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Mar 17, 2025

BPSC Mains answer writing Scienct and technology

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी-मुख्‍य परीक्षा 



प्रश्न:कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) महिलाओं के सशक्तीकरण में कैसे योगदान दे सकती है? AI में महिलाओं की भागीदारी की चुनौतियाँ तथा इसमें महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने के लिए उपाय को बताएं।

उत्तर: कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) महिलाओं के जीवन को आसान बनाने और उनके आर्थिक, सामाजिक तथा व्यक्तिगत सशक्तीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। यह तकनीक कौशल विकास, रोजगार, स्वास्थ्य सेवाओं और सुरक्षा में व्यापक सुधार लाने में सक्षम है जिसे निम्‍न प्रकार समझ सकते हैं।

 

AI द्वारा महिला सशक्तीकरण के विभिन्न आयाम

§     कौशल विकास-AI-अनुकूलित कोर्सेरा, उडेमी आदि महिलाओं को डिजिटल कौशल (जैसे, कोडिंग, डेटा साइंस) सिखाकर उन्हें वैश्विक कार्यबल का हिस्सा बनने में मददगार है।

§     आर्थिक अवसरों का विस्तार-AI के जिम्मेदार उपयोग से कार्यस्थल पर समावेशी संवाद को बढ़ावा मिलता है तथा पूर्वाग्रहों में कमी आती है।

§     स्वास्थ्य सेवाएँ-AI आधारित हेल्थ टूल्स, जैसे बेबीलोन हेल्थ्स सिम्टम चेकर, स्तन कैंसर जैसी बीमारियों का पता लगाने तो कुछ टूल्‍स दूरस्थ क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध कराने में सहायक है।

§     महिला सुरक्षा-सेफ्टीपिन जैसी AI-आधारित ऐप्स सुरक्षित शहरी मार्गों का मानचित्रण कर उत्पीड़न के जोखिम को कम कर सकती हैं।

 

इस प्रकार AI के माध्‍यम से महिलाओं के लिए अनेक अवसर आए है लेकिन इस क्षेत्र में लैंगिक असमानता, डिजाइन पूर्वाग्रह और गोपनीयता जैसे कई चुनौतियाँ भी विद्यमान हैं।

 

§     लैंगिक अंतर- AI के क्षेत्र में केवल 30% महिलाएँ कार्यरत।

§     डिजाइन पूर्वाग्रह-AI उत्पादों और सेवाओं के विकास में महिलाओं की कम भागीदारी ।

§     धारणा अंतराल- 24% महिलाओं को लगता है कि AI का उनके कार्यस्थल पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा जबकि पुरुषों में यह आंकड़ा 20% है।

§     गोपनीयता जोखिम- AI-आधारित हेल्थ ऐप्स द्वारा महिलाओं के संवेदनशील डेटा लीक होने संबंधी चिंताएं।

 

AI वर्तमान समय की आवश्‍यकता बन गयी है। अत: महिलाओं के सशक्तिकरण में इस तकनीक का बेहतर उपयोग क्रांतिकारी भूमिका निभा सकता है जिसके लिए निम्‍न उपाए किए जा सकते हैं।

 

AI में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के उपाय

§     STEM शिक्षा को बढ़ावा देना-विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) शिक्षा में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देना आवश्यक है।

§     समान अवसर और प्रतिनिधित्व-कम से कम 50% AI भूमिकाओं में महिलाओं को नियुक्त किया जाना चाहिए और उन्हें नेतृत्व की भूमिकाओं में लाया जाना चाहिए।

§     मेंटरशिप और प्रेरणा-AI क्षेत्र में कार्यरत महिला लीडर्स को आगे लाकर अन्य महिलाओं को प्रेरित किया जा सकता है।

§     समान वेतन-महिलाओं को AI में आकर्षित करने और बनाए रखने के लिए समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाना चाहिए।

 

निष्कर्षत: कहा जा सकता है कि AI परिवर्तनकारी तकनीक है जो महिलाओं के सशक्तीकरण में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। हालांकि, इसके प्रभावी लाभ हेतु लैंगिक विविधता और समावेशिता जैसे मुद्दों को हल करना होगा।

 

 


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प्रश्न: भारत में सुशासन को सशक्त बनाने में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की क्या भूमिका है? क्या इससे जुड़ी कुछ चुनौतियाँ भी हैं?

उत्तर: अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी भारत में शासन-व्यवस्था को अधिक कुशल, पारदर्शी और समावेशी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है जिसे निम्‍न प्रकार समझा जा सकता है

 

संसाधन प्रबंधन

§     मानचित्रण और निगरानी- रिसोर्ससैट, कार्टोसैट जैसे उपग्रह भू-स्थानिक डेटा प्रदान करके भूमि, जल और खनिजों के मानचित्रण में सहायता ।

§     कृषि विकास- फसल निगरानी, मृदा गुणवत्ता परीक्षण और सिंचाई प्रबंधन में सुधार हेतु अंतरिक तकनीक का प्रयोग।

§     वन संरक्षण-IRS उपग्रह द्वारा भारतीय वन सर्वेक्षण को वन क्षेत्र, वनाग्नि और जैव विविधता के संरक्षण में सहायता।

 

अवसंरचना विकास

§     समेकित योजना- अंतरिक्ष आधारित स्थानिक नियोजन टूल्स और इसरो की इमेजरी का उपयोग करके भारतमाला, सागरमाला जैसी परियोजनाओं का एकीकरण ।

§     शहरी नियोजन- स्मार्ट सिटी परियोजनाओं में उपग्रह डेटा द्वारा ट्रैफिक प्रबंधन, जल निकासी और भूमि उपयोग योजनाओं का निर्माण ।

 

सामाजिक क्षेत्र में योगदान

§     स्वास्थ्य सेवाएँ-इसरो के हेल्थ-क्वेस्ट कार्यक्रम से स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार।

§     शिक्षा- एजुसेट से दूरस्थ शिक्षा से ग्रामीण क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की व्‍यवस्‍था।

 

आपदा प्रबंधन

§     पूर्वानुमान और त्वरित प्रतिक्रिया- बाढ़, चक्रवात, भूकंप जैसी आपदाओं के पूर्वानुमान और त्वरित राहत कार्यों के लिए इसरो के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन डेटाबेस पोर्टल का उपयोग।

 

राष्ट्रीय सुरक्षा

§     सीमाओं की निगरानी- जीसैट-7 और रिसैट उपग्रहों द्वारा सीमाओं की निगरानी और सुरक्षा ।

§     अंतरिक्ष रक्षा क्षमता: भारत की एंटी-सैटेलाइट मिसाइल परीक्षण मिशन शक्ति से अंतरिक्ष क्षेत्र में रक्षा क्षमताएँ बढ़ी हैं।

 

पारदर्शिता और जवाबदेही:

§     निगरानी और प्रभावी कार्यान्वयन- अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी द्वारा मनरेगा परिसंपत्तियों की जियो-टैगिंग आदि से पारदर्शिता सुनिश्चित हो रही है।

 

इस प्रकार अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी से सुशासन को सशक्‍त बनाने की दिशा में संसाधन प्रबंधन, आपदा प्रबंधन, अवसंरचना विकास, कृषि सुधार, सुरक्षा और सामाजिक कल्याण के क्षेत्रों में व्यापक परिवर्तन आए हैं हालाँकि इसके साथ कुछ चुनौतियाँ भी उभर रही हैं जो निम्‍न है

 

§     वित्तीय प्राथमिकता- सीमित संसाधनों को अंतरिक्ष अन्वेषण में लगाने की आलोचना की जाती है, क्योंकि कई सामाजिक-आर्थिक क्षेत्रों में अभी भी निवेश की आवश्यकता है।

§     तकनीकी आत्मनिर्भरता- अंतरिक्ष क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए उच्च तकनीकी कौशल और निवेश की आवश्यकता है।

§     डेटा सुरक्षा और निजता- उपग्रह आधारित निगरानी के कारण डेटा सुरक्षा और निजता से जुड़ी चिंताएँ बनी रहती हैं।

 

उपरोक्‍त से स्‍पष्‍ट है कि भारत में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी सुशासन को सशक्त करने का एक प्रभावी माध्यम बन रही है तथा इसके प्रभावी उपयोग के लिए संसाधनों का संतुलित आवंटन, डेटा सुरक्षा और तकनीकी क्षमता में वृद्धि आवश्यक है। यदि इन चुनौतियों का समाधान किया जाए, तो अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी शासन-व्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने में सक्षम होगी।





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