर्तन, कोविड-19 महामारी जैसे विश्वव्यापी
संकट हैं जिसके कारण वैश्विक स्तर पर खाद्य, ईंधन और उर्वरक
के मूल्य में वृद्धि हुई है तथा यह संभावना व्यक्त की जा रही है कि वर्ष 2023 और उसके बाद भी भुखमरी और बढ़ सकती है।
- सूचकांक के
अनुसार 44 ऐसे देश हैं,
जिनमें वर्तमान में ‘गंभीर’ या ‘खतरनाक’ भुखमरी
का स्तर है । भारत 29.1 स्कोर के साथ ‘गंभीर’ श्रेणी में शामिल है।
- बेलारूस, बोस्निया और हर्ज़ेगोविना, चिली, चीन तथा क्रोएशिया ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2022 में शीर्ष पाँच प्रदर्शनकर्ता देश हैं जबकि चाड, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, मेडागास्कर, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक और यमन सूचकांक में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले देश हैं।
भारत सरकार द्वारा ग्लोबल हंगर इंडेक्स की आलोचना
भारत को ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2022 में गंभीर श्रेणी में रखा गया है और भारत सरकार द्वारा इस सूचकांक की कार्यविधि पर निम्न तर्क के आधार पर आलोचना किया गया-
- ग्लोबल
हंगर इंडेक्स भुखमरी के मापन हेतु एक भ्रामक मापन का उपयोग करता है क्योंकि इसमें
उपयोग किये गए 4 चरों में से 3
चरों का संबंध बच्चों से हैं और इस कारण इसके द्वारा पूरी आबादी का प्रतिनिधित्व
नहीं हो सकता।
- ग्लोबल
हंगर इंडेक्स का एक संकेतक यानी अल्पपोषित आबादी का अनुपात 3000 लोगों के एक बहुत छोटे नमूने के जनमत
सर्वेक्षण पर आधारित है जो वैश्विक आबादी के पाँचवें हिस्से का प्रतिनिधित्व करने
वाले भारत जैसे देश के आकलन हेतु उपयुक्त नहीं है।
भारत में भुखमरी और कुपोषण हेतु उत्तरदायी कारक
- गरीबी रेखा के वर्गीकरण में व्याप्त दोष तथा मानदंड में भिन्नता के कारण लाभार्थी की वंचना ।
- गरीबों को उपलबध कराए जानेवाले अनाज की निम्न गुणवत्ता के कुपोषण की समस्या में वृद्धि ।
- गरीबी के कारण भोजन की उपलब्धता तथा पहुंच सीमित होना ।
- दोषपूर्ण सार्वजनिक वितरण के कारण खाद्यानों के उचित वितरण का अभाव ।
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली द्वारा दुकानों में निम्न गुणवत्ता वाले अनाज का वितरण ।
- सूक्ष्म
पोषक तत्व की कमी के कारण होनेवाली ‘प्रच्छन्न भुखमरी (Hidden Hunger) की स्थिति ।
- गुणवत्ताहीन
आहार विभिन्न बीमारियों, महिलाओं की गर्भावस्था
एवं स्तनपान के दौरान सूक्ष्म पोषक तत्वों संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर पाना
।
- पोषण, स्तनपान, पालन-पोषण,
स्वच्छता आदि के बारे में पर्याप्त जानकारी का अभाव।
- पितृसत्तात्मक मानसिकता के कारण बालकों की तुलना में बालिकाओं को कम पोषण मिलना ।
- निवारक देखभाल में टीकाकरण आदि में लापरवाही ।
- रोगों के उपचार के क्रम में पर्याप्त स्वास्थ्य देखभाल तक सीमित पहुँच।
- पोषण
संबंधी अभियानों, कार्यक्रमों के लेखापरीक्षा,
निरीक्षण आदि की कमी।
- महामारी, गरीबी के कारण स्कूल वंचना से मध्याह्न भोजन की
सुविधा नहीं मिलना ।
COVID-19 महामारी का प्रभाव |
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खाद्य असुरक्षा के वर्तमान कारण
- उपरोक्त
आंकड़ों तथा वर्तमान कोविड-19 महामारी ने स्पष्ट
कर दिया है कि वर्तमान में हमारी नीतियां, खाद्य प्रणालियाँ,
'ज़ीरो हंगर' की स्थिति प्राप्त करने करने के
लिये अपर्याप्त हैं।
- इसके अलावा
बदलते जलवायु में जैव विविधता में होने वाली हानि,
मृदा उर्वरता में कमी, कम होती उत्पादकता,
बढ़ती प्राकृतिक आपदाएं भी खाद्य आपूर्ति श्रृंखलाएं में उपलब्धता
सुनिश्चित करने में एक बहुत बड़ी चुनौती है।
- भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवम्बर 2022 में जी-20 देशों की बैठक को संबोधित करते हुए यूक्रेन युद्ध को समाप्त कर शांति का संदेश देते हुए कहा कि यूक्रेन युद्ध के चलते दुनिया में खाद्यान्न का संकट पैदा हो रहा है और सप्लाई चेन भी कमजोर हुई है।
उल्लेखनीय है कि भारत ने वर्ष 2022 तक ‘कुपोषण मुक्त भारत’ के लिये एक कार्ययोजना विकसित की है। अतः उपरोक्त को ध्यान में रखते हुए इसमें सुधार अपेक्षित है।
प्रश्न- ग्लोबर हंगर इंडेक्स 2022 के परिणामों के संदर्भ में भूखमरी के खिलाफ लडाई में आए ठहराव को समाप्त करने तथा सतत विकास लक्ष्य के जीरो हंगर लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु समकालीन मुद्दों को हल करने के साथ साथ एक कुशल रणनीति की आवश्यकता है। चर्चा करें
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