69 bpsc mains, bpsc pre and mains exam ki tayari, bihar daroga and other exams

Dec 4, 2022

बिहार में बाढ़ की आपदा

 बिहार में बाढ़ की आपदा 

BPSC Mains Special Sample Notes download link

प्रश्‍न -बिहार में लगभग प्रतिवर्ष आनेवाले बाढ़ के कारणों तथा इसे नियंत्रित करने हेतु तात्‍कालिक एवं दीर्घकालिक रणनीति को बताएं।

 भारतीय मौसम संगठन के अनुसार बाढ़ वह स्थिति है जब नदी का जल खतरे के निशान से ऊपर बहने लगता है। भारत के बाढ़ प्रभावित राज्‍यों में बिहार सर्वाधिक बाढ़ प्रवण राज्य है जहां कुल 38 जिले में 28 बाढग्रस्त है । बिहार में कुल बाढ़ प्रवण क्षेत्र इसके कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 73.06% तथा भारत का 16.5% है । 


बिहार में बाढ़ एक वार्षिक आपदा है जिसके कारण विशेष रूप से उत्तर बिहार के मैदानी भागों में व्यापक स्तर पर तबाही आती है लाखों लोगों का जन जीवन प्रभावित होता है । उल्‍लेखनीय है कि बाढ़ से प्रभावित कुल भारतीय आबादी का 22% बिहार के लोग है जबकि बिहार के संदर्भ में बिहार की 76% जनसंख्या बाढ़ से प्रभावित है ।  बिहार में बाढ़ आने के अनेक कारण है जिनको प्राकृतिक एवं मानवीय कारणों में बांटा जा जा सकता है ।

 

बिहार में बाढ़ जन-धन की हानि पहुंचाने के साथ साथ राज्य के विकास और अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित करती है। राज्य की बहुसंख्यक आबादी कृषि एवं सहवर्ती क्षेत्र पर आश्रित है तथा बाढ़ के कारण सामान्य जनजीवन प्रभावित होने के साथ इनके समक्ष खाद्यान्न, आजीविका जैसे संकट उत्पन्न हो जाता है।

तटबंध निर्माण एवं मरम्मत, बाढ़ नियंत्रण योजनाएँ, बाढ़ के दौरान एवं बाढ़ के बाद किए जानेवाले राहत एवं बचाव कार्य में काफी धन एवं संसाधन खर्च होते हैं जिससे जहां अन्य विकास कार्य भी प्रभावित होता है वहीं यह निर्धनता का कारण भी बनता है।


बिहार में बाढ़ के प्रमुख कारण

प्राकृतिक कारण

  • नदियों की अधिकता
  • बिहार एवं नेपाल में होने वाले असामान्य या मूसलाधार वर्षा
  • नदियों के मार्ग परिवर्तन

मानव निर्मित

  • तटबंध निर्माण
  • वनस्पतियों का क्षरण एवं नदियों के गाद
  • राजनैतिक इच्छाशक्ति की कमी
  • केन्द्र  की उदासीनता

 

प्रतिवर्ष आनेवाली बाढ़ से जहां विकास कार्य भी प्रभावित होता है वहीं बिहार की निर्धनता का एक प्रमुख कारण भी है। उल्‍लेखनीय है कि बाढ़ से जहां सामान्य जनजीवन शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक क्रियाएं आदि बाधित होती है वहीं व्यापक स्तर पर फसल बर्बादी, अनाज की कमी, पेयजल, चारा, मूलभूत सुविधाओं की कमी कुपोषण एवं महामारी को बढ़ावा देता है। यहीं कारण है कि बाढ़ को नियंत्रित करने हेतु प्रभावी एवं ठोस रणनीति अपनाएं जाने की आवश्‍यकता है और इस दिशा में अल्‍पकालिक एवं दीर्घकालिक रणनीति अपनाए जाने की आवश्‍यकता है ।

 

तात्कालिक नीति

  • बाढ़ के पूर्वानुमान एवं समय पर चेतावनी हेतु मौसम विज्ञान विभाग, केंद्रीय जल आयोग, आकाशवाणी व दूरदर्शन तथा दूरसंचार विभाग के बीच उचित समन्वय स्थापित किया जाए।
  • निर्मित तटबंधों का उच्चीकरण एवं सुदृढीकरण तथा नए तटबंध का निर्माण ।
  • राहत एवं बचाव कार्य को तत्परता से किया जाए जिससे जानमाल की हानि कम हो।
  • लोगों को ऊंचे स्थान पर पहुंचाने के साथ साथ उनके लिए पर्याप्त खाद्यान्न, पेयजल, दवा आदि की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए ।
  • जल को फैलने से रोकने हेतु छोटे-मोटे अवरोध तथा जलाशयों का निर्माण ।
  • बाढ़ पूर्वानूमान, चेतावती तंत्र में सुधार, आकस्मिक योजना तैयार करने के साथ साथ कानून व्यवस्था का पालन करना जन-जागरूकता एवं लोगों में इसके बचाव, प्रबंधन तथा निपटने का प्रशिक्षण आदि देना ।
  • बाढ़ नियंत्रण कार्यक्रमों का निर्माण स्थानीय आवश्यकताओं एवं परिस्थितियों के अनुसार होना चाहिए। इसके अलावा बाढ़ नियंत्रण के प्रतिकूल प्रभावों, जैसे नदी मार्ग परिवर्तन, जलजमाव और बाढ़ क्षेत्र में वृद्धि आदि से बचना होगा।
  • बाढ़ नियंत्रण कार्यक्रम के क्रियान्वयन में मजबूत राजनैतिक इच्छाशक्ति, प्रशासनिक तत्परता एवं शुचिता का भी प्रदर्शन करना होगा ताकि योजनाएं भ्रष्टाचार मुक्त रहे।

 

 दीर्घकालिक नीति

  • नीति निर्माताओं, विशेषज्ञों, शिक्षाविदों को दीर्घकालिक बाढ़ प्रबंधन नीतियां तैयार करने में मदद हेतु  राष्ट्रीय आपदा डेटाबेस बनाया जाए।
  • कोसी, गंडक, बागमती, महानंदा के नेपाल स्थित जलग्रहण क्षेत्र या बहाव के पहाड़ी और ऊपरी हिस्से पर बड़े और मजबूत बाँध बनाए जाए ।
  • भूकम्प, पर्यावरण संबंधी  पहलुओं को ध्यान में रखते हुए बड़े बांधों या तटबंधों का निर्माण ।
  • तटबंध का निर्माण, बांधों का उचित रख-रखाव,जलाशय, चेक डैम, नहर का निर्माण ।
  • नदी जल ग्रहण क्षेत्र में पेड़ों की कटाई पर रोक के साथ साथ वनीकरण को बढ़ावा ।
  • फरक्का बाँध गंगा एवं अन्य नदियों में गाद समाधान हेतु प्रयास किया जाए।
  • भारत तथा नेपाल को बाढ़ प्रणव क्षेत्रों का अध्ययन कर समस्या के समाधान हेतु तात्कालिक उपायों के बजाए दीर्घकालिक तथा प्रभावी योजनाएं बनाकर जल प्रबंधन किया जाए तथा सप्तकोशी बागमती तथा कमला परियोजनाओं को भी क्रियान्वित किया जाए ।
  • नदी जोड़ो परियोजना में बाढ़ नियंत्रण संबंधी उपायों को शामिल किया जाना चाहिए 
  • वैज्ञानिक विधि से नगर नियोजन किया जाना चाहिए ।
  • सूखा प्रणव क्षेत्र कार्यक्रम की तरह बाढ़ प्रणव क्षेत्र कार्यक्रम चलाया जाए ।
  • बाढ़ प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के निर्माण पर अधिक खर्च किया जाए ।
  • बाढ़ चेतावनी प्रणालियों की क्षमता में सुधार और वृद्धि
 

स्‍पष्‍ट है कि बाढ़ बिहार में प्रतिवर्ष आनेवाली प्राकृतिक आपदा है और इस दिशा में बिहार सरकार द्वारा व्‍यापक स्‍तर पर कार्य किए जा रहे हैं लेकिन नीतियों के प्रभावी क्रियान्‍वयन में कमी से बाढ़ का समाधान अभी तक नहीं हो पाया है । अत: इस दिशा में तात्कालिक, मध्यकालिक एवं दीर्घकालिक उपायों को बेहतर एवं प्रभावी ढंग से क्रियान्वित किए जाने की आवश्‍यकता है।

ज्‍यादा जानकारी हेतु आप हमारे बिहार स्‍पेशल नोटस में आपदा प्रबंधन का अध्‍ययन कर सकते हैं ।

No comments:

Post a Comment