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Nov 25, 2022

सतत विकास लक्ष्‍य एवं कोविड 19 महामारी

प्रश्‍न- यद्यपि सतत विकास लक्ष्‍यों को प्राप्‍त करने की दिशा में भारत की प्रगति धीमी रही है लेकिन कोरोना महामारी, लॉकडाउन के कारण पलायन और बढ़ती बेरोजगारी से SDG लक्ष्य और दूर हो गए हैं। चर्चा करें ।

 

ऐसा विकास जो वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं की पूर्ति इस प्रकार करें जिसमें भावी पीढ़ी को अपनी आवश्यकता पूरी करने हेतु समझौता न करना पड़े सतत विकास कहलाता है।

वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा ‘2030 सतत् विकास हेतु एजेंडाको अपनाया गया जिसके तहत गरीबी, पोषण, स्‍वास्‍थ्‍य, शिक्षा, लैंगिक समानता, स्‍वच्‍छता, जलवायु परिवर्ततन, वैश्विक भागीदारी आदि जैसे 17 विकास लक्ष्य को अंगीकृत किया गया ।

 

सतत विकास की दिशा में सरकार के प्रयास

भारत सरकार द्वारा भी इन लक्ष्‍यों के प्रति प्रतिबद्धता व्‍यक्‍त की गयी और इन लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु कार्यान्वयन, निगरानी तथा विभिन्‍न विभागों के बीच समन्वय की जिम्मेदारी नीति आयोग को सौंपी गयी ।

इस दिशा में जहां  सरकार के अधिकांश कार्यक्रम सतत विकास लक्ष्य को ध्यान में रखकर ही बनाए जा रहे हैं वहीं राज्यों को भी सतत विकास पर अपने-अपने दृष्टि पत्र को तैयार करने तथा उसी के अनुसार कार्य करने की महत्‍वपूर्ण भूमिका दी गयी है ।

 

कोविड-19 महामारी एवं सतत विकास लक्ष्य 

SDG व्यापक रूप से सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय आयामों को कवर करते हैं। उल्लेखनीय है कि कोराना संकट से पहले ही भारत समेत कई देश लक्ष्यों को हासिल करने में पिछड़ रहे थे लेकिन अब कोरोना के बाद लॉकडाउन और पलायन के कारण निर्धनता, भूखमरी, स्‍वास्‍थ्‍य, शिक्षा, रोजगार जैसे लक्ष्‍य ओर दूर हो गए है।

निर्धनता-SDG 1 गरीबी दूर करने के लिए समर्पित है लेकिन महामारी के कारण जहां आशंका है कि करोड़ों लोग गरीबी की दलदल में फंस सकते हैं तथा समाज में आर्थिक असमानता की खाई गहरी होगी ।


भूखमरी- खाद्य और कृषि संगठन तथा अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के सहयोग से जारी रिपोर्ट के अनुसार भारत सबसे बड़ी खाद्य असुरक्षित आबादी वाला देश है । उल्‍लेखनीय है कि वैश्विक प्रयासों से पिछले दो दशकों में कुपोषित लोगों की संख्या लगभग आधी हो गई लेकिन COVID-19 महामारी के कारण वर्ष 2030 तक शून्य भुखमरी के लक्ष्य को प्राप्त करना कठिन प्रतीत हो रहा है।


स्वास्थ्य- महामारी के कारण हाल के वर्षों में स्वास्थ्य क्षेत्र में प्राप्त उपलब्धि को आघात लग सकता है और स्वास्थ्य सेवाओं  तथा टीकाकरण अभियानों में बाधा के कारण शिशु मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर में में वृद्धि होने के साथ एड्स और मलेरिया नियंत्रण अभियानों की गति धीमी होने से इन बीमारियों की बढ़ने की संभावना है।


गुणवत्तापरक शिक्षा- वर्तमान महामारी के दौर में शिक्षा को डिजीटल माध्यम से दिया गया लेकिन भारत में डिजिटल डिवाइड की कमी के कारण सभी तक शिक्षा नहीं पहुंच पायी।


गुणवत्तापरक रोजगार- अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक कार्यबल का आधा भाग अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में काम करते हैं तथा महामारी में कई लोग अपने रोजगार तथा नौकरी खो चुके हैं।


स्‍पष्‍ट है कि कोरोना महामारी के व्‍यापक प्रभाव के कारण पलायन और बढ़ती बेरोजगारी से कुछ SDG लक्ष्य और दूर हो गए हैं। हांलाकि वर्ष 2020-21 में कोविड-19 महामारी द्वारा उत्‍पन्‍न  गंभीर बाधाओं के बावजूद भारत ने कुछ लक्ष्‍यों में अच्‍छा प्रदर्शन किया ।


यदि कोविड महामारी का प्रभाव नहीं होता तो भारत के प्रदर्शन और बेहतर होता फिर भी महामारी के दौर में 2020-21 में नीति आयोग SDG इंडिया इंडेक्स द्वारा मापे गए 15 SDG इंडेक्स में से 8 में अच्छा प्रदर्शन, भारत का समग्र स्कोर 60 से बढ़कर 66 होना तथा वर्ष 2021 में फ्रंट रनर राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की संख्या 22 होना संतोषजनक स्थिति को बताता है ।

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