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Nov 27, 2022

COP 27 एवं संबंधित मुद्दे

 

COP 27  एवं संबंधित मुद्दे


जलवायु परिवर्तन से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करने हेतु नवम्‍बर 2022 में मिस्र में संयुक्त राष्ट्र का 27वां सम्मेलन यानी कॉप-27 बैठक सम्‍पन्‍न हुआ ।

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उल्‍लेखनीय है कि पिछली बैठक यानी कॉप-26 में कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए जो संकल्प लिया गया था वह पूरा नहीं हो सका । अत: इस बैठक में सभी नेताओं ने  कार्बन उत्सर्जन में तेजी से कमी लाने के लिए एक बार फिर से संकल्प लिया साथ ही अनेक नई घोषणाओं एवं प्रतिबद्धताओं के साथ एक नए फंड 'लॉस एंड डैमेज' की घोषणा की गयी जिसके माध्‍यम से जलवायु परिवर्तन  की समस्या को दूर करने की कोशिश की जाएगी।

संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मेलन (UNFCCC)

UNFCCC एक अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण संधि है जो संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण एवं विकास सम्मेलन, 1992 के पृथ्वी शिखर सम्मेलन के दौरान अस्तित्व में आया जिसका उद्देश्य पृथ्वी की जलवायु प्रणाली पर होने वाले खतरनाक मानवजनित हस्तक्षेप को रोकना है। 1997 का क्योटो प्रोटोकॉल एवं 2015 का पेरिस समझौता इसी के तहत आते हैं।

वर्तमान में इसमें 198 पक्षकार देश हैं जो जलवायु परिवर्तन से निपटने में प्रगति का आकलन करने के लिये Conference of the Parties COP में वार्षिक रूप से मिलते है।

वर्ष 2022 की वैश्विक जलवायु प्रेरित आपदाएं एवं जन-जीवन पर प्रभाव

  • वर्ष 2022 में पाकिस्‍तान में जहां सामान्य से 62% कम बारिश हुई वहीं दूसरी ओर हीटवेव के कारण ग्लेशियर पिघलने से नदियाँ उफान पर रही जिससे कारण लगभग 3.3 करोड़ लोग प्रभावित हुए । इसके अलावा भारी वर्षा से आए विनाशकारी बाढ़ से सैकड़ो लोग मारे गए तथा विस्थापितों तथा मलेरिया, डायरिया जैसी स्‍वास्‍थ्‍य समस्याओं में वृद्धि हुई।
  • 2022 में यूरोप चरम हीट की घटनाओं के कारण अत्‍यधिक प्रभावित हुआ । वर्ष 2022 के दौरान जहां यूरोप की कई बड़ी नदियों जैसे राइन,पो, डन्‍यूब, लॉयर में जल स्तर कम हो गया वहीं यूरोप के कई हिस्सों में शुष्क स्थिति बनी हुई है जिसके कारण सामान्‍य जनजीवन प्रभावित रहा वहीं हजार लोगों की जान भी गयी ।
  • 2022 में स्पेन और पुर्तगाल को जंगल की आग के साथ 1,200 वर्षों में सबसे शुष्क मौसम का सामना करना पड़ा।
  • सितंबर 2022 में अमेरिका में आए हरिकेन इयान तूफान से जहां 100 से ज्‍यादा लोगों की जान गई वहीं  100 बिलियन  अमेरिकी डॉलर से ज्‍यादा की मौद्रिक क्षति हुई ।
  • भारत वर्ष 2022 के दौरान 241 दिनों में चरम मौसमी घटनाएँ जैसे आंधी, चक्रवात, लगतार वर्षा, बाढ़, भूस्‍खलन, सूखे, हीट वेव" दर्ज हुई । इन आपदाओं के कारण लगभग 2755 लोगों की जान गयी और व्‍यापक स्‍तर पर फसल एवं पशुधन की हानि हुई ।

 

 

बिहार में आपदाएं

  • अपनी भौगौलिक अवस्थिति और जल तथा मौसम संबंधी अनिश्चितताओं के कारण बिहार भूकंप, बाढ़, सूखा, चक्रवात, लू, आदि आपदाओं के प्रति सुभेद्य है । बिहार में जलवायु प्रेरित आपदाओं में हाल के वर्षों में वृद्धि हुई है।
  • मई 2022 में बिहार में अचानक आए आंधी-तूफान, आकाशीय बिजली से 33 लोगों की मौत हो गयी। 
  • वर्ष 2020-21 में प्राकृतिक आपदाओं में बाढ़ के कारण 19 जिलों को क्षति पहुंची तथा 100.23 लाख लोग इनसे प्रभावित हुए। 
  • वर्ष 2020-21 में आपदा प्रबंधन के कारण राज्य सरकार पर 3227.79 करोड़ रुपए का वित्तीय बोझ नकद सहायता, कृषि लागत सामग्रियों हेतु सब्सिडी आदि के रूप में पड़ा ।

COP 27 की उपलब्धियां 

हानि और क्षति कोष

  • जलवायु संबंधी आपदाओं से होने वाली क्षति हेतु सर्वाधिक सुभेद्य देशों (Vulnerable Countries) को वित्त पोषण प्रदान करने हेतु हानि और क्षति कोष के गठन पर सहमति बनी।
  • यह कोष जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को संदर्भित करता है जिसे शमन या अनुकूलन से टाला नही जा सकता ।
  • हानि और क्षति कोष इस कोष से आपदा प्रभावित देशों के भौतिक एवं सामाजिक बुनियादी ढांचे को बचाने तथा पुनर्निर्माण हेतु आवश्यक धन आवंटित किया जाएगा जिसके तहत आर्थिक क्षति, आजीविका की हानि,  जैव विविधता एवं सांस्कृतिक महत्त्व वाले स्थलों का विनाश भी शामिल है ।


 

पूर्व में गठित अन्य जलवायु कोष

हरित जलवायु कोष-वर्ष 2010 में स्थापित इस कोष का उद्देश्य विकासशील देशों की ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को सीमित करने और जलवायु अनुकूलन में मदद करना है।

वैश्विक पर्यावरण सुविधा (GEF)- 1992 के रियो पृथ्वी सम्मेलन में स्थापित जिसका उद्देश्य विकासशील देशों और संक्रमणशील अर्थव्यवस्था वाले देशों की पर्यावरणीय अभिसमयों तथा समझौतों के लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करना है।

विशेष जलवायु परिवर्तन कोष- वर्ष 2001 में स्थापित इस कोष का उद्देश्य सभी विकासशील देशों में अनुकूलन, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, क्षमता निर्माण आदि से संबंधित परियोजनाओं को पोषित करना है।

अनुकूलन कोष- क्योटो प्रोटोकॉल के तहत स्थापित इस कोष का उद्देश्य विकासशील देशों की अनुकूलन परियोजनाओं और कार्यक्रमों का वित्तपोषण है ।

  

प्रौद्योगिकी समाधान कार्यक्रम

  • विकासशील देशों में जलवायु प्रौद्योगिकी समाधानों को बढ़ावा देने के लिये एक नए पंचवर्षीय कार्यक्रम की शुरुआत की गयी ।

शमन कार्य योजना  

  • वर्ष 2030 के जलवायु कार्य योजना लक्ष्‍यों के संदर्भ में कोयले आधारित ऊर्जा को चरणबद्ध तरीके से समाप्‍त करने और जीवाश्‍म ईंधन पर सब्सिडी कम करने के प्रयासों में तेजी लाने हेतु शमन कार्य योजना (Mitigation Work Programme) की शुरुआत की गयी ।

जलवायु जोखिमों के विरुद्ध ग्लोबल शील्ड

  • यह पूर्व-व्यवस्थित वित्तीय सहायता है। इसे जलवायु परिवर्तन से होने वाली क्षति और हानि के  बढ़ते खतरे का सामना कर रहे गरीब एवं सुभेद्य देशों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए G-7 और V-20 (Vulnerable Twenty) देशों द्वारा स्थापित किया गया है।

बुनियादी ढाँचा लचीलापन त्वरक कोष

  • आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन द्वारा आपदा-लचीला बुनियादी ढाँचा प्रणाली के वित्तीयन के लिये 50 मिलियन डॉलर की  बुनियादी ढाँचा लचीलापन त्वरक कोष (Infrastructure Resilience Accelerator Fund) की घोषणा

अंतर्राष्ट्रीय सूखा लचीलापन गठबंधन

  • सूखे की स्थिति से निपटने में सदस्य देशों को सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से International Drought Resilience Alliance की शुरुआत  

 

जल अनुकूलन और लचीलापन पहल पर कार्रवाई (AWARe)

  • यह जलवायु परिवर्तन समस्या और संभावित समाधान दोनों के रूप में जल के महत्व को प्रतिबिंबित करने के लिये शुरू किया गया पहल है।

 

फ़ॉरेस्ट एंड क्लाइमेट लीडर्स पार्टनरशिप

  • वर्ष 2030 तक वन हानि एवं भूमि क्षरण की रोकथाम हेतु वैश्विक एकजुटता हेतु लॉन्च किया गया।

 

मैंग्रोव एलायंस फॉर क्लाइमेट

  • वैश्विक स्तर पर मैंग्रोव वनों के संरक्षण, प्रोत्‍साहन एवं जागरुकता हेतु इसे लॉन्च किया गया।

 

वैश्विक नवीकरणीय गठबंधन

  • ऊर्जा संक्रमण हेतु आवश्यक सभी तकनीकों को एक साथ लाने हेतु आरंभ किया गया गठबंधन जिसका उद्देश्य लक्ष्यों को सुनिश्चित करने के साथ साथ अक्षय ऊर्जा को सतत् विकास और आर्थिक विकास के स्तंभ के रूप में स्थापित करना है।

 

इन आवर लाइफटाइम (LIFEtime) कैम्‍पेन

  • पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय प्राकृतिक इतिहास संग्रहालयासं राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा इसे लॉन्च किया गया ।
  • उद्देश्य 18 से 23 वर्ष की आयु के युवाओं को संधारणीय जीवन शैली के संदेशवाहक बनने के लिए प्रोत्साहित करना।
  • इसके तहत युवाओं को उनके ऐसे जलवायु संबंधी कार्यों को प्रस्तुत करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा जो संधारणीय और विस्तार योग्य है।

 

सम्‍मेलन की असफलताएं

  • जीवाश्म ईंधनों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने (फेज आउट) की प्रतिबद्धता पर वैश्विक स्‍तर पर  आम सहमति नहीं बनी ।
  • वर्ष 2020 तक प्रति वर्ष 100 बिलियन डॉलर प्रदान करने की विकसित देशों की प्रतिबद्धता अभी तक पूरा नहीं हो सका ।
  • वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5°C तक सीमित करने संबंधी कार्यान्‍वयन योजना में स्‍पष्‍ट रूप से उपायों का उल्‍लेख नहीं किया गया। 
  • COP 27  में भारत के नेतृत्व में कुछ देशों ने जीवाश्म ईंधनों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने (फेज आउट) की प्रतिबद्धता को शामिल करने का आह्वान किया गया लेकिन इस पर वैश्विक स्तर पर आम सहमति नहीं बन सकी।
  • उल्‍लेखनीय है कि वर्ष 2021 में ग्लासगो में हुए COP 26 में कोयले के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से कम करने की प्रतिबद्धता पर सहमति बनी थी।

COP 27 एवं भारत

भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा वर्ष 2021 में हुए जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP-26) में भारत के लिए 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन लक्ष्य की घोषणा की गयी थी जिसके परिप्रेक्ष्‍य में नवम्‍बर 2022 में मिस्र में हुए COP 27 में  भारत ने अपनी दीर्घकालिक निम्न- कार्बन उत्सर्जन विकास रणनीति (LT-LEDS ) प्रस्‍तुत की जिसमें वर्ष 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन लक्ष्य प्राप्ति की दिशा में उठाए जाने वाले कदमों का उल्लेख किया गया है।

भारत द्वारा घोषित शुद्ध-शून्य लक्ष्य का महत्‍व

भारत का ऐतिहासिक संचयी उत्सर्जन विश्व के कुल उत्सर्जन का मात्र 4.37% है तथा ग्लोबल वार्मिंग के प्रमुख योगदानकर्त्ताओं देश में से एक नहीं है । बावजूद इसके स्वैच्छिक दायित्व-बोध से प्रेरित होते हुए भारत ने UNFCCC के COP-26 में अपनी वर्द्धित जलवायु प्रतिबद्धताओंपंचामृतकी घोषणा की जिसमें वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन (Net-Zero Carbon Emission) तक पहुँचने की प्रतिबद्धता को शामिल किया गया।

ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशनकी एक रिपोर्ट के अनुसार भारत के शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य की ओर बढ़ने के साथ ही 2050 तक भारत की जीडीपी में 406 अरब डॉलर की वृद्धि होगी तथा 4.3 करोड़ से अधिक रोजगार अवसरों का सृजन होगा।

इसके तहत भारत 2030 तक कम कार्बन उत्सर्जन वाली अपनी विद्युत क्षमता को 500 गीगावाट तक बढ़ाने और 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा से अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं का 50 प्रतिशत हिस्सा पूरा करने का लक्ष्य बना रहा है।


शून्य शुद्ध उत्सर्जन लक्ष्य

  • शून्य शुद्ध उत्सर्जन को कार्बन तटस्थता भी कहा जाता है । यह ऐसे देश को बताता है जिसमें किसी देश के उत्सर्जन की भरपाई वातावरण से ग्रीनहाउस गैसों के अवशोषण और हटाने से होती है। यह उत्पादित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और वातावरण से निकाले गए ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के बीच एक समग्र संतुलन प्राप्त करने से है।
  • इसमें  वातावरण से गैसों को हटाने के लिये कार्बन कैप्चर और स्टोरेज जैसी भविष्य की तकनीकों की आवश्यकता होती है हांलाकि वनों जैसे अधिक कार्बन सिंक बनाकर भी उत्सर्जन के अवशोषण को बढ़ाया जा सकता है।

उल्‍लेखनीय है कि UNFCCC के अधीन पेरिस समझौते के अनुसार सभी देशों से दीर्घकालिक निम्न- कार्बन उत्सर्जन विकास रणनीति तैयार करने की अपेक्षा की गई है तथा भारत की दीर्घकालिक निम्न-कार्बन उत्सर्जन विकास रणनीति तैयार करने में भारतीय दृष्टिकोण निम्न चार प्रमुख विचार स्‍तंभों पर आधारित है

  1. भारत ने ग्‍लोबल वार्मिग में बहुत कम योगदान दिया है और वैश्विक आबादी का 17% हिस्सा होने के बावजूदसंचयी वैश्विक ग्रीन हाऊस गैस उत्सर्जन में ऐतिहासिक योगदान बहुत कम रहा है।  
  2. भारत की अपने विकास के लिए ऊर्जा संबंधी आवश्‍यकताएं महत्‍वपूर्ण है।
  3. भारत विकास हेतु कम कार्बन उत्‍सर्जन वाली रणनीतियों के पालन हेतु प्रतिबद्ध है और राष्‍ट्रीय परिस्थितियों के अनुरूप इनका पालन किया जा रहा है।
  4. भारत को जलवायु सहनशील होने की जरूरत है।

 

भारत द्वारा प्रस्‍तुत  दीर्घकालिक निम्न-कार्बन उत्सर्जन विकास रणनीति की विशेषताएं

  • इस रणनीति द्वारा ऊर्जा सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय संसाधनों के तर्कसंगत उपयोग पर ध्यान दिया जाएगा।
  • जीवाश्म ईंधन से अन्य स्रोतों में बदलाव न्यायसंगतसरलस्थायी और सर्व-समावेशी तरीके से किया जाएगा।
  • यह रणनीति जैव ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देगी और इथेनॉल मिश्रण, राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन, 2025 तक इलेक्ट्रिक वाहन के अधिकतम उपयोग से परिवहन क्षेत्र में जहां कम कार्बन उत्सर्जन होगा वहीं सार्वजनिक परिवहन के साधनों में एक सशक्त बदलाव आने की संभावना है ।
  • भविष्य के स्थायी और जलवायु अनुकूल शहरी विकास की दिशा में स्मार्ट सिटी पहल, ऊर्जा और संसाधन दक्षता में वृद्धि, प्रभावी ग्रीन बिल्डिंग कोड और अभिनव ठोस व तरल अपशिष्ट प्रबंधन में तेजी से विकास होगा ।
  • 'आत्मनिर्भर भारतऔर 'मेक इन इंडियाके परिप्रेक्ष्य में भारत का औद्योगिक क्षेत्र एक मजबूत विकास पथ पर आगे बढ़ता रहेगा।
  • प्रदर्शनउपलब्धि और व्यापार योजनाराष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशनविद्युतीकरण के उच्च स्तर, चक्रीय अर्थव्यवस्था के विस्तार, सीमेंटएल्युमिनियम जैसे क्षेत्रों में अन्य विकल्पों की खोज से ऊर्जा दक्षता में सुधार पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
  • भारत आर्थिक विकास के साथ-साथ वन संरक्षण हेतु प्रतिबद्ध है। इसके अलावा भारत में दावानल की घटनाएं वैश्विक स्तर से काफी कम है और देश में कार्बन डाईआक्साइड उत्सर्जन का 15% तक अवशोषित करने वाला शुद्ध सिंक आवरण वन और वृक्षों के रूप में मौजूद है।

 

शुद्ध शून्‍य उत्‍सर्जन की दिशा में भारत सरकार के प्रयास

  • हरित जलवायु कोष सहित प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और कम लागत वाले अंतर्राष्ट्रीय वित्त की मदद से वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ऊर्जा स्रोतों से 50% स्थापित विद्युत् उत्पादन क्षमता के लक्ष्य की घोषणा ।
  • आवश्यक संसाधन और संसाधन अंतराल को देखते हुए शमन (ग्रीन हाऊस गैस उत्‍सर्जन में कटौती) एवं अनुकूलन कार्यों (जलवायु परिवर्तन प्रभावों से निपटने की प्रथाओं को संशोधित करना ) को लागू करने हेतु विकसित देशों से अतिरिक्त धन जुटाने की योजना ।
  • जलवायु परिवर्तन से निपटने हेतु लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट (LIFE) के लिये जन आंदोलन तथा संरक्षण और संयम की परंपराओं के आधार पर जीवन जीने के स्वस्थ तथा टिकाऊ विधि को प्रोत्‍साहन देने की योजना । 
  • आर्थिक विकास हेतु जलवायु अनुकूल और स्वच्छ मार्ग को अपनाने हेतु जन आंदोलन । 
  • जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों विशेष रूप से कृषि, जल संसाधन, हिमालयी क्षेत्र, तटीय क्षेत्रों और स्वास्थ्य एवं आपदा प्रबंधन के लिये विकास कार्यक्रमों में निवेश बढ़ाकर जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन करने का लक्ष्य ।
  • राष्ट्रीय संवर्धित ऊर्जा दक्षता मिशन (NMEEE) के तहत ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) और एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (EESL) द्वारा जलवायु परिवर्तन से निपटने हेतु विभिन्‍न पहल की शुरुआत ।
  • वर्ष 2030 तक अतिरिक्त वन और वृक्षों के आवरण के माध्यम से 2.5 से 3 बिलियन टन CO2 के बराबर अतिरिक्त कार्बन संचय करने की योजना ।
  • वनों के संरक्षण और वनों हरित आवरण को बहाल करने हेतु प्रतिपूरक वनीकरण प्रबंधन और योजना प्राधिकरण (CAMPA) कोष में जमा राशि का उपयोग किया जाएगा।
  • स्‍वच्‍छ ऊर्जा की दिशा में हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन की घोषणा ।
  • भारतीय रेलवे द्वारा अक्षय ऊर्जा स्रोतों के माध्यम से अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति कर वर्ष 2030 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य रखा। 

जलवायु परिवर्तन की दिशा में भारत द्वारा गठित कोष

राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन अनुकूलन कोष- जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों के प्रति संवेदनशील राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों हेतु जलवायु परिवर्तन अनुकूलन की लागत को पूरा करने के लिये वर्ष 2015 में स्‍थपित कोष।

राष्ट्रीय स्वच्छ ऊर्जा कोष -जीवाश्म एवं गैरजीवाश्म ईंधन आधारित क्षेत्रों में नवीन स्‍वच्‍छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी में अनुसंधान एवं विकास हेतु वित्‍त उपलबध कराने हेतु गठित कोष ।

राष्ट्रीय अनुकूलन कोष- पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत संचालित कोष जो वित्‍त की आवश्यकता एवं उपलब्धता के मध्‍य की खाई को पाटने के उद्देश्य गठित की गयी ।


जलवायु परिवर्तन हेतु अंतर्राष्‍ट़ीय स्‍तर पर भारत के प्रयास

  • वैश्विक तापन, जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, भूमि निम्नीकरण आदि का सामना करने तथा पेरिस जलवायु समझौते के प्रति प्रतिबद्धता एवं उसके लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु नीतियों के कार्यान्वयन की दिशा में भारत ने विगत वर्षों में न केवल राष्‍ट्रीय बल्कि अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर भी व्यापक प्रयास किए है ।

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन

  • नवीकरणीय ऊर्जा के विकास की दिशा में भारत तथा फ्रांस के प्रयासों से वर्ष 2015 में आरंभ ।

ट्रीज आउटसाइड फॉरेस्ट्स इन इंडिया

  • हरित आवरण बढ़ाने और अनुकूल कृषि प्रणाली की दिशा में सितंबर 2022 में भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और अमेरिका के यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट द्वारा संयुक्त रूप से भारत में " ट्रीज आउटसाइड फॉरेस्ट्स इन इंडिया " नामक प्रोग्राम लांच ।

जलवायु और स्वच्छ वायु संघ (CCAC)

  • भारत और अन्‍य देशों,अंतर-सरकारी संगठनों वैज्ञानिक संस्थाओं की स्वैच्छिक साझेदारी से पर्यावरणीय प्रदूषकों को कम करने हेतु वर्ष 2019 में "जलवायु और स्वच्छ वायु संघ" (CCAC) की शुरुआत ।

अन्‍य देशों के साथ  सहयोग

  • भारत को एक ग्रीन हाइड्रोजन हब बनाने की दिशा में फ्रांस को ग्रीन हाइड्रोजन मिशन हेतु आमंत्रित किया गया ।
  • 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा विकास क्षमता हेतु सक्षम बनाने तथा 2030 हेतु निर्धारित जलवायु लक्ष्यों की प्राप्ति में भारत एवं जर्मनी का पर्यावरणीय गठजोड़
  • भारत और ब्रिटेन के मध्‍य ग्रीन इकॉनमी और ब्लू इकॉनमी के विकास पर बल देते हुए स्वच्छ उर्जा, अल्प कार्बन अर्थव्यवस्था, ग्रीन हाइड्रोजन विकास, अपशिष्ट प्रबंधन, ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को रोकने हेतु महत्त्वपूर्ण समझौते। 
  • ब्रिटेन-भारत संयुक्त रोडमैप 2030 के एक भाग के रूप में इलेक्ट्रिक वाहनों पर एक वेब पोर्टल -अमृतलॉन्च किया गया तथा सौर ऊर्जा में सहयोग हेतु ग्लोबल ग्रीन ग्रिड पहल लाया गया ।
  • भारत सरकार तथा नेपाल सरकार के बीच जलवायु परिवर्तन तथा जैव विविधता संरक्षण में सहयोग व समन्वय हेतु एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर ।

जलवायु परिवर्तन/ शून्‍य उत्‍सर्जन की दिशा के प्रति बिहार सरकार के प्रयास

शमन (ग्रीन हाऊस गैस उत्‍सर्जन में कटौती)

  • बिहार राज्‍य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा UNEP के साथ मिलकर जलवायु परिवर्तन अनुकूल और निम्‍न कार्बन उत्‍सर्जक विकास रणनीति बनायी गयी ।
  • बैटरी चालित ई रिक्शा के लिए सड़क टैक्स में 50% छूट देकर बिहार सरकार द्वारा CNG और विद्युत चालित वाहनों को बढ़ावा ।
  • 15 वर्षीय पुराने सभी सरकारी वाहनों तथा व्यावसायिक वाहनों का परिचालन बंद करने के साथ साथ
  • 12 साल से अधिक पुराने व्यवसायिक वाहनों पर हरित कर (Green Tax)
  • बिहार स्वच्छ ऊर्जा नीति 2019 के तहत पटना और आस पास में डीजल चालित तिपहिया वाहनों का परिचालन बंद करने का निर्णय 
  • बिहार स्वच्छतर ईंधन नीति 2019 के अनुसार मौजूदा तिपहिया वाहनों को बदलकर CNG वाहन पर सब्सिडी की व्‍यवस्‍था ।
  • सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था में सुधारपटना मेट्रो।
  • कृषि में डीजल पम्‍प के स्‍थान पर सौर पम्पों का प्रयोग ।
  • बिहार सरकार के निर्णय के अनुसार पराली जलानेवाले किसानों को कृषि संबंधित सब्सिडी नहीं दी जाने की घोषणा । 

अनुकूलन कार्य (जलवायु परिवर्तन प्रभावों से निपटने की प्रथाओं को संशोधित करना )

  • हरित पर्यावरण हेतु बिहार सरकार द्वारा 10 वर्षों का एक्शन प्लान जारी।
  • राज्य कृषि वानिकी नीति 2018 के तहत वृक्षारोपण को बढ़ावा।
  • कृषि रोड मैप में जैविक कृषि पर जोर।
  • हर परिसर हरा परिसर योजना द्वारा राज्य में हरियाली बढ़ाने का प्रयास।
  • कृषि वानिकी में लगे किसानों को प्रोत्साहन।
  • गैर वानिकी कार्यों के लिए वन भूमि को अंतरित करने के कारण परितंत्र को होने वाले नुकसान की भरपाई हेतु क्षतिपूर्ति वनीकरण कोष (कैंपा) का गठन किया गया जिसके तहत वर्ष 2021-22 में 79.59 लाख पौधे लगाए गए तथा लगभग 26.16 हेक्टेयर वन भूमि को मृदा एवं नमी संरक्षण हेतु उपचारित किया गया ।
  • जल जीवन हरियाली मिशनमरनेगाजीविका के माध्यम से नमामि गंगे योजना के तहत गंगा और उसकी सहायक नदियों के किनारे वृक्षारोपण एवं हरित आच्छादन बढ़ाना ।
  • राष्ट्रीय वनीकरण कार्यक्रम के तहत वर्ष 2020-21 में 1935 हेक्टेयर क्षेत्र में 13.01 लाख पौधे लगाए गए ।
  • भारतीय वन स्थिति रिपोर्ट 2021 के अनुसार राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल में वनाच्छादन और वृक्षाच्छादन का संयुक्त रूप से 10.3% हिस्सा है जबकि वर्ष 2019 के अनुसार यह 9.9% था।
  • नवीकरणीय ऊर्जा हेतु बियाडा का गठन।
  • जुलाई 2022 से एकल उपयोग वाले प्लास्टिक के समान जैसे खाने पीने के लिए पॉलिस्टीरीन के चम्मच आदि प्लास्टिक के झंडेबैनर पर पूरे राज्य में पूर्ण प्रतिबंध।
  • प्लास्टिक अपशिष्ट को खुले में जलाने पर जुर्माना का प्रावधान ।
  • प्लास्टिक कचरों का सड़क निर्माण में इस्तेमालऊर्जा उत्पादन करने पर जोर। 
  • समाचार पत्रों में विज्ञापन,  होर्डिगरेडियो जिंगलनुक्कड़ नाटक आदि के जरिए जन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन ।


शुद्ध-शून्य उत्सर्जन लक्ष्य की चुनौतियां

  • गेटिंग इंडिया टू नेट जीरो की रिपोर्ट के अनुसार भारत को वर्ष 2070 तक अपने शुद्ध-शून्य उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त करना है, तो भारत को अब से बड़े पैमाने पर 10.1 ट्रिलियन डॉलर के निवेश की आवश्यकता होगी।
  • वर्ष 2021 के आंकड़ों के अनुसार भारत में कोयले की खपत में वृद्धि देखी गई है । अत: भारत के ऊर्जा परिदृश्य में कोयला अभी भी महत्वपूर्ण भूमिका में है पांचवी अर्थव्‍यवस्‍था के रूप में आर्थिक विकास को बनाए रखने हेतु कोयले के उपयोग में  कमी करना एक बड़ी चुनौती है।
  • वैसे उद्योग, कंपनियां जो बड़े पैमाने पर कोयले से संचालित होते हैं उनके लिए निम्न कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य की ओर बढ़ना चुनौतीपूर्ण होगा।
  • इलेक्ट्रीकल वाहन के बैटरी, सेमीकंडक्टर्स, कंट्रोलर जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स के उत्पादन में भारत का तकनीकी रूप से पिछड़ा होना।
  • इलेक्ट्रिक वाहनों की सर्विसिंग लागत अधिक होना, उच्च स्तर के कौशल की आवश्यकता।  
  • भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के अवसंरचना, विनिर्माण, सर्विसिंग संबंधी कौशल प्रशिक्षण संस्थानों तथा पाठ्यक्रमों का अभाव।

निष्‍कर्ष

उपरोक्‍त से स्‍पष्‍ट है कि भारत को वर्ष 2070 तक  शुद्ध-शून्य उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त करना है तो इस दिशा में जीवाश्‍म ईंधनों में कटौती के साथ साथ भारी निवेश, शोध अनुसंधान एवं सहयोग की आवश्‍कता होगी । अत: यह आवश्‍यक होगा कि भारत अपने लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु विश्व स्तर पर सरकारों, नागरिक समाजों और निजी क्षेत्रों को साथ में मिलकर कार्य करें । 

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