बिहार करेंट अफेयर- जुलाई 2024
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बेहतर
पुलिसिंग हेतु क्यूआर कोड फीड बैंक
जुलाई 2024 में बेहतर पुलिसिंग हेतु पटना पुलिस ने एक
पहल आरंभ की है जिसके तहत राजधानी से लेकर जिले के थानों में क्यूआर कोड लगाया
जाएगा। इस क्यूआर कोड को स्कैन कर कोई भी शिकायतकर्ता थाने में होने वाली
परेशानी,
रिस्पांस
और वहां की व्यवस्था से संबंधित फीडबैक दे सकेंगे। थाने पर क्यूआर कोड के अलावा
ऑफलाइन मोड में भी फीडबैक देने की व्यवस्था होगी।
उल्लेखनीय
है कि थानों को क्यूआर कोड से मिले फीडबैक के आधार पर अंक दिए जाएंगे तथा टॉप 5 में आने
वाले थानों के वरीय अधिकारियों को सम्मानित किया जाएगा। जिन थानों का फीडबैक खराब
मिलेगा,
उसे
सुधारने की कोशिश की जाएगी।
प्रश्न:
जुलाई 2024 में पटना पुलिस द्वारा शुरू की गई पहल के तहत थानों में किस तकनीक का
उपयोग कर शिकायतकर्ताओं से फीडबैक लिया जाएगा?
A)
बायोमेट्रिक
सिस्टम
B)
क्यूआर
कोड
C)
मोबाइल
एप्लिकेशन
D)
आर्टिफिशियल
इंटेलिजेंस
उत्तर: B) क्यूआर
कोड
विवरण: पटना पुलिस ने बेहतर पुलिसिंग के लिए थानों में क्यूआर कोड
लगाने की पहल की है। शिकायतकर्ता क्यूआर कोड को स्कैन कर थाने में होने वाली
परेशानी, रिस्पांस, और
व्यवस्था से संबंधित फीडबैक दे सकेंगे।
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गंगा
नदी में गाद की समस्या
2019 में कानपुर में हुई राष्ट्रीय गंगा परिषद की
बैठक में, बिहार ने गंगा में जमा हो रही गाद और उससे
उत्पन्न समस्याओं पर विशेष ध्यान आकर्षित किया था।
इस
बैठक में बिहार ने राष्ट्रीय गाद नीति बनाने
की मांग की थी ताकि गंगा में जमा हो रही गाद के प्रबंधन के लिए एक समग्र और
प्रभावी योजना बनाई जा सके। हाल ही में बिहार के जल संसाधन मंत्री ने जानकारी दी
कि बक्सर से लेकर पश्चिम बंगाल के फरक्का तक
गंगा की गाद की सफाई का प्रस्ताव केंद्र
सरकार को भेजा गया है।
गंगा में गाद के कारण उत्पन्न समस्याएँ
1. नदी का
प्रवाह बाधित: गंगा में अत्यधिक गाद जमा होने के कारण कई
स्थानों पर सिल्ट के टापू बन
गए हैं, जो नदी के प्रवाह में अवरोध उत्पन्न कर रहे
हैं।
2. बाढ़ का
खतरा: गाद के जमाव के कारण गंगा का पानी आसपास के
क्षेत्रों में फैलने लगता है, जिससे तटवर्ती
क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा बढ़ जाता
है।
3. कटाव की
समस्या: गंगा के प्रवाह में गड़बड़ी के कारण नए-नए
क्षेत्रों में कटाव की
स्थिति बन रही है, जिससे वहां के निवासियों और खेती योग्य भूमि
पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
4. सहायक
नदियों पर प्रभाव: गंगा में गाद की अधिकता के कारण, बाढ़
के समय गंगा में सहायक नदियों का पानी नहीं जा पाता है। इससे गंगा की सहायक नदियाँ
भी अपने आसपास के क्षेत्रों में बाढ़ ला
रही हैं।
इस
प्रस्ताव के माध्यम से बिहार सरकार का उद्देश्य गंगा और उसकी सहायक नदियों में
पानी के प्रवाह को सुचारू बनाना और बाढ़ जैसी समस्याओं को नियंत्रित करना है।
प्रश्न:
2019 में राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक में बिहार ने गंगा नदी की किस समस्या पर
विशेष ध्यान आकर्षित किया और समाधान के लिए क्या मांग की?
A)
गंगा
प्रदूषण और इसे कम करने की योजना
B)
गंगा
में जमा गाद और राष्ट्रीय गाद नीति बनाने की मांग
C)
गंगा
के किनारे वृक्षारोपण अभियान
D)
गंगा
में बाढ़ प्रबंधन के लिए नए बांध बनाने की योजना
उत्तर: B) गंगा
में जमा गाद और राष्ट्रीय गाद नीति बनाने की मांग
विवरण: 2019 में कानपुर में हुई राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक में
बिहार ने गंगा में जमा हो रही गाद की समस्या और उसके प्रबंधन की आवश्यकता पर जोर
दिया। इसके लिए बिहार ने राष्ट्रीय गाद नीति बनाने की मांग की, जिससे गंगा में जमा गाद को प्रभावी तरीके से प्रबंधित किया जा सके।
परियोजना
आधारित शिक्षण की शुरुआत
बिहार
सरकार ने अब कक्षा 6 से 8 तक के छात्रों के लिए गणित और
विज्ञान में परियोजना आधारित शिक्षण (प्रोजेक्ट
बेस्ड लर्निंग) की शुरुआत की है। NCERT की
यह पहल 'नई शिक्षा नीति 2020' के
तहत की गई है, जिसके उद्देश्य से छात्रों को अधिक समर्पण
और समझ के साथ सीखने का मौका मिलेगा।
मुख्य
बिंदु:
1. परियोजना
आधारित पढ़ाई: अब सरकारी स्कूलों में पुरानी पद्धति से
पढ़ाई नहीं होगी। इसके बजाय, छात्रों को
वास्तविक जीवन से जुड़े और सार्थक परियोजनाओं पर काम करने का अवसर मिलेगा। यह
शैक्षिक सत्र 2024-25 से लागू किया गया है और इसमें 60 लाख
बच्चे भाग लेंगे।
2. सुगम और
समझ में आसान: परियोजना आधारित शिक्षण से गणित और विज्ञान के विषयों को छात्रों के लिए अधिक समझने योग्य और सहज बनाया जाएगा। इसके
तहत प्रत्येक महीने कक्षा 6 से 8 तक के लिए
एक-एक माइक्रो प्रोजेक्ट दीक्षा एप पर अपलोड किया जाएगा।
3. मध्य
विद्यालयों में लागू: राज्य के 29 हजार से
अधिक मध्य विद्यालयों में इस परियोजना को लागू किया जाएगा, और
हर विद्यालय को एससीईआरटी से पांच दिनों की गतिविधियाँ भेजी जाएंगी, जो
पाठ्यपुस्तकों पर आधारित होंगी।
परियोजना
आधारित शिक्षण एक नई व्यवस्था है जिसमें
छात्र वास्तविक दुनिया से जुड़े महत्वपूर्ण और दिलचस्प सवालों का जवाब देने या
समस्या को हल करने के लिए जांच, सोच और विश्लेषण
करते हैं। इस पहल से छात्रों को न केवल बेहतर शिक्षा मिलेगी, बल्कि
उनका शैक्षिक अनुभव, आलोचनात्मक सोच जीवन कौशल भी मजबूत होगा।
प्रश्न:
बिहार सरकार ने कक्षा 6 से 8 तक के छात्रों के लिए किस विषय में परियोजना आधारित
शिक्षण (प्रोजेक्ट बेस्ड लर्निंग) की शुरुआत की है?
A)
हिंदी
और सामाजिक विज्ञान
B)
गणित
और विज्ञान
C)
अंग्रेजी
और गणित
D)
सामाजिक
विज्ञान और पर्यावरण
उत्तर: B) गणित
और विज्ञान
विवरण:बिहार सरकार ने शैक्षिक सत्र 2024-25 से कक्षा 6 से 8 तक के
छात्रों के लिए गणित और विज्ञान में परियोजना आधारित शिक्षण की शुरुआत की है। यह
पहल NCERT और नई शिक्षा नीति 2020 के तहत की गई है।
चहक
कार्यक्रम: बिहार का एक अनूठा पहल
बिहार
का चहक कार्यक्रम शिक्षा
के क्षेत्र में एक मिसाल बन चुका है और इसे एनसीईआरटी ने
देशभर में लागू करने के लिए प्रेरित किया है। यह कार्यक्रम बच्चों में सीखने की क्षमता और मानसिक विकास को
बढ़ावा देता है।
मुख्य
बिंदु:
1. एनसीईआरटी
द्वारा सराहा गया: एनसीईआरटी की टीम ने बिहार के 28 जिलों
के 5,897 स्कूलों का दौरा किया और चहक कार्यक्रम को देश में सबसे बेहतर बताया।
इसमें बच्चों की सीखने की ललक में बढ़ोतरी देखने को मिली है।
2. विषयवार
किट: चहक कार्यक्रम में गणित, विज्ञान, सामाजिक
विज्ञान, और अंग्रेजी जैसे विषयों के लिए विशेष किट तैयार
किए गए
हैं। इन किट्स को इस तरह डिजाइन किया गया है कि बच्चों को आसानी से विषयों को
समझने में मदद मिल सके।
3. शिक्षकों
का प्रशिक्षण: कार्यक्रम के तहत, शिक्षकों
को प्रशिक्षित किया गया और उनके लिए फीडबैक
सिस्टम भी रखा गया। प्रत्येक 15 दिन
में बच्चों से फीडबैक लिया जाता है, जिससे यह
सुनिश्चित किया जा सके कि वे सही तरीके से सीख रहे हैं।
4. खेल-खेल
में शिक्षा: इस कार्यक्रम में बच्चों को खेल-खेल में
शिक्षा दी
जाती है, जिससे वे मस्ती करते
हुए बहुत कुछ सीख पाते हैं।
एनसीईआरटी
की रिपोर्ट के निष्कर्ष:
·
यह कार्यक्रम बच्चों के लिए अत्यंत फायदेमंद है।
·
किट और शिक्षण विधियां बच्चों के लिए आकर्षक और सहज हैं।
·
बच्चों की सीखने की ललक में
बढ़ोतरी हो रही है।
·
अन्य राज्यों को भी इसे अपनाना चाहिए।
चहक
कार्यक्रम को कोरोना महामारी के दौरान तैयार किया गया था, जब
शिक्षा को एक नया रूप देने की जरूरत महसूस हुई थी। इसमें 50 से
अधिक वर्कशॉप्स और
25 से ज्यादा एनजीओ की मदद ली गई थी।
चहक
कार्यक्रम ने शिक्षा को एक नया मोड़ दिया है और यह दिखा दिया है कि रचनात्मक
तरीके से शिक्षा देने से बच्चों की सीखने की
प्रक्रिया तेज हो सकती है।
प्रश्न:
बिहार सरकार के चहक कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य क्या है?
A)
शिक्षकों
का प्रशिक्षण
B)
बच्चों
में सीखने की क्षमता और मानसिक विकास को बढ़ावा देना
C)
स्कूलों
की आधारभूत संरचना सुधारना
D)
शिक्षण
सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित करना
उत्तर: B) बच्चों
में सीखने की क्षमता और मानसिक विकास को बढ़ावा देना
विवरण: बिहार
सरकार का चहक कार्यक्रम शिक्षा के क्षेत्र में एक प्रभावी पहल है, जिसे एनसीईआरटी ने देशभर में लागू करने के लिए प्रेरित किया है। यह
कार्यक्रम बच्चों की सीखने की ललक और मानसिक विकास को तेजी से बढ़ावा देता है।
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विश्व
के सबसे बड़े रामायण मंदिर
बिहार
के पूर्वी चंपारण जिले में विश्व के सबसे बड़े रामायण मंदिर का निर्माण कार्य तेजी से प्रगति पर है। इस
विशाल विराट रामायण मंदिर के निर्माण का दूसरा चरण शुरू हो गया है।
मुख्य
विशेषताएँ
1. क्षेत्रफल: यह
मंदिर लगभग 3.76 लाख
वर्ग फीट क्षेत्र में फैला है जो अयोध्या के
राम मंदिर से तीन गुना बड़ा होगा।
2. गर्भगृह: मुख्य
गर्भगृह में 33 फुट
ऊँचा शिवलिंग स्थापित किया जाएगा, और
विभिन्न देवताओं के लिए कुल 22 गर्भगृह बनाए जाएंगे।
3. वास्तुकला: मंदिर
की वास्तुकला कंबोडिया के अंकोर वाट, तमिलनाडु के रामेश्वरम के
रामनाथस्वामी मंदिर, और मदुरै के मीनाक्षी सुंदरेश्वर
मंदिर से प्रेरित है।
4. शिखर: मंदिर
में कुल 12 शिखर होंगे, जिसमें
मुख्य शिखर की ऊँचाई 270 फीट होगी।
इस
भव्य मंदिर का निर्माण 2025 तक पूरा
होने
की उम्मीद है, जो इसे विश्व का सबसे बड़ा रामायण मंदिर बना
देगा।
प्रश्न
: विश्व का सबसे बड़ा रामायण मंदिर किस जिले में बन रहा है?
A)
पटना
B)
पूर्वी
चंपारण
C)
गया
D)
मधुबनी
उत्तर: B) पूर्वी
चंपारण
प्रश्न:
रामायण मंदिर में मुख्य गर्भगृह में क्या स्थापित किया जाएगा?
A)
राम
मूर्ति
B)
33
फुट ऊँचा शिवलिंग
C)
विष्णु
की प्रतिमा
D)
सीता
माता की प्रतिमा
उत्तर: B) 33
फुट ऊँचा शिवलिंग
प्रश्न:
रामायण मंदिर की वास्तुकला किन मंदिरों से प्रेरित है?
A)
अंकोर
वाट,
रामनाथस्वामी
मंदिर और मीनाक्षी सुंदरेश्वर मंदिर
B)
सोमनाथ
मंदिर,
काशी
विश्वनाथ मंदिर और तिरुपति बालाजी
C)
पद्मनाभस्वामी
मंदिर,
जगन्नाथ
मंदिर और काली मंदिर
D)
बेलूर
मठ,
अक्षरधाम
मंदिर और केदारनाथ मंदिर
उत्तर: A) अंकोर
वाट, रामनाथस्वामी मंदिर और मीनाक्षी सुंदरेश्वर मंदिर
बिहार
में डिजीटल लेनदेन
राज्य
स्तरीय बैंकिंग कमिटी की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में डिजिटल
बैंकिंग और भुगतान
साधनों के उपयोग में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है।
मार्च 2024 के आंकड़े दर्शाते हैं कि राज्य में तकनीकी
वित्तीय सेवाओं का तेजी से विस्तार हुआ है।
मोबाइल बैंकिंग:
· उपभोक्ताओं
की संख्या:
मार्च
2024
तक 1.63 करोड़।
· वृद्धि: 2021 की तुलना
में
162% की
वृद्धि।
इंटरनेट बैंकिंग:
· उपयोगकर्ता
संख्या:
मार्च
2024
तक 1.53 करोड़।
· वृद्धि: 2021 की तुलना
में
110% की
वृद्धि।
पॉश (POS) मशीनों
का उपयोग:
· वृद्धि: मार्च
2021 से मार्च 2024 तक 42.13% की
वृद्धि।
· पॉश मशीनों
की संख्या: मार्च 2024 तक बिहार
में 82,000 से अधिक।
यह
आँकड़े बिहार में डिजिटल वित्तीय सेवाओं की व्यापक स्वीकृति और विकास को दर्शाते
हैं, जिससे न केवल बैंकिंग सुविधाएँ बढ़ी हैं
बल्कि व्यापारिक लेन-देन भी आसान हुआ है।
प्रश्न:मार्च
2024 तक बिहार में मोबाइल बैंकिंग उपयोगकर्ताओं की संख्या कितनी थी?
A)
1.53
करोड़
B)
1.63
करोड़
C)
1.73
करोड़
D)
2
करोड़
उत्तर: B) 1.63
करोड़
प्रश्न:
मार्च 2024 तक बिहार में इंटरनेट बैंकिंग उपयोगकर्ताओं की संख्या क्या थी?
A)
1.43
करोड़
B)
1.53
करोड़
C)
1.63
करोड़
D)
2
करोड़
उत्तर: B) 1.53
करोड़
बेहतर
संपर्कता हेतु परिवहन मार्ग की पहचान
बिहार सरकार द्वारा सुदूर इलाकों को
बेहतर संपर्कता देने और उन्हें शहरों, जिला मुख्यालयों के
साथ-साथ निकटवर्ती स्थानों से जोड़ने की योजना पर काम शुरू हो गया है।
इस
दिशा में हाल ही में बिहार मंत्रिमंडल ने जहां बसों की खरीद की योजना को मंजूरी दी
है वहीं बिहार परिवहन विभाग द्वारा जरूरत के ऐसे सभी
परिवहन मार्गों की पहचान की जा रही है जहां बसों का परिचालन किया जा सकता है। उल्लेखनीय
है कि वर्तमान में कई रूट ऐसे हैं जहां मांग के अनुरूप यात्री वाहनों का परिचालन
नहीं हो रहा है और जहां हो रहा है वहां निजी वाहन ही है जो अपनी मनमानी करते हैं।
इस
प्रकार बिहार सरकार द्वारा सभी शहरों, जिला मुख्यालयों के
साथ-साथ कस्बों को बस परिवहन से जोड़ने की योजना है। हांलाकि मुख्यमंत्री ग्रामीण परिवहन योजना एवं
मुख्यमंत्री प्रखंड परिवहन योजना बिहार में चल रही है जिसमें सरकार द्वारा बसों
की खरीदी में अनुदान भी दिया जाता है लेकिन नए परिवहन मार्गों की नए सिरे से पहचान
से इन योजना को और मजबूती मिलेगी जिससे लोग सहजता से अपनी जरूरतों के अनुसार कहीं
भी आ-जा सकते है।
इसके
पहले बिहार में 120 मार्गों पर नयी बसें चलाने की योजना पर अमल शुरू हो गया है तथा
376 बसों का परिचालन किया जाना है जिसके लिए परिवहन विभाग ने विस्तृत कार्ययोजना
बनायी है।
पोषण वाटिका के लिए 760 स्कूलों का चयन
प्रारंभिक स्कूलों में पोषण वाटिका के लिए कृषि विज्ञान
केन्द्र ने बिहार के 760 स्कूलों का चयन किया है । इसके तहत हर जिले से 20 स्कूलों
का चयन किया गया है जहां पर कृषि विज्ञान केन्द्र के सहयोग से पोषण वाटिका का
संचालन किया जाएगा।
मध्याह्न भोजन में बच्चों को औषधीय युक्त एवं ऑरगेनिक भोजन मिले इसके लिए स्कूलों में
पोषण वाटिका लगायी जा रही है। सभी स्कूलों को पोषण वाटिका हेतु बीज का
किट कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा उपलब्ध कराया जाएगा जो मौसमी सब्जी एवं फल के
अनुसार रहेगा।
प्रश्न: बिहार सरकार द्वारा प्रारंभिक स्कूलों में पोषण
वाटिका की स्थापना के लिए कितने स्कूलों का चयन किया गया है?
A) 500 स्कूल
B) 760 स्कूल
C) 1000 स्कूल
D) 1200 स्कूल
उत्तर: B) 760 स्कूल
विवरण: बिहार सरकार द्वारा प्रारंभिक
स्कूलों में पोषण वाटिका की स्थापना के लिए कृषि विज्ञान केंद्र ने बिहार के 760
स्कूलों का चयन किया है। इस योजना का उद्देश्य बच्चों को औषधीय युक्त और ऑर्गेनिक
भोजन उपलब्ध कराना है।
मॉडल आंगनबाड़ी
केन्द्र से बढ़ेगी सुविधाएं
बिहार
में बच्चों के साथ उनकी माताओं और गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष सुविधा देने के
लिए समेकित बाल विकास निगम एवं प्रथम संस्था के द्वारा
संयुक्त रूप में कार्य करते हुए मॉडल
केंद्र विकसित करने की दिशा में कार्य कर रहा है।
इसके
तहत बिहार के 34566 आंगनबाड़ी केन्द्र को मॉडल बनाया जाएगा। पहले चरण में पटना, सीतामढ़ी, किशनगंज, पश्चिम
चंपारण,
गया
और नालंदा के 1234 आंगनबाड़ी केंद्रों को विकसित किया जाएगा। इसके बाद अन्य चरणों
में बचे हुए आंगनबाड़ी केंद्रों को मॉडल बनाया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि बिहार में 1 लाख 15 हजार
आंगनबाड़ी केंद्र हैं जिनमें कई अब भी किराये के मकान में चल रहे हैं। मॉडल
केंद्रों पर बच्चों के साथ उनकी माताओं और गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष सुविधा
होगी जिनमें प्रमुख निम्नलिखित है
• गर्भवती
महिलाओं के लिए विश्राम कक्ष
• बच्चों
के बैठने के लिए विशेष प्रकार की कुर्सी होगी
• बच्चों
को पौष्टिक आहार की विशेष तौर पर व्यवस्था
• बच्चों
के लिए इंडोर गेम की व्यवस्था
• माताओं
के रुकने के लिए विश्राम कक्ष
महिलाओं
और छात्राओं की सुरक्षा-सखी शिकायत सेल
बिहार
सरकार ने स्कूलों और कॉलेजों में सखी शिकायत
सेल की स्थापना की घोषणा की है, जो यौन उत्पीड़न और लैंगिक भेदभाव से संबंधित मामलों की सुनवाई करेगी। महिला
एवं बाल विकास निगम की यह पहल महिलाओं
और छात्राओं को कार्यस्थल पर सुरक्षा देने के उद्देश्य से शुरू की गई है।
दिल्ली, यूपी, मध्य
प्रदेश,
राजस्थान
और गुजरात जैसे राज्यों में पहले से यह व्यवस्था लागू की जा चुकी है, और अब
बिहार में भी इसे लागू किया जाएगा जिसके प्रमुख बिन्दु
निम्नानुसार है:
1. सखी
शिकायत सेल की स्थापना: स्कूलों और कॉलेजों में
सखी शिकायत सेल खोले जाएंगे, जिससे छात्राएं और
शिक्षिकाएं अपने साथ हुई किसी भी प्रकार की यौन उत्पीड़न या लैंगिक भेदभाव की
शिकायत कर सकेंगी।
2. आंतरिक
परिवाद समिति का गठन: कार्यस्थल पर
लैंगिक उत्पीड़न रोकने के लिए आंतरिक परिवाद समिति का भी गठन किया जाएगा। प्रखंड
स्तर पर स्कूलों में जहां दस या अधिक महिला कर्मचारी हैं वहां एक आंतरिक परिवाद
समिति बनाई जाएगी।
3.
समाधान का त्वरित प्रयास: अब
तक इन शिकायतों का समाधान जिला स्तर पर किया जाता था, लेकिन अब स्कूल
स्तर पर ही इसे समाधान किया जाएगा। शिकायत के बाद तत्काल कार्रवाई करने के लिए
समितियां गठित की जाएंगी।
4.
रिपोर्ट और फॉलोअप:
यदि किसी स्कूल में यौन उत्पीड़न या लैंगिक भेदभाव होता है, तो इसकी जांच के बाद रिपोर्ट तैयार कर महिला
एवं बाल विकास निगम और शिक्षा विभाग को भेजी जाएगी।
यह
पहल बिहार में महिलाओं और छात्राओं के लिए एक सुरक्षित और सुरक्षित वातावरण
सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है इससे
शैक्षिक संस्थानों में लैंगिक समानता को बढ़ावा मिलेगा।
प्रश्न: बिहार सरकार ने स्कूलों और कॉलेजों में किस
उद्देश्य से सखी शिकायत सेल की स्थापना की घोषणा की है?
A) महिलाओं और छात्राओं को रोजगार देने
B) महिलाओं और छात्राओं को कार्यस्थल पर
सुरक्षा देने
C) महिलाओं के लिए शिक्षा की गुणवत्ता
सुधारने
D) महिलाओं के लिए स्वास्थ्य सेवाओं की
उपलब्धता बढ़ाने
उत्तर: B) महिलाओं और छात्राओं को कार्यस्थल पर सुरक्षा देने
विवरण:बिहार सरकार ने स्कूलों और कॉलेजों
में सखी शिकायत सेल की स्थापना की घोषणा की है, जो यौन उत्पीड़न और लैंगिक भेदभाव से संबंधित मामलों की सुनवाई करेगी। यह
पहल महिलाओं और छात्राओं को कार्यस्थल पर सुरक्षा देने के उद्देश्य से शुरू की गई
है।
· इस प्रकार के लेख बिहार के संदर्भ में प्रारंभिक एवं
मुख्य परीक्षा दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। · इस प्रकार के मासिक पीडीएफ आप हमारे Paid टेलीग्राम ग्रुप में प्राप्त कर सकते हैं जिसमें
जुड़कर आप महत्वपूर्ण पीडीएफ, अपडेट के अलावा मुख्य
परीक्षा का उत्तर लेखन अभ्यास भी कर सकते हैं। · दैनिक समाचार पत्रों पर आधारित इस तरह के नोट्स से उत्तर
लेखन अभ्यास से न केवल बेहतर अंक प्राप्त किए जा सकते हैं बल्कि बिहार के
परिप्रेक्ष्य में एक समग्र तैयारी की जा सकती है और चयन सुनिश्चित किया जा
सकता है। |
प्रति
माह पानी के 21 हजार नमूनों की जांच
हालिया
निर्णय के अनुसार जिले और अनुमंडल में स्थापित लैब के माध्यम से पानी की गुणवत्ता
की जांच के लिए बिहार सरकार प्रति माह करीब 21
हजार नमूनों की नि:शुल्क जांच करेंगी
। इसके तहत लोग चापाकल, कुंआ, बोरिग, नल आदि के
पानी की जांच करा सकते है।
उल्लेखनीय
है कि मुख्यमंत्री पेयजल निश्चय योजना के तहत हर घर नल का जल पहुंचाया जा रहा है
। इसी दिशा में लोगों को पीने योग्य जल की उपलब्धता हो इसलिए लिए गुणवत्ता की
जांच जरूरी है जिसे देखते हुए यह निर्णय लिया गया है।
प्रश्न:
बिहार सरकार ने हाल ही में पानी की गुणवत्ता जांच के लिए कौन सा कदम उठाया है?
A)
चापाकल
और कुंआ के पानी को फिल्टर करने की योजना
B)
हर
महीने 21 हजार पानी के नमूनों की नि:शुल्क जांच
C)
पानी
की गुणवत्ता के लिए सरकारी स्कूलों में अभियान चलाना
D)
पेयजल
की गुणवत्ता के लिए एक नई प्रयोगशाला की स्थापना
उत्तर: B) हर
महीने 21 हजार पानी के नमूनों की नि:शुल्क जांच
विवरण: बिहार
सरकार ने हाल ही में निर्णय लिया है कि जिले और अनुमंडल में स्थापित लैब के माध्यम
से प्रति माह करीब 21 हजार पानी के नमूनों की नि:शुल्क जांच की जाएगी।
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5
विभागों की सहायता से यातायात व्यवस्था में सुधार
हालिया
निर्णय के अनुसार बिहार में यातायात व्यवस्था को सुधारने की जिम्मेवारी 5 विभागों को
सौंपी गयी है। इनमें यातायात के अलावा परिवहन, पथ निर्माण, ग्रामीण कार्य और स्वास्थ्य
विभाग शामिल
है। यातायात चुस्त-दुरुस्त करने की शुरुआत पटना शहर से होगी जिसके बाद अन्य शहरों
में इसे लागू किया जाएगा। गृह विभाग द्वारा इस संबंध में आदेश जारी कर दिया गया है।
ट्रैफिक
को नियंत्रित करने में ओवरलोडिंग, वाहनों की फिटनेस से लेकर शहर की
सड़कों पर बेतरतीब खड़े वाहनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जैसे कदम उठाए जाने के साथ पथ
निर्माण और ग्रामीण कार्य विभाग की सहायता से प्रमुख सड़कों की मरम्मत किया जाएगा
। उल्लेखनीय है कि अनेक स्थानों पर सड़क खराब होने से भी जाम लगता या दुर्घटनाएं
होती हैं।
इसके
अलावा सड़कों पर साइनेज, इंडिकेटर,गोलंबर
बनाना,
सड़कों
की चौड़ाई-लंबाई, मोड़, ब्लैक
स्पॉट को दूर करना, जरूरत के मुताबिक स्कीड प्रूफ सड़क बनाना
समेत ऐसी अन्य जरूरी चीजों को बहाल करने पर जोर दिया जाएगा।
प्रश्न:
हाल ही में बिहार में यातायात व्यवस्था सुधारने की जिम्मेदारी किसे सौंपी गई है?
A)
एकल
विभाग को
B)
5
विभागों को
C)
स्थानीय
प्रशासन को
D)
केंद्रीय
सरकार को
उत्तर: B) 5
विभागों को
विवरण: बिहार
सरकार ने यातायात व्यवस्था सुधारने की जिम्मेदारी 5 विभागों को सौंपी है। इन विभागों
में यातायात, परिवहन, पथ
निर्माण, ग्रामीण कार्य और स्वास्थ्य विभाग
हैं।
पहाड़ों
पर लगाया जाएगा सोलर प्लांट
बिहार
में नदी,
नहर, तालाब, जलाशय के
बाद अब पहाड़ों पर भी सोलर पावर प्लांट लगाए जाने की योजना है जिसके लिए बिहार के पहाड़ों
का सर्वेक्षण किया जाएगा।
उल्लेखनीय
है कि लखीसराय के कजरा में बनने वाले 185 मेगावाट
के सोलर पावर प्लांट को लेकर हुए
करार के मौके पर बिहार के ऊर्जा मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव ने कहा कि राजगीर और
गया जैसे जगहों पर जहां हरियाली रहित पहाड़ हैं, वहां सोलर
प्लांट के द्वारा सौर ऊर्जा उत्पादन करने की संभावनाओं के लिए सर्वेक्षण किया जाना
चाहिए।
उन्होंने
कहा कि राज्य में अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके तहत सभी पंचायतों
में सोलर स्ट्रीट लाइट लगाई जा रही हैं तथा कृषि रोडमैप के अंतर्गत कृषि फीडर को
सौर ऊर्जा से चार्ज करने की दिशा में काम चल रहा है। अंत: बिहार में सौर ऊर्जा की और बेहतर संभावनाओं हेतु
इस दिशा में कार्य हेतु निर्देश दिया गया।
बालू के अवैध खनन पर ड्रोन से निगरानी और रोकथाम
बिहार सरकार ने बालू के अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए
सभी 534 अंचल कार्यालयों में ड्रोन यूनिट
स्थापित करने का निर्णय लिया है। ड्रोन से निगरानी
के लिए प्राथमिकता उन क्षेत्रों को दी जाएगी जहां बालू खनन की शिकायतें अधिक हैं
या जहां अवैध खनन को लेकर हिंसा की घटनाएँ हुई हैं। इन ड्रोन यूनिट्स के साथ जीपीएस या ड्रोन ग्लोब
पोजिशनिंग सिस्टम का उपयोग किया जाएगा ताकि खनन स्थलों की सटीक जानकारी प्राप्त
की जा सके।
बालू का अवैध खनन कई बार रात में भी होती है तो अब ड्रोन
की मदद से रात में भी निगरानी की जाएगी, जिससे
पुलिस और खनन विभाग के अधिकारी तुरंत कार्रवाई कर सकेंगे।
अवैध खनन से लदे वाहनों को पकड़ने पर ऑन स्पॉट जुर्माना
भी लगाया जाएगा। इसके लिए चेकपोस्ट बनाए जाएंगे। खान विभाग जल्द ही सभी ज़िला और
अंचल स्तर के पदाधिकारियों को ड्रोन और अन्य सुविधाएँ मुहैया कराने की प्रक्रिया
शुरू कर रहा है।
प्रश्न: बिहार सरकार ने बालू के अवैध खनन पर रोक लगाने
के लिए कौन सी नई व्यवस्था शुरू की है?
A) सभी जिलों में मोबाइल यूनिट्स की
तैनाती
B) सभी अंचल कार्यालयों में ड्रोन यूनिट्स
की स्थापना
C) नदियों के किनारे सुरक्षा गार्ड्स की
तैनाती
D) बालू खनन पर सख्त कानून लागू करना
उत्तर: B) सभी अंचल कार्यालयों में ड्रोन यूनिट्स की स्थापना
विवरण: इन ड्रोन यूनिट्स का उपयोग बालू
खनन के विवादित क्षेत्रों में निगरानी के लिए किया जाएगा, और जीपीएस या ड्रोन ग्लोब पोजिशनिंग
सिस्टम के माध्यम से खनन स्थलों की सटीक जानकारी प्राप्त की जाएगी।
सभी एकदिवसीय परीक्षाओं हेतु उपयोगी नोट्स जिसे आर्डर कर आप अपने घर पर मंगा सकते हैं। ज्यादा जानकारी के लिए 74704-95829 पर संपर्क करें।
बिहार 3 खनिज ब्लॉक की ई-नीलामी
बिहार के जमुई और रोहतास जिलों में लगभग 6,090 करोड़ रुपये मूल्य के खनिज भंडार की पहचान की गई है,
जिनकी ई-नीलामी प्रक्रिया शीघ्र शुरू होने वाली है।
1. जमुई: जमुई जिले के मजोस में 48.40 मीट्रिक टन जी-2 ग्रेड का मैग्नेटाइट (लौह अयस्क) और
भंटा में 6.49 मीट्रिक टन जी-3 ग्रेड
का मैग्नेटाइट है।
2. रोहतास: रोहतास जिले
के भोरा कटरा में 33.25 मीट्रिक टन जी-2 ग्रेड
का चूना पत्थर पाया गया।
ई-नीलामी प्रक्रिया को राज्य मंत्रिपरिषद की मंजूरी मिल
चुकी है, और इस साल खनन कार्य शुरू होने की
संभावना है।
प्रश्न: बिहार के किस दो जिलों में लगभग 6,090 करोड़
रुपये मूल्य के खनिज भंडार की पहचान की गई है?
A) पटना और बक्सर
B) मुजफ्फरपुर और गया
C) जमुई और रोहतास
D) भागलपुर और अररिया
उत्तर: C) जमुई और रोहतास
विवरण: बिहार के जमुई और रोहतास जिलों में
लगभग 6,090 करोड़ रुपये मूल्य के
खनिज भंडार की पहचान की गई है, जिनकी ई-नीलामी प्रक्रिया
शीघ्र शुरू होने वाली है।
बिहार में भू-जलस्तर मापन हेतु भू-तकनीकी सेंसर
बिहार में 98 स्थानों
पर केंद्रीय जल बोर्ड द्वारा भू-जलस्तर और मिट्टी की गुणवत्ता मापने के लिए
पीजोमीटर लगाए जा रहे हैं। इनमें से 23 स्थानों पर
सेंसर पहले ही लगाए जा चुके हैं, और शेष 75 स्थानों पर कार्य प्रगति पर है।
पीजीमीटर एक भू-तकनीकी सेंसर है, जिनका
उपयोग जमीन में छिद्र जल दबाव (पीजोमेट्रिक स्तर) को मापने के लिए किया जाता है। यह सेंसर न केवल
भू-जलस्तर मापने में मदद करेंगे, बल्कि विभिन्न
मिट्टी, रेत, और कंक्रीट संरचनाओं में
पानी के दबाव का विस्तृत विवरण भी प्रदान करेंगे। बारिश के पहले और बाद में भूमि
की रिचार्ज स्थिति का पता चलेगा।
इन सेंसर में डिजिटल वाटर लेवल रिकॉर्डिंग सिस्टम और
टेलीमेट्री जैसे उपकरण लगाए जा रहे हैं, जो
दिन में चार बार भू-जलस्तर मापेंगे और डेटा को सर्वर पर स्वतः भेजेंगे। यह तकनीक
सिंचाई और पेयजल योजनाओं की नीति बनाने और उन्हें लागू करने में सहायक होगी,
जिससे जल संसाधनों का सही प्रबंधन संभव होगा।
प्रश्न: बिहार में भू-जलस्तर और मिट्टी की गुणवत्ता
मापने के लिए कितने स्थानों पर पीजोमीटर सेंसर लगाए जा रहे हैं?
A) 50
B) 75
C) 98
D) 120
उत्तर: C) 98
विवरण: इन सेंसरों का उपयोग जमीन में जल
दबाव (पीजोमेट्रिक स्तर) को मापने के लिए किया जाएगा, जिससे भू-जलस्तर और पानी के दबाव का
विस्तृत विवरण प्राप्त होगा।
बिहार में 101 अनुमंडलों में उद्यमिता विकास केंद्र
बिहार सरकार ने राज्य के सभी 101 अनुमंडलों में उद्यमिता विकास केंद्र स्थापित करने का
निर्णय लिया है। उद्योग विभाग द्वारा संचालित इन केंद्रों में मुख्यमंत्री उद्यमी
योजना के तहत लाभार्थियों को प्रशिक्षण और मार्गदर्शन प्रदान किया जाएगा। इन
केंद्रों का संचालन स्थानीय कॉलेज में किया जाएगा । इन केन्द्रों पर निम्न कार्य
किए जाएंगे
· मुख्यमंत्री उद्यमी योजना से संबंधित जानकारी,
· उद्यमियों की समस्याओं का समाधान
· कौशल विकास प्रशिक्षण और तकनीकी
जानकारी।
· उद्यमशीलता को बढ़ावा
· उद्यमियों को बाजार तक पहुंच बढ़ाने में सहायता
· रोजगार और स्वरोजगार के नए अवसर का सृजन होगा
योजना का लाभ: मुख्यमंत्री
उद्यमी योजना से अब तक 40,000 लाभार्थी लाभान्वित हो चुके
हैं। इस बार विभिन्न श्रेणियों (युवा, महिला, एससी-एसटी, अतिपिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक) के लिए
आवेदन ऑनलाइन स्वीकार किए जा रहे हैं।
बिहार पुलिस मैन्युअल
में 46 साल
बाद बदलाव
बिहार में 46 वर्षों
बाद पुलिस मैन्युअल को संशोधित करने की प्रक्रिया शुरू की गई है। इसे पहले
"बिहार पुलिस हस्तक, 1978" के नाम से जाना जाता था,
और इस मैन्युअल को आखिरी बार 1978 में संशोधित
किया गया था।
नए मैन्युअल में पिछले 46 वर्षों में कानून के क्षेत्र में हुए
सभी बदलावों, नए कानूनों के प्रावधानों, और पुलिस विभाग में लिए गए महत्वपूर्ण निर्णयों को शामिल किया जाएगा। इसमें पुलिस से
संबंधित सभी नए निर्देशों को भी जोड़ा जाएगा। इस संशोधित मैन्युअल के माध्यम से
पुलिस व्यवस्था को अद्यतन और प्रभावी बनाने की उम्मीद है।
प्रश्न 1: बिहार
पुलिस मैन्युअल, जिसे "बिहार पुलिस हस्तक" कहा
जाता है जिसे 2024 में संशोधित किया जा रहा है उसे अंतिम बार
कब संशोधित किया गया था?
A) 1990
B) 2000
C) 1978
D) 2010
उत्तर: C) 1978
विवरण: आखिरी बार 1978 में संशोधित किया गया था। अब,
46 वर्षों के बाद इसे फिर से संशोधित किया जा रहा है।
पर्यटन
नीति गाइडलाइन 2024
बिहार
सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए नई पर्यटन नीति गाइडलाइन 2024 जारी
की है। इस नीति का लाभ फोर स्टार या उससे ऊपर के होटल, पुराने
प्रोजेक्टों के मरम्मत या सौंदर्यीकरण, और विरासत
भवनों को होटल में बदलने जैसे प्रोजेक्ट्स को मिलेगा।
बिहार सरकार पर्यटन नीति गाइडलाइन 2024 में कुल 18 तरह के
प्रोजेक्ट किए गए शामिल किए गए हैं। शामिल किए गए प्रोजेक्ट निम्नानुसार है
1.
नया फोर स्टार होटल, रिसोर्ट
2.
फोर स्टार और ऊपर के होटल का सौंदर्याकरण
3.
कन्वेंशन सेंटर (माइस)
4.
सड़क किनारे पर्यटकीय सुविधा
5.
सड़क किनारे पर्यटकीय सुविधा को अपग्रेड करना
6.
स्थायी टेंट सुविधा
7.
एडवेंचर टूरिज्म प्रोजेक्ट
8.
इको टूरिज्म प्रोजेक्ट
9.
वेलनेस टूरिज्म रिसोर्ट
10.
नदी,
झील, जलप्रपात
प्रोजेक्ट
11.
थीम पार्क
12.
एम्युजमेंट पार्क
13.
इंटरटेनमेंट जोन
14.
गोल्फ कोर्स यूनिट
15.
कार्वान टूरिज्म
16.
टूरिस्ट बस और वैन
17.
थीम आधारित रेस्टोरेंट
18.
ग्रामीण पर्यटन प्रोजेक्ट, पर्यटन गांव आदि।
मुख्य
बिंदु:
· विरासत
भवनों का रूपांतरण: सरकार पुराने भवनों या हेरिटेज भवनों को
होटल में तब्दील करने पर भी मदद करेगी, जैसे किले, महल, हवेली
और अन्य आवासीय स्थल।
· अनुदान: नीति
के तहत सरकार 18 प्रकार के प्रोजेक्ट्स को अनुदान और अन्य
सुविधाएं प्रदान करेगी। 10 करोड़ रुपये तक के प्रोजेक्ट्स को अधिकतम 3 करोड़
रुपये का अनुदान मिलेगा, जबकि 50 करोड़
रुपये से अधिक के प्रोजेक्ट्स पर 25% या अधिकतम 25 करोड़
रुपये का अनुदान मिलेगा।
· माइेस (MICE) टूरिज्म: सरकार
मीटिंग, इंसेंटिव, कॉन्फ्रेंस
और एग्जीबिशन (MICE) टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए नए और पुराने
प्रोजेक्ट्स को सहायता प्रदान करेगी।
यह
नीति पर्यटन उद्योग में निवेश को बढ़ावा देने, रोजगार
सृजन, और राज्य की पर्यटन क्षमता को बेहतर बनाने
के उद्देश्य से बनाई गई है।
प्रश्न: बिहार सरकार की नई पर्यटन नीति गाइडलाइन 2024 में कितने प्रकार के प्रोजेक्ट्स को शामिल किया गया है?
A) 12
B) 15
C) 18
D) 20
उत्तर: C) 18
विवरण: बिहार सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा
देने के लिए नई पर्यटन नीति गाइडलाइन 2024
जारी की है, जिसमें कुल 18 प्रकार के प्रोजेक्ट्स को शामिल किया गया है।
बिहार
सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक, 2024
बिहार
विधानसभा में राज्य में सरकारी भर्ती परीक्षाओं में प्रश्नपत्र लीक और अन्य
गड़बड़ियों पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से बिहार सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों
की रोकथाम) विधेयक, 2024 को विपक्ष के बहिर्गमन के बीच ध्वनिमत
से पारित कर दिया।
उल्लेखनीय
है कि बिहार में 1981 में बने कानून में छह महीने
की सजा का प्रावधान था जबकि इस बार सख्त कानून बनाया गया है। उपद्रव
करने वालों को तीन से पांच साल की सजा और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना होगा।
संगठित तरीके से अपराध करने वालों के लिए एक करोड़ रुपये तक की सजा और जुर्माने का
प्रावधान है।
बिहार लोक परीक्षा (अनुचित साधन निवारण)
विधेयक, 2024 |
|
सख्त सजा और जुर्माना |
पेपर लीक और
अन्य गड़बड़ियों में दोषी पाए जाने पर 3 से 5 साल की कैद और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना। |
संज्ञेय और गैरजमानती अपराध |
इस कानून के तहत सभी अपराध संज्ञेय और गैरजमानती होंगे, जिससे आरोपियों की तुरंत गिरफ्तारी संभव होगी। पेपर लीक की
जांच डीएसपी रैंक के अधिकारियों द्वारा की जाएगी। |
सभी परीक्षाओं पर लागू |
राज्य सरकार द्वारा आयोजित सभी परीक्षाओं
में यह कानून लागू होगा। |
मुख्य अपराध |
पेपर या उत्तर लीक करना, बिना अनुमति के प्रश्नपत्र तक पहुंचना, अनाधिकृत व्यक्ति द्वारा प्रश्नपत्र हल करना, और जाली वेबसाइट बनाना शामिल हैं। |
सेवा प्रदाताओं पर कड़ी कार्रवाई |
सेवा प्रदाताओं के लिए 10 साल की सजा,
1 करोड़ तक का जुर्माना, परीक्षा की लागत की वसूली, और 4 साल तक ब्लैकलिस्टिंग। |
प्रश्न:
हाल ही में बिहार विधानसभा द्वारा पारित 'बिहार
सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक, 2024' के संबंध में निम्नलिखित में से
कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
1. इस
विधेयक में प्रश्नपत्र लीक जैसी गड़बड़ियों पर नियंत्रण के लिए 3 से 5 वर्ष की कैद
और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना निर्धारित किया गया है।
2. इस
कानून के तहत सभी अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती माने जाएंगे, तथा पेपर
लीक की जांच डीएसपी रैंक के अधिकारी करेंगे।
3. विधेयक
के अनुसार किसी समूह की संलिप्तता पाए जाने पर 1 करोड़ रुपये के जुर्माने के साथ 5
से 10 वर्ष की सजा का प्रावधान है।
4. 1981
में बने पुराने कानून में 5 वर्ष की सजा का प्रावधान था।
उत्तर
विकल्प:
A.
केवल
1,
2
और 3
B.
केवल
1 और 4
C.
केवल
2 और 3
D.
सभी
कथन सही हैं
उत्तर: A. केवल
1, 2 और 3
स्पष्टीकरण: कथन 4 गलत है: 1981 के पुराने कानून में केवल 6 महीने
की सजा का प्रावधान था। उल्लेखनीय है कि नए विधेयक के तहत परीक्षा का खर्च भी
सेवा प्रदाता से वसूला जाएगा और उन्हें 4 वर्ष के लिए ब्लैक लिस्ट किया जाएगा।
प्रश्न:
पटना नगर निगम द्वारा सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) अपनाने के संबंध में
निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
1.पटना
नगर निगम सीबीडीसी को अपनाने वाला भारत का पहला नगर निगम है।
2.भारतीय
रिजर्व बैंक द्वारा उत्पन्न डिजिटल मुद्रा का नाम 'ई-रुपया' है।
3.सीबीडीसी
का उपयोग पटना नगर निगम क्षेत्र में केवल व्यक्तिगत भुगतान तक सीमित रहेगा।
4.सेंट्रल
बैंक डिजिटल करेंसी सरकार द्वारा जारी मुद्रा है और केंद्रीय बैंक की देयता का
प्रतिनिधित्व करती है।
उत्तर
विकल्प:
A.
केवल
1,
2
और 4
B.
केवल
1,
2
और 3
C.
केवल
1 और 3
D.
सभी
कथन सही हैं
उत्तर: A. केवल
1, 2 और 4
स्पष्टीकरण: कथन 3 गलत है: सीबीडीसी का उपयोग पटना नगर निगम
क्षेत्र में व्यक्तियों के साथ-साथ नगर निगम के राजस्व में योगदान के लिए भी किया
जाएगा।
70वी BPSC टेलीग्राम ग्रुप (Pre+Mains)
BPSC Mains answer writing
batch Pre परीक्षा के बाद आरंभ
होगा।
बिहार की नदियों
को सूखने से बचाने के लिए कार्ययोजना
बिहार सरकार ने राज्य की नदियों को सूखने से बचाने के
लिए एक विस्तृत कार्ययोजना बनायी है। जल संसाधन विभाग की इस योजना का उद्देश्य
नदियों में जल संकट को रोकना और भूजल स्तर को बनाए रखना है। इस योजना के माध्यम
से मानसून अवधि के अधिशेष जल को बर्बाद होने से रोकना और उसे संरक्षित करना है।
इसके तहत मानसून के दौरान नदियों में उपलब्ध अधिशेष जल
को संरक्षित करने के लिए उत्तर और दक्षिण बिहार की नदियों के लिए अलग-अलग योजना
बनाई गई है, क्योंकि इनकी प्रकृति भिन्न है।
1. दक्षिण बिहार की नदियों: यहाँ
चेक डैम और वीयर (छोटे बाँध) बनाए जाएंगे, ताकि मानसून के
दौरान प्राप्त अधिशेष जल का संचय किया जा सके। इससे जहां मानसून की अवधि में बाढ़
का खतरा कम होगा वहीं यह पानी गर्मी के मौसम में नदियों को सूखने से बचाने के लिए
काम आएगा।
2. उत्तर बिहार की नदियों: नदियों
के किनारे तालाब, पोखर और कुएं बनाए जाएंगे, जिसमें मानसून के दौरान पानी का संचय होगा। इससे भूजल स्तर भी मजबूत रहेगा
और गर्मियों में पानी की कमी भी नहीं रहेगी। यह नदियों को सूखने से बचाने में भी
कारगर साबित होगा।
योजना का लाभ:
· नदियों में जल संकट की स्थिति में सुधार होगा।
· भूजल स्तर बना रहेगा, जिससे पानी की
कमी से निपटने में मदद मिलेगी।
· मानसून के पानी का बेहतर प्रबंधन होगा, जिससे
बाढ़ का खतरा भी कम होगा।
इस व्यापक योजना के क्रियान्वयन से बिहार की नदियों को
गर्मी के मौसम में सूखने से बचाने में मदद मिलेगी और जल संकट का समाधान मिल सकेगा।
डोभी
में बिहार के सबसे बड़ा औद्योगिक पार्क
बिहार
के गया जिले के डोभी में राज्य का सबसे बड़ा औद्योगिक पार्क बनने जा रहा है।
राष्ट्रीय औद्योगिक कोरिडोर डेवलपमेंट और इम्प्लीमेंटेशन ट्रस्ट (NICDIT) ने
यहाँ 1670 एकड़ में एकीकृत विनिर्माण क्लस्टर (IMC) बनाने
को मंजूरी दी है। इस परियोजना में यहाँ 6009 करोड़
रुपये के निवेश की संभावना है।
प्रमुख
विशेषताएँ:
1. रोजगार और
आर्थिक विकास: इस औद्योगिक पार्क से 1,09,185 नौकरियां
सृजित होने का अनुमान है। इससे राज्य में रोजगार के नए अवसर खुलेंगे।
2. प्राथमिकता
वाले उद्योग: इस पार्क में कृषि और खाद्य प्रसंस्करण, वस्त्र, ऑटो
कंपोनेंट्स, स्टील-आधारित उत्पाद, मेडिकल
उपकरण, इलेक्ट्रॉनिक्स, निर्माण, फर्नीचर, हस्तशिल्प, और
हथकरघा जैसे क्षेत्रों में निवेश को प्रोत्साहित किया जाएगा।
3. बेहतर
कनेक्टिविटी: डोभी का यह औद्योगिक पार्क अमृतसर-कोलकाता
औद्योगिक कोरिडोर परियोजना का हिस्सा है और जीटी रोड पर स्थित होने के कारण इसकी
कनेक्टिविटी अच्छी है। यहाँ से झारखंड, उत्तर
प्रदेश, और बिहार की राजधानी पटना तक का संपर्क सरल
रहेगा। रेलवे और हवाई अड्डे की कनेक्टिविटी होने से यह पार्क पूर्वी, उत्तरी, और
उत्तर-पूर्व भारत के बड़े बाजारों, साथ ही
नेपाल, बांग्लादेश, और भूटान
से भी माल परिवहन में सहूलियत देगा।
4. प्लग एंड
प्ले मॉडल: यहाँ निवेश को बढ़ावा देने के लिए
"प्लग एंड प्ले" मॉडल के तहत सुविधाएँ दी जाएंगी, जिससे
निवेशक तुरंत अपना व्यवसाय शुरू कर सकेंगे।
इस
औद्योगिक परियोजना से जहां समृद्ध सांस्कृतिक
विरासत एवं ऐतिहासिक महत्व वाले गया जिले को एक महत्वपूर्ण औद्योगिक केंद्र के
रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी वहीं इससे बिहार के औद्योगिक विकास को गति
मिलेगी ।
प्रश्न:
बिहार के गया जिले के डोभी में बनने वाला राज्य का सबसे बड़ा औद्योगिक पार्क किस
प्रकार की परियोजना होगी?
A)
कृषि
पार्क
B)
एकीकृत
विनिर्माण क्लस्टर
C)
आईटी
हब
D)
पर्यटन
स्थल
उत्तर: B) एकीकृत
विनिर्माण क्लस्टर
विवरण:बिहार के गया जिले के डोभी में राज्य का सबसे बड़ा औद्योगिक
पार्क बनने जा रहा है, जिसे राष्ट्रीय
औद्योगिक कोरिडोर डेवलपमेंट और इम्प्लीमेंटेशन ट्रस्ट (NICDIT)
ने 1670 एकड़ में एकीकृत विनिर्माण क्लस्टर (IMC) बनाने के लिए मंजूरी दी है।
Whatsapp/Contact No. 74704-95829
70वी BPSC टेलीग्राम ग्रुप (Pre+Mains)
BPSC Mains answer writing Pre परीक्षा के बाद आरंभ
वायु
प्रदूषण नियंत्रण के लिए दिशा-निर्देश की तैयारी
बिहार
में वायु प्रदूषण पर नियंत्रण और पर्यावरण संरक्षण को लेकर महत्वपूर्ण कदम उठाए जा
रहे हैं। राज्य के प्रदूषण नियंत्रण प्रयासों में चार प्रमुख भारतीय प्रौद्योगिकी
संस्थान (आईआईटी)–आईआईटी कानपुर, आईआईटी दिल्ली, आईआईटी बीएचयू, और आईआईटी पटना –
विभिन्न
विषयों पर अध्ययन कर रहे हैं। इन संस्थानों के अध्ययन से प्राप्त डेटा के आधार पर
बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए दिशा-निर्देश
तैयार करेगा।
सेंसर
नेटवर्क: राज्य के सभी
प्रखंड मुख्यालयों में 534 सेंसर
लगाए गए
हैं। इन सेंसरों से प्राप्त डेटा का उपयोग ग्रामीण क्षेत्रों में वायु प्रदूषण के
स्रोतों और कारणों का पता लगाने के लिए किया जा रहा है। यह सेंसर नेटवर्क
छोटे-छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में प्रदूषण पर नज़र रखने में सहायक है।
विभिन्न आईआईटी
के अध्ययन विषय |
||
आईआईटी पटना |
शहरों में हरित क्षेत्रों के विस्तार की संभावनाओं पर अध्ययन । |
|
आईआईटी कानपुर |
प्रखंड स्तर के सेंसर से प्राप्त डेटा का
संग्रहण और विश्लेषण । |
|
आईआईटी बीएचयू |
पटना समेत अन्य शहरों की भौगोलिक स्थिति
का अध्ययन ताकि क्षेत्रीय परिस्थितियों का वायु प्रदूषण पर पड़ने वाले प्रभाव को
समझा जा सके। |
|
आईआईटी दिल्ली |
औद्योगिक और शहरी क्षेत्रों में वायु
प्रदूषण के स्रोतों का विश्लेषण करना। |
|
प्रारंभिक
निष्कर्ष: प्राप्त शुरुआती आंकड़ों के अनुसार, बिहार
में वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण धूलकण हैं। प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के अधिकारियों
का मानना है कि छोटे शहरों में वायु प्रदूषण के मानकों का सख्ती से पालन नहीं किया
जा रहा है। एक वर्ष के आंकड़ों के अध्ययन के बाद ही ग्रामीण क्षेत्रों के लिए ठोस
दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे।
महत्व: इन
शोधों के निष्कर्ष वायु प्रदूषण के नियंत्रण के लिए कारगर उपायों और
दिशा-निर्देशों का आधार बनेंगे, जिससे पर्यावरण
संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा और ग्रामीण और शहरी इलाकों में वायु गुणवत्ता सुधारने
में मदद मिलेगी।
प्रश्न: बिहार में वायु प्रदूषण पर नियंत्रण और पर्यावरण
संरक्षण के लिए कौन से चार प्रमुख भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) अध्ययन कर
रहे हैं?
A) आईआईटी मद्रास, आईआईटी
मुंबई, आईआईटी रुड़की, आईआईटी दिल्ली
B) आईआईटी कानपुर, आईआईटी
दिल्ली, आईआईटी बीएचयू, आईआईटी पटना
C) आईआईटी दिल्ली, आईआईटी
भोपाल, आईआईटी दिल्ली, आईआईटी कानपुर
D) आईआईटी पुणे, आईआईटी
कानपुर, आईआईटी गुवाहाटी, आईआईटी
बीएचयू
उत्तर: B) आईआईटी कानपुर, आईआईटी दिल्ली,
आईआईटी बीएचयू, आईआईटी पटना
प्रश्न: बिहार के प्रदूषण नियंत्रण प्रयासों में आईआईटी
पटना का अध्ययन किस विषय पर केंद्रित है?
A) जल प्रदूषण नियंत्रण
B) हरित क्षेत्रों के विस्तार की
संभावनाएं
C) ऊर्जा संरक्षण
D) वायु प्रदूषण के प्रभाव
उत्तर: B) हरित क्षेत्रों के विस्तार की संभावनाएं
सतत विकास लक्ष्य इंडिया इंडेक्स 2023-24 रिपोर्ट
नीति आयोग की सतत विकास लक्ष्य (SDG) इंडिया इंडेक्स 2023-24 रिपोर्ट
के अनुसार, बिहार और झारखंड जैसे राज्यों को गरीबी उन्मूलन
के प्रयासों में सुधार की आवश्यकता है। इस रिपोर्ट में देश के सभी राज्यों को उनकी
सामाजिक-आर्थिक स्थिति के आधार पर रैंक किया गया है। इसमें उत्तराखंड शीर्ष स्थान
पर है, इसके बाद केरल, तमिलनाडु,
गोवा, और हिमाचल प्रदेश का स्थान है।
रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु:
1. गरीबी उन्मूलन में सुधार की आवश्यकता: बिहार गरीबी
उन्मूलन सूचकांक (SDG-1) में निचले पायदान पर है। इसके बाद
झारखंड, नागालैंड, मेघालय, और अरुणाचल प्रदेश का स्थान है। हालांकि, इन राज्यों
में बिहार से बेहतर काम हुआ है।
2. गरीबी में कमी: रिपोर्ट के अनुसार पिछले 10 सालों में
भारत में 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए हैं जिसका अर्थ है
कि पिछले 10 वर्षों में देश और खुशहाल हुआ है जिसमें बिहार, अरुणाचल
प्रदेश का नाम भी शामिल है।
3. उत्कृष्ट राज्यों का प्रदर्शन: उत्तराखंड ने इस
रिपोर्ट में शीर्ष स्थान प्राप्त किया है, जबकि
केरल दूसरे स्थान पर है। यह दर्शाता है कि इन राज्यों ने गरीबी उन्मूलन, स्वास्थ्य, शिक्षा, और
पर्यावरण के क्षेत्रों में बेहतरीन प्रदर्शन किया है।
4. महत्वपूर्ण योजनाओं का क्रियान्वयन: सतत विकास लक्ष्यों
को हासिल करने के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्जवला योजना, स्वच्छ भारत, जन धन, आयुष्मान भारत, और
स्टार्ट-अप इंडिया जैसी योजनाएं लागू की । इन योजनाओं के माध्यम से देश में सतत
विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता मिल रही है।
यह रिपोर्ट राज्यों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को सुधारने
और विकास के मार्ग पर लाने में सहायक होगी।
इसरो की मदद से नदियों की गहराई का मापन
बिहार में बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को
कम करने के लिए एक नई पहल की जा रही है। आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने उपग्रह आधारित
डेटा का उपयोग करके नदियों की गहराई और बाढ़ का सटीक पूर्वानुमान लगाने की योजना
बनाई है जिसमें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की मदद ली जाएगी ।
इसरो द्वारा उपलब्ध डेटा और मानचित्रों की मदद से नदियों की धारा में होने वाले बदलावों का विश्लेषण किया जाएगा, जिससे
यह समझा जा सकेगा कि कौन सी नदी कितनी तेजी से धारा बदल रही है और कौन से इलाके
में बाढ़ आने की संभावना अधिक है।
प्रमुख पहलू:
1. उपग्रह डेटा का उपयोग: इसरो के उपग्रह
आधारित डेटा का प्रयोग नदियों की गहराई, नदी की धारा की गति और
तलहटी में जमा गाद का विश्लेषण करने के लिए किया जाएगा, जिससे
बाढ़ की रोकथाम के लिए बेहतर कदम उठाए जा सकें। इसके माध्यम से यह भी पता चलेगा कि
किस इलाके में बाढ़ आने के कारण क्या हैं।
2. ज्योतिषीय गणना का सहारा: आपदा
प्रबंधन प्राधिकरण ने भूकंप, बारिश, सूखा
और अन्य आपदाओं के पूर्वानुमान के लिए प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा के अंतर्गत
ज्योतिषीय गणना का उपयोग करने का निर्णय लिया है। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और
मशीन लर्निंग का सहयोग भी लिया जाएगा, जिससे आपदा
पूर्वानुमान को और सटीक बनाया जा सके।
3. बिहार मौसम सेवा केंद्र की मदद: बिहार
मौसम सेवा केंद्र के सहयोग से इस परियोजना के तकनीकी पहलुओं पर विचार-विमर्श किया
जा रहा है। इस पहल के माध्यम से न केवल बाढ़ बल्कि अन्य आपदाओं जैसे तूफान,
शीतलहर और वज्रपात का भी पूर्वानुमान लगाया जाएगा।
प्रश्न:
बिहार में बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को कम करने के लिए किस तकनीक
का उपयोग किया जा रहा है?
A)
रेडियो
फ्रीक्वेंसी तकनीक
B)
उपग्रह
आधारित डेटा
C)
जलवायु
परिवर्तन मॉडल
D)
तटीय
निगरानी प्रणाली
उत्तर: B) उपग्रह
आधारित डेटा
विवरण: बिहार में आपदा प्रबंधन प्राधिकरण उपग्रह आधारित डेटा का
उपयोग करके नदियों की गहराई और बाढ़ का सटीक पूर्वानुमान लगाने की योजना बना रहा
है, जिसमें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की मदद ली जाएगी।
पटना स्मार्ट सिटी मिशन 31 मार्च 2025 तक विस्तारित
पटना स्मार्ट सिटी मिशन के तहत निर्माणाधीन योजनाओं को
पूरा करने के लिए केंद्र सरकार ने 31 मार्च
2025 तक कार्यकाल बढ़ा दिया है। पटना को स्मार्ट सिटी के रूप
में विकसित करने के प्रयासों में इसे दो भागों
एरिया डेवलपमेंट बेस (एडीबी) और पैन पटना में विभाजित किया गया है।
पटना स्मार्ट सिटी मिशन के एडीबी क्षेत्र के तहत 14 प्रमुख योजनाओं पर काम हो रहा है। इसमें बुनियादी ढांचे
को उन्नत बनाने, यातायात व्यवस्था को सुधारने, और पर्यावरणीय विकास के लिए हरित क्षेत्र विकसित करना शामिल है। यह
क्षेत्र पटना के बीचोंबीच स्थित है और इसमें दक्षिण में मीठापुर शैक्षणिक जोन,
उत्तर में गंगा रिवर फ्रंट, पूरब में गांधी
मैदान, और पश्चिम में पटेल भवन तक का इलाका शामिल है।
पटना स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने एडीबी क्षेत्र के सभी
निर्माणाधीन कार्यों को 31 मार्च 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
पटना स्मार्ट सिटी मिशन की प्रमुख
परियोजनाएं:
1. ट्रैवलेटर सुविधा: पटना में पहली बार लोगों को ट्रैवलेटर की सुविधा मिलेगी।
2. फुट ओवर ब्रिज: एक्सलेटर और लिफ्ट युक्त फुट ओवर ब्रिज का निर्माण बाकरगंज और मंदिरी नाला
पर किया जा रहा है।
3. मल्टी-लेवल पार्किंग: मौर्यालोक परिसर में मल्टी-लेवल कार पार्किंग बनाई जा रही है।
4. शवदाह गृह: बांसघाट में आधुनिक तकनीक से युक्त शवदाह गृह का निर्माण किया जा रहा है।
5. शैक्षणिक जोन: मीठापुर शैक्षणिक जोन में कॉमन फैसिलिटी का निर्माण हो रहा है।
6. मल्टी-मॉडल हब: पटना जंक्शन पर यात्री और वाहन दबाव को कम करने के लिए मल्टी-मॉडल हब का
निर्माण किया जा रहा है।
7. गंगा पथ पर्यटन स्थल: कलेक्ट्रेट से दीघा तक गंगा पथ को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा
रहा है।
केन्द्र सरकार द्वारा वर्ष 2017 में पटना को स्मार्ट
सिटी के रूप में विकसित करने के लिए चयन किया गया था। पटना स्मार्ट सिटी मिशन के
तहत कुल 29 योजनाओं का चयन किया गया था, जिनमें से 15 योजनाएं पहले ही पूरी की जा चुकी हैं,
और बाकी 14 योजनाओं पर काम तेज़ी से चल रहा
है। इन योजनाओं के पूरा होने से पटना में आधारभूत संरचना और सुविधाओं में बड़े
पैमाने पर सुधार होगा।
प्रश्न: पटना स्मार्ट सिटी मिशन के तहत निर्माणाधीन
योजनाओं के कार्यकाल को कब तक बढ़ा दिया गया है?
A) 31 मार्च 2026
B) 31 मार्च 2025
C) 31 दिसंबर 2025
D) 31 जनवरी 2025
उत्तर: B) 31 मार्च 2025
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बिहार में जैव विविधता पार्कों का विकास
बिहार राज्य में हर जिले में एक आईकॉनिक पार्क बनाने की
योजना शुरू की गई है। इन पार्कों में पर्यावरण संरक्षण और जैव विविधता को बढ़ावा
देने के लिए विभिन्न प्रकार के वृक्ष लगाए जाएंगे। इस पहल का उद्देश्य राज्य के
पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव डालना है।
मुख्य बिंदु:
1. जैव विविधता पार्क: हर जिले में
मौजूदा पार्कों में से एक बड़ा पार्क चुना जाएगा जिसे विशेष रूप से जैव विविधता
पार्क के रूप में विकसित किया जाएगा।
2. जिला वन पदाधिकारी: इन पार्कों के
चयन और विकास की जिम्मेदारी जिला वन पदाधिकारियों को दी गई है।
3. औरंगाबाद में जैव विविधता पार्क तैयार
हो चुका है। कैमूर और गया में बड़े पैमाने पर पार्कों का निर्माण योजना के
तहत किया जाएगा।
4. पटना में मरीन ड्राइव के पास 250 एकड़ में एक बड़ा जैव विविधता पार्क बनाने की योजना है।
5. सीड बॉल अभियान: 15 जुलाई 2024 से शुरू होने वाला अभियान, जिसमें पहाड़ों और जंगलों को हरा-भरा करने के लिए सीड बॉल गिराए जाएंगे।
यह अभियान गया के ब्रह्मयोनी पहाड़ से शुरू होगा और अन्य जिलों में फैलेगा,
जिसमें हेलिकॉप्टर और ड्रोन का उपयोग किया जाएगा।
बिहार के डेयरी उत्पादों का विदेशों में निर्यात
हाल ही में न्यूयार्क में आयोजित एक प्रदर्शनी में बिहार
के डेयरी उत्पादों ने अमेरिकी बाजार में ध्यान आकर्षित किया। वहां के बाजारों में सुधा
उत्पादों की मांग बढ़ने पर, बिहार राज्य दुग्ध सहकारी संघ लिमिटेड
(कॉम्फेड) ने इन उत्पादों के निर्यात की योजना तैयार की है।
मुख्य बिंदु:
1. निर्यात की तैयारी: बिहार के नालंदा, बरौनी,
और सीतामढ़ी डेयरियों के पांच प्रमुख उत्पाद—घी, गुलाबजामुन, सोनपापड़ी, लस्सी
और छांछ—निर्यात किए जाएंगे।
2. बिहार का दूध उत्पादन: बिहार दूध उत्पादन में नौवें स्थान पर
है और प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 400 ग्राम प्रतिदिन
है, जो राष्ट्रीय औसत से केवल 44 ग्राम
कम है।
3. कॉम्फेड की योजनाएं: कॉम्फेड बिहार के दुग्ध उत्पादकों की आय बढ़ाने के लिए
विभिन्न योजनाओं पर काम कर रहा है, जिसमें
निर्यात के जरिए सुधा उत्पादों की वैश्विक पहचान बनाने की दिशा में कदम उठाए जा
रहे हैं।
इस प्रयास से बिहार के डेयरी उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय
बाजार में पहचान मिलने की संभावना है, और
इससे राज्य के दुग्ध उत्पादकों की आय में वृद्धि हो सकती है।
प्रश्न: हाल ही में न्यूयार्क में आयोजित एक प्रदर्शनी
में बिहार के कौन से उत्पाद ने अमेरिकी बाजार में ध्यान आकर्षित किया?
A) कृषि उत्पाद
B) हथकरघा वस्त्र
C) डेयरी उत्पाद
D) चाय और मसाले
उत्तर: C) डेयरी उत्पाद
बिहार में प्रधानमंत्री उच्च शिक्षा अभियान
बिहार राज्य में प्रधानमंत्री उच्च शिक्षा अभियान (पीएम
उषा) को लागू करने के लिए बिहार कैबिनेट से स्वीकृति मिलते ही अगले दो वर्षों में
राज्य को उच्च शिक्षा के विकास के लिए 600 करोड़
रुपये मिलने का रास्ता साफ हो गया है। पीएम उषा को
जून 2023 में
राष्ट्रीय स्तर पर लॉन्च किया गया था, और अब इसे बिहार में
लागू किया गया है।
मुख्य बिंदु:
1. आर्थिक सहायता: पीएम उषा के तहत राज्य के
विश्वविद्यालयों और डिग्री कॉलेजों में आधारभूत संरचना, शिक्षण
व्यवस्था, शोध और प्रशिक्षण के लिए आर्थिक मदद दी जाएगी। इस
अभियान के तहत खर्च की राशि का 60% केंद्र और 40% राज्य का होगा।
2. राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत सुधार: पीएम उषा के तहत राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के
प्रावधानों को लागू किया जाएगा, जिसमें उच्च शिक्षा
संस्थानों में आधारभूत संरचना का विकास, परीक्षा प्रणाली में
सुधार और रोजगार क्षमता बढ़ाने के उपाय शामिल हैं।
3. विशेष सहायता: पीएम उषा के तहत बिहार के 19 जिलों के कॉलेजों को विशेष मदद दी जाएगी। इनमें मधेपुरा, गया, किशनगंज, पूर्णियां,
जमुई, औरंगाबाद, लखीसराय,
खगड़िया, मुंगेर, पूर्वी
चंपारण, पश्चिमी चंपारण, सीतामढ़ी,
सुपौल और अररिया जैसे जिले शामिल हैं।
पटना मुख्य नहर पर तातिल व्यवस्था
पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए जल संसाधन विभाग ने तातिल व्यवस्था लागू करने का
निर्णय लिया है, जिससे पटना मुख्य नहर के किसानों को
सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिलेगा।
तातिल व्यवस्था
· तातिल व्यवस्था का उद्देश्य शुष्क मौसम में किसानों को सिंचाई के लिए पानी
की आपूर्ति सुनिश्चित करना है, ताकि उनके खेत
सूखे न रहें और उनकी कृषि कार्य में सहूलियत हो सके।
· तातिल व्यवस्था एक पारंपरिक पद्धति है, जो
पानी की सीमित उपलब्धता के दौरान अलग-अलग क्षेत्रों में बारी-बारी से पानी छोड़ने
के लिए इस्तेमाल होती है।
· इस पद्धति के तहत एक सप्ताह तक पानी की आपूर्ति की जाती है, फिर अगले सप्ताह उसे दूसरे क्षेत्र में स्थानांतरित किया
जाता है। इससे नहरों के अंतिम छोर तक पानी की आपूर्ति सुनिश्चित होती है।
पटना के अलावा, औरंगाबाद
और दाउदनगर क्षेत्रों में भी तातिल व्यवस्था लागू करने की मांग की जा रही है।
प्रश्न: तातिल व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य क्या है?
A) किसानों को ऋण उपलब्ध कराना
B) शुष्क मौसम में किसानों को सिंचाई के
लिए पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करना
C) कृषि उपकरणों की उपलब्धता बढ़ाना
D) किसानों के लिए कृषि प्रशिक्षण कार्यक्रम
आयोजित करना
उत्तर: B) शुष्क मौसम में किसानों को सिंचाई के लिए पानी की आपूर्ति
सुनिश्चित करना
बिहार के खदान राष्ट्रीय नीलामी मानचित्र में शामिल
बिहार की खनिज संपदा के खनन के क्षेत्र में अब एक नया
अध्याय शुरू हो रहा है, क्योंकि पहली
बार बिहार के खदानों को राष्ट्रीय नीलामी मानचित्र में शामिल किया गया है। इसमें बिहार में खोजे गए तीन प्रमुख खदानों – ग्लूकोनाइट,
निकेल, क्रोमियम और प्लैटिनम ग्रुप तत्व को भी सम्मिलित किया गया है।
बिहार खान एवं भूतत्व मंत्री
के अनुसार जुलाई 2024 में हैदराबाद में केंद्र सरकार द्वारा खनन एवं उत्खनन पर होनेवाले
हेकाथन में देश के 8 क्रिटिकल खनिज ब्लॉक के लिए बोली लगाने वाले उम्मीदवारों में बिहार के 3 ब्लॉक भी शामिल हैं।
खनन उद्योग एवं रोजगार में वृद्धि -बिहार में ग्लूकोनाइट, निकेल, क्रोमियम
और प्लैटिनम ग्रुप तत्वों के खदानों को
विकसित करने के लिए केंद्र सरकार के सहयोग से कदम उठाए जा रहे हैं। इन खनिज
पदार्थों के विकास से खनन से जुड़े उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा और खनिज उत्खनन एवं
उत्पादन में बढ़ोतरी होगी। इससे बड़ी संख्या में
रोजगार का सृजन होगा, जिससे बिहार के युवाओं को स्थानीय रोजगार के अवसर मिलेंगे।
खनन नियमावली में संशोधन-केंद्रीय सरकार ने खनन नियमावली में संशोधन कर अवैध खनन पर अंकुश लगाने
और क्रिटिकल खनिजों के औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने का प्रयास किया है। बिहार
सरकार भी केंद्र के सहयोग से खनन क्षेत्र में सुधार लाने के लिए कार्यरत है।
प्रश्न: बिहार में पहली बार राष्ट्रीय नीलामी मानचित्र
में कौन से खनिज सम्मिलित किए गए हैं?
A) स्वर्ण, चांदी और
लोहा
B) ग्लूकोनाइट, निकेल,
क्रोमियम और प्लैटिनम ग्रुप तत्व
C) तांबा, जिंक और
बोक्साइट
D) कोयला, हीरा और
पीतल
उत्तर: B) ग्लूकोनाइट, निकेल, क्रोमियम और प्लैटिनम ग्रुप तत्व
विवरण: बिहार के खनिज संपदा के खनन के
क्षेत्र में एक नया अध्याय शुरू हो रहा है, क्योंकि पहली बार बिहार के खदानों को राष्ट्रीय नीलामी मानचित्र में शामिल
किया गया है। इसमें बिहार में खोजे गए तीन प्रमुख खनिज – ग्लूकोनाइट, निकेल, क्रोमियम और प्लैटिनम ग्रुप तत्व को भी
सम्मिलित किया गया है।
बेगूसराय में एरी सिल्क के उत्पादन की शुरुआत
बिहार के उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा के अनुसार बेगूसराय में एरी सिल्क के उत्पादन की शुरुआत की
जा रही है जिससे रेशम उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। यह पहल बिहार को वस्त्र उद्योग के
क्षेत्र में नई पहचान दिलाने एवं निवेशकों को बिहार में निवेश के लिए प्रोत्साहित
करने में महत्वपूर्ण है।
बेगूसराय में एरी सिल्क का उत्पादन शुरू होने से रेशम की
उपलब्धता सुनिश्चित होगी और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। बिहार में रेशम के कच्चे माल
और कुशल श्रमिकों की प्रचुर उपलब्धता है, जो
इसे वस्त्र उद्योग के निवेशकों के लिए एक आकर्षक विकल्प बनाती है। इसी क्रम में बिहार
में बड़े बाजार का लाभ भी इसके लिए महत्वपूर्ण पक्ष है।
प्रश्न: बिहार के उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा के अनुसार
बेगूसराय में किस उद्योग के उत्पादन की शुरुआत की जा रही है?
A) रासायनिक उद्योग
B) एरी सिल्क उद्योग
C) खाद्य प्रसंस्करण उद्योग
D) इलेक्ट्रॉनिक उद्योग
उत्तर: B) एरी सिल्क उद्योग
विवरण: बिहार के उद्योग मंत्री नीतीश
मिश्रा के अनुसार बेगूसराय में एरी सिल्क के उत्पादन की शुरुआत की जा रही है, जिससे रेशम उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। यह
पहल बिहार को वस्त्र उद्योग के क्षेत्र में नई पहचान दिलाने एवं निवेशकों को बिहार
में निवेश के लिए प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण है।
बिहार में गैर परंपरागत स्रोतों से 16000 मेगावाट बिजली
उत्पादन की संभावना
केंद्र सरकार द्वारा किए गए सर्वेक्षण के अनुसार बिहार
में गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोतों के माध्यम से विशेषकर सौर ऊर्जा के क्षेत्र
में बिजली उत्पादन में अपार संभावनाएं हैं।
बिहार में
गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोतों की संभावनाएं |
|
सौर ऊर्जा |
11,200 मेगावाट |
पवन ऊर्जा |
3,650 मेगावाट |
पनबिजली |
527 मेगावाट |
बायोमास ऊर्जा |
619 मेगावाट |
वेस्ट से ऊर्जा |
73 मेगावाट |
सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार प्रतिदिन 16,000 मेगावाट गैर परम्परागत बिजली का उत्पादन हो सकता है। रिपोर्ट में बिहार
में 11,200 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन की क्षमता का अनुमान लगाया गया है। इसके अतिरिक्त, पवन ऊर्जा, पनबिजली, और बायोमास से भी बिहार में ऊर्जा का उत्पादन
किया जा सकता है, जिससे राज्य की ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति
में मदद मिलेगी। अभी बिहार में हर रोज औसतन 7000 मेगावाट बिजली की खपत हो रही है।
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70वी BPSC टेलीग्राम ग्रुप (Pre+Mains)
BPSC Mains answer writing batch Pre परीक्षा के बाद आरंभ
होगा।
बिहार में गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोतों की संभावनाएं
सौर ऊर्जा (Solar Energy):
· राज्य में सबसे अधिक संभावनाएं सौर ऊर्जा में हैं, जिसमें 11,200 मेगावाट का उत्पादन किया जा सकता है।
· सरकार ने जलाशयों, नहरों और सरकारी भवनों पर सोलर पैनल
लगाने की योजना बनाई है। अब तक 3,500 से अधिक सरकारी भवनों
पर सोलर पावर प्लांट स्थापित किए जा चुके हैं।
पवन ऊर्जा (Wind Energy)
· राजस्थान की तर्ज पर, बिहार में
3,650 मेगावाट पवन ऊर्जा का उत्पादन किया जा सकता है।
पनबिजली (Hydropower)
· बिहार में नदियों और नहरों की भरमार होने से छोटे स्तर पर पनबिजली
परियोजनाएं लगाई जा सकती हैं। अनुमान के अनुसार, छोटी इकाइयों से 527 मेगावाट पनबिजली उत्पादन संभव
है।
बायोमास ऊर्जा (Biomass
Energy)
· बायोमास से 619 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा
सकता है।
वेस्ट से ऊर्जा उत्पादन (Waste-to-Energy)
· वेस्ट पदार्थों से 73 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा
सकता है, जिससे बेकार पदार्थों का सही उपयोग होगा।
देशभर में गैर-परंपरागत ऊर्जा उत्पादन की अपार संभावनाएं
हैं, जिनमें गुजरात सबसे आगे है,
जहाँ 1,80,000 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा सकता है। इसके बाद महाराष्ट्र और कर्नाटक का
स्थान है।
बिहार सरकार की पहल- बिहार सरकार भी गैर-परंपरागत ऊर्जा को
बढ़ावा दे रही है। जल-जीवन-हरियाली अभियान
के तहत सरकारी भवनों पर सोलर पावर प्लांट लगाए जा रहे हैं। लखीसराय के कजरा में
185 मेगावाट की सौर इकाई लगाने के लिए 1,810
करोड़ रुपये की योजना तैयार की गई है। इस तरह की परियोजनाओं से न
केवल बिजली की समस्या का समाधान होगा, बल्कि पर्यावरण
संरक्षण में भी मदद मिलेगी।
निष्कर्षत: कहा जा सकता है कि बिहार में
गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोतों का विकास राज्य की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने और
रोजगार के अवसर बढ़ाने में सहायक साबित होगा। केंद्र और राज्य सरकार के इस दिशा
में उठाए गए कदम ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में
महत्वपूर्ण साबित होंगे।
प्रश्न: बिहार में गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोतों के माध्यम
से कितने मेगावाट बिजली उत्पादन की संभावना है, जैसा कि केंद्र सरकार के सर्वेक्षण रिपोर्ट में उल्लेख
किया गया है?
A) 7,000 मेगावाट
B) 11,200 मेगावाट
C) 16,000 मेगावाट
D) 20,000 मेगावाट
उत्तर: C) 16,000 मेगावाट
विवरण: सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार
प्रतिदिन 16,000 मेगावाट गैर
परंपरागत बिजली का उत्पादन हो सकता है, जिसमें 11,200
मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन की क्षमता का अनुमान लगाया गया है।
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