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Mar 13, 2023

वर्तमान भारत की विदेश नीति एवं विशेषता

वर्तमान भारत की विदेश नीति एवं विशेषता

प्रश्‍न – भारतीय विदेश नीति की सबसे खास विशेषता यह है कि इसमें पूर्व की सभी नीतियों की अपेक्षा जोखिम लेने की प्रवृत्ति सबसे अधिक है । टिप्‍पणी करें ।

विदेश नीति एक प्रकार का ढाँचा होता है जिसका घरेलू राजनीति, अन्य देशों की नीतियों अथवा व्यवहार एवं विशिष्ट भू-राजनीतिक परिदृश्यों से संबंध होता है।

 

स्‍वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत ने तत्‍कालीन विश्‍व की स्थितियों को देखते हुए स्‍वतंत्र विदेश नीति को अपनाया तथा जब विश्‍व दो गुटों में बंटा था तो भारत ने अपनी विदेश नीति में गुटनिरपेक्षता को अपनाया और महाशक्तियों के गुट से दूर रहकर किसी प्रकार के जोखिम लेने के बजाए देश के विकास पर ध्यान केन्द्रित करने हेतु अपनी विदेश नीति में काफी हद तक स्वतंत्रता को सुनिश्चित किया।

 

भारतीय विदेश नीति के मुख्य उद्देश्य

  • भारत की राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा करना ।
  • भारत को सभी प्रकार के पारंपरिक और गैर-पारंपरिक खतरों से बचाना ।
  • अन्य देशों में रह रहे भारतीय प्रवासियों को जोड़ना और उनके हितों की रक्षा करना ।
  • ऐसा जो भारत के समावेशी विकास हेतु अनुकूल वातावरण बनाना ।
  • वैश्विक मंचों पर भारत हित की आवाज़ उठाना ।

 

उपरोक्‍त उद्देश्‍यों के प्ररिप्रेक्ष्‍य में आजादी के कई वर्षों तक भारत अपनी विदेश नीति का संचालन करता रहा लेकिन पिछले कुछ वर्षों में देखा जाए तो भारत ने अपनी विदेश नीति में बदलाव के संकेत दिए जिसमें पूर्व की सभी नीतियों की अपेक्षा जोखिम लेने की प्रवृत्ति अधिक देखी जा सकती है जिसे भारत की वर्तमान विदेश नीति में आए बदलावों को निम्‍न उदाहरणों से समझा जा सकता है ।

 

सैन्य एवं आर्थिक सहयोग

  • एक ओर जहां हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव रोकने तथा अपनी स्थिति मजबूत करने हेतु भारत ने क्वाड् ग्रुप में शामिल होना उचित समझा वहीं दूसरी ओर अंतर्राष्ट्रीय नीतियों में संतुलन हेतु सिंगापुर नौसेना सहयोग, गोवा मेरीटाइम क्नक्लेव, द्विपक्षीय संबंधों आदि को बढ़ावा देना एक संतुलित प्रयास है। इसी प्रकार दक्षेस, आसियान, बिम्स्टेक, SCO आदि के साथ-2 पड़ोसी देशों जैसे चीन, बांग्ला देश, नेपाल, अफगनिस्तान आदि के साथ आर्थिक तथा सैन्य अभ्यास आदि इसी दिशा में सकारात्मक प्रयास है।
  • इस प्रकार भारत एक संतुलित विदेश नीति के साथ आगे बढ़ रहा है लेकिन क्‍वाड में शामिल होना चीन के प्रति जोखिम को बढ़ाता है 

 

भारतीय हितों एवं राष्ट्रीय सुरक्षा

  • डोकलाम में भारत की कार्रवाई और वर्ष 2016 में उरी आतंकी हमलों के बाद पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक, गलवान घाटी के बाद चीनी एप्स पर प्रतिबंध से भारत अपनी पुरानी सुरक्षात्मक नीति को बदलते हुए कुछ हद तक आक्रामक नीति की ओर अग्रसर हो रहा है।

 

अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में भारत की बढ़ती भूमिका

  • पिछले कुछ वर्षों में अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में भारत की भूमिका बढ़ी है। अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति, अफगनिस्तान नीति, क्वाड ग्रुप, ट्रायलेटर ग्रुप, UNO,  जी-20 आदि में जिस प्रकार से भारत को स्थान मिल रहा है वह विश्व राजनीति में भारत की बढ़ती महत्ता को दर्शाता है और यह प्रत्‍यक्ष अथवा अप्रत्‍यक्ष भारत को अपनी नीतियों में जोखिम लेने और भारत को वैश्विक स्‍तर पर महाशक्ति के रूप में स्‍थापित करने को प्रेरित करता है।

 

स्वतंत्र विदेश नीति एवं नए संबंध

  • राजनीति में न कोई स्थायी शत्रु होता है न कोई स्थायी मित्र। भारत इस तथ्य को समझता है तथा यही कारण है कि भारत संतुलन हेतु क्वाड ग्रुप के साथ-2 ट्रायलेटर ग्रुप में भी शमिल होने से परहेज नहीं है । अमेरिका तथा रूस, इजराइल एवं  फिलीस्तीन आदि मामले में भारतीय रुख उसके स्वतंत्र तथा संतुलित विदेश नीति को ही दर्शाता है।

 

वैश्विक मामलों पर सक्रिय भूमिका

  • पिछले कुछ वर्षों में भारत ने जिस प्रकार से राजनतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक रूप से विश्व में पहचान बनायी तथा जलवायु परिवर्तन, परमाणु ऊर्जा, आतंकवाद, कोरोना महामारी आदि मामले पर सक्रिय भूमिका निभायी है उससे विश्व भी भारतीय भूमिका की उपेक्षा नहीं कर सकता।
 

उपरोक्‍त तथ्‍यों के संदर्भ में समग्र रूप से देखा जाए तो स्‍पष्‍ट होता है कि भारत की वर्तमान विदेश नीति में पूर्व की सभी नीतियों की अपेक्षा जोखिम लेने की प्रवृत्ति सबसे अधिक है। आनेवाले समय में निःसंदेह विश्व राजनीति में भारत की भूमिका और बढ़ेगी तथा वैश्विक राजनीति और जटिल तथा अप्रत्यशित होंगी जिसमें अवसरों के साथ-साथ चुनौतियां भी होगी । अतः भारत को वैश्विक स्थिरता, शांति, और समृद्धि हेतु संतुलित भूमिका निभानी होगी । 

 

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