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Mar 26, 2023

अमेरिका की हिंद प्रशात रणनीति -भारत एवं अमेरिका सहयोग

 अमेरिका की हिंद प्रशात रणनीति -भारत एवं अमेरिका सहयोग 

प्रश्‍न –वर्तमान अंतर्राष्‍ट्रीय परिप्रेक्ष्‍य में अमेरिका की हिंद प्रशात रणनीति के अलावा ऐसे अनेक क्षेत्र है जहां अमेरिका तथा भारत एक दूसरे का सहयोग कर अपने हितों की पूरा कर सकत है । चर्चा करें ।

 

भारत और अमेरिका कई संदर्भों में असमानता के बावजूद कुछ मामलों जैसे औपनिवेशिक सत्ता के विरुद्ध संघर्ष कर स्वतंत्रता की प्राप्त, लोकतांत्रिक शासन प्रणाली आदि में समानता रखते हैं तथा एक दूसरे का सहयोग करते हैं। फरवरी 2022 में अमेरिका द्वारा घोषित हिंद प्रशात रणनीति इसी सहयोग की दिशा में एक कदम माना जा सकता है जिसमें अमेरिका ने भारत को समान विचारधारा वाला साझेदार बताते हुए सुरक्षा प्रदाता के रूप में भारत की भूमिका का समर्थन करने पर ध्यान केंद्रित किया है ।

 

उल्‍लेखनीय है कि हिन्‍द प्रशात रणनीति हिंद प्रशांत क्षेत्र में विद्यमान चुनौतियों से निपटने हेतु सामूहिक क्षमता के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करता है तथा चीन द्वारा उत्पन्न चुनौतियों, अमेरिकी संबंधों को आगे बढ़ाने, भारत के साथ 'प्रमुख रक्षा साझेदारी' विकसित करने की बात करता है ।  इस प्रकार ये रिपोर्ट हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका की स्थिति को मज़बूत करने और इस प्रक्रिया में भारत की मज़बूती के साथ क्षेत्रीय नेतृत्व का समर्थन करने की बात करती है।

 

निश्चित ही इस रिपोर्ट के माध्‍यम से अमेरिका तथा भारत एक दूसरे का सहयोग कर एक मुक्त एवं खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र को बनाए रखने के विचार पर  काम करते हैं जो दोनों के हितों के लिए  महत्‍वपूर्ण है फिर भी वर्तमान विश्‍व में जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, संरक्षणवाद, संयुक्‍त राष्‍ट्र में सुधार, आर्थिक सहयोग सहित कई प्राथमिकता वाले मुदें के साथ साथ कई क्षेत्र है जिन पर दोनों देश एक दूसरें से साथ सहयोग कर सकते हैं ।

 

अमेरिका के लिए भारत के सहयोग के क्षेत्र  

  • अमेरिकी की राष्ट्रीय नीति की आवश्यकता ।
  • विश्व में भारत का बढ़ता महत्व।
  • हिंद प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता एवं नेतृत्व हेतु।
  • भारत के बढ़ते बाजार, व्यवसायिक संबंध स्थापित करने में।
  • सैन्य सुविधाओं के नए विकल्प के रूप में।
  • अफगानिस्तान में स्थिरता लाने हेतु समन्वय।

 

 

भारत के लिए अमेरिका के सहयोग के क्षेत्र 

  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता हेतु।
  • भारत के चीन के साथ विभिन्न विवादित मुद्दों पर वार्ता एवं अंतर्राष्‍ट्रीय चर्चा हेतु ।  
  • चीन की साम्राज्यावादी नीति तथा बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने में । 
  • अंतर्राष्ट्रीय संगठन जैसे NSG, UN की स्थायी सदस्यता हेतु।   

 

उपरोक्‍त से स्‍पष्‍ट है कि चीन की साम्राज्‍यवादी शक्तियों को रोकने तथा हिंद प्रशांत क्षेत्र में शांति स्‍थापना के अलावा भी कई क्षेत्र है जहां दोनों देश एक दूसरे का सहयोग कर सकते हैं । अमेरिका तथा भारत के मध्य कुछ व्यापरिक विवादों को छोड़कर वर्तमान में दोनों देशों में कोई टकराव नहीं है तथा पिछले  कुछ वषों में देखा जाए तो दोनों देशों ने अनेक क्षेत्रों में अमेरिका ने प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष अपनी नीतियों में भारत को विशेष महत्व दिया है ।

 

वर्तमान संदर्भ में वैश्विक महामारी के बीच भारत-अमेरिका संबंध में ओर मजबूती आयी है। कोविड के विरुद्ध टीका तैयार करने से लेकर हिंद-प्रशांत की सुरक्षा तक दोनों देशों ने रणनीतिक साझेदारी को मजबूत बनाने के लिए मिलकर काम किया है। भारत और अमेरिका विश्‍व के 2 महत्‍वपूर्ण देश है जिसके संबंधों का पूरा असर विश्‍व पर पड़ता है अत: दोनों देशों में सहयोग वैश्विक हित में होगा।


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