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Jun 2, 2024

लोकतांत्रिक चुनाव प्रणाली में व्‍याप्‍त राजनैतिक प्रतिद्वंद्विता

प्रश्‍न- भारत जैसे देशों की लोकतांत्रिक चुनाव प्रणाली में व्‍याप्‍त राजनैतिक प्रतिद्वंद्विता जहां दलीय राजनीति, वैचारिक मतभेदों को बढ़ाती है वहीं जनप्रतिनिधियों को सत्‍ता प्राप्‍त करने हेतु जनसेवा के लिए प्रेरित करती है। चर्चा करें।



उत्‍तर-       लोकतांत्रिक देशों में चुनाव एक प्रकार से राजनैतिक प्रतिद्वंद्विता होती है जो विविध रूपों में हो सकती है । भारत जैसे देश में चुनावों में राजनैतिक प्रतिद्वंद्विता का सबसे स्पष्ट रूप है राजनैतिक पार्टियों के बीच प्रतिद्वंद्विता जो किसी निर्वाचन क्षेत्रों में विभिन्‍न उम्मीदवारों के बीच प्रतिद्वंद्विता का रूप भी धारण कर लेता है। भारत जैसे लोकतांत्रिक देशों में चुनावी प्रतिद्वंद्विता के कुछ स्‍पष्‍ट नुकसान होते हैं  जो निम्‍न है।

 

  • यह दलीय राजनीति, उम्‍मीदवारों के बीच वैचारिक मतभेदों, विभाजन आदि बढ़ाती है।
  • कई बार 'पार्टी-पॉलिटिक्स' की शिकायत, विभिन्न दलों के लोगों और नेताओं द्वारा आरोप प्रत्‍यारोप, मतदाताओं को आकर्षित करने हेतु तरह-तरह के हथकंडे अपनाते जाते हैं जिससे बेहतर दीर्घकालिक राजनीति को पनपने का अवसर नहीं मिलता ।
  • इसी चुनावी प्रतिद्वंद्विता और उससे उत्‍पन्‍न हालातों के कारण समाज और देश की सेवा करने की चाह रखने वाले कई अच्छे लोग राजनीति से दूर करता है ।

 

इस प्रकार चुनावी प्रतिद्वंद्विता के कुछ नुकसान है जो विभिन्‍न स्‍तरों पर मतभेदों को बढ़ती है । उल्‍लेखनीय है कि हमारे संविधान निर्माता इन समस्याओं के प्रति सचेत थे। फिर भी उन्होंने भविष्य के नेताओं के चुनाव के लिए मुक्त चुनावी मुकाबले का ही चयन किया क्‍योंकि उनका मानना था था दीर्घकालिक रूप से यही व्यवस्था बेहतर काम करती है जिसे निम्‍न प्रकार समझा जा सकता है।


  • जन सेवा ही सत्‍ता प्राप्ति का मार्ग जनसेवा ही है अत: इसके लिए उनमें बेहतर कार्य की प्रतिद्वंद्विता होती है। 
  • चुनावों में दलों पर दबाव बनेगा जिससे वे अपने मतदाताओं के लिए जनसेवा के प्रति समर्पित उम्‍मीदवार खड़ा करने के लिए प्रेरित होंगे।   
  • लोकतांत्रिक राजनीति में जो राजनेता जनआकांक्षाओं के अनुरूप कार्य करते हैं उनको जनता पुन: सत्‍ता की बागडोर देती है और जो ऐसा नहीं करते उनको जनता सत्‍ता से बेदखली का दंड देगी।  

 

स्‍पष्‍ट है राजनैतिक दलों और नेताओं द्वारा लोगों की इच्छा के अनुसार मुद्दों को उठाया और काम किया गया तो उनकी लोकप्रियता बढ़ेगी और चुनाव में उनकी जीत की संभावना भी बढ़ेगी। लेकिन यदि वे अपने कामकाज से मतदाताओं को संतुष्ट करने में असफल रहते हैं तो वे सत्‍ता में नहीं रहेंगे।

 

इस प्रकार राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता जहां कुछ भेदभाव और लोगों में आपसी मन-मुटाव, वैचारिक मतभेद लाती है लेकिन फिर भी इससे राजनैतिक दल और इसके नेता, लोगों की सेवा के लिए प्रेरित होते हैं।



प्रश्‍न- लोकतांत्रिक चुनाव के न्‍यूनतम मापदंड

चुनाव विविधि प्रकार से लोकतांत्रिक देशों में यहां तक कि गैरलोकतांत्रिक देशों में भी होते हैं। अत: चुनाव लोकतांत्रिक है या नहीं उसकी माप निम्‍न जरूरी न्‍यूनतम शर्तों के आधार पर जांचा जा सकता है।


  • प्रत्‍येक व्‍यक्ति को मताधिकार और उसके मत का समान मूल्‍य होना चाहिए।
  • पार्टियों और उम्मीदवारों को चुनाव में भाग लेने की आज़ादी हो ताकि मतदाताओं के समक्ष विकल्‍प हो।
  • नियमित अंतराल पर चुनाव होना चाहिए ।
  • मतदाता जिसे चाहें वास्तव में उसी का चुनाव होना चाहिए।
  • चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष ढंग से कराए जाने चाहिए जिससे लोग में चुनाव के प्रति इच्‍छा एवं विश्‍वास बना रहे।

 

इस प्रकार लोकतांत्रिक चुनाव हेतु उपरोक्‍त न्‍यूनतम शर्तें है जो बहुत आसान और सरल प्रतीत होती है। लेकिन कई ऐसे देश हैं जहाँ के चुनावों में इन शर्तों को भी पूरा नहीं किया जाता। 


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