प्रश्न–"भारतीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम भारतीय ऊर्जा क्षेत्र के साथ साथ उद्योग, कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण जैसे क्षेत्रों में भी विविध अनुप्रयोगों के माध्यम से अपनी प्रासंगिकता सिद्ध कर रहा है।" विश्लेषण करें ।
उत्तर -भारत का परमाणु
ऊर्जा कार्यक्रम विद्युत आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ साथ विभिन्न क्षेत्रों जैसे
उद्योग, कृषि एवं खाद्य
परिरक्षण आदि में भी सकारात्मक योगदान दे रहा है जिसे निम्न प्रकार समझा जा सकता
है।
ऊर्जा उत्पादन
- भारत
में नाभिकीय ऊर्जा विद्युत का पांचवा सबसे बड़ा स्रोत है जो कुल विद्युत उत्पादन
में लगभग 3% योगदान
देती है।
- भारत में 22 परमाणु रियक्टरों के साथ परमाणु ऊर्जा द्वारा 6780 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है।
- इसी क्रम में यूरेनियम-233 का उपयोग कर विश्व का पहला थोरियम आधारित नाभिकीय संयंत्र कलपक्कम, तमिलनाडु में स्थापित किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि वैश्विक थोरियम भंडार का लगभग 25% भारत के पास है।
इस प्रकार परमाणु ऊर्जा का
बिजली उत्पादन में महत्व धीरे धीरे बढ़ता जा रहा है। उल्लेखनीय है कि परमाणु
रियक्टरों में होनेवाले नाभिकीय विखंडन के दौरान विभिन्न प्रकार के रेडियो समस्थानिक
बनते हैं जिनका विभिन्न कार्यों में विविध अनुप्रयोग है जिसे निम्न प्रकार समझा
जा सकता है।
औद्योगिक उपयोग
- रेडियो आइसोटोप जैसे कोबाल्ट-60, की भेदन क्षमता ज्यादा होने के कारण रेडियोग्राफी कैमरे में उपयोगी होता है।
- जल विज्ञान एवं अनुरेखी अनुप्रयोगों द्वारा भूगर्भीय रिसावों
का पता लगाने,
बंदरगाहों में गाद संचलन अध्ययन, भूजल स्रोतों
एवं बहाव मार्ग के मानचित्रण, रसायन संयत्रों में खराबी का पता
लगाने, सूक्ष्मता से लंबाई, चौड़ाई,
ज्ञात करने, खारे पानी को साफ करने में प्रयोग
होता है।
- लेजर तकनीक का उपयोग बहुमूल्य धातु निर्माण के अलावा अपशिष्ट प्रबंधन में कचरे में उपस्थित हानिकाकरण जीवाणुओं को नष्ट करने में किया जाता है।
कृषि क्षेत्र में उपयोग
- कृषि क्षेत्र में रेडियो समस्थानिकों के उपयोग प्रोयोगिक स्तर पर है फिर भी इनकी मदद से फसलों की गुणवत्ता और उपज सुधार में सहायता मिली है।
- BARC अपने नाभिकीय कृषि कार्यक्रम के तहत खाद्य पदार्थों के विकिरण प्रसंस्करण, उन्नत बीज, मृदा गुणवत्ता सुधार, जलवायु प्रतिरोधी फसल, उर्वरकों और कीटनाशक संबंधी शोध एवं अनुसंधान कार्य संचालित करता है तथा अनेक क्षेत्रों में सफलता भी प्राप्त हुई है।
खाद्य प्रसंस्करण एवं संरक्षण
- बहुत से जीवाणु एवं कीटाणु खाद्य पदार्थों जैसे- अनाजों,
समुद्री खाद्य पदार्थ, सब्जियों की गुणवत्ता खराब
कर देते उनके संरक्षण की दिशा में भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर द्वारा विकसित तकनीक
से संरक्षण किया जाता है ।
- कोबाल्ट-60 से निकले गामा
किरणों से खाद्य पदार्थों को विकिरित करने पर उनमें प्रस्फुटन नहीं होता तथा शीतगृह में रखने की आवश्यकता नहीं होती। राजा रमन्ना सेंटर फोर साइंस एंड टेक्नोलॉजी द्वारा अनाजों को लंबे
समय तक संरक्षित रखने हेतु हेतु विकिरण तकनीक का उपयोग किया गया।
इस प्रकार परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम भारत की ऊर्जा
क्षेत्र की आवश्यकताओं के साथ साथ अन्य क्षेत्रों को भी लाभ पहुंचाकर अपनी
प्रासंगिकता सिद्ध कर रहा है।
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