पृथ्वी की गतियां
पृथ्वी की घूर्णन गति
का हमें आभास नहीं होने का मुख्य कारण क्या है- पृथ्वी
के घूर्णन एवं परिक्रमण में निरंतरता होना
पृथ्वी की गतियां |
|
घूर्णन/परिभ्रममण/ दैनिक गति(Rotation) |
पृथ्वी द्वारा अपने अक्ष के सापेक्ष लट्टू
की तरह पश्चिम से पूर्व घूमना । |
परिक्रमण
/वार्षिक गति (Revolution) |
पृथ्वी द्वारा सूर्य के चारों ओर अंडाकार
मार्ग (Geoid) पर चक्कर लगाना। |
परिक्रमण अथवा वार्षिक
गति के प्रभाव-
- दिन रात का छोटा बड़ा होना
- कर्क और मकर रेखाओं का निर्धारण
- ऋतु परिवर्तन होना
- ध्रुवों पर 6-6 माह का दिन एवं रात होना
- उपसौर, अपसौर तथा विषुव का होना
मध्याह्न रेखा के ऊपर
किसी निश्चित नक्षत्र के उत्रोत्तर 2 बार गुजरने की अवधि को क्या
कहा जाता है- नक्षत्र दिवस (Sideral Day)
नक्षत्र दिवस की अवधि
कितनी होती है-
23 घंटे 56 मिनट
पृथ्वी पर दिन और रात
को विभाजित करनेवाले वृत्त को क्या कहा जाता है- प्रदीप्ति वृत्त
(Circle of illumination)
ऋतु परिवर्तन
पृथ्वी के परिक्रमण
में कितनी अवस्थाएं है जिनमें ऋतु परिवर्तन होता है- 4
सूर्य किस दिन विषुवत
रेखा पर लम्बवत चमकता है-
21 मार्च एवं 23 सितम्बर (उपरोक्त दोनों तिथियों में संपूर्ण विश्व में दिन और
रात बराबर होते हैं। इस स्थिति को विषुव कहा जाता है)
उपसौर Perihelion- 3 जनवरी जब पृथ्वी जब सूर्य के अत्यधिक पास होती है।
अपसौर Aphelion- 4 जुलाई जब पृथ्वी जब सूर्य से अधिकतम दूरी पर होती है।
विषुव Equinox-संपूर्ण विश्व में 21 मार्च एवं 23 सितम्बर को दिन और रात बराबर होते है। यह विषुव कहलाता है। 21 मार्च को बसंतु
विषुव Spring Equinox तथा 23 सितम्बर को शरद विषुव Autumn
Equinox
गीष्म अयनांत (Summer Solstice)-21 जून, इस दिन उत्तरी गोलार्द्ध में सबसे बड़ा दिन तथा रात सबसे छोटी होती है।
शीत अयनांत (Winter Solstice)- 22 दिसम्बर, इस दिन दक्षिणी गोलार्द्ध में सबसे बड़ा दिन तथा रात सबसे छोटी होती है।
किस दिन के बाद सूर्य
उत्तरायण होने लगता है-
21 मार्च के बाद, उत्तरायण के बाद उत्तरी गोलार्द्ध में दिन की अवधि बढ़ने लगती है और ग्रीष्म
ऋतु का आगमन होता है ।
सूर्य कब कर्क रेखा
पर लम्बवत होता है-
21 जून, इसे
गीष्म अयनांत (Summer Solstice) या उत्तर अयनांत कहा जाता है।
इस दिन उत्तरी गोलार्द्ध में सबसे बड़ा दिन तथा रात सबसे
छोटी होती है
22 दिसम्बर
को सूर्य किस रेखा पर लम्बवत होता है- मकर
रेखा पर
ज्वार भाटा
(Tide)
ज्वार भाटा क्या है- सूर्य व चन्द्रमा की आकर्षण शक्तियों के कारण सागरीय जल के ऊपर
उठने एवं गिरने की घटना ।
ज्वार भाटा की ऊंचाई
किस पर निर्भर करती है-
जल की गहराई,
सागरीय तट की रूपरेखा, सागर का खुला अथवा बंद होना
।
सूर्य की अपेक्षा चन्द्रमा
की आकर्षण शक्ति ज्यादा होने का मुख्य कारण क्या है- चन्द्रमा
का सूर्य की अपेक्षा पृथ्वी के पास होना
प्रत्येक 24 घंटे
में किसी स्थान पर कितने बार ज्वार आता है- 2 बार
दीर्घ ज्वार की स्थिति
कब होती है-
जब सूर्य,
पृथ्वी तथा चन्द्रमा एक सीधी रेखा में होते हैं। इस स्थिति को सिजगी
कहा जाता है। इसमें चन्द्रमा एवं सूर्य का आकर्षण बल सम्मिलित रूप से कार्य करता है
।
निम्न ज्वार की स्थिति
होती है-शुक्ल एवं कृष्ण पक्ष की सप्तमी एवं अष्टमी
निम्न ज्वार की स्थिति
कब होती है-
जब सूर्य पृथ्वी तथा चन्द्रमा मिलकर समकोण बनाते
हैं। इस स्थिति में चन्द्रमा एवं सूर्य का आकर्षण बल एक दूसरे के विपरित कार्य करता
है।
लघु ज्वार सामान्य ज्वार
से कितना नीचा होता है-
20%
चन्द्रमा का पृथ्वी
के सापेक्ष गतिशील होने के कारण प्रतिदिन ज्वार 12 घंटे के बाद के बजाए
कितनी देरी से आता है- 26 मिनट
पृथ्वी पर सबसे ऊंचा
ज्वार कहां आता है-
फंडी की खाड़ी, कनाडा
पृथ्वी पर कहां एक दिन
में चार बार ज्वार आता है-
न्यू साउथैम्पटन, इग्लैंड (2 बार इंगलिश
चैनल से और 2 बार उत्तरी सागर से)
सूर्यग्रहण एवं चन्द्रग्रहण
सूर्य, चन्द्रमा
और पृथ्वी एक सरल रेखा में होते हैं तो इसे क्या कहा जाता है- युति तथा वियुति
सूर्यग्रहण की स्थिति में जब सूर्य एवं पृथ्वी के बीच में
चन्द्रमा आ जाए तो क्या कहलाती है- युति
सूर्यग्रहण (Solar
Eclipse ) की घटना कब होती है- अमावस्या
चन्द्रग्रहण की स्थिति में जब सूर्य एवं चन्द्रमा के बीच
में पृथ्वी आ जाए तो क्या कहलाती है-
वियुति
चन्द्रग्रहण
(Lunar Eclipse )की घटना कब होती है- पूर्णिमा को
प्रत्येक पूर्णिमा तथा अमावस्या को चन्द्रग्रहण एवं सूर्यग्रहण
की घटना क्यों नहीं घटित होती है- चन्द्रमा का अपने अक्ष पर 5डिग्री झुका होना
किसी एक वर्ष में अधिकतम कितने सूर्यग्रहण एवं चन्द्रग्रहण
की घटना घट सकती है- 7
पूर्ण सूर्यग्रहण की भांति पूर्ण चन्द्रग्रहण की घटना प्रायः
क्यों नहीं घटित होती है- सूर्य, चन्द्रमा
एवं पृथ्वी के आकार में अंतर के कारण
सूर्यग्रहण की घटना के समय कौन सी किरणों का उत्सर्जन होता
है- पराबैंगनी किरण
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प्रश्न- ऋतु परिवर्तन तथा दिन रात का छोटा बड़ा होना होने के अलावा निम्न में कौन परिक्रमण (Revolution) अथवा वार्षिक गति के प्रभाव हैं?
- कर्क और मकर रेखाओं का निर्धारण
- ध्रुवों पर 6-6 माह का दिन एवं रात होना
- उपसौर, अपसौर तथा विषुव का होना
- उपरोक्त सभी
उत्तर-
उपरोक्त सभी
पृथ्वी के परिक्रमण में 4 अवस्थाएं होती है जिनमें ऋतु परिवर्तन होता है।
प्रश्न- पृथ्वी की घूर्णन गति का हमें आभास
नहीं होने का मुख्य कारण क्या है?
- ज्वारीय बल
- सूर्य का आकर्षण बल
- पृथ्वी के घूर्णन एवं परिक्रमण में निरंतरता
- उपरोक्त सभी
उत्तर- पृथ्वी के घूर्णन
एवं परिक्रमण में निरंतरता होना।
प्रश्न- मध्याह्न रेखा के ऊपर किसी निश्चित नक्षत्र
के उत्रोत्तर 2 बार गुजरने की अवधि को
नक्षत्र दिवस (Sideral Day) कहा जाता है, तो नक्षत्र दिवस की अवधि कितनी होती है ?
- 12 घंटे 56 मिनट
- 23 घंटे 56 मिनट
- 24 घंटे 56 मिनट
- 48 घंटे 56 मिनट
उत्तर- नक्षत्र दिवस की अवधि- 23 घंटे 56 मिनट
प्रश्न- सूर्य किस दिन विषुवत रेखा पर लम्बवत चमकता
है जिसके कारण संपूर्ण विश्व में दिन और रात बराबर होते हैं और इस स्थिति को
विषुव Equinox कहा जाता है?
- 21 मार्च एवं 23 सितम्बर
- 3 जनवरी एवं 4 जुलाई
- 21 जून एवं 22 दिसम्बर
- उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर- 21 मार्च एवं 23 सितम्बर
प्रश्न- निम्न में असत्य कथन को बताएं।
- उपसौर Perihelion- 3 जनवरी-पृथ्वी जब सूर्य के अत्यधिक पास ।
- अपसौर Aphelion- 4 जुलाई- पृथ्वी जब सूर्य से अधिकतम दूरी।
- 21 मार्च को बसंतु विषुव Spring Equinox
- 22 दिसम्बर को शरद विषुव Autumn Equinox
उत्तर- 23 सितम्बर को शरद विषुव Autumn Equinox। संपूर्ण विश्व में 21
मार्च एवं 23 सितम्बर को दिन और रात बराबर होते है। यह
विषुव कहलाता है।
प्रश्न- किस दिन के बाद सूर्य उत्तरायण होने लगता है?
- 21 मार्च
- 22 दिसम्बर
- 21 जून
- 22 दिसम्बर
उत्तर- 21 मार्च के बाद सूर्य उत्तरायण होने लगता है उसके बाद
उत्तरी गोलार्द्ध में दिन की अवधि बढ़ने लगती है और ग्रीष्म ऋतु का आगमन होता है।
प्रश्न- ज्वार भाटा की ऊंचाई किस पर निर्भर करती है?
- जल की गहराई
- सागरीय तट की रूपरेखा
- सागर का खुला अथवा बंद होना।
- उपरोक्त सभी
उत्तर- उपरोक्त सभी
सूर्य व चन्द्रमा की आकर्षण शक्तियों के कारण सागरीय जल के ऊपर उठने एवं
गिरने की घटना ज्वार भाटा कहा जाता है।
प्रश्न- ज्वार भाटे के संबंध में असत्य कथन को
बताएं।
- प्रत्येक 24 घंटे में किसी स्थान पर 2 बार ज्वार आता है।
- सूर्य की अपेक्षा चन्द्रमा की आकर्षण शक्ति ज्यादा होती है।
- शुक्ल एवं कृष्ण पक्ष की सप्तमी एवं अष्टमी को निम्न ज्वार की स्थिति होती है।
- दीर्घ ज्वार की स्थिति में सूर्य, पृथ्वी तथा चन्द्रमा समकोण बनाते हैं।
उत्तर- दीर्घ ज्वार की स्थिति में सूर्य, पृथ्वी तथा
चन्द्रमा 180 का कोण बनाते हैं।
दीर्घ ज्वार की स्थिति में सूर्य, पृथ्वी तथा
चन्द्रमा एक सीधी रेखा में होते हैं। इस स्थिति को सिजगी कहा जाता है। इसमें
चन्द्रमा एवं सूर्य का आकर्षण बल सम्मिलित रूप से कार्य करता है ।
प्रश्न- निम्न में असत्य कथन को बताएं।
- लघु ज्वार सामान्य ज्वार से 20%
नीचा होता है।
- पृथ्वी
पर सबसे ऊंचा ज्वार फंडी की खाड़ी, कनाडा में आता है।
- एक दिन में चार बार ज्वार न्यू साउथैम्पटन, इग्लैंड में आता है।
- सूर्य से चन्द्रमा की आकर्षण शक्ति ज्यादा होने का कारण चन्द्रमा पर वायुमंडल न होना है।
उत्तर- सूर्य से चन्द्रमा की
आकर्षण शक्ति ज्यादा होने का कारण सूर्य की अपेक्षा चन्द्रमा का पृथ्वी के पास
होना ।
प्रश्न- निम्न में असत्य कथन को बताएं।
- सूर्यग्रहण (Solar Eclipse ) की घटना अमावस्या को होती है।
- चन्द्रग्रहण (Lunar
Eclipse )की घटना पूर्णिमा को होती है।
- एक वर्ष में अधिकतम सूर्यग्रहण एवं चन्द्रग्रहण की घटना 11 हो सकती है।
- सूर्यग्रहण की घटना के समय पराबैंगनी किरणों का उत्सर्जन होता है।
उत्तर- किसी एक वर्ष में अधिकतम सूर्यग्रहण एवं
चन्द्रग्रहण की घटना 7 हो सकती है।
प्रश्न- प्रत्येक पूर्णिमा तथा अमावस्या को
चन्द्रग्रहण एवं सूर्यग्रहण की घटना क्यों नहीं घटित होती है?
- चन्द्रमा का अपने अक्ष पर 5
डिग्री झुका होना
- पृथ्वी का अपने अक्ष पर झुका होना
- चन्द्रमा का आकार पृथ्वी से छोटा होना।
- पृथ्वी के आस पास अन्य ग्रहों की उपस्थिति
उत्तर- चन्द्रमा का अपने अक्ष पर 5
डिग्री झुका होना
प्रश्न- पूर्ण सूर्यग्रहण की भांति पूर्ण
चन्द्रग्रहण की घटना प्रायः क्यों नहीं घटित होती है?
- चन्द्रमा का अपने अक्ष पर झुका होना
- पृथ्वी का अपने अक्ष पर झुका होना
- सूर्य, चन्द्रमा एवं पृथ्वी के आकार में अंतर होना
- उपरोक्त सभी
उत्तर- सूर्य, चन्द्रमा एवं पृथ्वी के आकार में अंतर के कारण
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