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May 2, 2023

बांग्‍लादेश-भूटान-भारत-नेपाल (BBIN ) मोटर वाहन समझौता

बांग्‍लादेश-भूटान-भारत-नेपाल मोटर वाहन समझौता

मार्च 2022 में भारत, बांग्लादेश और नेपाल ने बांग्‍लादेश-भूटान-भारत-नेपाल मोटर वाहन समझौते को लागू करने हेतु एक समझौता ज्ञापन को अंतिम रूप दिया गया ।  उल्‍लेखनीय है कि वर्ष 2015 में चारों देशों के मध्‍य यात्री, व्यक्तिगत और कार्गो वाहनों के यातायात के नियमन हेतु इस समझौते पर हस्ताक्षर किये गए थे लेकिन भूटान की पर्यावरण संबंधी चिंताओं के कारण यह अभी तक लंबित रहा ।

 

वर्ष 2017 में स्थिरता तथा पर्यावरण संबंधी चिंताओं को लेकर भूटान ने अस्थायी रूप से इससे बाहर रहने का निर्णय लिया । इसकी पुष्टि वर्ष 2020 में भूटान के प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए बयान से भी होती है जब उन्‍होंने कहा कि "वर्तमान बुनियादी ढाँचे और "कार्बन-नकारात्मक" देश बने रहने की भूटान की सर्वोच्च प्राथमिकता को देखते हुए उसके लिये मोटर वाहन समझौते में शामिल होने पर विचार करना संभव नहीं होगा।

 

इस प्रकार इस समझौते पर भूटान का समर्थन शेष है और मार्च 2022 में हुई वार्ता के अनुसार भारत, बांग्‍लादेश और नेपाल ने इस समझौते के साथ आगे बढ़ने का फैसला लिया ।

समझौते का लाभ

आर्थिक लाभ

  • भारत इसके माध्‍यम से अपने पूर्वोत्‍तर के आर्थिक केंद्रों जैसे अगरतला, गुवाहाटी शिलॉन्ग से बेहतर संपर्क की स्थिति में रहेगा वहीं बंदरगाहों के बीच कनेक्टिविटी बढ़ने से नेपाल को आर्थिक लाभ मिलेगा और चीन की बेल्‍ट एंड रोड पहल पर निर्भरता कम होगी।
  • इस क्षेत्र में व्‍यापार एवं परिवहन दक्षता में सुधार से लॉजिस्टिक प्रदर्शन सुचकांक में बेहतर होगा परिचालन लागत में कमी से जहां वस्‍तुओं के मूल्‍य में कमी आएगी तथा व्‍यापार सुगम होगा ।  

अवसंरचना विकास

  • इसमें जल संसाधनों का प्रबंधन, पावर ग्रिड कनेक्टिविटी, बहुआयामी परिवहन और सामान व परिवहन का मूलभूत ढांचा शामिल है जो इस क्षेत्र के बहुआयामी विकास को प्रोत्‍साहित करेगा।

क्षेत्रीय एकीकरण

  • दक्षिण एशिया में व्यापार और क्षेत्रीय एकीकरण को मज़बूती मिलेगी। जहां इसके सफल क्रियान्वयन द्वारा शामिल देशों के आपसी व्यापार में 60% और वैश्विक व्यापार में 30% वृद्धि की संभावना है।

सामाजिक एवं सांस्‍कृतिक सहयोग

  • इस समझौता से यात्रियों एवं वस्‍तुओं के आवागमन से इस क्षेत्र का सम्‍पूर्ण आर्थिक विकास होगा वहीं वहीं इस क्षेत्र में राजनीतिक तथा सांस्‍कृतिक सहयोग भी बढ़ेगा ।

आपदा एवं राहत कार्य

  • हिमालय जैसे संवेदनशील क्षेत्र में आपदा या सुरक्षा जोखिम की स्थिति में राहत एवं बचाव कार्यों में अनुक्रियाकर्ता के रूप में भारत तथा अन्‍य देशों की सहायता करेगा ।
  • इस समझौते से सड़क यातायात सुरक्षित, आर्थिक और पर्यावरण के दृष्टि से अनुकूल होगा


समझौते की चुनौतियां

  • एक महत्‍वपूर्ण भागीदार भूटान का इस समझौते से अलग रहना ।
  • सीमा शुल्‍क, टैरिफ, सीमा पर एकीकृत चेक पोस्‍ट की अनुपस्थिति ।
  • इस समझौते हेतु आवश्‍यक अवसंरचना ऊर्जा, सूचना, संचार की कमी ।
  • भौगौलिक बाधाएं जैसे नदी घाटियां, पर्वत एवं पर्यावरणीय समस्‍याएं।
  • पारिस्थिति रूप तथा आपदाओं हेतु संवेदनशील क्षेत्र होने के कारण आनेवाली समस्‍याएं ।
  • समझौते में शमिल सदस्‍य देशों के मध्‍य अनेक मुद्दों पर वैचारिक विभाजन । 

 

कोविड महामारी के बाद दक्षिण एशिया में आर्थिक विकास को गति देने, चीन की बेल्‍ट एंड रोड पहल की निर्भरता को कम करने के अलावा आसियान और पूर्वी एशियाई देशों तक बेहतर पहुंच देने में यह समझौता महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा सकता है । आर्थिक विकास एवं आपसी सहयोग को गति देने वाला यह समझौता भूटान के पीछे हटने के कारण लंबे समय से लंबित रहा है। अत: सभी शामिल देशें को इस परियोजना के महत्‍व देते हुए इसे शीघ्र पूरा करने की दिशा में कार्य किया जाना चाहिए ।

 

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