बिहार की अर्थव्यवस्था एक अवलोकन
बिहार आर्थिक समीक्षा पर आधारित
हाल
के वर्षों में कोविड-19 महामारी का प्रबंधन संभवतः बिहार सरकार के लिए सबसे
चुनौतीपूर्ण कार्य था फिर भी सरकार द्वारा चतुर्दिक क्रियाकलापों को अपनाया गया और
प्रभावी ढंग से महामारी की चुनौतीयों का सामना किया
गया ।
- नियमित निगरानी एवं नियमित जांच ।
- संपर्क
का पता लगाना और रोक रखना ।
- कोविड-19 केंद्रों का सुचारू रूप से संचालन ।
- अधिसूचित
कोविड 19 अस्पतालों में रोगियों का इलाज ।
- कोविड-19 के लिए अतिरिक्त चिकित्साकर्मियों की बहाली ।
- कॉल
सेंटर के जरिए हेल्पलाइन सेवाएं ।
- टीकाकरण के माध्यम से बचाव एवं बीमारी के प्रतिरोध का विकास ।
बिहार की अर्थव्यवस्था
की वृद्धि
कोविड-19 की दूसरी लहर तथा लॉकडाउन के दौरान काफी अधिक आर्थिक प्रभाव पड़ा केंद्रीय सांख्यिकी संगठन द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार भारत में वर्ष 2020-21 में जीडीपी के रूप में मापे
जानेवाले राष्ट्रीय आर्थिक उत्पाद में 7.25% की कमी आयी
जबकि बिहार के सकल राज्य घरेलू उत्पाद में वद्धि दर 2.50% रही।
बिहार की अर्थव्यवस्था
में क्षेत्रगत वृद्धि दर
क्षेत्र |
बिहार |
भारत |
बिहार के संदर्भ में निष्कर्ष |
प्राथमिक क्षेत्र |
2.3% |
3.2% |
0.9%
की कमी |
द्वितीयक क्षेत्र |
6.4% |
4.0% |
2.4%
की वृद्धि |
तृतीयक क्षेत्र |
6.7% |
6.2% |
0.5%
की वृद्धि |
वर्ष 2012-13
से 2020-21 तक भारत और बिहार की अर्थव्यवस्था के
तीन प्रमुख क्षेत्र की औसत वृद्धि दर बिहार की अर्थव्यवस्था की समग्र वृद्धि की निम्न विशेषताओं को रेखांकित करती है
- कृषि हेतु प्राकृतिक
संसाधनों ऊर्वर भूमि, जल, श्रम आदि की पर्याप्त
मात्रा के बावजूद बिहार की प्राथमिक अर्थव्यवस्था केवल 2.3% वार्षिक
दर से बढ़ रही है जबकि संपूर्ण भारतीय अर्थव्यवस्था हेतु यह 3.2% है।
- बिहार की औद्यौगिक
अधिसंरचना बहुत ज्यादा मजबूत नहीं होन पर भी द्वितीयक क्षेत्र की वृद्धि दर
न्यूनतम 6.4% है जबकि
पूरे देश में इसका आंकड़ा 4.0% है।
- बिहार में काफी कम
प्रति व्यक्ति आय के बावजूद तृतीयक क्षेत्र की वृद्धि दर 6.7%
है जो भारत के 6.2% से अपेक्षाकृत ज्यादा है ।
बिहार की अर्थव्यवस्था में हाल के ऊंची वृद्धि दर दर्शाने में
निम्न क्षेत्रों का सर्वाधिक योगदान है
- पशुधन
- रेलवे
तथा पथ परिवहन, भंडारण,
- विद्युत, गैस, जलापूर्ति एवं अन्य
उपयोगी सेवाएं
- वित्तीय सेवाएं
- संचार एवं प्रसारण संबंधी सेवाएं
- लोक प्रशासन
उपरोक्त
चित्र के अनुसार बिहार की अर्थव्यवस्था में वर्ष 2016-17 और 2020-21
के सकल राजकीय मूल्यवर्धन में तीनों प्रमुख
क्षेत्रों पर विचार करने से निम्नलखित बातें स्पष्ट होती है।
वर्ष 2016-17 और
2020-21 के सकल राजकीय मूल्यवर्धन का प्रतिशत में
क्षेत्रगत वितरण |
|||
क्षेत्र |
2020-21 |
2016-17 |
निष्कर्ष |
प्राथमिक क्षेत्र |
19.2% |
22.1% |
कमी |
द्वितीयक क्षेत्र |
19.5% |
20.6% |
कमी |
तृतीयक क्षेत्र |
61.2% |
57.3% |
वृद्धि |
प्राथमिक क्षेत्र
प्राथमिक
क्षेत्र के हिस्से में लगातार गिरावट आई है जो वर्ष 2016-17 के 22.1% से घटकर वर्ष 2020-21 में 19.2% रह गया ।
उल्लेखनीय
है कि प्राथमिक क्षेत्र में फसल क्षेत्र का हिस्सा वर्ष 2016-17 में 12.6% था जो वर्ष 2020 21 में 9.3% रह
गया जबकि पशुधन का हिस्सा 2016-17 के 5.7% से बढ़कर 6.6% हो गया ।
द्वितीयक क्षेत्र
द्वितीयक
क्षेत्र के हिस्से में मामूली गिरावट आयी है जो वर्ष 2016-17 के 20.6% से वर्ष 2020 21 में 19.5% रह
गया ।
उल्लेखनीय
है कि द्वितीयक क्षेत्र में सिर्फ विद्युत, गैस, जलापूर्ति एवं अन्य
जनउपयोगी सेवाओं क्षेत्र के हिस्से में वृद्धि हुई है
जो 2016-17 के 1.4% से बढ़कर 2020-21
में 2.3% हो गया ।
तृतीयक क्षेत्र
तृतीयक
क्षेत्र के हिस्से में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज हुई है जो वर्ष 2016-17 के 57.3% से बढ़कर वर्ष 2020-21 में 61.2% हो गया ।
उल्लेखनीय
है कि तृतीयक
क्षेत्र में सकल राजकीय मूल्यवर्धन में परिवहन,
भंडारण, संचार एवं प्रसारण संबंधी
सेवाएं, पथ परिवहन, वित्तीय
सेवाएं, लोक प्रशासन और अन्य सेवाओं में वृद्धि हुई है ।
उपरोक्त
से स्पष्ट है कि सकल राजकीय मूल्यवर्धन में ग्रामीण अर्थव्यवस्था (प्राथमिक क्षेत्र ) का योगदान कम हो रहा है और शहरी क्षेत्र (द्वितीय
और तृतीय क्षेत्रों) का हिस्सा बढ़ रहा है । दुर्भाग्यवश यह
ढांचागत परिवर्तन ग्रामीण से शहरी क्षेत्र की ओर लोगों के जाने में नहीं दिख रहा
है जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर काफी दबाव पैदा हो रहा है।
क्षेत्रीय विषमता
विभिन्न
जिलों के बीच आर्थिक विषमता संबंधी निर्णय लेने में प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद, पेट्रोल,
डीजल और रसोई गैस की खपत तथा प्रति व्यक्ति लघु बैंक बचतों जैसे सूचकों का प्रयोग
किया जा सकता है ।
सभी
सूचकों के आधार पर बिहार के आर्थिक रूप से अपेक्षाकृत विकसित जिलों की सूची में
पटना, बेगूसराय,
मुजफ्फरपुर और शेखपुरा
शामिल है जबकि सबसे पिछड़े जिलों में अररिया,शिवहर, बांका,किशनगंज और पश्चिमी चंपारण है ।
प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के आधार पर क्षेत्रीय विषमता
बिहार
के विभिन्न जिलों के बीच प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद में व्यापक क्षेत्रीय
भिन्नता पाई जाती है ।
वर्ष
2019-20 में
सबसे अधिक 1.31 लाख रुपए प्रति व्यक्ति सकल जिला घरेलू
उत्पाद पटना का दर्ज हुआ और सबसे कम 0.19 लाख रुपए
शिवहर जिले का । इस प्रकार सर्वाधिक प्रति व्यक्ति सकल जिला घरेलू उत्पाद वाले
पटना का आंकड़ा शिवहर की तुलना में लगभग 7 गुना ज्यादा है ।
संपूर्ण
बिहार में 2 सबसे
संपन्न जिले पटना और बेगूसराय है दूसरी ओर दो सबसे गरीब जिले अररिया और शिवहर है ।
69th BPSC Mains Answer writing Telegram Group only Rs. 2250/-
कार्यक्रम की रूपरेखा
- BPSC Mains के नवीन पैटर्न पर आधारित Telegram based online Test
- प्रथम चरण - 20 मई 2023 से 20 जुलाई 2023 तक
- द्वितीय चरण – प्रारंभिक परीक्षा के बाद से 40-50 दिनों तक मुख्य परीक्षा के पूर्व ।
- सोमवार से शुक्रवार तक प्रति दिन 1 प्रश्न का अभ्यास जिसे प्रारंभिक परीक्षा के बाद बढ़ाया जाएगा । हमारा लक्ष्य मुख्य परीक्षा के 200 अति संभावित प्रश्नों का अभ्यास करना है ।
- सामान्य अध्ययन के पारम्परिक प्रश्नों के अलावा जनवरी 2023 से अक्टूबर 2023 तक के सभी महत्वपूर्ण घटनाओं, आर्थिक समीक्षा, बजट एवं बिहार पर विशेष रूप से उत्तर लेखन का अभ्यास किया जाए। इसमें सांख्यिकी संबंध प्रश्न नहीं होगें ।
- उत्तर लेखन टेलीग्राम के माध्यम से हिन्दी माध्यम में होगा ।
- निबंध लेखन के तहत अभ्यास प्रारंभिक परीक्षा के बाद किया जाएगा ।
कार्यक्रम की विशेषता
- GK BUCKET टीम द्वारा प्रश्नों का सूक्ष्म विश्लेषण एवं मूल्यांकन ।
- हमारी टीम के अनुसार प्रत्येक प्रश्न का मॉडल उत्तर, मूल्यांकन, आवश्यक सलाह, आदि ।
- संसाधन, कोचिंग तक पहुंच एवं समय की कमी जैसी समस्याओं को दूर करने में सहायक ।
- बदलते पैटर्न तथा बदलती प्रकृति में हमारा उद्देदश्य आपको सर्वोत्तम प्रदान करना है ।
- उपरोक्त नियम में समय एवं आवश्यकता के अनुसार आवश्यक बदलाव किए जा सकते है।
कार्यक्रम के लाभ
- मुख्य परीक्षा की तैयारी को निरंतरता देने में सहायक ।
- बिहार संबंधी मुद्दों पर विशेष प्रश्नों का अभ्यास कराया जाएगा ।
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