बिहार तथा सभी एकदिवसीय परीक्षाओं की तैयारी हेतु बेहतरीन मंच ।

May 23, 2023

बिहार की जाति आधारित राजनीति में जाति आधारित जनगणना

बिहार की जाति आधारित राजनीति में जाति आधारित जनगणना

प्रश्‍न- बिहार की जाति आधारित राजनीति में जाति आधारित जनगणना की भूमिका का मूल्‍यांकन कीजिए ।

 


बिहार की चुनावी राजनीति जाति के इर्द-गिर्द ही घूमती है तथा राजनीति में जीत की रणनीतियों को बनाने, गठबंधन करने, टिकटों का बंटवारा, उम्मीदवारों के चयन, चुनाव प्रचार हेतु नेताओं और क्षेत्र के चयन आदि में जातियों की प्रभावशाली भूमिका रहती है। हांला‍कि पिछले कुछ वर्षों से विकास एवं सुशासन ने जाति की भूमिका को कम किया है लेकिन अभी भी इसका आकर्षण कम नहीं हुआ है ।

 

उल्‍लेखनीय है कि बिहार में जातियों की वास्‍तविक संख्‍या का पता लगाने हेतु बिहार सरकार द्वारा 7 जनवरी 2023 से जातिगत जनगणना आंरभ की गयी । हांलाकि  पटना उच्‍च न्‍यायालय में दायर एक याचिका के बाद न्‍यायालय के आदेशानुसार जाति आधारित सर्वे को स्‍थगित कर दिया गया है । यदि जाति आधारित जनगणना पूरी हो जाती है और वह सार्वजनिक होती है तो बिहार की राजनीति में व्‍यापक बदलाव आ सकते हैं  जिसे निम्‍न प्रकार से समझा जा सकता है ।


बिहार लोक सेवा आयोग की मुख्‍य परीक्षा हेतु बिहार से संबंधित अन्‍य महत्‍वपूर्ण लेख को आप नीचे दिए गए लिंक के माध्‍यम से देख सकते हैं। 

  BPSC Mains टेलीग्राम ग्रुप से  67th BPSC में  चयनित अभ्‍यर्थी 


BPSC मुख्य परीक्षा के हमारे Telegram Practice Group में जुड़े और निरंतर अभ्यास द्वारा लेखन शैली का विकास करें।


बिहार विशेष महत्‍वपूर्ण प्रश्‍न-उत्‍तर हेतु यहां क्लिक करें


जाति आधारित जनगणना का बिहार की राजनीति पर प्रभाव

  • विभिन्न प्रभावशाली एवं बहुसंख्‍यक जातिगत आधार पर राजनीति दलों, एवं राजनीतिक गठबंधन की संख्‍या में वृद्धि की संभावना ।

  • बिहार की राजनीति में 80 के दशक जैसी ऊंची एवं निम्न जातियों के मध्य संघर्ष वाली स्थिति की संभावना जब पिछड़ी जातियों द्वारा अगड़ी जातियों को चुनौती दी गयी तथा राजनीति में अपनी विशेष स्थिति को प्राप्त किया गया।

  • बिहार में अभी जाति के बजाए सुशासन एवं विकास जैसे प्रभावी मद्दों पर राजनीतिक दल मतदाताओं को लुभा रहे हैं लेकिन इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि जनगणना संबंधी आंकड़े आने के बाद जातियों की संख्‍या एवं क्षेत्र के आधार पर वोट मांगे जाए।

  • इसी क्रम में चुनावों में राजनीति में उम्मीदवारों के चयन, जातीय मनोवृत्ति को उसकाना, जाति आधारित हिंसा में वृद्धि हो सकती है ।

  • जातिगत आधार पर नए नए राजनीतिक दल एवं राजनीतिक समीकरण बनने लगेगे। हांलाकि इससे वैसी पिछड़ी जातियां जिनकी संख्‍या अधिक है उनका राजनीतिक महत्‍व बढ़ेगा तथा सरकार निर्माण में उनकी प्रमुख भूमिका रहेगी ।   

  • नेताओं द्वारा स्वयं को किसी जाति विशेष या वर्ग विशेष का नेता बताकर लाभ भी उठाने का प्रयास किया जाएगा। इसके अलावा चुनावी गठजोड़, टिकट आवंटन इत्यादि में भी जाति को प्राथमिकता विशेष रूप से मिलने लगेगी ।  

  • बिहार में हुए 2020 के विधान सभा चुनाव में यह माना जा रहा था कि मतदाताओं का संपूर्ण वोट सुशासन एवं विकास की ओर जाएगा लेकिन इस चुनाव में भी प्रत्‍यक्ष-अप्रत्‍यक्ष रूप में जातिगत प्रभाव देखने में आया ।
 

निष्‍कर्ष

जाति बिहार की राजनीति में विशेष स्‍थान रखती है तथा समाज में आए बदलावों को समझने, उचित नीति निर्माण, समावेशी विकास लाने तथा वंचित वगों को विकास की धारा में शामिल करने हेतु उनकी वास्तविक स्थिति की जानकारी हेतु जातिगत जनगणना उचित कदम है लेकिन फिर भी चुनाव में जीत की रणनीतियों को बनाने, सत्‍ता प्राप्‍त करने, गठबंधन बनाने, टिकटों का बंटवारा, उम्मीदवारों के चयन, चुनाव प्रचार हेतु नेताओं और क्षेत्र के चयन आदि में जातियों की भूमिका पुन: एक बार बढ़ने की संभावना है ।

कृपया ध्‍यान दें 

  • 69वी मुख्‍य परीक्षा को ध्‍यान में रखते हुए यह प्रश्‍न 20 मई 2023 से प्रतिदिन संचालित मुख्‍य परीक्षा सीरीज में दिया गया है जिसका मॉडल उत्‍तर GK BUCKET टीम द्वारा उपलब्‍ध कराया जा रहा है ।
  • इस प्रश्‍न के उत्‍तर में यदि आपको लगता है कि सुधार आपेक्षित है तो आप अपने अनुसार उत्‍तर में सुधार कर बेहतर उत्‍तर लिख सकते हैं । इस ग्रुप में हमारा प्रयास केवल आपको मार्गदर्शन करना है। 
  • BPSC Mains Answer Writing Group में जुड़ने के लिए व्‍हाटसएप/कॉल करें 74704-95829 



69th BPSC Mains Answer writing Telegram Group only Rs. 2250/-

68th BPSC मुख्‍य परीक्षा के अन्‍य मॉडल उत्‍तर देखने के लिए नीचे  क्लिक करें। 


No comments:

Post a Comment