राष्ट्रीय लाजिस्टिक नीति 2022
सितम्बर 2022 में प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रीय लाजिस्टिक नीति 2022 की घोषणा की गयी जिसका उद्देश्य संपूर्ण भारत में वस्तुओं की बाधारहित आवगमन को प्रोत्साहन देना और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में सुधार लाना है । राष्ट्रीय लाजिस्टिक नीति 2022 प्रोसेस री-इंजीनियरिंग, डिजिटाइज़ेशन और मल्टी-मोडल ट्रांसपोर्ट पर केंद्रित है ।
लॉजिस्टिक
वर्तमान अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भाग बन चुका है जिसमें संसाधनों, लोगों , कच्चे माल आदि
को एक स्थान से दूसरे स्थान पर यानी उत्पादन स्थल से उपभोग, भंडारण, वितरण के अंतिम गंतव्य स्थल तक परिवहन आदि
की समग्र क्रियाएं शामिल की जाती है ।
सुदृढ़ लॉजिस्टिक्स का भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए
महत्व
|
राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति की
आवश्यकता
- वर्तमान
में GDP का लगभग 15
% लॉजिस्टिक पर व्यय होता
है जिसे वर्ष 2030 तक लगभग 8% तक लाने का लक्ष्य है ।
- दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के नाते भारत
के लिए यह अत्यंत आवश्यक है कि आनेवाले वर्षों में लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस
इंडेक्स में भारत शीर्ष 10 में शामिल हो।
- विश्व की अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत में लॉजिस्टिक्स लागत अधिक होना ।
- अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ाने हेतु ।
- लॉजिस्टिक समस्याओं में कमी लाकर निर्यात बढ़ाने हेतु ।
- भारत को विनिर्माण क्षेत्र में बड़ी शक्ति बनाने तथा निवेश आकर्षित करने हेतु ।
- लॉजिस्टिक क्षेत्र में लगी एजेंसियों, सेवाओं, कंटेनर डिपो को एकीकृत करने तथा उनमें समन्वय हेतु ।
राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति की
विशेषताएँ
डिजिटल
एकीकरण प्रणाली-इसमें सड़क, रेलवे, सीमा शुल्क,
विमानन, वाणिज्य विभाग की प्रणालियों को
एकीकृत किया गया है जो लॉजिस्टिक्स सेवाओं की निर्बाध पहुंच और कुशलता बढ़ायेगा।
यूनिफाइड
लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म- लॉजिस्टिक्स
और परिवहन क्षेत्र की सभी डिजिटल सेवाओं को एक ही पोर्टल पर लाने हेतु बनायी गयी
त्रिस्तरीय संरचना है जो निर्माताओं एवं निर्यातकों को लंबी और बोझिल प्रक्रियाओं
से मुक्ति दिलायेगा।
ईज
ऑफ लॉजिस्टिक्स E-logs -
यह लॉजिस्टिक्स सेवाओं में आसानी हेतु
बनाया गया डिजिटल प्लेटफॉर्म है जो परिचालन संबंधी समस्याओं को समाधान हेतु सरकारी
एजेंसियों के समक्ष रखेगा ।
व्यापक
लॉजिस्टिक्स कार्ययोजना- व्यापक
लॉजिस्टिक्स कार्ययोजना जिसमें मानकीकरण, बेंचमार्किंग, मानव
संसाधन विकास, लॉजिस्टिक्स पार्कों का विकास आदि शामिल है।
भारत सरकार
अवसंरचना तथा प्रक्रियागत सुधारों के माध्यम से लॉजिस्टिक
दक्षता में सुधार हेतु सतत रूप से प्रयासरत है तथा पिछले कुछ वर्षों में इस दिशा में अनेक कदम
उठाए हैं जिनमें प्रमुख निम्नलिखित हैं।
अवसंरचना
एवं लॉजिस्टिक सेवाओं में सुधार हेतु योजनाएं/पहल |
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1 |
प्रधानमंत्री
गति शक्ति योजना |
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2 |
राष्ट्रीय
रेल योजना |
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3 |
लॉजिस्टिक्स
ईज अक्रास डिफरेंटे स्टेटस (LEADS) इंडेक्स |
|
4 |
लॉजिस्टिक
पारिस्थितिकी में सुधार हेतु अन्य पहल |
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राष्ट्रीय लॉजिस्टिक नीति की चुनौतियां
- लॉजिस्टिक संचालन में आरंभ से अंत तक सड़कों पर अधिक निर्भरता है और इसमें विकल्प भी सीमित है।
- कई राज्यों ने इससे संबंधी अभी तक अपनी लॉजिस्टिक्स नीति की घोषणा नहीं की है । अत: राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आनेवाले अनुमोदनों पर नीति के अभाव से अनावश्यक देरी हो सकती है।
- भारत में लॉजिस्टक तंत्र के संचालन हेतु प्रशिक्षित कार्यबल की कमी है ।
- लॉजिस्टिक नीति के पूरक के रूप में डिजिटल कनेक्टिविटी को सुनिश्चित करना भी एक चुनौती होगी ।
सुझाव
- राज्यों को केन्द्रीय नीति के साथ समन्वय करना होगा तथा केन्द्र सरकार को यह सूनिश्चित करना होगा कि सभी राज्यों की नीतियां एक जैसी हो।
- भारतीय रेलवे में मालगाड़ी की औसत गति में वृद्धि, यात्री
परिवहन की तरह माल परिवहन में भी टाइम टेबल बनाए जाने जैसे सुधार की आवश्यकता
है।
- जलीय परिवहन को प्रोत्साहन देने हेतु पोर्ट एवं तटों के रखरखाव पर ध्यान दिया जाना होगा। बंदरगाहों के आकार एवं सेवाओं में सुधार हेतु अवसंरचनात्मक निवेश बढ़ाना होगा।
- परिवहन के सभी साधनों में संचालन संबंध समन्वय एवं पूरकता बनाना होगा।
- वेयर हाउसिंग अवसंरचना, परिवहन आदि में
निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित करना होगा।
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