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Nov 2, 2022

भारत के ग्रामीण विकास एवं उत्पादक गतिविधियों का विविधीकरण

 

भारत के ग्रामीण विकास एवं उत्पादक गतिविधियों का विविधीकरण

प्रश्‍न- भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में विकास को गति देने हेतु उत्पादक गतिविधियों का विविधीकरण एक बेहतर विकल्‍प है । परीक्षण करें

कृषि प्रधान राज्य भारत में लगभग 70 प्रतिशत जनसंख्‍या ग्रामीण क्षेत्र में निवास करती है तथा कृषि का GDP में 16% तथा रोजगार में 49% योगदान है । ग्रामीण क्षेत्र में विकास में उत्‍पादक गतिविधियों के विविधिकरण के महत्‍व को निम्‍न प्रकार समझा जा सकता है

  • विविधीकरण द्वारा कृषि आजीविका में जोखिम कम करने में ।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में धारणीय आजीविका विकल्पों तथा आय स्रोत के विकास हेतु ।
  • रोजगार एवं ग्रामीण आजीविका में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए कृषि क्षेत्र में व्‍याप्‍त दबाव को कम करने हेतु ।
  • ग्रामीण महिलाओं के आर्थिक एवं सामाजिक संबल प्रदान करने हेतु ।
  • ग्रामीण क्षेत्रों की खाद्य एवं पोषण सुरक्षा हेतु।

अत: उपरोक्‍त तथ्‍यों को देखते हुए ग्रामीण क्षेत्रों के विकास को गति देने में उत्‍पादक गतिविधियों का विविधिकरण एक बेहतर विकल्‍प साबित हो सकता है। ग्रामीण  क्षेत्र में उत्पादक गतिविधियों का विविधीकरण के 2 आयाम है

  1. फसल उत्पादन प्रणाली में परिवर्तन।
  2. श्रम शक्ति को कृषि से हटाकर अन्य सहवर्ती (पशुपालन, मत्स्य) क्षेत्रों में लगाना।


फसल उत्‍पादन प्रणाली में परिवर्तन

भारत के ग्रामीण क्षेत्रों के विकास को गति देने हेतु फसल उतपादन प्रणाली में बदलाव आवश्‍यक है। उल्‍लेखनीय है कि महामारी के दौरान कृषि ही वह क्षेत्र रहा जो महामारी व्यवधानों से सबसे कम प्रभावित था। इसी क्रम में भारत ने 2025 तक 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य रखा है । अत: ग्रामीण विकास हेतु कृषि में आधुनिक तकनीक, उत्‍पादन प्रणाली में बदलाव, व्‍यावसायिक कृषि , जैविक एवं पर्यावरण अनुकूल कृषि पर विशेष ध्‍यान देना होगा ।

बागवानी

  • भारत जलवायु एवं  मृदा विविधता से संपन्न देश है जिसके कारण अनेक बागवानी उत्पाद यहां पैदा किए जाते हैं फल सब्जी, रेशेदार फसल, मसाले, चाय औषधि उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • यह रोजगार, पोषण, महिलाओं के आर्थिक संबल प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारत में समस्त कृषि उत्पाद  में लगभग 6% बागवानी का योगदान है।
  • बिहार में समेकित बागवानी विकास मिशन को 13 जिलों में और इसी तर्ज पर मुख्यमंत्री बागवानी विकास योजना को 15 जिलों में क्रियान्वयन किया जा रहा है।
  • बिहार कृषि विभाग द्वारा सब्जियों के लिए चंडी और फलों के लिए देशरी में 2 उत्कृष्टता केन्द्रों की स्थापना एवं कृषि सामग्रियों का निर्यात करने हेतु पटना से पादप स्वच्छता प्रमाण पत्र जारी करने का प्रावधान किया गया है।

धारणीय विकास एवं जैविक कृषि

  • जैविक कृषि की वर्तमान आवश्यकता को समझते हुए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, परम्परागत कृषि विकास योजना तथा उत्तर-पूर्वी राज्यों के लिये जैविक खेती पर मिशन आदि के माध्यम से सतत कृषि को बढ़ावा दिया जा रहा है।
  • बिहार में कृषि रोड मैप 3 में जैविक कृषि पर विशेष ध्यान दिया गया है तथा  बिहार सरकार द्वारा जैविक मिशन की स्थापना की गई है । 

खादय प्रसंस्‍करण

  • ग्रामीण क्षेत्रों में खादय प्रसंस्‍करण के माध्‍यम से कृषि उतपादों के मूल्‍यवर्दन कर न केवल कृषि निर्यात बढ़ाया जा सकता है बल्कि ग्रामीण रोजगार, आय में वृद्धि, पोषण सुरक्षा जैसे लक्ष्‍यों को प्राप्‍त किया जा सकता है । दूध को पनीर, आलू द्वारा चिप्‍स, अचार, प्रसंस्‍कृत मांस इत्‍यादि अनेक विकल्‍प है जिनके माध्‍यम से ग्रामीण विकास को गति दी जा सकती है । 

2. श्रम शक्ति को कृषि के अलावा अन्‍य सहवर्ती (पशुपालन, मत्स्य) क्षेत्रों में लगाना।

पशुपालन

  • भारत पशुधन के आधार पर विश्व में प्रथम स्थान पर हैं तथा ग्रामीण आबादी के लगभग 55% लोगों को पशुपालन द्वारा आजीविका प्राप्त होता है।
  • बिहार की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पशुपालन 10% और मत्स्य पालन 7% की दर से  सबसे तीव्र गति से बढ़ने वाले क्षेत्र है ।
  • ग्रामीण के आर्थिक सशक्तीकरण, ईंधन, पोषण एवं खाद्य सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन के जोखिमों से निपटने में सहायक।
  • बिहार सरकार द्वारा पशुपालन में लागत, आपूर्ति, प्रौद्योगिकी, मूल्यवर्धन और विपणन में निवेश बढ़ाकर उच्च गुणवत्ता वाले पशु और पशु उत्पाद की प्राप्ति हेतु बिहार पशुधन मास्टर प्लान 2018-19 से 2022-23 के लिए विकसित किया गया है जिसके माध्यम से ग्रामीण परिवारों में रोजगार और आय में वृद्धि होगी 
  • कृषि रोडमैप-3 के तहत पशुपालन, मत्स्यन, सहकारिता खाद्य प्रसंस्करण के विकास हेतु व्यापक दृष्टिकोण अपनाया गया है।

डेयरी क्षेत्र

  • डेयरी राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में 5% का योगदान देनेवाली सबसे बड़ी कृषि उत्पाद है जो 8 करोड़ से ज्यादा किसानों को प्रत्यक्ष रोजगार देती है।  विश्व दुग्ध उत्पादन का 23% उत्पादन के साथ भारत दुग्ध उत्पादन में प्रथम स्थान पर है।
  • डेयरी क्षेत्र हेतु ई गोपाला एप, राष्ट्रीय गोकुल मिशन जैसे महत्वपूर्ण पहल का आरंभ किया गया।

 अंडा एवं मांस उत्पादन

  • 2020 के आंकड़ों के अनुसार भारत विश्व में अंडा उत्पादन में तीसरे और मांस उत्पादन में आठवें स्थान पर है।
  • बिहार में मुर्गी पालन क्षेत्र में अंडा उत्पादन में वर्ष 2016-17 से 2020-21 के मध्य 32.4% की वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई ।

मत्स्य पालन

  • भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है जो वैश्विक उत्पादन का 7.56% योगदान देता है। रोजगार के मामले में यह भारत में 28 मिलियन से ज्यादा लोगों की आजीविका की पूर्ति करता है।
  • बिहार में भी मछली का उत्पादन लगातार बढ़ रहा है । वर्ष 2016-17 से 2020-21 की अवधि के दौरान बिहार में मत्स्य उत्पादन में  7% की  वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई ।
  • बिहार में किसानों को मछली पालन की नई तकनीक के प्रति जागरूक बनाने तथा पर्यावरण संरक्षण हेतु  बायोफ्लॉक द्वारा मछली उत्पादन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

उपरोक्‍त से स्‍पष्‍ट है कि ग्रामीण अर्थव्‍यवस्‍था में विकास को गति देने हेतु अनेक ऐसे क्षेत्र है जिनको प्रोत्‍साहन देने की आवश्‍यकता है । उल्‍लेखनीय है कि कोविड महामारी के कारण रिवर्स माइग्रेशन होने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर बोझ बढ़ा है ऐसे में कृषि के विभिन्न क्षेत्रों डेयरी उत्पादमत्स्यबागवानी आदि में संपर्क सूत्र बढ़ानानिवेश, विपणन बाजार में सुधार, कृषक हित नीतियां आदि में सुधार कर ग्रामीण क्षेत्र के उत्‍पादक गतिविधियों का विविधिकरण को प्रोत्‍साहन देना ग्रामीण विकास को गति देने हेतु एक बेहतर विकल्‍प है। 

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  • सरलस्पष्ट  एवं बेहतर प्रस्तुतीकरण 
  • प्रासंगिक एवं परीक्षा हेतु उपयोगी सामग्री का समावेश 
  • सरकारी डाटासर्वेसूचकांकोंरिपोर्ट का आवश्यकतानुसार समावेश
  • आवश्यकतानुसार टेलीग्राम चैनल के माध्यम से इस प्रकार के PDF द्वारा अपडेट एवं महत्वपूर्ण मुद्दों को आपको उपलब्ध कराया जाएगा 
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