भारत में नौवहन
विश्व बैंक द्वारा जारी लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक में भारत 44वें स्थान पर रहा। कोविड-19 महामारी संबंधित प्रतिबंधों के कारण सक्रिय शिपिंग में कंटेनरों का प्रवाह कम हुआ और शिपिंग दरें बहुत अधिक हो गई थीं। अप्रैल-सितंबर 2021 के दौरान, भारत ने परिवहन सेवाओं के आयात पर पिछले वर्ष की तुलना में 64.9 प्रतिशत अधिक खर्च किया। भारत में शिपिंग उद्योग के समक्ष अनेक चुनौतियां हैं जो लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में विकास को बधित करती है।
भारतीय नौवहन उद्योग की
चुनौतियां
ढांचागत चुनौतियां
- भारत के सभी बड़े और छोटे बंदरगाहों की क्षमता में कमी।
- अन्य देशों में ट्रांसशिपमेंट पॉइंट्स होना।
- भारतीय कार्गो द्वारा लिया जाने वाला अधिक समय ।
- बंदरगाहों को जोड़नेवाले सड़क नेटवर्क, बिजली और समग्र ढांचागत विकास की कमी ।
- शिपिंग सेवाओं की मांग में वृद्धि के कारण जहाजों के बढ़ते आकार के
परिप्रेक्ष्य में बंदरगाहों का आकार, सविधाओं का नहीं बढ़ना।
- 2019 के बाद से नए कंटेनरों के उत्पादन में आयी गिरावट ।
संस्थागत चुनौतियां
- कठोर भारतीय नौकरशाही केंद्र, राज्य और स्थानीय सरकारों की भागीदारी में असंतुलन।
- सिंगल विंडो क्लीयरेंस सिस्टम की कमी ।
- शिपिंग कंपनियों की शिपमेंट प्रक्रिया सुस्त होने के कारण शिपिंग समय और श्रमबल की बर्बादी ।
वित्तीय चुनौतियां
- भारतीय शिपिंग कंपनियों हेतु सरकारी योजनाओं तक पहुंच का अभाव ।
- सीमा शुल्क, लैंडिंग शुल्क,
आयकर जैसे करों का बिना किसी छूट के भारी बोझ ।
शिपिंग उद्योग को बढ़ावा
देने हेतु सरकार के प्रयास
सागरमाला कार्यक्रम
- सागरमाला कार्यक्रम भारत की 7500 किलोमीटर लंबी तटरेखा और 14,500 किलोमीटर संभावित जलमार्ग क्षमता का उपयोग करके देश में आर्थिक विकास को गति देना है।
- भारत के बंदरगाहों का आधुनिकीकरण एवं विकास को बढ़ावा देने के लिए जहाजरानी मंत्रालय द्वारा सागरमाला परियोजना का संचालन किया जा रहा है जिसका मुख्य उद्देश्य निर्यात, आयात तथा घरेलू व्यापार हेतु रसद लागत को कम करना है।
- वर्तमान में कुल 802 परियोजनाएं सागरमामाला कार्यक्रम का हिस्सा है जिनमें 181 परियोजनाएं पूरी हो चुकी है तथा 398 परियोजनाएं कार्यान्वयन के विभिन्न चरण में है।
- सागरमाला परियोजनाओं में बंदरगाहों का आधुनिकीकरण, नए बंदरगाह का विकास, कनेक्टिविटी में वृद्धि, बंदरगाह के नेतृत्व वाले औद्योगिकरण, तटीय सामुदायिक विकास, अंतर्देशीय जल परिवहन इत्यादि शामिल है।
- इस कार्यक्रम द्वारा बंदरगाहों का आधुनिककरण कर उन्हें विश्व स्तरीय बंदरगाहों
में बदलना, औद्योगिक
समूहों और बन्दरगाहों के भीतरी इलाकों के विकास को एकीकृत कर सड़क, रेल, अंतर्देशीय और तटीय जलमार्गों के माध्यम से कुशल
निकासी प्रणाली के द्वारा एकीकृत करना है।
प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण
अधिनियम 2021
- इस अधिनियम को 2021 में सरकार द्वारा अधिसूचित किया गया इसका उद्देश्य निर्णयन की प्रक्रिया का विकेंद्रीकरण करने और प्रमुख बंदरगाह के शासन को उत्कृष्ट के साथ साथ भारत में प्रमुख बंदरगाहों के विनियमन, संचालन और योजना का प्रावधान करता है।
- 2024 तक जहाज पुनर्चक्रण क्षमता को दोगुना करने का लक्ष्य जिससे भारत में लगभग 1.5 लाख रोजगार के अतिरिक्त अवसर सृजित होने की अपेक्षा है।
नौवहन के लिए समुद्री सहायता विधेयक 2021
- नौवहन क्षेत्र में वैश्विक सर्वोत्तम
प्रथाओं,
तकनीकी विकास और भारत के अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों के निर्वहन हेतु।
ड्राफ्ट इंडियन पोर्ट्स बिल 2021
- राज्य सरकारों द्वारा प्रबंधित किये जा रहे छोटे बंदरगाहों के प्रशासन को केंद्रीकृत करने के उद्देश्य से लाया गया बिल।
इनलैंड वेसल्स बिल 2021
- विभिन्न राज्यों द्वारा बनाए गए विभिन्न नियमावली के स्थान पर एक देश एक कानून का प्रावधान ।
अंतर्देशीय पोत अधिनियम 2021
- 100 वर्ष से अधिक पुरानी अंतर्देशीय अधिनियम 1917 को प्रतिस्थापित करते हुए अंतर्देशीय पोत अधिनियम 2021 को लाया गया जिसके माध्यम से भारत में अंतर्देशीय जल परिवहन क्षेत्र में नए युग की शुरुआत की गई।
- इस अधिनियम का उद्देश्य अंतर्देशीय जल के माध्यम से
किफायती,
सुरक्षित परिवहन और व्यापार को बढ़ावा देना है । यह अंतर्देशीय जल
परिवहन के प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करेगा और व्यापार करने
में आसानी को बढ़ावा देगा।
- राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या1 की
नौवहन क्षमता में वृद्धि की जा रही है ताकि बड़े जहाजों की आवाजाही को सक्षम बनाए
जा सके । इसके तहत वाराणसी, साहिबगंज,
हल्दिया में मल्टी मोडल टर्मिनल का
निर्माण किया जा रहा है।
मैरीटाइम इंडिया विजन
2030
- वैश्विक समुद्री क्षेत्र में भारत को
आगे ले जाने हेतु मैरीटाइम इंडिया विजन 2030 जारी किया गया । यह बंदरगाह
परियोजनाओं में 3 लाख करोड़ रुपये के निवेश की परिकल्पना
करता है जिससे 20 लाख रोजगार के अवसर सृजित होंगे।
- इसका उद्देश्य विश्व स्तरीय मेगा पोर्ट, ट्रांस
शिपमेंट हब विकसित करना, बुनियादी ढांचे का आधुनिकीकरण सुनिश्चित
करना है। इसके माध्यम से 2020 में भारतीय बंदरगाहों पर भारतीय कार्गो के ट्रांसशिपमेंट वॉल्यूम की
क्षमता 25% से बढ़ाकर 2030 तक 75%
करने की है।
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