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Feb 11, 2023

केन्द्रीय बजट 2022 -23 एवं कृषि

 

केन्द्रीय बजट 2022 -23 एवं कृषि

केन्‍द्रीय बजट 2022-23 में वित्त मंत्री द्वारा कृषि क्षेत्र हेतु अनेक घोषणाएं की गयी जिसमें किसानों के लिए डिजिटल और हाइटेक सेवाएं देने, कृषि में ड्रोन के उपयोग को बढ़ाने, तिलहन फसलों में देश को आत्मनिर्भर बनाने एवं जैविक खेती को बढ़ावा देने की बात कही गयी। इसके अलावा राज्यों को अपने कृषि विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में संशोधन करने हेतु प्रोत्साहित देने की बात कही गयी ताकि जीरो बजट और ऑर्गेनिक कृषि, आधुनिक कृषि, मूल्य संवर्धन एवं प्रबंधन की जरूरतों को पूरा किया जा सके।

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केंद्रीय बजट 2022 -23 में कृषि क्षेत्र हेतु महत्वपूर्ण घोषणाएं

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के बजट में वृद्धि।

·         इस वर्ष  बजट 1.32 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा रखा गया है जो गत वर्ष 1.23 लाख करोड़ रुपए था। इसके अलावा MSP के 2.73 लाख करोड़ रुपये सीधे भुगतान किए जाएंगे। गेहूं और धान की खरीद के लिए 1.63 करोड़ किसानों को 2.37 लाख करोड़ रुपए MSP का सीधा भुगतान। किसानों के खातों में किया जाएगा।

कृषि क्षेत्र में उद्यम स्थापित करने हेतु स्टार्ट-अप कोष

नाबार्ड के सहयोग से मिश्रित पूंजीयुक्त कोष का गठन किया जाएगा जो कृषि उत्पाद मूल्य श्रृंखला के लिए स्टार्ट-अप्स का वित्त पोषण करेगा।

स्टार्ट-अप्स के कार्यों में अन्य बातों के अलावा किसानों को फॉर्म स्तर पर किराये के आधार पर विकेन्द्रीकृत मशीनरी उपलब्ध कराना, FPO के लिए आईटी आधारित सहायता उपलब्ध कराना जैसे कार्य शामिल होंगे। इसके अलावा कृषि-वानिकी अपनाने वाले किसानों को अतिरिक्त सहायता दी जाएगी।

सिंचाई क्षेत्र बढ़ाने हेतु नदियों को जोड़ा जायेगा



केन-बेतवा लिंक परियोजना को लागू किया जाएगा जिससे इस क्षेत्र में 9.08 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी।

इसके अलावा दमनगंगा-पिनजाल, पार-तापी-नर्मदा, गोदावरी-कृष्णा, कृष्णा-पेन्नार-कावेरी नदी जोड़ो परियोजना के ड्राफ्ट को अंतिम रूप दिया गया है।

कृषि क्षेत्र में डिजिटलीकरण

पीपीपी मोड में नई योजना के तहत किसानों को डिजिटल और हाइटेक सेवाएं प्रदान की जाएंगी।  भूमि के रिकॉर्ड के आईटी आधारित प्रबंधन के लिए विशिष्‍ट भूमि पार्सल पहचान संख्‍या।

ड्रोन का उपयोग

नई प्रौद्योगिकी के उपयोग के तहत कृषि फसलों का आकलन करने, भूमि दस्तावेजों का डिजिटीकरण करने, कीटनाशकों और पोषक तत्वों का छिड़काव करने के लिए किसान ड्रोन्सके उपयोग को बढ़ावा दिया जाएगा।

जैविक खेती को दिया जायेगा बढ़ावा

देशभर में रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा जिसके प्रथम चरण में गंगा नदी से सटे पांच किमी चौड़े गलियारों के अंतर्गत आने वाली किसानों की जमीनों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

प्राकृतिक, शून्य-बजट और जैविक खेती, आधुनिक कृषि की जरूरतों को पूरा करने के लिए राज्य कृषि विश्वविद्यालयों में पाठ्यक्रम में संशोधन।

मोटे अनाज के उत्पादन को दिया जायेगा बढ़ावा

2023 को अंतर्राष्‍ट्रीय बाजरा वर्षघोषित किए जाने को ध्‍यान में रखते हुए सरकार ने कटाई उपरांत मूल्‍यवर्धन के साथ-साथ घरेलू खपत बढ़ाने, देश-विदेश में बाजरा उत्‍पादों की ब्रांडिंग करने को पूर्ण सहयोग देने की घोषणा की है।

तिलहन उत्पादन बढ़ाने के लिए  नई योजना

तिलहनों के आयात पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए तिलहनों के घरेलू उत्पादन को बढाने के उद्देश्य से एक तर्कसंगत और व्यापक योजना लागू की जाएगी।

खाद्य प्रसंस्करण पर जोर

फलों,सब्जियों की उपयुक्त किस्मों को अपनाने तथा उत्पादन और फसल कटाई की यथोचित तकनीक का प्रयोग करने के लिए किसानों की सहायता करने हेतु केन्द्र सरकार, राज्यों सरकारों की भागीदारी से एक व्यापक पैकेज प्रदान करेगी।

 

कृषि संकट को समाप्त करने हेतु कृषि में उच्च व्यय 

कृषि हेतु बजटीय आवंटन 2022-23

  • केंद्रीय बजट 2022-23 में कृषि क्षेत्र हेतु कुल बजटीय आवंटन में 4.4% की वृद्धि की गई है फिर भी यह वृद्धि दर वर्तमान मुद्रास्फीति दर 5.5%-6% से कम है।
  • पिछले बजट में ग्रामीण विकास हेतु आवंटन 5.59% था जिसे इस बजट में घटाकर 5.23% कर दिया गया है।
  • फसल बीमा तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य जैसी महत्वपूर्ण योजनाओं के लिए आवंटित वित्त में पर्याप्त कमी हुई है।
  • बाजार हस्तक्षेप योजना और मूल्य समर्थन योजना का आवंटन  पिछले आवंटन से 62% कम है।
  • प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान हेतु मात्र 1 करोड़ का आवंटन हुआ है जो वर्ष 2021-22 में 400 करोड़ रुपए था ।
  • बजट में सकल केंद्रीय परियोजनाओं में 718.8 करोड़ रुपए की कमी की गई है।

खाद्य और कृषि संगठन के अनुसार वैश्विक स्तर पर भारत सर्वाधिक कृषि सार्वजनिक व्यय के मामले में शीर्ष 10 देशों में शामिल है तथा भारत द्वारा सार्वजनिक व्यय का कुल 7.3%  कृषि पर व्यय किया जाता है। भारत अपने पड़ोसी देश भूटान (12%), नेपाल (8%), चीन (9.6%) जैसे उच्च मध्यम आय वाले देशों से सार्वजनिक कृषि व्यय के मामले में पीछे है।

इस प्रकार से बजटीय आवंटन में कमी से भारत के कृषि क्षेत्र के प्रदर्शन पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार भारत  के वर्तमान कृषि संकट को दूर करने तथा निम्न कृषि  अभिविन्यास सूचकांक की स्थिति में सुधार हेतु कृषि में उच्च व्यय की आवश्यकता है तथा हाल के बजटीय आवंटन इस दिशा में सार्थक प्रयास नहीं कहा जा सकता।

 

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