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Nov 15, 2022

भारत- जापान संबंध

 

भारत-जापान संबंध

भारत और जापान के द्विपक्षीय संबंध आरंभ से ही मैत्रीपूर्ण, सहयोगी और विवादमुक्‍त रहे हैं और वर्तमान में भी यही परम्‍परा जारी है । मार्च 2022 में जहां दोनों देशों के मध्‍य 14वां भारत भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्‍मेलन सम्‍पन्‍न हुआ वहीं यह वर्ष दोनों देशों के संबंधों के 70वीं वर्षगांठ का प्रतीक भी है ।

14वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्‍मेलन की मुख्‍य बातें

सतत विकास

विकेन्‍द्रीकृत घरेलू अपशिष्‍ट जल प्रबंधन, परिवहन प्रबंधन प्रणाली जैसे सतत शहरी विकास पर सहयोग ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर किए गए।

स्‍वच्‍छ ऊर्जा भागीदारी

कॉप26 के परिप्रेक्ष्‍य में जलवायु परिवर्तन से निपटने के महत्व और इसकी तत्काल जरूरत को स्वीकार करते हुए वैश्विक स्तर पर नेट – जीरो उत्सर्जन का लक्ष्य प्राप्त करने संबंधी विभिन्न विकल्पों के महत्व को साझा किया गया ।

शांति एवं सुरक्षा साझेदारी

भारत-प्रशांत क्षेत्र में शांतिसुरक्षा और समृद्धि को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता के साथ इस क्षेत्र के समान विचारधारा वाले देशों के बीच द्विपक्षीय और बहुपक्षीय साझेदारी के महत्व को दोहराया गया।

पूर्वोतर भारत विकास

भारत के उत्तर पूर्वी क्षेत्र के सतत विकास के लिए भारत-जापान पहल" पर सहमति ।  

मैत्री प्रतीक

भारत-जापान मैत्री के प्रतीक के रूप में वाराणसी में रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर के उद्घाटन का स्वागत किया।

सुरक्षा परिषद में स्‍थान

भारत ने 2023-24 की अवधि हेतु संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में एक अस्‍थायी सीट हेतु जापान की उम्‍मीदवारी का समर्थन किया ।

मेट्रो परिवहन

भारत के प्रधानमंत्री ने भारत में विभिन्न मेट्रो परियोजनाओं के संबंध में जापान के सहयोग की सराहना की और पटना मेट्रो के लिए योजनाबद्ध प्रारंभिक सर्वेक्षण शुरू करने की उम्मीद जतायी।

संचार एवं तकनीकी सहयोग

5जीओपन आरएएनटेलीकॉम नेटवर्क सिक्योरिटीसबमरीन केबल सिस्टम और क्वांटम कम्युनिकेशंस जैसे विभिन्न क्षेत्रों में और अधिक सहयोग करने पर विचार साझा किया गया ।

भारत और जापान संबंध वर्तमान संदर्भ में विशेष रूप से प्रासंगिक हैं जहां बेहद गंभीर हो चुकी चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए वैश्विक सहयोग की जरूरत पहले से कहीं अधिक है।  भारत एवं जापान दोनों देशों द्विपक्षीय संबंधों को निम्‍न प्रकार से समझा जा सकता है

रक्षा संबंध

  • 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता, धर्म गार्जियन, मालाबार, मिलन, वोस्तोक 2022 जैसे सैन्‍य अभ्‍यास द्वारा भारत और जापान की रक्षा साझेदारी ।
  • हिंद प्रशांत क्षेत्र तथा विश्‍व की शांति एवं समृद्धि हेतु मिलकर कार्य करने हेतु जापान और भारत विजन 2025 विशेष रणनीतिक एवं वैश्विक भागीदारी की स्‍थापना की गयी। 
  • दोनों देशों के मध्‍य सशस्‍त्र बलों के बीच आपूर्ति एवं सेवाओं के आदान-प्रदान हेतु वर्ष 2020 में एक्‍यूजिशन एंड क्रास सर्विसिंग एग्रीमेंट सम्‍पन्‍न हुआ ।

आर्थिक संबंध

  • 1991 के आर्थिक संकट में जापान ने एक मित्र की भांति भारत को भुगतान संतुलन संकट से बाहर निकलने में मदद पहुंचायी।
  • दोनों देशों ने वर्ष 2011 में CEPA पर हस्‍ताक्षर किए वहीं दोनों के बीच हाल ही में करेंसी स्‍वैप समझौते को नवीनीकृत किया गया।
  • दोनों देशों के मध्‍य द्विपक्षीय व्‍यापार 11.87 बिलियन डॉलर का है। वर्ष 2020 में भारत जहां जापान का 18वां सबसे बड़े व्यापारिक साझीदार रहा वहीं जापान चौथे सबसे बड़े निवेशक रहा ।
  • जापान की आधिकारिक विकास सहायता यानी Official Development Assistance के तहत दिए जानेवाले ऋण का एक बड़ा भाग भारत प्राप्‍त करता है ।

अवसंरचनात्‍मक सहयोग

  • दिल्ली मेट्रो, वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर जैसे योजनाओं में निवेश एवं हाई स्‍पीड रेलवे के निर्माण में सहयोग हेतु जापान ने शिंकांसेन तकनीक प्रणाली के लिये प्रतिबद्धता जतायी ।
  • भारत जापान परमाणु समझौता 2016 के तहत जापान द्वारा भारत में 6  परमाणु रिएक्टर बनाने में सहयोग पर सहमति ।

अंतर्राष्‍ट्रीय सहयोग

  • क्‍वाड, जी-20 जैसे बहुपक्षीय मंचों के माध्‍यम से अंतर्राष्‍ट्रीय सहयोग ।
  • भारत के पूर्व और दक्षिण पूर्व एशिया में प्रभाव विस्‍तार में जापान का समर्थन मिला।
  • चीन के साथ भारत के सीमा विवादों में भी जापान ने भारत के पक्ष का समर्थन किया । 

विज्ञान एवं तकनीकी सहयोग

  • भारत जापान इमर्जिंग टेक्‍नोलॉजी एंड इनोवेशन फंड, इसरो एवं जापान की अंतरिक्ष एजेंसी JAXA का संयुक्‍त चंद्र ध्रुवीय अन्‍वेषण LUPEX मिशन ।

अन्‍य  सहयोग  

  • वाराणसी तथा क्‍योटो के बीच पार्टनर सिटी संबंद्धता समझौता ।
  • भारत के आयुष्‍मान भारत कार्यक्रम और जापान के ‘AHWIN’ कार्यक्रम के मध्‍य समानता को देखते हुए आपसी सहयोगी बढ़ाने संबंधी विचार किया गया।

भारत एवं जापान के मध्‍य भावी सहयोग के संभावित क्षेत्र

  • हिंद-प्रशांत में किसी भी वैश्विक शक्ति (अमेरिका या चीन) के उदय को रोकने तथा बहुध्रुवीय एशिया के निर्माण में सहयोग कर सकते हैं ।  उल्‍लेखनीय है कि हिंद प्रशांत क्षेत्र ऐसा क्षेत्र है जिसे अमेरिका अपनी वैश्विक स्थिति को पुन: प्राप्‍त करने हेतु अपनी रणनीति का एक हिस्सा मानता है जिसे चीन द्वारा चुनौती दी जा रही है।
  • संयुक्‍त परियोजनाओं के माध्‍यम से कृत्रिम बुद्धिमत्‍ता, 5G, टेलीकॉम नेटवर्क सिक्यूरिटी, एवं क्वांटम कम्युनिकेशन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में डिजिटल अवसंरचना को उन्नत करने में सहयोग की संभावना ।
  • हरित ऊर्जा में सहयोग द्वारा पर्यावरण संतुलन के साथ ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित कर विनिर्माण क्षेत्र को मजबूत बनाने में ।
  • भारत की ‘एक्ट ईस्टनीति को सुदृढ़ करने के क्रम में आनेवाली चुनौतियों का सामना करने में ।
  • आपदा जोखिम न्यूनीकरण हेतु तकनीकी ज्ञान एवं जानकारी साझा कर जोखिम प्रवण क्षेत्रों में आपदा जोखिम न्यूनीकरण नीतियों और उपायों को विकसित करने में ।

भारत-जापान संबंधों की चुनौतियां

चीन का बढ़ता प्रभुत्व

  • भारत और जापान संबंधों के विकास में चीन एक बड़ी बाधा है । चीन ने जहां संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की में स्थायी सदस्यता के दावे का विरोध करता रहा है वही कई अवसरों पर दोनों देशों पर सैन्य दबाव भी डालता रहता है।

आर्थिक चुनौतियां

  • वर्ष 2011 में भारत एवं जापान के मध्‍य हस्‍ताक्षरित व्‍यापक भागीदारी आर्थिक करार ज्‍यादा सफल नहीं रहा ।

हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन और अमेरिका की प्रतिद्वंद्विता

  • चीनी और अमेरिकी की प्रतिद्वंद्विता हिंद प्रशांत क्षेत्रीय सुरक्षा में अव्यवस्था उत्पन्न कर इस क्षेत्र में सैन्यीकरण और हथियारों की होड़ बढ़ रही है जो भारत तथा जापान के इस क्षेत्र में शांति प्रयासों को बढ़ावा देने में एक चुनौती है ।

गैर विकासात्‍मक मुद्दे पर आधारित संबंध 

  • भारत और जापान के संबंध व्‍यापार, विज्ञान, प्रौद्योगिक सहयोग के बजाए चीन की पृष्‍ठभूमि में विकसित हो रहे हैं जो भावी संबंधों हेतु अच्‍छा नहीं माना जा सकता।

नीतिगत भिन्‍नताएं

  • एक ओर जहां भारत डेटा स्‍थानीयकरण पर जोर दे रहा है वहीं जापान ओसाका ट्रेड के तहत सीमा पार डेटा प्रवाह के मानकीकरण पर विचार कर रहा है।
  • इसके अलावा RCEP से भारत का अलग होना जापान के दृष्टिकोण से निराशाजनक है वही भारतीय कंपनियों तथा उत्‍पादों हेतु प्रवेश संबंधी बाधाएं भी हैं।

परियोजना संबंधी विलंब

  • भारत की बुलेट ट्रेन परियोजना का कार्य प्रगति पर है लेकिन अभी तक भूमि अधिग्रहण संबंधी कार्य पूरा नहीं हो पाया है ।

जापान के घरेलू मुद्दे 

  • जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे पर हुए हमले के बाद जापान अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा रणनीतियों में संशोधन को लेकर पुनर्विचार कर रहा है ।

स्‍पष्‍ट है कि भारत और जापान जहां कई क्षेत्रों में सहयोग के माध्‍यम से अपने संबंधों को आगे बढ़ा रहे है वहीं वर्तमान परिप्रेक्ष्‍य में अपने संबंधों को नया रूप देकर विश्व शक्तियों की अधिनायकवादी प्रवृत्ति को रोकने के साथ साथ एक खुले एवं सुरक्षित हिंद-प्रशांत क्षेत्र के निर्माण में सहयोग कर सकते हैं ।

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