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Nov 1, 2022

न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य

 न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य 

"हालिया किसान आंदोलन एवं कृषि क्षेत्र में व्याप्त संकट के परिप्रेक्ष्‍य में न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना के सभी पक्षों पर विचार कर आवश्‍यक सुधार समय की मांग है।" इस कथन के संदर्भ में अपने विचार व्‍यकत्‍ करें । 

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भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था 

भारतीय कृषि क्षेत्र में व्‍याप्‍त संकट तथा कृषि को प्रभावित करनेवाली सरकारी नीतियों में न्यूनतम समर्थन मूल्य महत्‍वपूर्ण पक्ष है । हाल में सरकार द्वारा वापस लिए गए कृषि कानूनों में एक कानून कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम 2020 था और इसके विरोध में चले किसान आंदोलन में एक बहुत बड़ा मुद्दा न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य ही था ।

उल्‍लेखनीय है कि कृषि संकट का एक  मुख्‍य कारण किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्‍य नहीं मिल पाना है । जहां अति उत्पादन की दशा में किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पाता वहीं कृषि में मध्यस्थों, बिचौलियों के कारण कम कीमतों पर बेचने की बाध्यता रहती है ।

न्यूनतम समर्थन मूल्य का सकारात्‍मक पक्ष

न्यूनतम समर्थन मूल्य सरकार द्वारा फसलों के लिए घोषित वह मूल्य होता है, जिस पर सरकारें कीमतों में गिरावट आने पर फसलों की खरीद को सुनिश्चित करने का वचन देती हैं। इस प्रकार न्यूनतम समर्थन मूल्य कृषि उत्पाद के मूल्य में किसी भी तेज़ गिरावट के खिलाफ किसानों को सुरक्षा प्रदान करने हेतु भारत सरकार द्वारा किया जाने वाला बाज़ार हस्तक्षेप है जो किसानों को बाजार जोखिम के प्रति सुरक्षा प्रदान करती है।

इस प्रकार न्यूनतम समर्थन मूल्य सामाजिक न्‍याय का कार्य करते हुए खाद्यान्न बाजार में मूल्य स्थिरीकरण, किसानों को आय सहायता तथा किसानों की आय में वृद्धि को सुनिश्चित करके उनकी क्रय क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है।

न्यूनतम समर्थन मूल्य का नकारात्‍मक पक्ष

हांलाकि न्यूनतम समर्थन मूल्य के निर्धारण में राजनैतिक प्रभाव के कारण कृषि पर कई तरह के नकारात्मक प्रभाव हुए। न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य का लाभ जहां मुख्‍य रूप से पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के बड़े किसान तक सीमित रहा वहीं छोटे और बड़े किसानों के मध्य आय की विषमताएँ बढ़ी हैं। इसी क्रम में इस नीति के कारण खाद्यानों विविधता भी प्रभावित हुई है ।

 

इसी क्रम में भारत में भंडारण सुविधाओं के अभाव, बाजार में विशेष फसलों को ज्‍यादा महत्‍व मिलना, सरकार पर पड़नेवाले राजकोषीय बोझ तथा पर्यावरणीय समस्‍या के कारण न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य में सुधार की मांग लम्‍बे समय की जा रही है जिसके संदर्भ में ही सरकार द्वारा कानून लाया गया था  लेकिन सरकार द्वारा किसानों की समस्‍याओं को इस कानून में ज्‍यादा महत्‍व नहीं दिया गया जिसके कारण अंतत: इसे वापस लेना पड़ा ।

सरकार द्वारा लाए गए कानून का विरोध

सरकार द्वारा लाए गए कानून में कुछ ऐसी चिंताएं थी जिनका उचित हल नहीं किया गया था और यह संभावना व्‍यक्‍त की जा रही थी कि इस कानून के द्वारा सरकार अपनी जिम्मेवारी से मुक्त हो कर किसानों को निजी बाजार के हवाले किया जा रहा है। इसी क्रम में कृषि में पूंजीपतियों के प्रभाव बढ़ने तथा MSP व्यवस्था धीरे-धीरे समाप्त होने की संभावना भी व्‍यक्‍त की जा रही थी जिसके बाद किसानों को अपने उत्‍पाद औने-पौने दाम पर बेचेने के अलावा कोई विकल्‍प नहीं होता ।

आगे की राह

वर्तमान संदर्भ में कृषि सुधार एक महत्‍वपूर्ण पक्ष है और सरकार इस दिशा में प्रयासरत है । उल्‍लेखनीय है कि कृषि एवं कृषकों की हालत में सुधार हेतु सरकार को विविध पक्षों को ध्‍यान में रखते हुए न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य को वर्तमान समय में प्रासंगिक बनाने हेतु कृषि अस्थिरता, मानसून निर्भरता, जलवायु परिवर्तन, कृषि उत्‍पाद निर्यात तथा विश्‍व व्‍यापार की शर्तो को भी ध्‍यान में रखते हुए सभी पक्षों के साथ व्‍यापक चर्चा के साथ आगे बढ़ना होगा तभी इसमें सुधार की संभावना बन सकती है ।

महामारी के दौर के बाद कृषि संकट को नवजीवन देने, भारत की खाद्य सुरक्षा एवं पोषण, पर्यावरण  जैसी चुनौतियों के साथ साथ अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर प्रतिस्‍पर्धी बनाने हेतु न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य में सुधार समय की मांग है । अत: इस दिशा में आगे बढ़ते हुए कीमतों के उतार चढ़ाव से किसानों की सुरक्षा हेतु सरकार द्वारा विशिष्ट सुरक्षा तंत्र का निर्माण किए जाने के साथ साथ अन्‍य राज्‍यों में चल रही योजनाओं जैसे मध्य प्रदेश की भावांतर भुगतान योजना, किसानों को कीमतोंके स्थान पर न्यूनतम आयकी गारंटी देने जैसी वैकल्पिक व्यवस्था पर भी विचार किया जाना चाहिए ।

निष्‍कर्ष

कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का आंदोलन किसी राजनैतिक उद्देश्य से प्रेरित नहीं था तथा इसने  ने कृषि क्षेत्र में व्याप्त संकट के बारे में सरकार को जागृत करने का कार्य किया है । अत: कृषि संकट और कृषकों के हितों को ध्‍यान में रखते हुए यह आवश्यक है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना को एक नए रूप में बनाया जाए।

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