सार्वजनिक डिजिटल बुनियादी ढाँचा
भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए गेम चेंजर
प्रश्न-"पिछले कुछ वर्षो में सरकार द्वारा सार्वजनिक डिजिटल बुनियादी ढाँचे को तैयार करके उसके माध्यम से व्यक्तियों और व्यवसायों की आर्थिक क्षमता को बढ़ाना भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक गेम चेंजर रहा है" टिप्पणी करें
भारत सरकार के अमृतकाल के विजन "विकास और रोजगार सृजन" तथा वृहद आर्थिक
सुस्थिरता को सुदृढ़ करने हेतु मजबूत भौतिक एवं सामाजिक बुनियादी अवसंरचना के साथ साथ
डिजीटल एक मजबूत अवसंरचना अत्यंत आवश्यक है । पिछले कुछ वर्षो में देखा जाए तो मजबूत
डिजीटल बुनियादी अवसंरचना की दिशा में सरकार द्वारा अनेक कार्य किए गए है। भारत में
डिजीटल अवसंरचना के विकास का सफर वर्ष 2015 में आरंभ डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के साथ
हुई जिसने न केवल भारत की आर्थिक क्षमता को
बढ़ाया बल्कि अर्थव्यवस्था के लिए भी गेम चेंजर रहा ।
उल्लेखनीय है कि संसद में जनवरी 2023 में वित्त मंत्री द्वारा ‘आर्थिक समीक्षा पेश करते हुए बताया गया
कि देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में पारम्परिक अवसंरचना की भूमिका के साथ साथ हाल
के वर्षों में डिजिटल अवसंरचना की भूमिका भी काफी बढ़ गई है । भारतीय रिजर्व बैंके
के अनुसार भारत की मुख्य डिजिटल अर्थव्यवस्था 2014 और 2019 के बीच समग्र आर्थिक
विकास का 2.4 गुना बढ़ी है ।
सरकार द्वारा पिछले कुछ वर्षों के दौरान भौतिक बुनियादी ढाँचे के अलावा दौरान
सार्वजनिक डिजिटल बुनियादी ढाँचे को तैयार करके उससे व्यक्तियों और व्यवसायों की
आर्थिक क्षमता को बढ़ाना गेम चेंजर रहा है। भारतीय अर्थव्यवस्था में डिजीटल अवसंरचना
के महत्व को निम्न प्रकार समझा जा सकता है
वित्तीय
समावेशन
- जनधन-आधार-मोबाईल (JAM ट्रिनिटी), यूपीआई द्वारा वित्तीय समावेशन में महत्वपूर्ण प्रगति हुई । बैंक खाता धारकों की संख्या 2015-16 के 53% से बढ़कर 2019-21 में 78% हो गई ।
- डिजिटल सत्यापन, डिजिटल हस्ताक्षर, डिजिटल रिपॉजिटरी (डिजीलॉकर) और डिजिटल भुगतान (UPI) जैसी व्यवस्थाओं ने औपचारिक वित्तीय सेवाओं तक पहुंच में सुधार ने वित्तीय समावेशन को प्रोत्साहित किया ।
- उल्लेखनीय है कि बड़ी संख्या में वित्तीय समावेशन और ऋण तक पहुंच उच्च खपत और निवेश को प्रोत्साहित करती है, जिससे उच्च आर्थिक विकास होता है।
- हाल ही में शुरू की गई कुछ डिजिटल पहले, जैसे ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी) और अकाउंट एग्रीगेटर फ्रेमवर्क, छोटे व्यवसायों, ई-कॉमर्स मार्केट एक्सेस और क्रेडिट उपलब्धता के लिए मार्ग प्रशस्त करेंगें और मध्यावधि आर्थिक विकास को मजबूत करेंगी।
अर्थव्यवस्था
का बड़े पैमाने पर औपचारिकीकरण
- अर्थव्यवस्था का बड़े पैमाने पर औपचारिकीकरण डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का दूसरा महत्वपूर्ण योगदान है। जनवरी 2023 में आयी 'द इकोनॉमिस्ट' की एक रिपोर्ट के अनुसार डिजिटल वित्तीय संरचना, डिजिटलीकृत जीएसटी प्रणाली और यूपीआई के उपयोग में वृद्धि के फलस्वरूप भारतीय अर्थव्यवस्था का बड़े पैमाने पर औपचारीकरण हुआ ।
- उल्लेखनीय है कि आधार जैसी डिजिटल पहचान, असंगठित श्रमिकों का श्रम पोर्टल पर पंजीकरण, स्वनिधि पर रेहड़ी-पटरी वालों, जीएसटीएन कर भुगतान करने वाली फर्मों और उदयम पोर्टल पर एमएसएमई के पंजीकरण ने औपचारिक रूप से इन समूहों को इकनोमिक नेट में शामिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।
- डिजिटल सिस्टम जैसे गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स नेटवर्क और ई-वे बिल सिस्टम ने व्यापार लेनदेन की औपचारिकता को भी सबल किया। जीएसटी करदाताओं की बढ़ती संख्या वर्ष 2017 में 70 लाख से 2022 में 1.4 करोड़ से अधिक हो जाना औपचारिक व्यवसायों में विस्तार का संकेत देती है। यूपीआई की डिजिटल भुगतान प्रणाली के व्यापक उपयोग से छोटी से छोटी राशि के लिए भी लेनदेन को औपचारिक बनाना संभव हो गया है।
अधिक कुशल (दक्ष) संसाधन का आवंटन
- डिजीटल अवसंरचना के कारण ही शासन की बाध्यकारी अड़चनों को दूर किया गया जिसके कारण आर्थिक और संरचनात्मक सुधारों से अर्थव्यवस्था को व्यापक लाभ मिला । विभिन्न पहलों पोर्टलों को जोड़ने वाली एकीकृत डिजिटल इंटरफेस ने प्रक्रियाओं को सरल बनाया है जिसके परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था में अधिक कुशल (दक्ष) संसाधन का आवंटन हुआ है।
- शिक्षा, स्वास्थ्य, योजनाओं को लाभार्थी तक पहुंचाने, भ्रष्टाचार मुक्त शासन प्रणाली में मददगार ।
आपतकालीन मदद एवं योजनाओं के क्रियान्वन
- ग्रामीण विकास की दिशा में भारतनेट परियोजना, दूरसंचार विकास योजना, आकांक्षी जिला योजना जैसी महत्वपूर्ण योजनाओं का क्रियान्वयन ।
- कोविड-19 महामारी के कारण व्यवसाय और उपभोगताओं की मांग में कमी के प्रमुख झटकों से उबरने में मदद। महामारी के दौरान सामाजिक दूरी के साथ, वित्तीय लेनदेन, आर्थिक मदद , स्वास्थ्य एवं जागरुकता तथा अन्य महत्वपूर्ण सुविधाओं की पहुंच स्थापित करने में ।
उन्नत अवसरों
में वृद्धि
- व्यापार संबंधी अनुमोदन के लिए राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली, केंद्र सरकार की क्रेडिट लिंक्ड योजना के लिए जनसमर्थ पोर्टल और केंद्र और राज्य सरकार की सेवाओं तक पहुंच के लिए उमंग ऐप मौजूदा प्रणालियों के एकीकरण के माध्यम से व्यापार करने में आसानी बढ़ाने की दिशा में आवश्यक कदम हैं।
- 28.5 करोड़ से अधिक पंजीकृत श्रमिकों के साथ ईशराम पोर्टल का आसानी से उपयोग करने के लिए विभिन्न अन्य डिजिटल पोर्टलों के साथ एकीकृत किया गया है। पीएम गतिशक्ति, जीआईएस आधारित एक प्लेटॉर्म है जो मल्टीमॉडल इंफ्रास्ट्रक्चर कनेक्टिविटी परियोजनाओं की एकीकृत योजना और समन्वित कार्यान्वयन के लिए कई मंत्रालयों को एक साथ जोड़ता है, जिसका उद्देश्य रसद ( लोजिस्टिक्स) लागत को कम करना है।
इस प्रकार, डिजिटल प्रौद्योगिकियों
संबंधी अवसंरचना ने न केवल व्यक्तियों और व्यवसायों की आर्थिक क्षमता को बढ़ाया बल्कि भारत के आर्थिक विकास
को गति देने का कार्य भी किया जो पिछले
कुछ वर्षों में उच्च वित्तीय समावेशन, अत्यधिक औपचारिकता, बढ़ी हुई दक्षता और
उन्नत अवसरों में दर्ज की गयी वृद्धि से स्पष्ट होती है।
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