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Dec 26, 2024

बिहार में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभिन्‍न क्षेत्रों में हालिया प्रगति

 

बिहार में विभिन्‍न क्षेत्रों में हालिया प्रगति


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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के जनवरी 2024 से अक्‍टूबर 2024 के बिहार के समाचार पत्रों पर आधारित  

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प्रशासन एवं विधि एवं कानून व्‍यवस्‍था

बिहार-वन पोर्टल: 300+ सेवाओं का एकीकृत मंच

 

राज्य सरकार द्वारा संचालित 300 से अधिक सेवाओं और योजनाओं को एक ही मंच पर लाना इसका उद्देश्‍य है। सेवाओं का केंद्रीकृत प्रबंधन के तहत सभी विभागों की योजनाओं जैसे प्रमाणपत्र (जैसे आय, जाति, निवास), अनुदान और पेंशन, छात्रवृत्ति, अन्य कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नागरिकों को एकीकृत पोर्टल 'बिहार-वन' के माध्यम से प्रदान की जाएगी तथा नागरिकों को विभिन्न सेवाओं के लिए अलग-अलग पोर्टल पर जाने की आवश्यकता नहीं होगी।

ई पंचायत कोर्ट मैनेजमेंट सिस्टम

बिहार में ग्राम कचहरी के कामकाज ऑनलाइन किया जा रहा है जिसके लिए पंचायती राज विभाग ने राज्य की सभी 8053 पंचायतों के लिए सॉफ्टवेयर तैयार कराया है जिसके लाभ निम्‍न प्रकार समझा जा सकता है।

ग्राम कचहरी में शिकायत और केस निबटारे की स्थिति की पंचायती राज विभाग निगरानी करेगा। 

ई पंचायत कोर्ट मैनेजमेंट सिस्टम में केस दर्ज होने की तिथि, नोटिस भेजने की तिथि और सुनवाई की तिथि दर्ज होने से निपटाने में तेजी आएगी।

ऑनलाईन व्‍यवस्‍था से शिकायत दर्ज करने, दोनों पक्षों के बयान लेने में आसानी होगी।

सुनवाई में देरी के बहाने और पक्षपात नहीं होने से मामलों का तेजी से निपटारा होगा।

सुनवाई और फैसले ऑनलाइन होने से पक्षपात रोकने तथा पारदर्शिता तरीके से निर्णय लेने में मदद मिलेगी ।

इससे दूसरे न्यायालय में भी प्रारंभिक स्तर पर ग्राम कचहरियों के फैसले की जानकारी रखने में सुविधा होगी।

कृषि देव एप एप

बिहार में फसलों की बीमारी एवं पानी की आवश्‍यकता को जानने के लिए इफको किसान द्वारा कृषि देव एप एप विकसित किया गया है। 

संचार तकनीक और इंटरनेट ऑफ थिंग्‍स से तैयार इस एप की सहायता से किसान मृदा की नमी, बीमारी, कीट एवं मौसम संबंधी जानकारी अपने मोबाइल पर प्राप्‍त कर सकते है।

इसके लिए गया में ट्रायल के तौर पर आवश्‍यक यंत्र स्‍थापित किया गया है और जल्‍द ही बिहार के अन्‍य सभी किसानों के लिए उपलब्‍ध कराया जाएगा।

डिजीटल लेनदेन

 

राज्य स्तरीय बैंकिंग कमिटी की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में डिजिटल बैंकिंग और भुगतान साधनों के उपयोग में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है। मार्च 2024 के आंकड़े दर्शाते हैं कि राज्य में तकनीकी वित्तीय सेवाओं का तेजी से विस्तार हुआ है।

मोबाइल बैंकिंग:उपभोक्ताओं की संख्या: मार्च 2024 तक 1.63 करोड़।

इंटरनेट बैंकिंग: उपयोगकर्ता संख्या: मार्च 2024 तक 1.53 करोड़।

पॉश (POS) मशीनों का उपयोग: मार्च 2024 तक बिहार में 82,000 से अधिक।

यह आँकड़े बिहार में डिजिटल वित्तीय सेवाओं की व्यापक स्वीकृति और विकास को दर्शाते हैं, जिससे न केवल बैंकिंग सुविधाएँ बढ़ी हैं बल्कि व्यापारिक लेन-देन भी आसान हुआ है।

ई-शासन के क्षेत्र में बिहार को मिले कुछ प्रमुख पुरस्कार  

 

प्रधानमंत्री राष्ट्रीय लोक प्रशासन उत्कृष्टता पुरस्कार

डिजिटल इंडिया पुरस्कार

सीएसआइ निहिलेंट ई-गवर्नेस अवार्ड

राष्ट्रीय कौशल विकास एवं नियोजनीयता ई-शासन पुरस्कार

अश्विन और मेधा सॉफ्ट पोर्टल के लिए CSI SIG ई-शासन, पुरस्कार

फॉरेंसिक साइंस लैब भवन

 

वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार 28 जिलों में फॉरेंसिक साइंस लैब भवन तैयार कर रही है। मार्च 2025 तक 36 एफएसएल भवनों का निर्माण कार्य पूरा कर लिया जाएगा। इन नई प्रयोगशालाओं से अपराध मामलों में अनुसंधान की गुणवत्ता और गति में सुधार होगा।

वर्तमान में, पटना, भागलपुर, और मुजफ्फरपुर में एफएसएल की सुविधा उपलब्ध है। सभी 12 पुलिस रेंजों और 28 जिलों में वैज्ञानिक जांच की सुविधा उपलब्ध कराए जाने से अपराध मामलों में अनुसंधान तेज और सटीक होगा। उल्‍लेखनीय है कि नए कानूनों के तहत, सात वर्ष से अधिक सजा वाले सभी आपराधिक मामलों में फॉरेंसिक जांच अनिवार्य है।

44 साइबर थानों को जोड़ने के लिए पोर्टल

 

बिहार ने राज्य के सभी 44 साइबर थानों को एक आधुनिक नेटवर्किंग सिस्टम से जोड़ने की योजना बनाई है। इसके लिए एक विशेष पोर्टल तैयार किया जा रहा है, जिसे सी-डैक संस्थान के साथ मिलकर विकसित किया जा रहा है।

इस नेटवर्क से जुड़ने के बाद साइबर थानों के बीच रियल टाइम में अपराधियों की जानकारी साझा की जा सकेगी जिससे उनकी गिरफ्तारी में मदद मिलेगी।

राजगीर और पूर्णिया में क्षेत्रीय विधि-विज्ञान प्रयोगशालाएँ

 

बिहार में न्यायिक प्रक्रिया को और सशक्त बनाने के लिए राजगीर और पूर्णिया में क्षेत्रीय विधि-विज्ञान प्रयोगशालाएँ (FSL) जल्द ही शुरू होंगी।

उल्‍लेखनीय है कि 1 जुलाई 2024 से लागू नए आपराधिक कानूनों के तहत 7 साल से अधिक सजा वाले मामलों में FSL रिपोर्ट अनिवार्य है। इससे पहले, FSL रिपोर्ट पुलिस जांच का अनिवार्य हिस्सा नहीं थी।

बालू के अवैध खनन पर ड्रोन से निगरानी और रोकथाम

 

बिहार सरकार ने बालू के अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए सभी 534 अंचल कार्यालयों में ड्रोन यूनिट स्थापित करने का निर्णय लिया है। इन ड्रोन यूनिट्स के साथ जीपीएस या ड्रोन ग्‍लोब पोजिशनिंग सिस्‍टम का उपयोग किया जाएगा ताकि खनन स्थलों की सटीक जानकारी प्राप्त की जा सके।

बालू का अवैध खनन कई बार रात में भी होती है तो अब ड्रोन की मदद से रात में भी निगरानी की जाएगी, जिससे पुलिस और खनन विभाग के अधिकारी तुरंत कार्रवाई कर सकेंगे।

 

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संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी

बिहार का पहला एआई सुपर कंप्यूटर "परम बुद्ध"

 

सीडैक पटना ने बिहार का पहला एआई-सक्षम सुपर कंप्यूटर "परम बुद्ध" विकसित किया। यह ग्राफिक प्रोसेसिंग यूनिट (GPU) आधारित है, जिससे यह एक साथ कई जटिल कार्य बिना त्रुटि के कर सकता है।

परम बुद्ध का उपयोग आईआईटी बीएचयू, थल सेना, और अन्य क्षेत्रों में टेस्टिंग मोड पर किया गया। इसकी मांग अब आईआईटी पटना जैसे संस्थानों में भी हो रही है।

प्रमुख उपयोग:

नागरिक सुविधाएं: सरकारी सेवाओं, निबंधन, दाखिल-खारिज कार्यों में धीमी गति की समस्या को हल करना।

शहरी विकास: टाउन प्लानिंग, सीवेज लाइन निर्माण, और ट्रैफिक रूट प्लानिंग।

स्मार्ट पुलिसिंग: साइबर अपराध नियंत्रण और प्रभावी पुलिसिंग में सहायता।

कृषि: फसल रोगों का निदान, विज्ञान आधारित खेती, और उपचार के समाधान।

स्वास्थ्य: बीमारियों के प्रभाव और दवाओं के लंबे समय तक पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन।

सूचना प्रौद्योगिकी नीति 2024

 

बिहार में सूचना प्रौद्योगिकी सक्षमित सेवा, इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम डिजाइन एवं विनिर्माण (ईएसडीएम) तथा सहायक उद्योगों के क्षेत्र में निवेशकों को उत्साहित करने और बिहार को उनका पसंदीदा गंतव्य बनाने के लिए आईटी नीति 2024 में अनेक प्रावधान किए हैं।

पूंजीगत सब्सिडी, लीज किराया सब्सिडी, विद्युत टैरिफ सब्सिडी और रोजगार सृजन सब्सिडी जैसे अनेक प्रभावी प्रावधान किए गए हैं।

बिहार आइटी नीति 2024 से लाभ

सूचना एवं प्रौद्योगिकी के दौर में इस नीति से बिहार को आइटी हब बनाने में मदद मिलेगी। 

राज्य सरकार द्वारा सब्सिडी दिए जाने से आईटी संबंधित, उद्योगों, निर्माण को प्रोत्‍साहन मिलेगा।

बिहार आईटी नीति 2024 से आनेवाले कुछ वर्षों में 2 हजार करोड़ से अधिक का निवेश होने का अनुमान है। इससे प्रत्यक्ष रूप से 20 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा।

बिहार में युवाओं को रोजगार का अवसर मिलने से प्रतिभा पलायन पर रोक लगेगी।

लोगों की आय बढ़ने से जीवन स्‍तर बढ़ेगा तथा कर राजस्‍व, आय में वृद्धि होने से अर्थव्‍यवस्‍था आकार बढेगा।

जीविका: डिजिटल प्रशिक्षण में देशभर में अग्रणी

बिहार की जीविका संस्था, आजीविका मिशन के तहत डिजिटल प्रशिक्षण के क्षेत्र में न केवल राज्य बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट कार्य कर रही है। यह पहल समाज के कमजोर वर्गों को डिजिटल रूप से सशक्त बनाते हुए रोजगार के अवसर प्रदान करने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।



 


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स्‍वास्‍थ्‍य एवं पोषण

अस्पतालों में डिजिटल माध्यम से इलाज

मरीजों को सुलभ और त्वरित स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने और तकनीकी का उपयोग कर स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता सुधार करने के उद्देश्‍य से बिहार के अस्पतालों में मरीजों को डिजिटल माध्यम से देखे जाने की सुविधा उपलब्ध है। इस रैंकिंग के अनुसार बिहार में शीर्ष जिला बांका (99.02%) है जबकि सबसे निचला जिला भोजपुर (69.57%) है। इसमें पटना का स्थान 71% के साथ 37वां है।

मरीजों का डिजिटल रिकॉर्ड

 

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार मरीजों का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार करने में बिहार देश में छठे स्थान पर है।  बिहार में जिलों को देखा जाए तो मरीजों का डिजीटल रिकॉर्ड तैयार करने में पटना पहले स्थान पर जबकि शेखपुरा अंतिम पायदान पर है।

बिहार में 25 जून 2024 तक सरकारी अस्पतालों में आने वाले 14.60 लाख मरीजों का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार किया गया। इस सूची में प्रथम स्‍थान उत्तर प्रदेश का है जहां 99.20 लाख मरीजों का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार किया गया।

बाल देखरेख संस्थानों का तकनीकी मॉडल

बिहार सरकार ने एचएमआईएस (हाउस मैनेजमेंट एमआईएस) और सीपीएमआईएस (चाइल्ड प्रोटेक्शन एमआईएस) जैसे दो सॉफ्टवेयर विकसित किए हैं। इन सॉफ्टवेयर की मदद से बाल देखरेख संस्थानों की दैनिक ऑनलाइन निगरानी की जाती है।

बिहार सरकार एवं बाल पोषण में सुधार

बच्चों में उचित पोषण की कमी या कुपोषण नुकसानदेह है क्‍योंक एक  स्वस्थ बच्चा निम्न स्तर के पोषण वाले बच्चे की तुलना में बेहतर ढंग से सीख सकता है। इसी को ध्‍यान में रखते हुए बिहार सरकार द्वारा पोषण में सुधार हेतु पिछले कुछ वर्षों में अनेक प्रयास किए गए हैं।

2016-17 से 2021-22 के बीच बच्चों के ऊपर समग्र खर्च 19.5% वार्षिक दर से बढ़ाई गयी ।

वर्ष 2017-18 में पोषण पर 1352.33 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे जबकि 2022-23 में यह बढ़कर 1768.38 करोड़ रुपये हो गया।

बिहार में बच्चों व महिलाओं के पोषण पर बजट में समेकित बाल विकास परियोजना के तहत 5.9 प्रतिशत की दर से वृद्वि हुई है।

प्रति माह पानी के 21 हजार नमूनों की जांच

 

हालिया निर्णय के अनुसार जिले और अनुमंडल में स्‍थापित लैब के माध्‍यम से पानी की गुणवत्‍ता की जांच के लिए बिहार सरकार प्रति माह करीब 21 हजार नमूनों की नि:शुल्‍क जांच करेंगी । इसके तहत लोग चापाकल, कुंआ, बोरिग, नल आदि के पानी की जांच करा सकते है।

मुख्‍यमंत्री पेयजल निश्‍चय योजना के तहत हर घर नल का जल पहुंचाया जा रहा है । इसी दिशा में लोगों को पीने योग्‍य जल की उपलब्‍धता हो इसलिए लिए गुणवत्‍ता की जांच जरूरी है जिसे देखते हुए यह निर्णय लिया गया है।

पोषण वाटिका के लिए 760 स्‍कूलों का चयन

 

प्रारंभिक स्‍कूलों में पोषण वाटिका के लिए कृषि विज्ञान केन्‍द्र ने बिहार के 760 स्‍कूलों का चयन किया है । इसके तहत हर जिले से 20 स्‍कूलों का चयन किया गया है जहां पर कृषि विज्ञान केन्‍द्र के सहयोग से पोषण वाटिका का संचालन किया जाएगा।

मध्‍याह्न भोजन में बच्‍चों को औषधीय युक्‍त एवं ऑरगेनिक भोजन मिले इसके लिए स्‍कूलों में पोषण वाटिका लगायी जा रही है। सभी स्‍कूलों को पोषण वाटिका हेतु बीज का किट कृषि विज्ञान केन्‍द्र द्वारा उपलब्‍ध कराया जाएगा जो मौसमी सब्‍जी एवं फल के अनुसार रहेगा।

किलकारी बाल भवन के आर्सेनिक फिल्टर प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय पुरस्कार

 

पटना के किलकारी बाल भवन के बच्चों ने विज्ञान और नवाचार के क्षेत्र में अद्वितीय उपलब्धि हासिल की है। सैमसंग कंपनी द्वारा आयोजित राष्ट्रीय विज्ञान प्रोजेक्ट प्रतियोगिता में उनके आर्सेनिक फिल्टर प्रोजेक्ट को प्रथम स्थान प्राप्त हुआ। इस उपलब्धि के लिए उन्हें 50 लाख रुपये का इनाम दिया गया।

आर्सेनिक फिल्टर प्रोजेक्ट की विशेषताएं

आर्सेनिक युक्त पानी को शुद्ध करने के उद्देश्य से तैयार किया गया यह फिल्टर न केवल लागत प्रभावी है, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी है।

इसे बच्चों ने स्वयं तैयार किया और इस पर पांच पेटेंट प्राप्त किए हैं, जिनमें से एक अंतरराष्ट्रीय पेटेंट और चार भारत सरकार द्वारा दिए गए हैं।

यह फिल्टर गंगा के किनारे स्थित गांवों में आर्सेनिक युक्त पानी को शुद्ध करने में सक्षम है। अब तक पटना, भोजपुर, और बक्सर के कई गांवों में इसे चापाकल और नलों में स्थापित किया गया है, जिससे हजारों लोगों को शुद्ध पानी मिल रहा है। इसका लक्ष्य बिहार के दो करोड़ लोगों तक आर्सेनिक मुक्त पानी पहुंचाना है।

बिहार में सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए एचपीवी टीकाकरण

 

बिहार सरकार ने बच्चेदानी के मुंह (सर्वाइकल) कैंसर से बचाव के लिए मुख्यमंत्री बालिका कैंसर प्रतिरक्षण योजना शुरू की है। यह योजना देशभर में अपनी तरह की पहली पहल है, जिसके तहत 9 से 14 वर्ष की बालिकाओं को मुफ्त में ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (एचपीवी) टीका लगाया जा रहा है।

सर्वाइकल कैंसर से बचाव हेतु 9 से 14 वर्ष की बालिकाओं को प्राथमिकता के आधार पर टीकाकरण किया जा रहा है। अगस्त 2024 में बिहार में योजना को स्वीकृति दी गई जिसके बाद बिहार देश का पहला राज्य बना, जहां यह टीका मुफ्त लगाया जा रहा है। वित्‍तपोषण मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कोष से किया जा रहा है।

शिशु मृत्यु दर में कमी लाने हेतु यंग केयर कार्यक्रम

 

बिहार में शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए 23 जिलों में होम बेस्ड यंग केयर कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इसमें आशाओं द्वारा घर-घर जाकर माताओं और उनके अभिभावकों को 3 से 15 माह तक बच्चों के देखभाल संबंधी सलाह दिया जा रहा है।

इस कार्यक्रम में बच्चों को कृमि से मुक्त रखने, बच्चों की बीमारियों जैसे निमोनिया, डायरिया आदि जैसे रोगों के संकेतों की पहचान, टीकाकरण, स्तनपान एवं अनुपूरक आहार, मातृ स्‍वास्‍थ्‍य, साफ सफाई के संबंधी आवश्‍यक जानकारी देने के साथ साथ माताओं एवं अभिभावक को देखभाल के गुर सीखाया जा रहा है।

जल प्रबंधन 

इसरो की मदद से नदियों की गहराई का मापन 

 

बिहार में बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को कम करने के लिए एक नई पहल की जा रही है। आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने उपग्रह आधारित डेटा का उपयोग करके नदियों की गहराई और बाढ़ का सटीक पूर्वानुमान लगाने की योजना बनाई है जिसमें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की मदद ली जाएगी ।

इसरो द्वारा उपलब्ध डेटा और मानचित्रों की मदद से नदियों की धारा में होने वाले बदलावों का विश्लेषण किया जाएगा, जिससे यह समझा जा सकेगा कि कौन सी नदी कितनी तेजी से धारा बदल रही है और कौन से इलाके में बाढ़ आने की संभावना अधिक है।

डैम-बैराज, नहरों की निगरानी हेतु स्‍काडा सिस्‍टम

 

बिहार सरकार का जल संसाधन विभाग राज्‍य में डैम-बराज एवं नहर प्रणालियों के प्रभावी संचालन एवं बेहतर निगरानी के लिए वैज्ञानिक तकनीक के इस्तेमाल की योजना पर विचार कर रही है जिसके लिए विभाग ने डैम, वराज-वीयर व नहर प्रणालियों में स्काडा सिस्टम लगाने की योजना बनायी है।

वर्तमान में पानी की मॉनिटरिंग हेतु कोई पुख्ता प्रबंध नहीं है जिससे किसानों को आवश्‍यकतानुसार पानी नहीं मिल पाता है। कई इलाकों में तो पानी की पर्याप्त उपलब्धता के बाद भी किसानों को पानी नहीं मिलता । स्काडा सिस्टम के बाद इसकी मानिटरिंग बेहतर तरीके से होगी।

बिहार की नदियों को सूखने से बचाने के लिए कार्ययोजना

 

बिहार सरकार ने राज्य की नदियों को सूखने से बचाने के लिए एक विस्तृत कार्ययोजना बनायी है। जल संसाधन विभाग की इस योजना का उद्देश्य नदियों में जल संकट को रोकना और भूजल स्तर को बनाए रखना है। इस योजना के माध्‍यम से मानसून अवधि के अधिशेष जल को बर्बाद होने से रोकना और उसे संरक्षित करना है।

इसके तहत मानसून के दौरान नदियों में उपलब्ध अधिशेष जल को संरक्षित करने के लिए उत्तर और दक्षिण बिहार की नदियों के लिए अलग-अलग योजना बनाई गई है, क्योंकि इनकी प्रकृति भिन्न है।

1.  दक्षिण बिहार की नदियों: यहाँ चेक डैम और वीयर (छोटे बाँध) बनाए जाएंगे, ताकि मानसून के दौरान प्राप्त अधिशेष जल का संचय किया जा सके। इससे जहां मानसून की अवधि में बाढ़ का खतरा कम होगा वहीं यह पानी गर्मी के मौसम में नदियों को सूखने से बचाने के लिए काम आएगा।

2.  उत्तर बिहार की नदियों: नदियों के किनारे तालाब, पोखर और कुएं बनाए जाएंगे, जिसमें मानसून के दौरान पानी का संचय होगा। इससे भूजल स्तर भी मजबूत रहेगा और गर्मियों में पानी की कमी भी नहीं रहेगी। यह नदियों को सूखने से बचाने में भी कारगर साबित होगा।

योजना का लाभ:

·  नदियों में जल संकट की स्थिति में सुधार होगा।

·  भूजल स्तर बना रहेगा, जिससे पानी की कमी से निपटने में मदद मिलेगी।

·  मानसून के पानी का बेहतर प्रबंधन होगा, जिससे बाढ़ का खतरा भी कम होगा।

इस व्यापक योजना के क्रियान्वयन से बिहार की नदियों को गर्मी के मौसम में सूखने से बचाने में मदद मिलेगी और जल संकट का समाधान मिल सकेगा।


 

 


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बिहार में भू-जलस्तर मापन हेतु भू-तकनीकी सेंसर

 

बिहार में 98 स्थानों पर केंद्रीय जल बोर्ड द्वारा भू-जलस्तर और मिट्टी की गुणवत्ता मापने के लिए पीजोमीटर लगाए जा रहे हैं। इनमें से 23 स्थानों पर सेंसर पहले ही लगाए जा चुके हैं, और शेष 75 स्थानों पर कार्य प्रगति पर है।

पीजीमीटर एक भू-तकनीकी सेंसर है, जिनका उपयोग जमीन में छिद्र जल दबाव (पीजोमेट्रिक स्तर) को मापने के लिए किया जाता है। यह सेंसर न केवल भू-जलस्तर मापने में मदद करेंगे, बल्कि विभिन्न मिट्टी, रेत, और कंक्रीट संरचनाओं में पानी के दबाव का विस्तृत विवरण भी प्रदान करेंगे। बारिश के पहले और बाद में भूमि की रिचार्ज स्थिति का पता चलेगा।

इन सेंसर में डिजिटल वाटर लेवल रिकॉर्डिंग सिस्टम और टेलीमेट्री जैसे उपकरण लगाए जा रहे हैं, जो दिन में चार बार भू-जलस्तर मापेंगे और डेटा को सर्वर पर स्वतः भेजेंगे। यह तकनीक सिंचाई और पेयजल योजनाओं की नीति बनाने और उन्हें लागू करने में सहायक होगी, जिससे जल संसाधनों का सही प्रबंधन संभव होगा।

 

 

ऊर्जा क्षेत्र

बांका में बिहार का सबसे बड़ा सोलर पावर प्‍लांट आरंभ

बिहार के बांका में बिहार का अब तक का सबसे बड़ा 50 मेगावाट का सोलर पावर प्‍लांट आरंभ हो गया है। इस प्‍लांट के चालू हो जाने के बाद राज्य सरकार का सालाना 17 करोड़ बचेगा। बिहार में अभी 150 मेगावाट सोलर बिजली का उत्पादन हो रहा है।

पहाड़ों पर लगाया जाएगा सोलर प्‍लांट

 

बिहार के ऊर्जा मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव ने कहा कि राजगीर और गया जैसे जगहों पर जहां हरियाली रहित पहाड़ हैं, वहां सोलर प्लांट के द्वारा सौर ऊर्जा उत्पादन करने की संभावनाओं के लिए सर्वेक्षण किया जाना चाहिए।

राज्य में सबसे अधिक संभावनाएं सौर ऊर्जा में हैं, जिसमें 11,200 मेगावाट का उत्पादन किया जा सकता है।

सरकार ने जलाशयों, नहरों और सरकारी भवनों पर सोलर पैनल लगाने की योजना बनाई है। अब तक 3,500 से अधिक सरकारी भवनों पर सोलर पावर प्लांट स्थापित किए जा चुके हैं।

घरेलू बिजली उपभोक्ता में बिहार देश में तीसरे स्‍थान पर

 

अद्यतन आंकड़ों के अनुसार बिहार में बिजली उपभोक्‍ता की संख्‍या 2 करोड़ को पार कर गयी है तथा इसी के साथ बिहार घरेलू बिजली उपभोक्ता मामले में देश में तीसरे स्‍थान पर पहुंच गया है। पहले स्‍थान पर असम और दूसरे पर झारखंड है। 

एक दशक पहले बिहार में मात्र 40 लाख बिजली उपभोक्ता थे। इसके बाद हर घर बिजली योजना का असर हुआ और मात्र दो साल में ही राज्य में बिजली उपभोक्ताओं की संख्या बढ़कर डेढ़ करोड़ पार कर गई।

उद्योगों के लिए हरित ऊर्जा

बिहार में औद्योगिक उपभोक्ताओं को ग्रीन एनर्जी (हरित ऊर्जा) का विकल्प उपलब्ध कराने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है । यह योजना सोलर, विंड, और अन्य गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोतों पर आधारित होगी जिसके लाभ को निम्‍न प्रकार समझा जा सकता है:

औद्योगिक उपभोक्ताओं को कोयला-आधारित बिजली के बजाय सस्ती और हरित ऊर्जा मिलेगी।

कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा।

ग्रीन एनर्जी उपभोग करने वाले उपभोक्ताओं को हरित प्रमाणपत्र और अतिरिक्त सुविधाएं मिलेंगी।

ग्रीन एनर्जी ओपन एक्सेस का उद्देश्य:

2030 तक हरित ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देना।

कोयला आधारित बिजली की खपत में कमी कर कार्बन उत्सर्जन में 45% की कटौती।

बिहार में हरित ऊर्जा आधारित उद्योगों का विकास और पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करना।

 कचरा एवं अपशिष्‍ट प्रबंधन

ठोस कचरा प्रबंधन और बायोगैस प्लांट

पटना नगर निगम क्षेत्र में ठोस कचरे के बढ़ते प्रबंधन संकट को देखते हुए रामाचक बैरिया में 100 टन क्षमता वाले कंप्रेस्ड बायो गैस प्लांट की स्थापना की योजना बनाई गई है। यह योजना ठोस कचरा प्रबंधन नियम-2016 के तहत तैयार की गई है, और इससे कचरे के वैज्ञानिक निपटान के साथ ऊर्जा उत्पादन संभव होगा।

पटना में नालों की सफाई के लिए रोबोट

 

पटना में अब तक नालों और मैनहोल की सफाई के लिए सक्कर मशीन, जेटिंग मशीन, उच्च दबाव वाली क्लीनर मशीन तथा ड्राई क्लीनिंग मशीन का इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन अब रोबोट से इसकी सफाई होगी।

पटना के सैदपुर नाला का डिजाइन भी इसी प्रकार से बनाया जा रहा है कि इसकी नियमित सफाई रोबोट की जा सके। पटना का यह पहला नाला होगा, जो रोबोट सफाई के मद्देनजर बनाया जा रहा है।

इंटेलिजेंट स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज सिस्टम

दिल्ली आईआईटी की मदद से पटना नगर निगम क्षेत्र के 9 प्रमुख ड्रेनेज पंपिंग स्टेशनों को जल निकासी की नई प्रणाली से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। इस प्रणाली से नाला ओवर फ्लो नहीं करेगा और जलजमाव से मुक्ति मिलेगी।

प्रत्येक ड्रेनेज पंपिंग स्टेशनों के जल स्तर का सही समय पर सही आंकड़ा तैयार करने के लिए इसमें सेंसर लगाए जाएंगे। वहीं सीसीटीवी कैमरों से डीपीएस की 24 घंटे निगरानी भी होगी तथा बारिश के दौरान जल स्तर, उसकी निकासी की ऑनालइन निगरानी की जाएगी।

प्रदूषण

गंगा प्रदूषण

गंगा और उसकी सहायक नदियों को स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त रखने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने गंगा के किनारे 100 मीटर तक पूजन सामग्री फेंकने पर प्रतिबंध लगाया है। तथा आदेश का पालन न करने पर जुर्माना लगाया जाएगा। इस हेतु घाटों पर जागरूकता बढ़ाने के लिए सूचना पट लगाए जाएंगे।

देश के छह प्रतिष्ठित संस्थानों, जैसे IIT-BHU, NIT पटना, और MIT मुजफ्फरपुर ने मई 2024 में गंगा के जल की स्थिति का अध्ययन किया। सेंसर के माध्यम से किए गए इस सर्वेक्षण में यह पाया गया कि नदी में सीधे दूषित जल बहाने वाले उद्योग जल की गुणवत्ता को बुरी तरह प्रभावित कर रहे हैं।

राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान गोवा और राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद नई दिल्ली द्वारा हरिद्वार, आगरा, प्रयागराज और पटना मेंकिया गया अध्ययन के अनुसार गंगा और यमुना में माइक्रो प्लास्टिक का जहर बढ़ता जा रहा है।

पटना में ग्रीन बेल्ट योजना

पटना शहर में बढ़ते प्रदूषण और धूल की समस्या को ध्यान में रखते हुए, शहर को ग्रीन बेल्ट के रूप में विकसित किया जा रहा है। यह योजना स्मार्ट सिटी परियोजना के अंतर्गत पिछले साल से शुरू की गई थी।

इस योजना का मुख्य उद्देश्य हवा में उड़ने वाले धूल के कणों को रोकना और शहर में प्रदूषण को कम करना है। ग्रिल से घेराबंदी कर, इन क्षेत्रों में पौधरोपण किया जाएगा, जो प्रदूषण नियंत्रण में मदद करेगा और शहर की आबोहवा को सुधारने का काम करेगा।

वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए दिशा-निर्देश

 

राज्य के प्रदूषण नियंत्रण प्रयासों में चार प्रमुख भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)–आईआईटी कानपुर, आईआईटी दिल्ली, आईआईटी बीएचयू, और आईआईटी पटना – विभिन्न विषयों पर अध्ययन कर रहे हैं। इन संस्थानों के अध्ययन से प्राप्त डेटा के आधार पर बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए दिशा-निर्देश तैयार करेगा।

सेंसर नेटवर्क: राज्य के सभी प्रखंड मुख्यालयों में 534 सेंसर लगाए गए हैं। इन सेंसरों से प्राप्त डेटा का उपयोग ग्रामीण क्षेत्रों में वायु प्रदूषण के स्रोतों और कारणों का पता लगाने के लिए किया जा रहा है। यह सेंसर नेटवर्क छोटे-छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में प्रदूषण पर नज़र रखने में सहायक है।

पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और आपदा प्रबंधन

 

बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 'बिहार के लिए जलवायु अनुकूल और निम्न कार्बन विकासपथ' रणनीति विकसित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के साथ एक साझेदारी की है जलवायु अनुकूल और निम्न कार्बन विकासपथ' का लक्ष्‍य निम्‍नलिखित है

2070 तक कार्बन उत्सर्जन को न्यूनतम संभव सीमा तक ले आना।

जलवायु अनुकूल विकास पर फोकस करना।

ऊर्जा, उद्योग, परिवहन, निर्माण आदि क्षेत्रों में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन का विश्लेषण करना।

राज्य में सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों में अरक्षितता विवरणियां विकसित करना ।

बिहार में जलवायु परिवर्तन से निपटने के उपाय

बिहार राज्य में औसत तापमान में 0.8°C वृद्धि और बारिश में 22% की कमी से हीटवेव, बिजली गिरने और अन्य आपदाओं में वृद्धि हुई है। इन खतरों को कम करने के लिए बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की हालिया बैठक में विभिन्न विभागों ने समन्वित प्रयासों पर जोर देते हुए जमीनी स्तर पर प्रभावी योजनाओं को लागू करने पर सहमति जतायी जिसे निम्‍न प्रकार समझा जा सकता है।

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग: पौधरोपण और जैव विविधता संरक्षण पर बल।

लघु जल संसाधन विभाग: सिंचाई में प्राकृतिक ढलान का उपयोग, लिफ्ट सिंचाई योजनाओं और भूमिगत जल स्रोतों का प्रभावी उपयोग।

ऊर्जा विभाग:सौर ऊर्जा कार्यक्रमों को बढ़ावा।

स्वास्थ्य विभाग: जलवायु परिवर्तन जनित बीमारियों का प्रबंधन।

कृषि विभाग: जलवायु अनुकूल खेती पर जोर।

शहरी विकास एवं आवास विभाग: शहरी बाढ़ प्रबंधन और वर्षा जल प्रबंधन।

ग्रामीण विकास विभाग: जलवायु अनुकूल कृषि तकनीक, भूमि संरक्षण, और जल संसाधन प्रबंधन।

नालंदा विश्‍वविद्यालय-विश्‍व का सबसे बड़ा नेट जीरो कैंपस

 

राजगीर की वैभारगिरि की तलहटी में बना अंतरराष्ट्रीय नालंदा विश्वविद्यालय का कैंपस विश्व का सबसे बड़ा नेट जीरो कैंपस है। 'पंचामृत' सूत्र के आधार बने इस कैम्‍पस की नींव 19 सितम्‍बर 2014 को तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज द्वारा रखी गयी एवं इसका उद्घाटन वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी द्वारा जून 2024 में किया गया। इस उद्घाटन कार्यक्रम का नाम राजगीर परिदर्शन दिया गया है।

 

महत्‍वपूर्ण तथ्‍य

8.3 किलोमीटर लंबी दीवार से घिरे तथा 455 एकड़ में बने इस परिसर का निर्माण पर्यावरण-अनुकूल, हरित, कार्बन तटस्थ तथा अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप कराया गया है।

नेट जीरो का तात्‍पर्य यह है कि जो भी कार्बन उत्सर्जन होता है, उसे उतनी ही मात्रा में वायुमंडल से बाहर निकालकर संतुलित किया जाता है। वर्ष 2019 में इंग्लैंड की सरकार नेट जीरो उत्सर्जन का कानून पारित कर ऐसा करनेवाली पहली प्रमुख अर्थव्यवस्था बनी।

इस कैंपस में जहां बागवानी के लिए हजारों पौधे लगे हैं। वहीं 100 एकड़ के जल निकाय बनाने के लिए दो दर्जन से अधिक बड़े- छोटे तालाब बनाए गए हैं। 

यह भारत में अपनी तरह का पहला परिसर है, जिसमें नेट जीरो ऊर्जा, पानी, उत्सर्जन और अपशिष्ट शामिल हैं। सौर ऊर्जा न केवल परिसर की जरूरतों को पूरा करता है, बल्कि उससे भी अधिक बिजली बनाती है।

यह भारत में ऐसा पहला कैंपस है जहां आहर-पाइन नेटवर्क की स्वदेशी जल प्रबंधन प्रणाली के माध्यम से वर्षाजल का संचयन कर उसी जल का उपयोग यहां के कैम्पस में सालोंभर होता है।

नालंदा विश्‍वविद्यालय के सभी प्रशासनिक भवन वातानुकूलित हैं तथा इन भवनों में एसी चलाने के लिए भाप ऊर्जा का उपयोग किया जा रहा है।

बिहार का मौसम पूर्वानुमान मॉडल

 

वर्ष 2023 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा सरदार पटेल भवन में बिहार मौसम सेवा केंद्र का शुभारंभ किया था जिसके माध्‍यम से पंचायत स्तर की मौसम की सटीक जानकारी पांच दिन पहले किसानों और आमलोगों को दी जा रही है।

बिहार के मौसम पूर्वानुमान मॉडल को राष्‍ट्रीय अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर सराहा गया तथा कई राज्‍यों के साथ साथ देश में भी इस मॉडल को अपनाने पर विचार किया जा रहा है। उल्‍लेखनीय है कि हाल ही में राजस्थान, यूपी, झारखंड, ओडिशा व तमिलनाडु ने बिहार के मौसम पूर्वानुमान में दिलचस्पी दिखायी तथा कई वैज्ञानिक ने बिहार का दौरा किया वहीं कुछ दिन पहले नासा के वैज्ञानिक भी बिहार का मौसम केंद्र देखने थे।

आपदा प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन

NITISH डिवाइस

हाल ही में बिहार राज्‍य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा लाए गए NITISH डिवाइस लाया गया जिसका पूर्ण रूप Novel Initiative Technological Intervention for Safety of Humanlives है । इसकी विशेषताएं निम्‍न है

किसानों एवं आम जनता को बाढ़, हीटवेव्‍स, शीतलहर, वज्रपात आदि जैसी आपदाओं संबंधी अलर्ट उपलब्‍ध कराने हेतु बनायी गयी लॉकेट आकार की डिवाइस।

यह पेंडेंट शरीर की ऊष्मा से चार्ज होगा जो तीन तरह से अलर्ट जारी करेगा। सबसे पहले ध्वनि संदेश उसके बाद इसका रंग हरे से लाल हो जाएगा और अंत में यह डिवाइस तब तक गर्म होता रहेगा जब तक उपयोगकर्त्ता द्वारा इसे ऑफ नहीं किया जाता।

आपात स्थिति से निपटने हेतु ग्रीन पैसेज

 

अगलगी या किसी अग्निकांड पर शीघ्र नियंत्रण पाने हेतु यातायात बाधाओं से बचते हुए बचाव दल एवं अग्निशमन वाहनों का समय पर पहुंचाने हेतु पटना में 'ग्रीन पैसेज' बनाया जाएगा।   

अग्निशमन विभाग, ट्रैफिक पुलिस और जिला प्रशासन में इस दिशा में कार्य योजना को अंतिम रूप देने में लगा हुआ है। इस व्‍यवस्‍था में अगलगी की आपात स्थिति में अग्निशमन स्टेशन से घटनास्थल तक ट्रैफिक के पूरे मार्ग को दमकल के लिए क्लियर किया जाएगा। इसके अलावा मार्ग में कोई बाधा या अवरोध आती है तो वैकल्पिक मार्ग की भी व्यवस्था रखी जाएगी ।

बिहार के स्‍कूलों में तरणताल निर्माण एवं तैराकी प्रशिक्षण

 

आपदा जोखिम न्यूनीकरण रोडमैप 2015-30 के लक्ष्‍यों एवं वर्ष 2030 तक प्राकृतिक आपदाओं से होने वाली मौतों में 75 फीसदी और आपदा प्रभावितों की संख्या में 50 प्रतिशत की कमी लाने को ध्‍यान में रखते हुए बिहार में सुरक्षित तैराकी कार्यक्रम शुरू किया गया है। इसके तहत अति बाढ़ प्रभावित जिलों में प्राथमिकता के आधार पर स्वीमिंग पूल बनाने का निर्णय लिया गया है।

इस के तहत सरकारी स्कूलों खासकर बाढ़ प्रभावित जिलों के विद्यालयों में स्वीमिंग पूल बनाये जाएंगे जिसकी मदद से छात्र-छात्राओं को तैराकी में दक्ष बनाया जाएगा ताकि, बाढ़ एवं अन्‍य आपदाओं के समय वे न केवल खुद का बचाव कर सके बल्कि दूसरे को भी हरसंभव मदद पहुंचा सकें।

ड्रोन निगरानी से बाढ़ की तैयारी में मदद

 

बिहार में बाढ़ की समस्या लगातार बनी रहती है, जिससे हर साल भारी तबाही होती है। जल संसाधन विभाग ने इस समस्या से निपटने के लिए एक नई पहल शुरू की है, जिसके तहत नदियों के बहाव की निगरानी ड्रोन द्वारा की जाएगी। इस पहल का उद्देश्य बाढ़ के दौरान नदियों के बदलते व्यवहार और तटबंधों पर पड़ने वाले दबाव का अध्ययन करना है, जिससे भविष्य में बाढ़ की स्थिति को बेहतर तरीके से नियंत्रित किया जा सके।

बिहार में नदियों की प्रवृत्ति

कई स्थानों पर तटबंध टूटने के कारण नदियों में अप्रत्याशित पानी आ जाता है ।

नदियों की धारा कभी कमजोर तो कभी खतरे के निशान से ऊपर पहुंच जाती हैं।

तटबंधों पर भारी दबाव से कई जगह नए संवेदनशील स्थल विकसित होते हैं।

नदियों के बदलते व्यवहार,धारा और सूखी नदियों का अचानक बढ़ता जल स्तर जल विशेषज्ञों के लिए चिंता का विषय है।

सूखी नदियां भी तटबंधों को क्षतिग्रस्त कर रही हैं जिससे नए-नए इलाकों में बाढ़ का पानी फैल रहा है।

बिहार में हर साल औसतन 800 करोड़ रुपये बाढ़ की तैयारियों में खर्च होते हैं। इसमें कमी आ सकती है।

उपरोक्‍त कारणों से बाढ़ का खतरा बढ़ने तथा उनके प्रभाव के सटीक अनुमान एवं पूर्व तैयारी में कठिनाई आती है। ड्रोन निगरानी से भविष्य में बाढ़ की तैयारी को और बेहतर बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाने में भी मदद मिलेगी।

ड्रोन निगरानी का महत्व:

मानसून से पहले और बाद में नदियों के बहाव की प्रकृति का अध्ययन करने में।

बाढ़ के दौरान नदी धारा में विचलन ज्ञात करने में ।

तटबंधों पर दबाव की जानकारी प्राप्‍त करने में

निम्‍न स्‍थानों का पता लगाने में जहां  बाढ़ का पानी फैलने की संभावना है।

इस प्रकार उपरोक्‍त आंकड़ों की मदद से जल विशेषज्ञों को नदियों के व्यवहार को समझने तथा प्रभावी उपाए योजना बनाने में मदद मिलेगी।

भावी आपदाओं से निपटने हेतु बिहार सरकार के प्रयास

 

अप्रैल 2024 में बिहार सरकार द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार अब बिहार में भविष्य में आने वाली आपदाओं से लड़ने में ज्यादा सक्षम बनाने हेतु आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और विशेषज्ञों की मदद ली जाएगी। इसके लिए यातायात इंजीनियरिंग, भूजल संकट, नवीकरणीय ऊर्जा, नगर विकास विशेषज्ञ की नियुक्ति की जाएगी ।

आपदा से संबंधित चार श्रेणी से बढ़ाकर आठ श्रेणियों में विशेषज्ञ रखे जाएंगे। पहले जहां 26 विशेषज्ञ होते थे अब उनकी संख्या बढ़ाकर 48 कर दी गई है। इसमें बाढ़, जलसंकट, औद्योगिक सुरक्षा, अग्निकांड, आईटी, दुर्घटनाओं को कम करने वाले विशेषज्ञ शामिल हैं।

जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से बिहार में खेती

जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से बिहार में खेती के तौर-तरीके भी बदल रहे हैं तथा किसानों द्वारा आधुनिक एवं मशीन आधारित खेती अपनायी जा रही है जिसे निम्‍न प्रकार समझा जा सकता है

बिहार की फसल पद्धति में बदलाव हुआ है तथा कृषि के सहायक उत्पाद की ओर किसानों का रुझान बढ़ा है।

बिहार में जहां बाग-बगीचे बढ़ रहे है वहीं सब्जियों की खेती में रुझान बढ़ा है।

इसके अलावा तालाब में मछली पालन के साथ मखाना की खेती, पशुओं की नस्ल सुधारकर दूध उत्पादन बढ़ाने, मशरुम, शहद उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

जलवायु अनुकूल गुणवत्तायुक्त बीज को महत्‍व देते हुए कृषि विभाग द्वारा गर्मी की मार झेलने वाले तथा कम बारिश में भी बेहतर उत्पादन देनेवाले बीजों को उपलब्‍ध कराया जा रहा है।

खरपतवार और कीटों का प्रकोप बढ़ने से किसान कीटनाशक का प्रयोग ज्यादा करने लगे हैं।

सूखा क्षेत्र बढ़ने तथा बारिश में कमी से सिंचाई की ज्यादा जरूरत पड़ने से फसल लागत बढ़ी है।

डिजिटल माध्‍यम में किसानों को मौसम, आपदाओं, एवं कृषि संबंधी जानकारी उपलब्‍ध करायी जा रही है।

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