भारत में गरीबी उन्मूलन की त्रिआयामी रणनीति
प्रश्न : भारत में गरीबी उन्मूलन हेतु सरकार द्वारा अपनायी गयी त्रिआयामी रणनीति क्या है ? इस रणनीति में कौन सी कमियां व्याप्त है जिसके कारण अभी तक गरीबी निवारण के लक्ष्य से हम दूर है।" चर्चा करें।
सामान्य परिभाषा के अनुसार वह आर्थिक और सामाजिक स्थिति जिसमें कोई व्यक्ति अपनी मूलभूत आवश्यकताएं जैसे भोजन, वस्त्र, आवास इत्यदि को पूरा नहीं कर पाता गरीब कहलाता है।
आजादी के बाद भारत के समक्ष अनेक
चुनौतियां थी जिनमें एक महत्वपूर्ण चुनौती गरीबी उन्मूलन भी थी और यहीं कारण था
कि भारत सरकार द्वारा गरीबी उन्मूलन को प्रमुख लक्ष्य बनाया गया और पंचवर्षीय
योजनाओं, सरकारी नीतियों में इसे प्राथमिकता देते हुए त्रिआयामी
रणनीति अपनाई गई।
गरीबी उन्मूलन हेतु त्रिआयामी रणनीति
संवृद्धि आधारित रणनीति या ट्रिकल डाउन
या टपकन सिद्धांत
- स्वतंत्रता के तत्काल बाद अपनायी गयी इस रणनीति में माना गया कि
भारत में होनेवाले तीव्र आर्थिक प्रगति (औद्योगिक विकास और हरित क्रांति) से जो आर्थिक
संवृद्धि आएगी उसका प्रभाव समाज के सभी वर्गों तक धीरे धीरे पहुंच जाएगा।
- हांलाकि यह रणनीति कारगर नहीं हो पायी जिसका कारण जनसंख्या में तीव्र वृद्धि रही। इस प्रकार धनी और निर्धन की खाई और बढ़ गयी और आर्थिक संवृद्धि का लाभ निर्धन तक नहीं पहुंच पाया।
निर्धनता निवारण कार्यक्रम
तीसरी योजना से आरंभ इस रणनीति के तहत निर्धनता निवारण कार्यक्रम के
द्वारा रोजगार एवं निर्धन की आय बढ़ाने हेतु प्रयास किए गए जिनमें प्रमुख है
- 1970 के दशक काम के बदले अनाज कार्यक्रम ।
- 1982 में निर्धनता उन्मूलन हेतु 20 सूत्री कार्यक्रम का आरंभ।
- इसमें सिंचाई, तिलहन/दलहन उत्पादन, मजदूरी, ग्रामीण
आवास, परिवार,पेयजल स्वास्थ्य केंद्र,
जन वितरण प्रणाली इत्यादि पर ध्यान दिया गया तथा स्वरोजगार एवं मजदूरी पर आधारित रोजगार कार्यक्रम चलाए गए।
- छोटे-छोटे उद्यम
स्थापित करने हेतु 1997 में
स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना तथा 1999 में स्वर्ण
जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना
- ग्रामीण अकुशल लोगों को रोजगार देने हेतु मनरेगा योजना।
उल्लेखनीय है कि निर्धनता निवारण कार्यक्रम में सबसे बड़ी यह कमी थी
कि गरीबों की पहचान ठीक ढंग से नहीं हो पायी इस कारण सही लाभार्थी तक इस योजना का
लाभ नहीं पहुंच पाया । इसी क्रम में सरकार द्वारा जो संसाधन आवंटित किए गए वह
पर्याप्त नहीं थे।
न्यूनतम आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराना
पांचवी योजना में अपनाई गई इस रणननीति के तहत माना गया कि सस्ता अनाज, शिक्षा,
स्वास्थ्य, स्वच्छता, सामाजिक
संरचना में व्यय लोगों के जीवन में सुधार ला सकता है। अत: सरकार द्वारा निश्चित
उपभोग एवं समर्थन देने हेतु तीन प्रमुख कार्यक्रम आरंभ हुए
- सार्वजनिक वितरण व्यवस्था।
- एकीकृत बाल विकास योजना।
- मध्यान्ह भोजन योजना।
कालांतर में लोगों के जीवन स्तर में सुधार हेतु प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना, न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम, कार्यक्रम लाया गया। सरकार के हालिया प्रयासों में यूनिवर्सल बेसिक इनकम, जन धन योजना, सामाजिक सुरक्षा हेतु प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना, अटल बीमा योजना, उज्जवला योजना, प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण, फसल बीमा योजना, खाद सुरक्षा अधिनियम, प्रधानमंत्री आवास योजना, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना,आयुष्मान भारत जैसी योजनाएं प्रमुख है।
गरीबी उन्मूलन की यह रणनीति भी लाभार्थी की पहचान ठीक ढंग से नहीं
हो पाने,
भ्रटाचार, संसाधनों की कमी आदि के कारण कई
योग्य लाभार्थी इसकी पहुंच से दूर है ।
गरीबी निवारण रणनीति की कमियां/कमजोरियां
इस प्रकार उपरोक्त
रणनीति के तहत भारत में गरीबी उन्मूलन के प्रयास सरकार द्वारा किए गए हांलाकि
सरकार के प्रयासों एवं कार्यक्रमों के कारण गरीबों की हालत में तो सुधार आया लेकिन
अभी भी अपेक्षित सुधार नहीं हो पाया ।
स्वतंत्रता के 70 वर्षों
बाद भारत में निर्धनता की वर्तमान स्थिति देखा जाए तो अभी विश्व के निर्धनों का
लगभग पांचवा हिस्सा भारत में है तथा भारत में लगभग 30
करोड़ लोग ऐसे हैं जो शिक्षा, स्वास्थ्य,
पेयजल, आवास, जैसी
मूलभूत आवश्यकताओं से भी वंचित है।
वर्ष 2005-06 से 2015-16 के दौरान भारत में 27.1 करोड़ लोगों को निर्धनता के गर्त से बाहर निकाला जा चुका है लेकिन कोविड19
महामारी और लॉकडाउन के कारण भारत में निर्धनों की संख्या में एक बहुत
बड़ी वृद्धि होने की संभावना है। हाल में जारी राष्ट्रीय बहुआयामी निर्धनता
सूचकांक के अनुसार बिहार राज्य की आबादी में गरीबी का अनुपात सबसे अधिक
51.91% है।
आगे की राह
गरीबी निवारण नीतियों
में जनसंख्या नियंत्रण, शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण इत्यादि को दीर्घकालिक भूमिका में रखते हुए नीतियों का निर्माण किए
जाने के साथ साथ गरीबों के आर्थिक उत्थान हेतु भूमि सुधार, कृषि
सुधार, संपत्ति का असमान वितरण, मुद्रास्फीति,
रोजगार, आपदाएं, बीमारी,
महामारी के कारण होनेवाली स्थितियों आदि को ध्यान में रखते हुए विशेष
रणनीति के निर्माण किए जाने की आवश्यकता है ताकि हम सतत विकास लक्ष्य -1 के
गरीबी उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त कर सके और भारत को विश्व शक्ति के रूप में
स्थापित कर सके।
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