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Nov 12, 2022

विश्‍व व्‍यापार संगठन एवं उससे संबंधित मुद्दे

 विश्‍व व्‍यापार संगठन एवं उससे संबंधित मुद्दे 

प्रश्‍न - विश्‍व व्‍यापर संगठन में विकसित तथा विकासशील देशों के मुद्दे क्‍या है? विश्‍व व्‍यापार संगठन की वर्तमान संदर्भ में प्रासंगिकता बनाए रखने हेतु सुधारात्‍मक उपाय के तहत किन प्राथमिकताओं को रखे जाने की आवश्‍यकता है?

विश्‍व में विभिन्‍न देशों के बीच व्‍यापार सहयोग बढ़ाने हेतु विश्‍व व्‍यापार संगठन को लाया गया लेकिन पिछले कुछ समय से संरक्षणवादी नीतियों, विवाद निपटारे की व्‍यवस्‍था का निर्जीव होना, वार्ता गतिरोध एवं कोविड 19 की महामारी के चलते उत्पन्न परिस्थिति में पूरी दुनिया में जिस प्रकार की नीतियों को बढ़ावा दिया जा रहा है। उससे इस संगठन के प्रति देशों का विश्वास कम हो रहा है ।

उल्‍लेखनीय है कि विश्‍व व्‍यापार संगठन में विकसित एवं विकासशील दोनों देश शामिल है तथा परस्पर विरोधी हित होने के कारण किसी मुद्दे पर सर्वसम्मति बनाना कठिन कार्य है । दोहा वार्ता तथा उरुग्वे दौर की वार्ताओं में कई ऐसे मुद्दे है जिन पर अभी तक सहमति न हो पायी है और दोनों के बीच विवाद है जिनमें प्रमुख निम्‍न हैं-

सामान्‍य मुद्दे

  • विश्‍व व्‍यापार संगठन के माध्‍यम से विकसित राष्ट्र द्वारा ई-कॉमर्स, निवेश सुगमता, सेवा व्यापार जैसे एजेंडा को उठाना जबकि  भारत समेत विकासशील देशों का कहना है कि जब तक दोहा चक्र के विकास मुद्दे का हल नहीं होता तब तक वार्ताओं में नए मुद्दे को शामिल न किया जाए।
  • विकसित देश द्वारा खाद्य सुरक्षा के प्रति उदासीनता तो विकासशील देश द्वारा ई-कॉमर्स, बौद्धिक संपदा जैसे मुद्दों पर उदासीनता विकसित एवं विकासशील देशों के गहरे मतभेदों को बताता है।
  • विश्व व्यापार संगठन में शामिल विकसित या विकासशील देशों की कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं तथा रियायत पाने के लिए विवाद की स्थिति होना ।  

कृषि संबंधी मुद्दे

  • कृषि संबंधी मुद्दे पर विकासशील देशों का मानना है कि विकसित देश अपने कृषि क्षेत्र को बहुत अधिक मात्रा में सब्सिडी तथा अन्य सुविधाएं देते हैं जिससे उनकी कृषि उत्पाद की प्रतिस्पर्धात्मक शक्ति अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ जाती है। उल्लेखनीय है कि विकासशील देश भी अपने कृषि उत्पाद पर सब्सिडी देते हैं किंतु सब्सिडी की मात्रा इतनी कम है कि वे विकसित देशों से प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाते।
  • विकासशील देशों का मानना है कि कृषि उत्पाद की गुणवत्तास्वास्थ्य मानक आदि का हवाला देकर  विकसित देश द्वारा आयात बाधाएं खड़ी की जाती है।

अन्य मुद्दे

  • विकसित देशों के अड़ियल रवैये तथा बदलती आर्थिक परिस्थितियों के कारण व्यापार वार्ताओं में विकास की अवहेलना।
  • पिछले कुछ वर्षों से WTO के अपीलीय निकाय में सदस्यों की नियुक्ति न होने से WTO की विवाद समाधान मशीनरी की भूमिका पर सवाल।
  • पिछले कुछ वर्षों में वैश्विक व्यापार परिदृश्य में आए बदलाव के परिप्रेक्ष्य में विश्व व्यापार संगठन के नियमों में कोई बदलाव नहीं किया जाना।
  • क्षेत्रीय व्यापार समझौतों में वृद्धि और WTO के बौद्धिक सम्पदा और श्रम क़ानूनों के प्रावधान ।

इस प्रकार विश्‍व व्‍यापार संगठन में विकसित तथा विकासशील देशों के अनेक ऐसे मुद्दे है जिन पर मतभेद बना हुआ है और जिनका कोई समाधान नहीं आ पाया है। वर्तमान में दुनिया की दो बड़ी आर्थिक शक्तियों, चीन और अमेरिका के बीच तनाव, रूस युक्रेन युद्ध, तकनीकी और व्यापार युद्ध के कारण वैश्विक आर्थिक प्रशासन के केन्द्र में निहित नियमों को चोट पहुंच रही है। अत: विश्व व्यापार संगठन की प्रासंगिकता को बनाए रखने हेतु सुधारात्‍मक उपाय के तहत निम्‍न प्राथमिकताओं को रखा जाना चाहिए। 

  • विश्व व्यापार संगठन के महानिदेशक राजनीतिक रूप से तटस्थ और निष्पक्ष होना चाहिए।
  • विश्व व्यापार संगठन के बहुपक्षीय स्वरूप को सुदृढ़ बनाना।
  • सभी विकासशील देशों के विशेष और विभेदक उपचार Special and differential treatment के सिद्धांत की पुष्टि करना।
  • विश्व व्यापार संगठन की अपीलीय निकाय और विवाद निपटान निकाय को पुनर्जीवित किया जाए क्योंकि इसके बिना WTOकी प्रासंगिकता समाप्त हो जाती है।
  • विकासशील देशों की समस्याओं को हल करने के साथ दोहा एजेंडा की दिशा में आगे बढ़ने हेतु प्रयास किया जाना चाहिए।
  • विश्व के कुछ देशों द्वारा अपनायी जा रही संरक्षणवादी नीतियों, व्यापार युद्ध आदि का हल किया जाना चाहिए।
  • कृषि, सब्सिडी समझौते, मात्रात्मक प्रतिबंधों, ट्रिप्स और विश्व व्यापार संगठन समझौतों में व्यापत विषमताओं का समाधान करना।
  • विश्व व्यापार संगठन के प्रति सदस्य देशों का विश्वास बनाए रखने तथा समावेशी विकास हेतु  सदस्य देशों की वास्तविक चिंताओं को संबोधित किया जाना चाहिए।
  • विश्व व्यापार संगठन को चीन और उसकी व्यापार प्रथाओं पर पुनः विचार करना करना होगा।
  • बहुपक्षीय व्यापार समझौतों को विश्व व्यापार संगठन के अंतर्गत लाया जाए ।
  • कोविड 19 महामारी से निपटने हेतु बौद्धिक संपदा विषयों को पर्याप्त लचीलापन स्‍वरूप दिया जाए।

उल्‍लेखनीय है कि जून 2022 में हुए मंत्रिस्तरीय बैठक में भारत ने विश्व व्यापार संगठन की प्रासंगिक बनाए रखने तथा इसकी संरचनात्मक कमियों तथा वैश्विक नियमों में सुधार हेतु अन्य देशों के साथ मिलकर एक दृष्टिकोण पत्र सौंपा जिसमें कहा गया कि प्रत्‍येक देश की परिस्थितियां, विकास संबंधी चुनौतियां और प्राथमिकताएं अलग-अलग हैं।

अत: विश्व व्यापार संगठन को इस बात को समझाना होगा कि विकसित एवं विकासशील देशों हेतु अपने लक्ष्‍यों को प्राप्‍त करने के क्रम में अलग-अलग नियम तथा हस्‍तक्षेप की आवश्यकता है तथा इसी के अनुसार सुधारों को लाया जाना चाहिए ।


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