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Mar 5, 2023

बिहार में कृषि एवं सहवर्ती क्षेत्र विकास एवं उससे संबंधित योजना

 

बिहार में कृषि एवं सहवर्ती क्षेत्र विकास एवं उससे संबंधित योजना

आप सभी का स्‍वागत है । बिहार लोक सेवा आयोग की मुख्‍य परीक्षा हेतु यह लेख महत्‍वपूर्ण है जो बिहार आर्थिक समीक्षा पर आधारित है। इसी प्रकार के अन्‍य लेख आप इस वेवसाइट पर देख सकते हैं । यदि आप हमारे लेखों को नोटस के रूप में प्राप्‍त करना चाहते हैं तो 74704-95829 पर कॉल कर आर्डर कर सकते हैं ।  

कोविड 19 की महामारी की स्थिति में मजबूत कृषि एवं सहवर्ती क्षेत्र से बिहार की अर्थव्यवस्था को मदद मिला है । पिछले 5 वर्षों में देखा जाए तो कृषि एवं सहवर्ती क्षेत्र का योगदान लगभग 20% पर अपरिवर्तित रहा है ।

कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन के बावजूद बिहार में कृषि क्षेत्र में जबरदस्त प्रदर्शन किया है ।अतः कृषि और  सहवर्ती क्षेत्र का विकास बिहार के विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है जो अर्थव्यवस्था में वृद्धि दर बनाने, रोजगार पैदा करने और गरीबी घटाने में योगदान करती है।  

  1. वर्ष 2016-17 से वर्ष 2020-21 के 5 वर्षों में प्राथमिक क्षेत्र  2.1% की वार्षिक दर से बढ़ा है ।
  2. प्राथमिक क्षेत्र के अंतर्गत फसल, पशुधन, वाणिकीकाष्ठ उत्पादन, मत्स्याखेट एवं जल कृषि शामिल होते हैं ।
  3. प्राथमिक क्षेत्र में पशुधन और मत्स्य पालन बिहार की कृषि की वृद्धि दर को तेज करने वाले दो सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र है और गत 5 वर्षों में दोनों क्षेत्रों में क्रमशः 10% और 7% की दर से वृद्धि हुई है ।
  4. वर्ष 2020-21 में बिहार के कृषि संबंधी सकल राज्य घरेलू उत्पाद में फसल क्षेत्र के 48.7% के बाद सबसे ज्यादा हिस्सा पशुधन का 34.7% रहा जो बिहार में पशुधन के महत्व को इंगित करता है।

भूमि संसाधन

  • बिहार के  भूमि उपयोग पैटर्न में विगत कुछ वर्षों के दौरान कोई विशेष बदलाव नहीं आया है ।  बिहार का कुल भौगोलिक क्षेत्र 94 लाख  हेक्टेयर है जिसमें 6.6% वन क्षेत्र है । बढ़ती आबादीकृषि तथा कृषितर  प्रयोजन के कारण भूमि पर दबाव बढ़ रहा है जो राज्य के भूमि उपयोग पैटर्न में परिलक्षित होता है


बिहार में  कृषि विभाग की महत्वपूर्ण पहलकदमियां

  • कृषि रोड मैप-3 (2017-22) के तहत किसानों को समय से लागत सामग्रियां उपलब्ध कराने हेतु राज्य में  अनेक रणनीतियों  को अपनाया जा रहा है।

बीज वितरण

  • फसलों की अधिक उपज देने वाले प्रभेदो और शंकर प्रभेदों के उपयोग को बढ़ावा देने हेतु मुख्यमंत्री त्वरित बीज कार्यक्रम का क्रियान्वयन  बिहार के सभी राजस्व ग्रामों में किया जा रहा है।
  • कोविड-19 महामारी के बीच कृषि विभाग द्वारा किसानों के घर बीज पहुंचाने के लिए नई पहल की शुरुआत की गयी ।
  • बिहार में दलहन और तिलहन का उत्पादन मांग से कम होने के कारण इसके उत्पादन को बढ़ाने हेतु कृषि रोडमैप 3 में दलहन और तिलहन के बीज प्रतिस्थापन दरों को बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है ।

जैविक पट्टी

  • बिहार सरकार द्वारा 13 जिलों की एक जैविक पट्टी का विकास किया जा रहा है।
  • जैविक उत्पादन में लगे किसानों को सहायता देने हेतु बिहार सरकार द्वारा जैविक मिशन की स्थापना की गई है तथा अभी तक 188 कृषक उत्पादक संगठन गठित हो चुके हैं।
  • बिहार में 17 हजार एकड़ से अधिक फसल क्षेत्र को जैविक C-प्रमाण पत्र जारी किया गया है।

बागवानी विकास 

  • बागवानी के प्रोत्साहन हेतु समेकित बागवानी विकास मिशन को 13 जिलों में और इसी तर्ज पर मुख्यमंत्री बागवानी विकास योजना को 15 जिलों में क्रियान्वयन किया जा रहा है।
  • शहरी क्षेत्र में छत पर बागवानी उत्पादन हेतु 50% का अनुदान दिया जा रहा है।
  • बिहार में विशेष उद्यानिक उत्पाद योजना का क्रियान्वयन संकुल आधारित बागवानी उत्पादन हेतु किया जा रहा है जिसके तहत किसी जिले हेतु एक फसल का चयन कर उत्पादन से लेकर विपणन तक के कार्यों हेतु कृषक उत्पादक संगठनों का गठन किया गया है।
  • राज्य सरकार द्वारा बुनियादी अवसंरचना के निर्माण हेतु कृषक उत्पादक संगठनों को 90% सब्सिडी उपलब्ध कराई जा रही है।
  • नई प्रौद्योगिकियों  के माध्यम से मखाना का उत्पादन बढ़ाने हेतु विशेष मखाना विकास कार्यक्रम का क्रियान्वयन किया जा रहा है ।
  • जल के किफायती प्रयोग को बढ़ावा देने हेतु बिहार सरकार द्वारा ड्रिप सिंचाई और माइक्रो स्प्रिंकलर प्रणालियों पर 90% की सब्सिडी दी जा रही है ।
  • कृषि विभाग द्वारा सब्जियों के लिए चंडी और फलों के लिए देशरी में 2 उत्कृष्टता केन्द्रों की स्थापना की गयी है।
  • विदेशी गंतव्य स्थलों को कृषि सामग्रियों का निर्यात करने हेतु पटना से पादप स्वच्छता प्रमाण पत्र जारी करने का प्रावधान किया गया है।
  • वर्ष 2021 में दुबई और लंदन के बाजारों में शाही लीची ओर जर्दालू आम का निर्यात किया गया।

कृषि अनुसंधान और शिक्षा

बिहार सरकार द्वारा वर्ष 2021 में 3 नए कृषि महाविद्यालय को स्वीकृति दी गई ।

  1. कृषि अभियंत्रण महाविद्यालय, आरा
  2. कृषि व्यवसाय प्रबंधन महाविद्यालय, पटना
  3. कृषि जैव प्रौद्योगिकी महाविद्यालय, सबौर

  • बिहार कृषि विश्वविद्यालय द्वारा नई कृषि प्रौद्योगिकियों के माध्यम से जनजातीय किसानों की आजीविका संबंधी सुरक्षा पर आधारित  उम्मेद नाम से बनाई गई फिल्म को वर्ष 2021 के राष्ट्रीय फिल्म उत्सव में राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुआ ।

फसल अवशिष्ट प्रबंधन

  • फसलों की ठूंठ जलाने से पर्यावरण प्रदूषित होता है और इसके प्रति जागरूकता हेतु किसान चौपाल, रेडियो जिंगल्स, विद्यालय, समाचारपत्र आदि के माध्यम से विज्ञापन द्वारा जागरूकता कार्यक्रम आरंभ किया गया है ।
  • बिहार सरकार द्वारा फसलों की ठूंठ के प्रबंधन में उपयोगी कृषि यंत्रों पर 80% तक सब्सिडी देने संबंधी पहल को वर्ष 2021 में मगध और पटना प्रमंडल के जिलों में क्रियान्वित किया जा रहा है।
  • जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के तहत फसलों की ठूंठ प्रबंधन हेतु उपयुक्त मशीन के माध्यम से पुआल के प्रबंधन कर जलने से बचाया जा रहा है और किसानों को पुआल की अच्छी कीमत भी मिल रही है ।
  • बिहार के 11 कृषि विकास  केंद्रों में  जैव कोयला उत्पादन की नई पहल आरंभ की गई है । इन केंद्रों में फसलों की  ठूंठ को कार्बन बहुल जैव उर्वरक पदार्थ में बदल दिया जाता है जिसके कारण वातावरण में हरित गैसों के उत्सर्जन से बचाव होता है।

डिजिटल कृषि 

  • बिहार सरकार के कृषि विभाग के प्रत्यक्ष लाभ अंतरण पोर्टल पर 1.80  करोड़ से अधिक किसान निबंधित हो चुके हैं जिनको सब्सिडी, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि जैसे कार्यक्रमों और योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है।
  • कृषि  में  डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने हेतु कृषि विभाग द्वारा बिहान नामक एंड्राइड ऐप की शुरुआत की गयी है 

कृषि विपणन का विकास

  • बिहार सरकार द्वारा 2006 में तत्कालीन कृषि उत्पादन बाजार समिति अधिनियम को निरस्त कर बाजार प्रांगण की  संकल्पना को लाया गया  तथा इसके लिए बुनियादी संरचना का विकास किया गया ।
  • बिहार में बाजार के व्यवस्थित विकास हेतु राज्य सरकार द्वारा नए बावाज प्रमंडल का निर्माण ।

जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम

बिहार में जलवायु परिवर्तन से निपटने हेतु सरकार ने जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम आरंभ किया है जिसके दो घटक है

  1. जलवायु संबंधी वर्तमान और भावी जोखिमों से निपटने के लिए चलाने लायक योजना ।
  2. राज्य के सभी जिलों में जलवायु अनुकूल प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन ।

सितंबर 2019 में राज्य के 8 जिलों में एक मार्गदर्शी परियोजना शुरू की गई थी जिससे प्राप्त परिणामों के आधार पर वर्ष 2020 के रबी मौसम से राज्य के सभी 38 जिलों में जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम की स्वीकृति दी गई जिस की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं।

  • कृषि पंचांग के अनुसार फसलों के सही समय पर लगाने पर आधारित फसल प्रणाली शुरू करना ।
  • उन्नत जलवायु अनुकूल प्रभेद जो अच्छी गुणवत्ता वाले हो और फसल प्रणाली तथा फसल पंचांग के अनुकूल हो
  • जमीन की लेसर आधारित समतलीकरण और फसल लगाने की सर्वोत्तम विधियां जैसे जीरो टिलेज, रेज्ड बेडडीएसआरड्रम आधारित बुवाईपांत  बुवाई इत्यादि ।
  • जल, खरपतवारपोषण आदि  के प्रबंधन संबंधी सर्वोत्तम  व्यवहार ।
  • मिट्टी और जलवायु की उपलब्धि स्थितियों के अनुसार व्यवहारिक फसल विविधीकरण ।
  • कम और मध्यम अवधि के जलवायु अनुकूल फसल प्रभेद ।
  • हैप्पी सीडर, सुपर सीडर  और स्ट्रॉ  बेलर के जरिए फसल के अपशिष्ट का प्रबंधन 
  • जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के तहत फसलों की ठूंठ प्रबंधन हेतु उपयुक्त मशीन के माध्यम से पुआल के प्रबंधन कर जलने से बचाया जा रहा है और किसानों को पुआल की अच्छी कीमत भी मिल रही है ।
  • बिहार के 11 कृषि विकास  केंद्रों में  जैव कोयला उत्पादन की नई पहल आरंभ की गई है । इन केंद्रों में फसलों की  ठूंठ को कार्बन बहुल  जैव उर्वरक पदार्थ में बदल दिया जाता है जिसके कारण वातावरण में हरित गैसों के उत्सर्जन से बचाव होता है।

जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के उपरोक्त परिणामों के फलस्वरुप बिहार में फसलों की उत्पादकता  एवं कृषि की लाभप्रदता में जबरदस्त वृद्धि हुई है ।


कृषि लागत सामग्रियां

कृषि कार्य में बिजली खपत

  • बिहार में कृषि कार्य में ऊर्जा की खपत देखा जाए तो वर्ष 2016-17 की 39.39  करोड़ यूनिट बिजली की अपेक्षा  2020-21 में  124.37 करोड़ यूनिट खर्च हुई  जो 216% की वार्षिक वृद्धि दर दर्शाती है 
  • बिहार में वर्ष 2017-18 में कुल बिजली सब्सिडी 103.96 करोड़ रुपए थी जो वर्ष 2020-21 में  5 गुना से भी अधिक बढ़कर 615.67  करोड़ रुपए हो  गयी।

कृषि ऋण

  • बिहार में सभी ऋण सुविधाओं में किसान क्रेडिट कार्ड सबसे महत्वपूर्ण ऋण सुविधा है। वर्ष 2020-21 में किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से बिहार के 4.89  लाख किसान लाभान्वित हुए ।
  • बिहार सरकार द्वारा बिहार राज्य सब्जी प्रसंस्करण एवं विपणन नामक पहल के तहत किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए  322 सदस्यों को ऋण उपलब्ध कराए गए । इस योजना में सब्जी उत्पादकों को लाभप्रद मूल्य उपलब्ध कराने के साथ साथ उपभोक्ताओं को बाजार में कीमत के उतार-चढ़ाव से सुरक्षित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है 

भंडारण और भंडारगृह 

  • बिहार में 1962 से ही बिहार राज्य भंडारण निगम कृषि उत्पादों, बीजखाद उर्वरक आदि के भंडारण हेतु गोदाम उपलब्ध करा रहा है ।
  • सितंबर 2021 में बिहार में भंडारगृह की कुल क्षमता 5.8 लाख टन थी। वर्ष 2020-21 में सरकारी स्वामित्व वाले भंडारगृहों की उपयोग दक्षता 77.8% थी जबकि किराए पर लिए गए भंडारगृहों की उपयोगिता दर  शतप्रतिशत थी।
  • बिहार सरकार कॉम्फेड और कुछ अन्य प्राइवेट कंपनियों के साथ मिलकर सामान्य सुविधा केंद्रों की स्थापना पर निवेश कर रही है।
  • समेकित खाद्य प्रसंस्करण विकास योजना के तहत 3 शीतगृह और और 5 शुष्क भंडारगृह का निर्माण किया गया है।

सिंचाई

  • बिहार सरकार  द्वारा सिंचाई अवसंरचना में निवेश प्राथमिकता सूची में रहा है। वर्ष 2020-21 में सिंचाई के विकास पर कुल व्यय 2114.81  करोड़ किया गया।
  • बिहार में सकल सिंचित क्षेत्र वर्ष 2019-20 के अनुसार 54.35  लाख हेक्टेयर है। 
  • बिहार में कृषि कार्य हेतु सिंचाई का मुख्य साधन नलकूप और नहर है। बिहार में नलकूप के माध्यम से सकल सिंचित क्षेत्र का लगभग 63.9% हिस्से की सिंचाई होती है इसके बाद नहरों द्वारा 30.6% क्षेत्र की सिंचाई होती है।
  • बिहार  के जिलों में सकल सिंचित क्षेत्र का सबसे अधिक 3.72 लाख हेक्टेयर रोहतास में सबसे कम 0.26 लाख हेक्टेयर  शिवहर में है
  • बिहार की कृषिगत अर्थव्यवस्था मुख्यता वर्षा पर निर्भर है। इसी कारण सरकार सिंचाई की उपलब्धता में विशेषकर राज्य के सूखाग्रस्त क्षेत्रों में सुधार लागत लाने हेतु लगातार प्रयासरत है। इस संबंध में जल जीवन हरियाली योजना विशेष रूप से उल्लेखनीय है।

जल जीवन हरियाली योजना

जलवायु में तेजी से बदलाव के कारण बिहार जल संकट का सामना कर रहा है जो अपर्याप्त और कम वर्षा तथा भू-जल का स्तर क्रमश: गिरते जाने का परिणाम है । इस चुनौती से निपटने हेतु राज्य सरकार ने मिशन मोड में जल जीवन हरियाली अभियान के क्रियान्वयन का निर्णय लिया है । इस अभियान के तहत पारंपरिक जल स्रोतों के पुन:स्थापन, नए जल स्रोतों के निर्माण और वर्षा जल संग्रहण तथा भंडारण संरचनाओं के विकास की अनेक योजनाएं चलाई जा रही है। जल जीवन हरियाली अभियान के तहत सरकार द्वारा निम्नलिखित कार्य किए जा रहे हैं।

  • आहर या पाइन वाले क्षेत्र में 1 एकड़ से अधिक और तालाब/जल निकाय वाले क्षेत्रों में 5 एकड़ से अधिक क्षेत्रफल वाले सर्वजनिक जल भंडारण संरचनाओं को चिन्हित करके अतिक्रमण मुक्त कर उनका पुनःस्थापन करना।
  • छोटी नदी, नालों और पहाड़ी क्षेत्रों के जल ग्रहण क्षेत्र में चेकडैम और जल भंडारण संरचनाओं का निर्माण।
  • बिहार के वन क्षेत्र से भिन्न पठारी क्षेत्रों में जल निकायों के निर्माण हेतु और पहाड़ियों के तलहटी में चारों ओर गालैंड ट्रेच का निर्माण।
  • जल जीवन हरियाली अभियान के तहत 1663 योजनाएं स्वीकृत हुई है जिनमें 1355 योजनाएं पूरी हो चुकी है जिसके द्वारा 1.21  लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षमता  सर्जन हुई है।
  • इस अभियान के फलस्वरुप राज्य के लगभग सभी प्रखंडों में भूजल स्तर में वृद्धि देखी गई है । केंद्रीय भूजल बोर्ड द्वारा 2017 में जारी आंकड़ों के अनुसार राज्य के 102 प्रखंडों में जलस्तर में कमी देखी गई थी लेकिन 2020 के आंकड़ों में 63 प्रखंडों में ही कमी देखी गई 

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