बिहार में उद्योग के प्रोत्साहन हेतु योजनाएं/नीतियां
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम
बिहार
में प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तीन कियान्वयक अभिकरण है
- खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग
- खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड
- जिला उद्योग केंद्र
- बिहार सरकार ने खादी संस्थाओं में गुणवत्तामूलक सुधार के जरिए खादी एवं ग्रामोद्योग उत्पादों जैसे वस्त्र और परिधानों को बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाने हेतु निम्न उपाय किए हैं
- वर्ष
2020-21 में
15 खादी संस्थाओं/समितियों को 270 कटिया
चरखे दिए गए।
- बिहार
सरकार द्वारा 29
संस्थाओं को उनकी वित्तीय स्थिति में सुधार हेतु कार्यशील पूंजी
उपलब्ध कराई गई।
- खादी क्षेत्र के विकास एवं उत्पाद की गुणवत्ता बढ़ाने हेतु एक परियोजना अनुश्रवण अभिकरण की नियुक्ति की गई।
- कुशलतापूर्वक
वित्तीय लेखाकरण हेतु राज्य की 41 खादी संस्थाओं/समितियों को
लैपटॉप और टेली सॉफ्टवेयर उपलब्ध कराए गए तथा आवश्यक प्रशिक्षण दिया गया।
- खादी बोर्ड द्वारा परियोजना अनुश्रवण अभिकरण के साथ मिलकर चलाए जा रहे खादी मॉल में वस्तु सूची प्रबंधन प्रणाली का उपयोग शुरू किया गया।
बिहार में औद्योगिक प्रोत्साहन
- बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति
2016 लाए जाने के बाद
बिहार धीरे धीरे विनिर्माण और सेवा इकाइयों में निवेश हेतु निवेशकों के लिए
महत्वपूर्ण गंतव्य बनता जा रहा है। यदि ऐसा सकारात्मक रुझान जारी रहा तो आने वाले
वर्षों में बिहार के औद्योगिक क्षेत्र का काफी विस्तार देखा जा सकेगा
- अप्रैल 2017 से दिसंबर 2021
तक राज्य सरकार को 1918 निवेश प्रस्ताव
प्राप्त हुए हैं जिनमें से 342 इकाइयां चालू है और इसके
माध्यम से 10,819 लोगों को रोजगार प्राप्त हुआ है।
- बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति
2016 के तहत नई प्रवेश करने वालों को भी अनुदान देने
का प्रावधान किया गया है और अप्रैल 2017 से दिसंबर 2021
के बीच पात्र औद्योगिक इकाइयों को 252.97 करोड़ का अनुदान वितरित किया गया।
- बिहार में निवेशकों की दिलचस्पी मुख्य
रूप से तीन प्रकार के उद्योगों ईथेनॉल, खाद्य प्रसंस्करण और नवीकरणीय ऊर्जा में रही ।
- दिसंबर 2021 तक इथेनॉल क्षेत्र
में 32454.16 करोड़ रुपए
निवेश की 159 इकाइयों को प्रथम चरण की स्वीकृति मिली जो
बिहार में कुल निवेश का 57% है।
- बिहार के औद्योगिक क्षेत्र में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र का वर्चस्व बना हुआ है । बिहार में चालू इकाइयों में निवेशित कुल निवेश का 40.1% खाद्य प्रसंस्करण में निवेश हुआ तथा खाद्य प्रसंस्करण के अलावा चालू इकाइयों में कुल निवेश का 20.5% चालू सीमेंट कंपनियों में किया गया।
बिहार सरकार के कृषि विभाग की बिहार बागवानी विकास समिति को
नीति के क्रियान्वयन और अनुश्रवण हेतु नोडल अभिकरण बनाया गया है। बिहार कृषि निवेश
प्रोत्साहन नीति 2020
के तहत मखाना, फल सब्जी, शहद, औषधि, सुगंधित पौधे, मक्का,
चाय और बीज जैसे उद्योगों को प्रोत्साहन राशि दी गई । बिहार कृषि
निवेश प्रोत्साहन नीति 2020 का लक्ष्य निम्नलिखित उद्देश्यों
की प्राप्ति है ।
- वित्तीय सहायता और सक्षमकारी वातावरण के माध्यम से बिहार में कृषि व्यवसाय क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहित और सुगम करना ।
- प्रसंस्करण का स्तर बढ़ाना, बर्बादी में कमी
लाना तथा मूल्यवर्धन और निर्यात को बढ़ावा देना जिससे कृषि प्रसंस्करण क्षेत्र में
समग्र विकास ।
- राज्य में कृषि के चिन्हित क्षेत्रों में नई कृषि प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना ।
- बिहार में विद्यमान कृषि प्रसंस्करण इकाइयों का तकनीकी उन्नयन और विस्तार हेतु वित्तीय सहायता ।
- उत्पादों के बेहतर प्रसंस्करण के जरिए बेहतर प्रतिफल के द्वारा किसानों की आय बढ़ाना ।
- कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा देकर रोजगार के अवसर पैदा करना ।
ऑक्सीजन उत्पादन प्रोत्साहन नीति 2021
कोविड-19 संकट ने बिहार की स्वास्थ्य
अधिसंरचना पर भारी दबाव बनाया। महामारी के दौरान कोविड
संक्रमित रोगियों के इलाज के लिए चिकित्सीय ऑक्सीजन के अपूर्ति उसकी मांग की
अपेक्षा कम रही। अतः बिहार सरकार ने चिकित्सा प्रयोजन के लिए ऑक्सीजन के उत्पादन
बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित करते हुए ऑक्सीजन उत्पादन प्रोत्साहन नीति 2021
को अपनाया
इस नीति के तहत तरल चिकित्सीय ऑक्सीजन, चिकित्सीय ऑक्सीजन निर्माण, भंडारण टंकी, सिलेंडर निर्माण, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और सहायक उपकरणों तथा ऑक्सीजन संबंधी लॉजिस्टिक इकाइयों को प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा ।
ऑक्सीजन
उत्पादन प्रोत्साहन नीति 2021 का प्रमुख उद्देश्य
- कोविड-19 महामारी के कारण
उत्पन्न स्वास्थ्य संकट से मुकाबला हेतु जारी प्रयासों में सहयोग देने हेतु बिहार
में ऑक्सीजन का उत्पादन बढ़ाना।
- बिहार में चिकित्सीय और औद्योगिक ऑक्सीजन विनिर्माण इकाइयों को वित्तीय सहयोग देना एवं अनुकूल नीति द्वारा निवेश को प्रोत्साहन।
- राज्य में ऑक्सीजन उत्पादन के लिए पर्याप्त स्थानीय क्षमता तैयार करना और अन्य राज्यों पर निर्भरता कम करना।
- ऑक्सीजन विनिर्माण क्षेत्र में स्थानीय स्तर पर कुशल जनशक्ति और रोजगार के अवसर पैदा करना
- ऑक्सीजन उत्पादन को बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति 2016 में उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्र में रखा गया है ।
खनन एवं उत्खनन
झारखंड के अलग
हो जाने के बाद बिहार में गौण खनिज रह गए है फिर भी इन खनिजों जैसे बालू, पत्थर, ईट निर्माण ने राज्य सरकार की आय में अच्छा-खासा योगदान
दिया है इसके अलावा रोजगार में भी इनकी महत्वपूर्ण भूमिका है।
बिहार
में खनन के क्षेत्र में सरकार के प्रयास
- नदी बालू के
निकासी के बेहतर नियमन और पर्यावरण सुरक्षा हेतु राज्य सरकार द्वारा बालू नीति 2013 के स्थान पर बालू
खनन नीति 2019 लाया गया ।
- खनन क्षेत्र के कायाकल्प हेतु राज्य सरकार द्वारा जिला खनिज कोष का गठन।
- वर्ष 2016-17 से वर्ष 2020
21 के बीच खनिज के माध्यम से राज्य सरकार का राजस्व संग्रह 172%
की वृद्धि दर्शाता है।
- वर्ष 2020-21 में खनिज उत्खनन
के माध्यम से राजस्व संग्रह निर्धारित लक्ष्य का
106.8% रहा जो खान एवं भूतत्व विभाग की
कुशल कामकाज को दर्शाता है।
- बिहार में खनिजों के अवैध खनन और परिवहन को रोकने हेतु प्रत्येक जिले में कार्यबल गठित किया गया है।
- खनिजों के अवैध खनन और परिवहन को रोकने हेतु वर्ष 2020-21 में विभिन्न स्थानों पर 14,444 छापे डाले गए, 1293 प्राथमिकी दर्ज की गई और 988 लोगों को गिरफ्तार किया गया और इस प्रक्रिया में राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2019-20 की अपेक्षा वर्ष 2020- 21 में 31.1% अधिक जुर्माना वसूल किया गया।
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