69 bpsc mains, bpsc pre and mains exam ki tayari, bihar daroga and other exams

Feb 12, 2023

राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (National Monetization Pipeline)

राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (National Monetization Pipeline)

केंद्र सरकार द्वारा बजट 2021-22 में स्थायी अवसंरचना निर्माण के वित्तपोषण हेतु राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन को लाया गया । इसके तहत वर्तमान में संचालित की जा रही सार्वजनिक अवसंरचना परिसंपत्तियों के मुद्रीकरण की पहचान एक वित्तपोषण साधन के रूप में की गई है ।


मुद्रीकरण (Monetisation)

मुद्रीकरण में सरकार मूल रूप से अग्रिम धन, राजस्व हिस्सेदारी और परिसंपत्तियों में निवेश की प्रतिबद्धता के बदले में एक निर्दिष्ट लेन-देन अवधि के लिये निजी पार्टियों को राजस्व अधिकार हस्तांतरित करती है। 

राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन को संस्थागत और दीर्घकालिक पूंजी का दोहन करके ब्राउनफील्ड सार्वजनिक क्षेत्र की संपत्ति में निवेश के मूल्य का अधिक-से-अधिक लाभ सुनिश्चित करने हेतु बनाया गया है।

 

राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन योजना की विशेषता

  • संपूर्ण देश में बुनियादी ढाँचे के विकास हेतु राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन का उपयोग किया जाएगा।
  • वित्त वर्ष 2022 से 2025 की अवधि हेतु लगभग रु. 6 लाख करोड़ केराष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइनकी घोषणा की गयी है।
  • राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन के तहत सड़क, रेलवे, बिजली, ट्रांसमिशन, तेल, गैस, एयरपोर्टए टेलीकॉम टॉवर, गोदाम, स्टेडियमों सहित अन्य परिसंपत्तियों के मुद्रीकरण की योजना तैयार की गयी है।
  • इसके तहत सरकार केवल कुछ विशिष्ट क्षेत्रों में उपस्थिति बनाए रखेगी और शेष निजी क्षेत्र के लिये खोल दिया जाएगा।
  • इसके तहत निजी क्षेत्र को केवल राजस्व अधिकार हस्तांतरित किया जाएगा न की परियोजनाओं के स्वामित्व का अधिकार।
  • राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइनदिसंबर 2019 में घोषित 100 लाख करोड़ रुपए की राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइनके साथ-साथ क्रियान्वित की जाएगी।

 

राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन  योजना की आवश्यकता

सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों की विफलता को देखते हुए सरकार द्वारा राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन को लाया गया। वर्तमान में सार्वजनिक क्षेत्र के अनेक उद्यम घाटे में चल रहे है जिनके कारणों को निम्न प्रकार से समझा जा सकता है।  

  1. परियोजना लागत में वृद्धि -कुछ परियोजनाओं में कार्य समय पर पूरा नहीं होने से परियोजना की लागत इतनी बढ़ जाती है कि यह परियोजना शुरू होने के समय ही अव्यवहार्य हो जाती है।
  2. अतिपूंजीकरण -कई सरकारी परियोजनाओं में लगे हुए पूंजी की अपेक्षा उसके लाभ बहुत ही कम प्राप्त होते हैं तथा उनमें काफी सरकारी पूंजी भी लगती है जिससे उनका ओवरकैपिटलाइज़ेशन होता है।
  3. अति सरकारी नियंत्रण एवं समन्वय की कमी- सरकार के विभिन्न मंत्रालयों तथा विभागों में समन्वय की कमी, निर्णयण में कमी, अत्यधिक सरकारी नियंत्रण इत्यादि के कारण कई सार्वजनिक उपक्रमों विफलता का सामना कर रहे हैं।
  4. अन्य कारण -अकुशल प्रबंधन, श्रम सुधारों के अभाव, आधुनिकीकरण न होने के कारण अनेक सार्वजनिक उपक्रम का प्रदर्शन लगातार गिरता जा रहा है। 

 

राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन उद्देश्य

ब्राउनफील्ड परियोजनाओं में निजी क्षेत्र को शामिल करना । सरकार के अनुसार ब्राउनफील्ड संपत्तियाँ वे संपत्तियाँ हैं जिनको सरकार द्वारा जोखिम रहितमाना गया है। उल्लेखनीय है कि जिन परियोजनाओं को संशोधित या उन्नत किया जाता है उसे ब्राउनफील्ड परियोजना कहा जाता है।

  • योजना से प्राप्त पूंजी का उपयोग देश में बुनियादी अवसंरचनाओं के निर्माण हेतु प्रयोग करना।
  • निजी क्षेत्र को केवल राजस्व अधिकार हस्तांतरित किया जाना न की परियोजनाओं के स्वामित्व का अधिकार।
  • योजनाओं के क्रियान्वयन संबंधी वित्त एवं तकनीकी चुनौतियों से निपटना।
  • योजना के तहत केवल केंद्र सरकार के मंत्रालयों और केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों संपत्ति को ही शामिल किया गया है।

 

योजना के लाभ / भारतीय अर्थव्यवस्था को मदद

  • दीर्घकालिक योजनाओं से भारत में ऐसे निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा जो ढांचागत क्षेत्र में निवेश हेतु इच्छुक है।
  • इसके माध्यम से ब्राउनफील्ड संपत्तियों का प्रबंधन और बेहतर तरीके से हो पाएगा।
  • भारत में बुनियादी अवसंरचना परियोजनाओं के विकास पर सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदान करेगा ।
  • सार्वजनिक अवसंरचनाओं एवं संपत्तियों के निर्माण में वित्त संबंधी चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी।
  • इस योजना के माध्यम से भारतीय अर्थव्यवस्था में गति आएगी तथा इसकी प्रतिस्पर्द्धा में वृद्धि होगी।
  • बुनियादी अवसंरचना के विकास से रोज़गार के नए अवसर उत्पन्न होंगे तथा लोगों की आय, जीवनस्तर में सुधार होगा।
  • महामारी के कारण अर्थव्यवस्था में आयी शिथिलिता को गति देने में मदद मिलेगी ।
  • आर्थिक और सामाजिक बुनियादी अवसंरचना तक समान पहुँच सुनिश्चित होने से विकास समावेशी एवं प्रासंगिक हो सकेगा।
 

राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन की बाधाए/चुनौतियाँ

  • विभिन्न संपत्तियों की राजस्व क्षमताओं की सही पहचान की समस्या ।
  • निजी क्षेत्र को हस्तांतरण से उत्पन्न एकाधिकार से कीमत में वृद्धि होगी।
  • करदाताओं द्वारा इन सार्वजनिक संस्थानों हेतु पहले से ही भुगतान किया जा चुका है अतः एक निजी पार्टी द्वारा इसका उपयोग करने पर पुनः भुगतान करना तर्कसंगत नहीं है।
  • एयर इंडिया और BPCL समेत सरकारी कंपनियों में निजीकरण की धीमी रफ्तार ।
  • राष्ट्रीय राजमार्गों के चार लेन से कम होने के कारण निवेशकों की कम रुचि रही। इसके अलावा रेलवे में आरंभ की गयी PPP पहल में निजी निवेशकों पर्याप्त रुचि न होना एक निराशाजनक संकेत है।
  • स्वतंत्र क्षेत्रीय नियामको का अभाव राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन के लिए प्रमुख चुनौती है।
  • पीपीपी के आधार पर बनाई गई परियोजनाओं पर खर्च अधिक होने से द्वितुलन पत्र समस्या की संभावना।
  • पीपीपी परियोजनाओं में भूमि और पुर्नवास के संबंधित मुद्दे भी होते हैं जो इनके सफल क्रियान्वयन में एक चुनौती है।
  • परियोजना के क्रियान्वयन में टैरिफ संबंधी चुनौतियाँ
  • योजना का सुचारू रूप से क्रियान्वयन न होना।
  • विवाद समाधान तंत्र का अभाव।

 

निष्कर्ष

भारत की आर्थिक विकास को गति देने में सरकार का यह एक महत्वपूर्ण कदम है । आर्थिक विकास को सतत बनाने हेतु निजी-सार्वजनिक निवेश को प्रोत्साहन देने, सामाजिक मूल्यों पर ध्यान दिए जाने के साथ विवादों के निपटारे हेतु  कुशल विवाद समाधान तंत्र की आवश्यकता है।

इसकी सफलता बहुत हद तक इसके उचित क्रियान्वयन पर भी निर्भर है। इसकी सफलता सभी शामिल हितधारकों की अपनी भूमिका निभाने पर निर्भर करेगी । अतः योजना में शामिल सभी पक्षों जैसे राज्य सरकारें, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम, निजी क्षेत्र की सक्रिय एवं सकारात्मक भूमिका अत्यंत आवश्यकता है। 

No comments:

Post a Comment