जलवायु परिवर्तन एवं संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद
हाल ही में आयरलैंड तथा
नाइजर द्वारा जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को
शक्ति प्रदान करने वाला प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया जिसमें यह आधार रखा गया कि जलवायु
परिवर्तन के फलस्वरूप हो रहे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर परिवर्तन जैसे प्रवासन जल संकट, खाद्यान्न, आवास तथा जीविका की कमी इत्यादि समस्याओं से विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में तनाव बढ़ेगा।
अतः इस क्षेत्र में संपूर्ण विश्व में सुरक्षा संबंधी मामलों में ध्यान देने वाले
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की महत्वपूर्ण भूमिका अपरिहार्य हो जाती है।
जलवायु परिवर्तन के संबंध में रखा गया यह प्रस्ताव भारत
तथा रूस के विरोध के कारण निरस्त हो गया। ऐसा पहली बार नहीं है बल्कि कुछ वर्ष पूर्व
यूरोपीय संघ के विभिन्न देशों द्वारा जर्मनी के नेतृत्व में जलवायु परिवर्तन चर्चाओं
पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के भूमिका की मांग की गई थी।
प्रस्ताव के विरोध में देशों का मत
- UNFCCC के पास जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में पर्याप्त शक्तियां है जिसके द्वारा इस मुद्दे को हल किया जा सकता है ।
- UNFCCC में जलवायु परिवर्तन संबंधी लिए गए निर्णय लोकतांत्रिक प्रक्रिया के आधार पर सर्वसम्मति से लिए जाते हैं जबकि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में केवल 5 देशों का ही विशेष महत्व है ।
- जलवायु परिवर्तन के मामले में विकसित तथा विकासशील देशों की अवधारणाओं में पर्याप्त अंतर है तथा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के वीटो सदस्य में विकसित देशों का दबदबा है। अतः यह संभव है कि जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भूमिका बढ़ाने से विकासशील देशों के साथ अन्याय की स्थिति उत्पन्न हो जाए ।
- जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में विशेषज्ञता नहीं है। अतः संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को इस संदर्भ में निर्णयन की भूमिका नहीं दी जा सकती ।
- उल्लेखनीय है कि सुरक्षा परिषद आतंकवाद, शरणार्थी संकट, मानवाधिकार हनन इत्यादि जैसे कई महत्वपूर्ण वैश्विक समस्याओं को देखता है ऐसे में सुरक्षा परिषद को जलवायु परिवर्तन में सम्मिलित करना उसकी क्षमता में गिरावट करेगा ।
- सुरक्षा परिषद में कई सदस्य अपनी निजी स्वार्थों के कारण वीटो का प्रयोग करते हैं अतः सुरक्षा परिषद में जलवायु परिवर्तन के जाने पर इस पर सहमति बनाना अत्यंत मुश्किल कार्य होगा ।
जलवायु परिवर्तन से वर्तमान में विश्व के सभी देश प्रभावित
हो रहे हैं। अतः इस संबंध में वैश्विक निर्णय में आपसी मतभेदों को भूलाकार लोकतांत्रिक
प्रक्रिया से समाधान करना होगा। UNFCCC जलवायु
परिवर्तन संबंधी समस्या
के निदान हेतु पर्याप्त सक्षम है। अतः यह बेहतर होगा कि UNFCC के मंच से ही जलवायु परिवर्तन
के संबंधी मामलों में निर्णय लिए जाए।
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