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Nov 17, 2024

बिहार करेंट अफेयर- अप्रैल 2024

 

बिहार करेंट अफेयर- अप्रैल 2024




 

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बिहार में बेरोजगारों की संख्‍या में वृद्धि

नेशनल कॅरियर सर्विस पोर्टल के आंकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2023-24 में बिहार में 7 लाख से अधिक बेरोजगारों ने रोजगार के लिए निबंधन कराया। यह संख्या अब तक के वर्षों में सबसे अधिक है। वर्ष 2015-16 में यह संख्या मात्र 4,765 थी, जबकि 2022-23 में लगभग 3 लाख थी।

 

नेशनल कॅरियर सर्विस पोर्टल -2023-24

आयु के अनुसार बेरोजगारों की संख्‍या

 

नेशनल कॅरियर सर्विस पोर्टल के आंकड़ों के अनुसार देश में नौकरी के लिए 18 वर्ष तक के उम्र वाले देश में सबसे अधिक बिहार में हैं। देश में इस उम्र के लगभग डेढ़ लाख लोगों ने रोजगार मांगे हैं जिसमें 34 हजार यानी 22.96 प्रतिशत फीसदी युवा केवल बिहार के हैं। 64 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में देश के 44 हजार लोगों ने रोजगार मांगा है जिसमें बिहार के 547 व्यक्ति शामिल हैं।

जिलावार निबंधित बेरोजगार

 

जिलावार आंकड़ा देखें तो पटना में सबसे अधिक बेरोजगार हैं जहां 39,561 लोगों ने रोजगार के लिए निबंधन कराए तो 39,170 बेरोजगारों के साथ समस्तीपुर दूसरे स्‍थान पर है।

शैक्षणिक स्थिति के अनुसार निबंधित बेरोजगार

 

शैक्षणिक स्थिति के अनुसार रोजगार मांगने वाले बिहारियों में 12वीं पास सबसे अधिक हैं जिनकी संख्‍या 4 लाख 17 हजार है। इसके बाद मैट्रिक पास तथा स्रातक उतीर्ण, पीजी पास बेरोजगारों का स्‍थान आता है । निबंधन में 14 हजार ऐसे भी बेरोजगार हैं जिसने कोई पढ़ाई नहीं की है।

 

प्रश्न: नेशनल कॅरियर सर्विस पोर्टल पर वित्तीय वर्ष 2023-24 में बिहार में रोजगार के लिए निबंधन कराने वाले बेरोजगारों की संख्या लगभग कितनी थी?

A) 3 लाख

B) 5 लाख

C) 7 लाख

D) 10 लाख

उत्तर: C) 7 लाख

प्रश्न: नेशनल कॅरियर सर्विस पोर्टल के अनुसार, 18 वर्ष तक की उम्र वाले रोजगार मांगने वाले युवाओं में से सबसे अधिक किस राज्य के हैं?

A) उत्तर प्रदेश

B) बिहार

C) राजस्थान

D) महाराष्ट्र

उत्तर: B) बिहार

 

प्रश्न: नेशनल कॅरियर सर्विस पोर्टल के अनुसार, 64 वर्ष से अधिक आयु वाले रोजगार मांगने वाले व्यक्तियों में बिहार के कितने लोग शामिल हैं?

A) 547

B) 1,000

C) 44,000

D) 22,960

उत्तर: A) 547

 

भूमि खरीदने हेतु एक लाख की वित्‍तीय सहायता

हाल ही में बिहार मंत्रिपरिषद ने भूमिहीनों को जमीन खरीदने के लिए मुख्यमंत्री गृहस्थल क्रय सहायता योजना, 2024 को मंजूरी दी। इसके तहत राज्य सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में भूमिहीनों को जमीन खरीद के लिए एक लाख रुपए की आर्थिक सहायता देगी। जिससे वे न्यूनतम तीन डिसमिल जमीन खरीद सकेंगे। वर्तमान में सरकार वासभूमि विहीन परिवारों को पांच डिसमिल सरकारी भूमि उपलब्ध कराती है।

 

सरकार द्वारा समीक्षा में यह पाया गया कि वर्तमान नीति के तहत एमवीआर दर पर भूधारियों से रैयती भूमि खरीदने में कठिनाई आ रही है, क्योंकि भूधारियों द्वारा एमवीआर दर पर भूमि देने में असमर्थता प्रकट की जाती है। फलस्वरूप विभाग द्वारा आवंटित राशि का जिलों द्वारा समुचित व्यय नहीं होता है। ऐसे में अब सरकारी भूमि उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में संबंधित व्यक्ति को न्यूनतम तीन डिसमिल जमीन खरीदने के लिए एकमुश्त एक लाख रुपए दिये जाएंगे।

 

प्रश्न: मुख्यमंत्री गृहस्थल क्रय सहायता योजना, 2024 के तहत भूमिहीनों को जमीन खरीदने के लिए बिहार सरकार कितनी आर्थिक सहायता प्रदान करेगी?

A) 50,000 रुपये

B) 1,00,000 रुपये

C) 1,50,000 रुपये

D) 2,00,000 रुपये

उत्तर: B) 1,00,000 रुपये

विवरण: बिहार मंत्रिपरिषद ने मुख्यमंत्री गृहस्थल क्रय सहायता योजना, 2024 को मंजूरी दी है। इस योजना के तहत राज्य सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में भूमिहीनों को जमीन खरीदने के लिए 1 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देगी, जिससे वे न्यूनतम तीन डिसमिल जमीन खरीद सकेंगे।

 

 

भावी आपदाओं से निपटने हेतु बिहार सरकार के प्रयास

अप्रैल 2024 में बिहार सरकार द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार अब बिहार में भविष्य में आने वाली आपदाओं से लड़ने में ज्यादा सक्षम बनाने हेतु आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और विशेषज्ञों की मदद ली जाएगी। इसके लिए यातायात इंजीनियरिंग, भूजल संकट, नवीकरणीय ऊर्जा, नगर विकास विशेषज्ञ की नियुक्ति की जाएगी ।

 

आपदा से संबंधित चार श्रेणी से बढ़ाकर आठ श्रेणियों में विशेषज्ञ रखे जाएंगे। पहले जहां 26 विशेषज्ञ होते थे अब उनकी संख्या बढ़ाकर 48 कर दी गई है। इसमें बाढ़, जलसंकट, औद्योगिक सुरक्षा, अग्निकांड, आईटी, दुर्घटनाओं को कम करने वाले विशेषज्ञ शामिल हैं।

 

उल्‍लेखनीय है कि पहले बाढ़, सूखा, भूकंप से संबंधित आपदाओं पर ही ज्‍यादा काम होता था लेकिन अब आपदाओं के बदलते स्‍वरूप, वज्रपात, अतिवृष्टि की बढ़ती घटनाओं, विकास से होनेवाली औद्योगिक दुर्घटनाएं, यातायात दुर्घटनाएं आदि से निपटने हेतु आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा नियमावली में संशोधन भी किया गया है। इस प्रकार नई नियमावली के बाद बिहार प्राकृतिक आपदा के साथ ही मानवजनित आपदा से भी लड़ने में सक्षम हो सकेगा।

 

प्रश्न: अप्रैल 2024 में बिहार सरकार द्वारा किए गए संशोधन के अनुसार, आपदा प्रबंधन के लिए विशेषज्ञों की श्रेणियां चार से बढ़ाकर अब कितनी कर दी गई हैं?

A) 5

B) 6

C) 7

D) 8

उत्तर: D) 8

विवरण: बिहार सरकार ने अप्रैल 2024 में आपदा प्रबंधन नियमावली में संशोधन किया। इसके तहत, भविष्य में आपदाओं से बेहतर तरीके से निपटने के लिए विशेषज्ञों की श्रेणियां चार से बढ़ाकर आठ कर दी गई हैं। पहले जहां 26 विशेषज्ञ होते थे अब उनकी संख्या बढ़ाकर 48 कर दी गई है। इसमें बाढ़, जलसंकट, औद्योगिक सुरक्षा, अग्निकांड, आईटी, दुर्घटनाओं को कम करने वाले विशेषज्ञ शामिल हैं।

 

पर्यटन स्थलों पर सुरक्षा हेतु सुरक्षा प्रहरी/पर्यटक पुलिस

बिहार के पर्यटन स्थलों को पर्यटकों के अनुकूल बनाने, बेहतर  साफ-सफाई और शौचालय के इंतजाम करने के अलावा पर्यटकों की सुरक्षा के लिए सुरक्षा प्रहरी यानी पर्यटक पुलिस की तैनाती किए जाने का निर्णय लिया गया है।

 

वर्तमान में बिहार में 100 से भी ज्‍यादा पर्यटन स्थल हैं तथा इनमें से कई पर्यटन स्थलों पर साफ-सफाई, सुरक्षा, विश्रामगृह आदि की बेहतर सुविधा नहीं है जिसके कारण पर्यटक इन स्‍थानों पर जाने से कतराते हैं।

 

उल्‍लेखनीय है कि पिछले कुछ समय से बिहार में पर्यटन का दायरा बढ़ा है लेकिन उसके अनुसार सुविधाओं का विस्‍तार नहीं हुआ है। इन समस्‍याओं के समाधान हेतु ही बिहार सरकार द्वारा यह निर्णय लिया गया है जिसमें साफ-सफाई और शौचालय के लिए आवश्‍यकतानुसार निजी एजेंसी की मदद भी ली जाएगी। 

 

दूरसंचार घनत्व में बिहार देश में निचले पायदान पर

भारत में जहां संचार सेवाओं में दिन प्रति दिन प्रगति हो रही है वहीं बिहार की बड़ी आबादी अभी भी संचार सेवा से वंचित है। भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) द्वारा जारी दूरसंचार घनत्व रिपोर्ट के अनुसार देश का राष्ट्रीय औसत 85.38 प्रतिशत है। भारत के 8 राज्‍य जहां राष्‍ट्रीय औसत से नीचे है वहीं 11 राज्य राष्ट्रीय औसत से ऊपर है।

 

आंकड़ों के मुताबिक दूरसंचार घनत्व में दिल्‍ली 279.07% के साथ प्रथम स्‍थान पर है जिसके बाद दूसरे स्‍थान पर केरल और तीसरे नंबर पर हिमाचल प्रदेश है। बिहार दूरसंचार घनत्व के मामले में 56.66% के साथ देश भर में निचले पायदान पर है। दूसरे शब्‍दों में बिहार में प्रत्येक 100 व्यक्ति में से 43 संचार सेवाओं से वंचित हैं।

 

बिहार में दूरसंचार घनत्व  कम होने का कारण ग्रामीण क्षेत्रों की बड़ी आबादी का आर्थिक रूप से कमजोर होना है जो महंगे दूरसंचार सेवाओं का लाभ नहीं उठा पाती। पहाड़ी क्षेत्र होने के बावजूद हिमाचल बेहतर स्थिति में है जो दूरसंचार घनत्व 119. 89 % के साथ देश में तीसरे नंबर पर है। दूरसंचार घनत्व या टेलीडेंसिटी किसी क्षेत्र में रहने वाले प्रत्येक 100 व्यक्तियों के लिए दूरसंचार कनेक्शन की संख्या है।

 

प्रश्न: भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत का राष्ट्रीय औसत दूरसंचार घनत्व कितना प्रतिशत है?

A) 75.25%

B) 85.38%

C) 90.12%

D) 95.45%

उत्तर: B) 85.38%

विवरण: ट्राई द्वारा जारी दूरसंचार घनत्व रिपोर्ट के अनुसार, भारत का राष्ट्रीय औसत 85.38% है। रिपोर्ट में बताया गया है कि देश के 8 राज्य इस औसत से नीचे हैं, जबकि 11 राज्य इस औसत से ऊपर हैं।

प्रश्न: ट्राई द्वारा जारी दूरसंचार घनत्व रिपोर्ट 2024 के अनुसार 56.66% के साथ दूरसंचार घनत्व मामले में बिहार किस स्‍थान पर है?

A) प्रथम स्‍थान पर

B) सबसे अंतिम स्‍थान पर

C) ग्‍यारहवे स्‍थान पर

D) आठवे स्‍थान पर 

उत्तर: B) सबसे अंतिम स्‍थान पर

विवरण: ट्राई की रिपोर्ट के अनुसार, 279.07% दूरसंचार घनत्व के साथ दिल्ली पहले स्थान पर है। इसके बाद दूसरे स्थान पर केरल और तीसरे स्थान पर हिमाचल प्रदेश हैं जबकि बिहार 6.66% के साथ देश भर में निचले पायदान पर है।

 

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रोडमैप - पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग

कृषि रोडमैप के बाद अब पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग भी रोडमैप बनाने की तैयारी कर रहा है । पहला पंचवर्षीय रोडमैप बनाने के उद्देश्य से हुई अधिकारियों की बैठक में कई अहम निर्णय लिए गए जो निम्‍नानुसार है

 

*     सभी जिले को कुछ महत्‍वपूर्ण बिन्‍दुओं को ध्‍यान में रखते हुए अपनी योजनाएं बनाने को कहा गया जिसमें लघु, मध्यम व दीर्घकालिक योजनाएं शामिल होंगी।

*     पटना में एग्रो फॉरेस्ट्री के साथ ही हरियाली बढ़ाने की योजनाओं को महत्‍व दिए जाने का सुझाव ।

*     सीतामढ़ी में धार्मिक पर्यटन का विकास इस तरह किया जाएगा कि वहां हरियाली बढ़ने साथ साथ पर्यटकों की संख्‍या भी बढ़े।

*     कैमूर व सासाराम में ईको टूरिज्म को बढ़ावा दिया जाएगा।

*     अररिया में जहां चिडि़याघर बनाया जाएगा वहीं नालंदा में ट्रैकिंग व नर्सरियों के साथ ही जैव विविधताओं को बढ़ाने का सुझाव।

 

उपरोक्‍त के अलावा हरियाली बढ़ाने के लिए लीज पर भूमि ली जाएगी। इसके तहत बिहार के बड़े जोत वाले बाहर रहने वाले भूस्वामियों की जमीन को सहमति के साथ तीन साल के लिए वन विभाग द्वारा लिया जाएगा।

 

ली गयी भूमि की घेराबंदी करते हुए भूमि मालिक की मर्जी के अनुसार वहां फलदार अथवा मूल्‍यावान लकड़ियों वाले पौधे लगाये जाएंगे। तीन साल बाद हरियाली वाला यह क्षेत्र भूस्वामी के अधीन कर दिया जाएगा। इस योजना को राज्य स्तर पर लागू करने पर विचार किया जा रहा है।

 

प्रश्न: बिहार में कृषि रोडमैप के बाद, अब कौन सा विभाग अपनी योजनाओं को व्यवस्थित करने के लिए रोडमैप बनाने की तैयारी कर रहा है?

A) ग्रामीण विकास विभाग

B) पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग

C) जल संसाधन विभाग

D) ऊर्जा विभाग

उत्तर: B) पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग

 

विवरण: कृषि रोडमैप की सफलता के बाद, अब पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग रोडमैप बनाने की तैयारी कर रहा है। इस रोडमैप के तहत कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए लघु, मध्यम और दीर्घकालिक योजनाएं तैयार की जाएंगी।

 

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बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य सुधार हेतु पोषण वाटिका

बिहार में प्रारंभिक विद्यालयों के बच्चों के बेहतर पोषण और स्वास्थ्य में सुधार के लिए मध्याह्न भोजन निदेशालय ने 35 हजार 547 प्रारंभिक स्कूलों में पोषण वाटिका बनाने का निर्णय लिया है तथा जहां पहले से पोषण वाटिका हैं उनका विस्तार किया जाएगा।

पोषण वाटिका के माध्यम से जहां कृषि विशेषज्ञों की मदद से स्कूली बच्चों को मौसमी फल, सब्जियां, साग आदि बागवानी करना सिखाया जाएगा वहीं सब्जी या फल के पोषण गुणों के प्रति भी जागरूक किया जाएगा। इसके अलावा बच्चों की नियमित स्वास्थ्य जांच, स्वास्थ्य शिक्षा जागरूकता सत्र, आयरन फोलिक एसिड अनुपूरण कार्यक्रम, आहार विविधता के प्रति व्यवहारगत परिवर्तन आदि का आयोजन स्कूल में किया जाएगा।

 

पोषण के प्रचार में बिहार सभी राज्‍यों में प्रथम

*     हाल ही में शिक्षा मंत्रालय ने कुपोषण को दूर करने के लिए सभी राज्यों को पोषण जागरुकता कार्यक्रम आयोजन करने का निर्देश दिया था जिसके तहत 9 मार्च 2024 से 23 मार्च 2024 तक सभी राज्यों के स्कूलों में पोषण जागरूकता कार्यक्रम चलाया गया । इसी पोषण पखवारे के तहत बिहार में भी सबसे ज्यादा गतिविधियां करवाई गईं ।

 

*     बिहार में पोषण पखवारे के तहत 70 हजार 768 प्राथमिक और मध्य विद्यालय को शामिल किया गया था। देशभर में सबसे ज्यादा गतिविधि बिहार में चलायी गयी। गतिविधि के दौरान स्कूली बच्चों को जंक फूड लेकर नहीं आने के प्रति जागरूक करने के साथ साथ मध्याह्न भोजन की पौष्टिकता की जानकारी दी गयी। मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार स्कूलों में पोषण जागरूकता में बिहार देशभर में पहले स्थान पर रहा जबकि दूसरे स्थान पर कर्नाटक और तीसरे स्थान पर मध्य प्रदेश रहा।

 

*     अरवल जिला में सबसे ज्यादा पोषण पखवारे के तहत गतिविधि करवाई गयी। पटना जिला सातवें स्थान पर रहा। पटना के अलावा मुजफ्फरपुर, भागलपुर, सुपौल, मधेपुरा, पूर्णिया, सहरसा जिले में सौ फीसदी लक्ष्य से अधिक गतिविधि करवाई गई।

उल्‍लेखनीय है कि हाल ही में पोषण वाटिका के सबसे बेहतर प्रचार प्रसार के लिए देशभर में बिहार को पहला स्थान मिला है। वर्तमान में केवल 11% स्कूलों में ही पोषण वाटिका चल रहा है। अंत: अधिक से अधिक स्कूलों में पोषण वाटिका खोलने हेतु यह निर्णय लिया गया है।

 

प्रश्न: शिक्षा मंत्रालय के निर्देश पर कुपोषण के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए पोषण जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किस अवधि में किया गया जिसमें बिहार सबसे अधिक गतिविधियां करवाने के मामले में पूरे देश में प्रथम स्‍थान पर रहा?

A) 1 मार्च 2024 से 15 मार्च 2024

B) 9 मार्च 2024 से 23 मार्च 2024

C) 15 मार्च 2024 से 31 मार्च 2024

D) 5 मार्च 2024 से 20 मार्च 2024

 

उत्तर: B) 9 मार्च 2024 से 23 मार्च 2024

विवरण: कुपोषण को दूर करने के उद्देश्य से शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों को पोषण जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने का निर्देश दिया। इसके तहत 9 मार्च 2024 से 23 मार्च 2024 तक स्कूलों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए। बिहार में इस पोषण पखवारे के दौरान सबसे अधिक गतिविधियां करवाई गईं।

 

प्रश्न: बिहार में प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य में सुधार के लिए कितने प्रारंभिक स्कूलों में पोषण वाटिका बनाने का निर्णय लिया गया है?

A) 20,000

B) 30,000

C) 35,547

D) 40,000

 

उत्तर: C) 35,547

विवरण: बिहार में बच्चों के बेहतर पोषण और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, मध्याह्न भोजन निदेशालय ने 35,547 प्रारंभिक स्कूलों में पोषण वाटिका बनाने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही, जहां पहले से पोषण वाटिका मौजूद हैं, उनका विस्तार भी किया जाएगा।

 

शिशु मृत्यु दर में कमी लाने हेतु यंग केयर कार्यक्रम

बिहार में शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए 23 जिलों में होम बेस्ड यंग केयर कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इसमें आशाओं द्वारा घर-घर जाकर माताओं और उनके अभिभावकों को 3 से 15 माह तक बच्चों के देखभाल संबंधी सलाह दिया जा रहा है।

 

बिहार में मातृ मृत्यु दर

*     बिहार में मातृ मृत्यु दर में कमी आयी है लेकिन अभी भी लगभग 25% गर्भवती महिलाओं का अस्पतालों में प्रसव नहीं होता है। बिहार में संस्थागत प्रसव 2005-06 के 9.9 प्रतिशत से 2019-20 में बढ़ कर 76.2 प्रतिशत पहुंच गया है। 2023-24 में दिसंबर 2023 तक 12.30 लाख महिलाएं इस सुविधा का लाभ ले चुकी हैं।

*     बिहार में 2011-12 में मातृ मृत्यु दर का अनुपात 208 था, जो 2022-23 में घट कर 118 हो गया है। यानी लगभग 50 प्रतिशत तक कमी आयी है। केरल में सबसे कम 19 है। राष्ट्रीय औसत 97 (प्रति लाख) है।

 

इस कार्यक्रम में बच्चों को कृमि से मुक्त रखने, बच्चों की बीमारियों जैसे निमोनिया, डायरिया आदि जैसे रोगों के संकेतों की पहचान, टीकाकरण, स्तनपान एवं अनुपूरक आहार, मातृ स्‍वास्‍थ्‍य, साफ सफाई के संबंधी आवश्‍यक जानकारी देने के साथ साथ माताओं एवं अभिभावक को देखभाल के गुर सीखाया जा रहा है।

 

प्रश्न: बिहार में शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए किस कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है, जिसमें आशाएं घर-घर जाकर बच्चों की देखभाल संबंधी सलाह देती हैं?

A) मातृ-शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम

B) होम बेस्ड यंग केयर कार्यक्रम

C) बाल सुरक्षा और देखभाल कार्यक्रम

D) शिशु पोषण सुधार कार्यक्रम

 

उत्तर: B) होम बेस्ड यंग केयर कार्यक्रम

विवरण: बिहार में शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के उद्देश्य से 23 जिलों में होम बेस्ड यंग केयर कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इस कार्यक्रम में आशाएं घर-घर जाकर माताओं और उनके अभिभावकों को 3 से 15 महीने तक बच्चों के देखभाल संबंधी सलाह देती हैं।

 

बिहार में नहर प्रणालियों से सिंचाई की नई व्‍यवस्‍था

बिहार में कृषि विभाग की पहल पर सिंचाई को व्यावहारिक बनाने के लिए  20 वर्षों के बाद नहरों से पानी की नयी व्यवस्था लागू की गयी है । नयी व्‍यवस्‍था के कारण सिंचाई के लिए सभी नहर प्रणालियों से लगभग 70 दिनों के लिए कम पानी दिया जाएगा ।

 

बिहार के किसानों से प्राप्‍त फीडबैक के आधार पर भूमि की नमी को व्यावहारिक बनाने और धान कटनी में विलंब को रोकने हेतु बिहार सरकार द्वारा नयी सिंचाई व्‍यवस्‍था को लाया गया है जो वैज्ञानिक तरीके से खेती करने के लिए प्रोत्‍साहित करता है। इसके पहले 12 अप्रैल 2004 को नहरों से सिंचाई की व्यवस्था लागू की गयी थी।

बिहार सरकार ने नयी व्यवस्था को खरीफ, रबी और गरमा तीनों सिंचाई के लिए लागू करने का निर्णय लिया है। नयी व्यवस्था सोन, कोसी व गंडक नहर प्रणालियों के साथ-साथ जलाशयों से सिंचाई में लागू होगी। इस व्‍यवस्‍था में सिंचाई अवधि में नहरों की निगरानी की जाएगी तथा इसके लिए जल संसाधन विभाग ने कनिष्‍ठ से लेकर वरिष्‍ठ तक सभी इंजीनियरों की जिम्‍मेवारी तय की है।

 

बिहार में जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम का कार्यान्वयन सभी जिलों में किया जा रहा है जिसमें धान की कटनी व गेहूं की समय पर बुआई अत्यंत महत्वपूर्ण है लेकिन नहरों में दोषपूर्ण तरीके से पानी छोड़ने के कारण दिसंबर के अंत तक खेतों में अत्यधिक नमी बनी रहती है जिससे समय पर धान की कटनी नहीं हो पाती थी। अंत: वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इस व्यवस्था में परिवर्तन करने की आवश्यकता थी।

 

प्रश्न: बिहार में कृषि विभाग की पहल पर नहरों से पानी की नई व्यवस्था लागू की गई है, जिसके कारण सिंचाई के लिए सभी नहर प्रणालियों से लगभग कितने दिनों के लिए कम पानी दिया जाएगा?

A) 50 दिन

B) 60 दिन

C) 70 दिन

D) 80 दिन

 

उत्तर: C) 70 दिन

विवरण: बिहार में कृषि विभाग की पहल पर 20 वर्षों के बाद नहरों से पानी की नई व्यवस्था लागू की गई है, जिसके तहत सिंचाई के लिए सभी नहर प्रणालियों से लगभग 70 दिनों के लिए कम पानी दिया जाएगा।

 

दुनिया का पहला कॉपर डाक टिकट टोकन

दुनिया का पहला कॉपर डाक टिकट टोकन  के रूप में उपयोग किया गया था, जिसका इस्तेमाल सबसे पहले 31 मार्च 1774 को पटना में किया गया। ब्रिटिश सरकार की तरफ से कॉपर डाक टिकट जारी करने वाला बिहार पहला राज्य बना।

 

यह डाक टिकट चिट्ठियों पर चिपकाए जाने वाले डाक टिकटों से अलग होता था। कॉपर डाक टिकट ताम्र से बना होता था। कॉपर डाक टिकट का इस्तेमाल टोकन के रूप में किया जाता था। डाक भेजने के लिए कॉपर डाक टिकट को टोकन की तरह ही खरीदना पड़ता था।

 

प्रश्न: दुनिया के पहले कॉपर डाक टिकट का उपयोग टोकन के रूप में सबसे पहले 31 मार्च 1774 को भारत में किस स्थान पर किया गया था?

A) दिल्ली

B) मुंबई

C) पटना

D) कोलकाता

उत्तर: C) पटना

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प्रश्न: सतलुज जलविद्युत निगम लिमिटेड ने हाल ही में अपनी सुरंग परियोजनाओं में उन्नत भूवैज्ञानिक मॉडल का उपयोग करने के लिए किस संस्थान के साथ समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं?

A) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान- दिल्ली

B) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान- मुंबई

C) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान- पटना

D) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान- खड़गपुर

उत्तर: C) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान- पटना

विवरण: सतलुज जलविद्युत निगम लिमिटेड ने अपनी सुरंग परियोजनाओं में उन्नत भूवैज्ञानिक मॉडल का उपयोग करने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान- पटना (IIT पटना) के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं। इससे समय और लागत में काफी कमी आएगी।

 

प्रश्न: बिहार में वित्तीय वर्ष 2023-24 में वस्तु एवं सेवा कर (GST) संग्रह में पिछले वर्ष की तुलना में कितनी वृद्धि दर्ज की गई है?

A) 10.5%

B) 15.2%

C) 18.13%

D) 20.5%

उत्तर: C) 18.13%

विवरण: बिहार में वाणिज्यिक कर विभाग ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में वस्तु एवं सेवा कर (GST) संग्रह में वर्ष 2022-23 की तुलना में 18.13% की वृद्धि दर्ज की है। मार्च में राज्य का GST संग्रह 1,058 करोड़ रुपए रहा, जो पिछले सात वर्षों में सबसे अधिक है।

 

प्रश्न: वित्तीय वर्ष 2023-24 में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) ने बिहार को पुनर्वित्त, प्रत्यक्ष वित्त तथा अनुदान सहायता के रूप में कितनी राशि प्रदान की है?

A) 8,500 करोड़ रुपए

B) 9,500 करोड़ रुपए

C) 10,372.86 करोड़ रुपए

D) 12,000 करोड़ रुपए

उत्तर: C) 10,372.86 करोड़ रुपए

विवरण: वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान NABARD ने बिहार को पुनर्वित्त, प्रत्यक्ष वित्त तथा अनुदान सहायता के रूप में 10,372.86 करोड़ रुपए की सहायता प्रदान की है। यह NABARD द्वारा राज्य को एक वर्ष में दी गई अब तक की सबसे अधिक वित्तीय सहायता है, जो पिछले वित्तीय वर्ष (2022-23) की तुलना में 21% अधिक है।

 

प्रश्न: बिहार का वह गाँव, जिसे 'आईआईटी फैक्ट्री' के रूप में जाना जाता है और जहाँ बड़ी संख्या में IIT क्वालिफायर हैं, किस जिले में स्थित है?

A) पटना

B) नालंदा

C) गया

D) मुजफ्फरपुर

उत्तर: C) गया

 

प्रश्न: पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अनुसार, आकाशीय बिजली से होने वाली मौतों के मामले में शीर्ष तीन सबसे अधिक प्रभावित राज्य कौन से हैं?

A) महाराष्ट्र, बिहार,  गुजरात

B) बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश

C) बिहार, हरियाणा, उत्तराखंड

D) ओडिशा, बिहार , पश्चिम बंगाल

 

उत्तर: B) बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश

विवरण: पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अनुसार, आकाशीय बिजली से होने वाली मौतों के मामले में बिहार, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश शीर्ष तीन सबसे अधिक प्रभावित राज्यों में शामिल हैं।

 

प्रश्न: हाल ही में बिहार के अररिया और पूर्णिया जिलों की ग्राम पंचायतों में शुरू की गई बाल हितैषी ग्राम पंचायत (CFGP) पहल के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?

1.  बाल हितैषी ग्राम पंचायत (CFGP) कार्यक्रम संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) और बिहार सरकार के सहयोग से शुरू किया गया है।

2.  CFGP के तहत पंचायतों में ‘बाल संसद’ का गठन किया जाएगा, जिसमें पंचायत की विकास योजनाओं में बच्चों की राय ली जाएगी।

3.  बिहार में 0-18 वर्ष की आयु के बच्चों की संख्या राज्य की कुल जनसंख्या का लगभग 48% है।

 

A. केवल 1 और 2

B. केवल 1 और 3

C. केवल 2 और 3

D. सभी कथन सही हैं

उत्तर: D. सभी कथन सही हैं

 

प्रश्न: बिहार अब मछली के उत्पादन में लगभग आत्मनिर्भर हो चुका है। बिहार में मछली उत्पादन के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?

1.  बिहार की मछली उत्पादन क्षमता देश के शीर्ष 4 राज्यों में शामिल है।

2.  वर्तमान में, बिहार में मछली की प्रति वर्ष मांग 8.02 लाख मीट्रिक टन है, जबकि उत्पादन 7.62 लाख मीट्रिक टन है।

3.  बिहार में प्रति व्यक्ति मछली खपत 6.464 किलोग्राम है।

4.  बिहार में मछली पालन में सबसे बड़ा योगदान पटना का है।

 

A. केवल 1 और 2

B. केवल 1, 2 और 3

C. केवल 3 और 4

D. सभी कथन सही हैं

उत्तर: B. केवल 1, 2 और 3

स्पष्टीकरण: कथन 4 गलत है: बिहार में मछली पालन में सबसे बड़ा योगदान शेखपुरा ज़िले का है।

 

 

प्रश्न: हाल ही में बिहार के बक्सर में सनातन संस्कृति समागम के दौरान किसने भगवान राम की विश्व की सबसे बड़ी प्रतिमा बनाने की घोषणा की?

A) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

B) मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

C) पूज्य जगद्गुरु रामानंदाचार्य श्री रामभद्राचार्य जी

D) भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण

 

उत्तर: C) पूज्य जगद्गुरु रामानंदाचार्य श्री रामभद्राचार्य जी

विवरण: बिहार के बक्सर में आयोजित सनातन संस्कृति समागम में पद्मभूषण पूज्य जगद्गुरु रामानंदाचार्य श्री रामभद्राचार्य जी ने घोषणा की कि प्रभु श्रीराम की कर्मभूमि बक्सर में भगवान राम की विश्व की सबसे बड़ी प्रतिमा बनाई जाएगी। बक्सर का धार्मिक महत्व रामायण काल से जुड़ा हुआ है, और यह स्थान श्रीराम कथा और इतिहास का महत्वपूर्ण स्थल माना जाता है।

 

 

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भूमि विवाद का कारण-पारिवारिक बंटवारे में कम रुचि

बिहार में सरकार द्वारा जमीन विवाद को कम करने के लिए व्यापक स्तर पर प्रयास किए गए हैं। इसके तहत निबंधन विभाग में 100/- रुपये शुल्क जमा करके पारिवारिक बंटवारा करने का प्रावधान किया गया है लेकिन इसके प्रति लोगों में बहुत उत्साह की कमी होने से इसका विशेष लाभ नहीं मिल रहा है। बिहार में 2022-23 में जहां केवल 1511 तो वर्ष 2023-24 में 1300 पारिवारिक निबंधन हुए।

 

पारिवारिक बंटवारा के तहत परिवार के सभी सदस्यों जिनके नाम पर संयुक्त रूप से भूमि की हिस्सेदारी है, उन सभी को स्वयं निबंधन कार्यालय के समक्ष उपस्थित होकर सभी के नाम से अलग-अलग भूमि का निबंधन होता है।

 

यदि इसमें एक भी हिस्सेदार उपस्थित नहीं होते हैं तो पारिवारिक निबंधन नहीं होगा। किसी सदस्‍य की मृत्‍यु की दशा में उनका मृत्यु प्रमाण-पत्र गवाह के साथ जमा करना होता है। ऐसे में आपसी मतभेद के कारण या किसी भी एक सदस्य के बाहर रहने की स्थिति में कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है।

 

उल्‍लेखनीय है कि बिहार में हत्या समेत कई अन्‍य आपराधिक घटनाओं के पीछे करीब 65 फीसदी वजह भूमि संबंधी विवाद या झगड़े ही होते हैं जो मुख्य रूप से परिवार या रिश्‍तेदारों बीच के रहते हैं। ऐसे में पारिवारिक बंटवारा इसका बेहतर समाधान है, लेकिन इसमें कुछ तकनीकी अवरोधों के कारण यह बहुत कारगर साबित नहीं हो रहा है।

 

बिहार की राजनीति एवं बाहुबल

बिहार में बाहुबल की राजनीति ढलान पर है। एक दौर था जब अपने इलाके में इनका समानांतर शासन चलता था और चुनावी मैदान में अपना रुतबा होता था जिसके कारण राजनीतिक दल भी इनकी अनदेखी करने का साहस नहीं जुटा पाते थे।

 

एक समय था जब चुनाव में जीत दर्ज करने की इनकी अहम भूमिका होती थी लेकिन समय के साथ  राजनीति में ये कमजोर पड़ते गए । वर्ष 2024 का आम चुनाव ही देखा जाए तो स्‍पष्‍ट होता है कि इनके द्वारा अपने बाहुबल पर नहीं बल्कि अपनी राजनीतिक पहचान पर वोट मांगा गया।

 

बिहार की सियासत में 1970 के दशक बाहुबलियों का प्रवेश हुआ। उसके बाद अगले 35 वर्षों तक हर दशक में इनका प्रभाव बढ़ता चला गया। 70 से 80 के दशक में विधानसभा में 25 से ज्‍यादा बाहुबली आए और 90 के दशक तक इनका बोलबाला रहा। 1990 के बाद बिहार की राजनीति में इनकी स्‍वीकार्यता कम हुई। हांलाकि राजनीति में अभी भी इनका प्रभाव है लेकिन धीरे- धीरे इनकी सियासत अब ढलान की ओर बढ़ रही है।



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