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Mar 21, 2025

BPSC Mains Answer writing test

BPSC Mains Answer writing test 



प्रश्न: हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में भारत की ‘एकीकरणकर्ता’ के रूप में भूमिका अपनायी गयी रणनीतियों/पहलों और उनसे उत्पन्न चुनौतियों का विश्लेषण करें तथा बताएं कि भारत अपनी प्रभावी एकीकरणकर्ता की भूमिका हेतु और क्‍या उपाए कर सकता हैं?  

उत्तर: हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में भारत की भौगोलिक स्थिति, आर्थिक निर्भरता और सुरक्षा आवश्यकताएं इसे क्षेत्र में एकीकरणकर्ता के रूप में स्थापित करने के लिए प्रेरित करती हैं। भारत की एकीकरणकर्ता के रूप में भूमिका को सुदृढ़ करने की रणनीतियाँ और नीतियों को निम्‍न प्रकार देखा जा सकता है।

 

सुरक्षा और रक्षा सहयोग

  • स्वदेशी विमान वाहक पोतों जैसे आईएनएस विक्रांत और पनडुब्बियों के निर्माण में तेजी द्वारा नौसेना क्षमता का विस्तार
  • क्‍वाड संगठनों एवं मालाबार और मिलन जैसे सैन्य अभ्यासों के माध्यम से रक्षा साझेदारी सुदृढ़ बनाना।
  • वास्तविक समय में समुद्री खतरों की निगरानी के लिए Information Fusion Center – IOR जैसी प्रभावी पहल।

 

आर्थिक कूटनीति

  • भारत द्वारा नीली अर्थव्‍यवस्‍था के प्रोत्साहन, सागर पहल, डीप ओशन मिशन।
  • सागरमाला परियोजना के तहत बंदरगाहों का आधुनिकीकरण और लॉजिस्टिक कनेक्टिविटी को सुदृढ़ करना।
  • लाइन ऑफ क्रेडिट और ग्रांट-इन-एड के माध्यम से क्षेत्रीय देशों को वित्‍तीय सहायता।

 

राजनयिक और बहुपक्षीय सहयोग

  • हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) में भारत की सक्रिय भूमिका क्षेत्रीय समन्वय को मजबूत करती है।
  • क्वाड (Quad) और इंडो-पैसिफिक इनिशिएटिव के माध्यम से भारत क्षेत्रीय सुरक्षा और आपदा प्रबंधन में योगदान दे रहा है।
  • HADR (Humanitarian Assistance and Disaster Relief): भारत क्षेत्रीय संकटों के दौरान प्रथम प्रतिक्रियाकर्ता की भूमिका निभाता है, जैसा कि मेडागास्कर और मालदीव में देखा गया।

 

भारत का ‘सागर सिद्धांत’ और हिंद महासागर सम्मेलन जैसे प्रयास न केवल क्षेत्रीय सहयोग को प्रोत्साहित करते हैं, बल्कि भारत की वैश्विक नेतृत्वकारी भूमिका को भी रेखांकित करते हैं। हांलाकि भारत की ‘एकीकरणकर्ता’ की भूमिका की राह में कुछ चुनौतियाँ भी है जो निम्‍न है

 

  • चीन का बढ़ता प्रभाव- स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स, जिबूती में सैन्य अड्डा,  हंबनटोटा बंदरगाह और ग्वादर पोर्ट में चीन का प्रभाव भारत की सामरिक स्थिति के लिए चुनौती है।
  • समुद्री सुरक्षा और गैर-पारंपरिक खतरे- समुद्री डकैती, आतंकवाद साइबर हमले और ड्रग तस्करी जैसे गैर-पारंपरिक खतरों से निपटने हेतु क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करने की चुनौती।
  • राजनयिक अस्थिरता- मालदीव का ‘इंडिया-आउट’ अभियान और श्रीलंका में चीनी प्रभाव से भारत के कूटनीतिक हित प्रभावित हो सकते हैं।
  • पर्यावरणीय चुनौतियाँ- चक्रवात और समुद्री स्तर में वृद्धि जैसी प्राकृतिक आपदाएँ क्षेत्रीय सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता हेतु बाधक।

 

इस प्रकार भारत की एकीकरणकर्ता के रूप में भूमिका क्षेत्रीय शांति, शक्ति संतुलन,  स्थिरता और विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है जिसकी राह में आनेवाली चुनौतियों को दूर करने की आवश्यकता है।

 

भारत इस दिशा में ग्रेट निकोबार ट्रांसशिपमेंट हब जैसी विकास परियोजनाएँ, नीली अर्थव्यवस्था को प्रोत्‍साहन, आपदा प्रबंधन क्षमता को मजबूत बनाते हुए हिन्‍द प्रशांत देशों के साथ सहयोग और साझेदारी जैसे प्रयासों को आगे बढ़ा रहा है फिर भी भारत को IORA और IOC जैसे मंचों पर नेतृत्वकारी भूमिका निभानी होगी जिससे कि सामूहिक एक वैश्विक शक्ति के रूप में अपनी स्थिति को सुदृढ़ करते हुए सुरक्षा तंत्र को मजबूत करे और हिंद महासागर क्षेत्र में एक जिम्मेदार और प्रभावी एकीकरणकर्ता की भूमिका निभा सके।

 

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प्रश्‍न- भारत में शेख हसीना की उपस्थिति तथा भारत-बांग्लादेश संबंधों में हालिया परिवर्तनों का विश्लेषण कीजिए। इन परिवर्तनों के भारत के लिए आर्थिक, सामरिक और कूटनीतिक प्रभावों का आकलन कीजिए।

उत्तर: भारत और बांग्लादेश के बीच ऐतिहासिक रूप से घनिष्ठ संबंध रहे हैं, लेकिन हाल ही में बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन, शेख हसीना की भारत में लंबी उपस्थिति और क्षेत्रीय राजनीतिक घटनाक्रमों में विरोध एवं प्रतिक्रिया ने इन संबंधों को प्रभावित किया है।

 

भारत द्वारा शेख हसीना राजकीय अतिथि का दर्जा दिए जाने के बावजूद अब तक उन्हें राजनीतिक शरण नहीं मिली है और भारत ने प्रत्यर्पण अनुरोध पर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। भारत ने ऐतिहासिक रूप से मानवीय दृष्टिकोण अपनाया है, जैसा कि दलाई लामा के मामले में देखा गया था। भारत की नीति है कि किसी भी विदेशी नेता को जबरन उनके देश वापस नहीं भेजा जाएगा।

 

शेख हसीना को भारत में बनाए रखना भारत की निष्पक्ष और संतुलित कूटनीतिक नीति का परिचायक है। बांगलादेश में हालिया हुए सत्‍ता परिवर्तन और उत्‍पन्‍न स्थितियों में भारत पर पड़ने वाले प्रभावों को निम्‍न प्रकार देखा जा सकता है।

 

आर्थिक प्रभाव

  • बांग्लादेश की राजनीतिक अस्थिरता तथा जीडीपी में गिरावट से कपड़ा उद्योग जैसे प्रमुख क्षेत्रों में बेरोजगारी बढ़ने का असर भारत के निर्यात और निवेश पर पड़ेगा।
  • मुक्‍त व्‍यापार समझौते लंबित होने एवं संयुक्‍त परियोजनाओं, बुनियादी ढांचा विकास की गति धीमी होने से आर्थिक गतिविधियों पर नकारात्‍मक प्रभाव होगा।

 

सामरिक प्रभाव

  • यदि भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध बिगड़ते हैं, तो चीन और पाकिस्तान जैसे देश इस अवसर का लाभ उठाकर बांग्लादेश में अपना प्रभाव बढ़ा सकते हैं।
  • पाकिस्तान द्वारा उग्रवाद और आतंकवाद को समर्थन देने की आशंका से भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में अस्थिरता फैल सकती है।
  • चीन द्वारा बांग्‍लादेश में अपना प्रभाव बढ़ाने की स्थिति पर भारत की चीन को संतुलित करने, एक्‍ट ईस्‍ट नीति प्रभावित होगी   
  • चीन या पाकिस्तान द्वारा बांग्लादेश को सैन्य, हथियार सहायता क्षेत्रीय सुरक्षा संतुलन को प्रभावित कर सकता है। चीन पहले से ही बांग्लादेश में बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में भारी निवेशकर्ता और हथियारों का प्रमुख आपूर्तिकर्ता भी है।

 

कूटनीतिक प्रभाव

  • बांग्लादेश सरकार द्वारा हसीना के प्रत्यर्पण अनुरोध को ठुकराना भारत-बांग्लादेश संबंधों में अविश्वास को जन्म दे सकता है।
  • भारत-बांग्लादेश संबंधों में गिरावट से एक्‍ट ईस्‍ट नीति, बिम्‍सटेक, हिंद महासागर आदि में भारत की क्षेत्रीय नेतृत्व की स्थिति कमजोर हो सकती है।
  • भारत के दक्षिण एशिया में चीनी प्रभाव को कमजोर करने की रणनीति प्रभावित हो सकती है।

निष्कर्षत: भारत को अपनी सामरिक स्वायत्तता और मानवीय छवि को बनाए रखते हुए, बांग्लादेश की आतंरिक राजनीति में हस्तक्षेप करने से बचना चाहिए। भारत को वर्तमान राष्‍ट्राध्‍यक्ष के साथ सकारात्मक संवाद को प्राथमिकता देकर अपने निष्पक्ष और हितैषी रूख को स्‍पष्‍ट करते हुए क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को बढ़ावा देना चाहिए जिससे दक्षिण एशिया में उसकी कूटनीतिक स्थिति और सुदृढ़ होगी।

 

 

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