71th BPSC Mains current affairs answer writing practice
प्रश्न: “वैश्विक
परमाणु हथियारों में वृद्धि की होड़ न केवल शीत युद्ध जैसी नई प्रतिद्वंद्विता को
जन्म दे सकती है, बल्कि
वैश्विक शांति और सुरक्षा को भी गंभीर चुनौती प्रस्तुत करती है।” SIPRI की रिपोर्ट
(2025) के आलोक
में इस कथन का विश्लेषण कीजिए। (8 Marks)
उत्तर: स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की नवीनतम रिपोर्ट वैश्विक
परमाणु हथियारों की बढ़ती संख्या और उससे उत्पन्न खतरे की स्पष्ट चेतावनी देती है।
शीत युद्ध की समाप्ति के बाद अब तक जितने परमाणु हथियार नष्ट किए गए, उतने नए हथियार नहीं बने थे। किंतु
हालिया वर्षों में यह प्रवृत्ति उलटने लगी है। 2024 में सभी परमाणु संपन्न देशों ने अपने परमाणु शस्त्रागार को विस्तार देने और
आधुनिकीकरण पर कार्य तेज किया है।
चीन और पाकिस्तान जैसे देश में परमाणु हथियारों को बढ़ा रहे हैं वहीं भारत
भी इस दौड़ में पीछे नहीं है। अमेरिका और रूस जैसी वैश्विक शक्तियों के पास विश्व
के 90 प्रतिशत परमाणु हथियार है वहीं इजराइल, उत्तर कोरिया भी परमाणु शक्ति सम्पन्न है।
इसी क्रम में वैश्विक स्तर पर न्यू स्टार्ट जैसी संधियाँ 2026 तक तो प्रभावी हैं, लेकिन इन्हें नवीकरण पर कोई ठोस पहल
नहीं दिख रही। इसके विपरीत कृत्रिम बुद्धिमत्ता, अंतरिक्ष हथियार, हाइपरसोनिक मिसाइलें परमाणु हथियारों की प्रतिस्पर्धा को और जटिल बना रही
हैं।
इस प्रकार इस परिदृश्य में शीत युद्ध जैसी होड़ वैश्विक शांति को खतरे में
डाल सकती है। इसलिए परमाणु अप्रसार, हथियारों में कटौती और विश्वास बहाली जैसे बहुपक्षीय प्रयासों को मजबूत करना
आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है जिसके लिए सभी देशों को मिल कर आगे बढ़ने की आवश्यकता
है।
शब्द संख्या 210
प्रश्न: “ई-वोटिंग प्रणाली लोकतंत्र के आधुनिकीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है, किंतु इसकी सफलता नागरिकों के विश्वास और समावेशिता पर निर्भर करती है।” बिहार के ई-वोटिंग प्रयासों के संदर्भ में इस कथन की विवेचना कीजिए। (8 Marks)
उत्तर: बिहार द्वारा शहरी निकाय
चुनावों में ई-व्होटिंग अपनाने की पहल न केवल मतदान प्रक्रिया को आधुनिक बनाने का प्रयास
है, बल्कि इससे
अधिक पारदर्शिता, सुगमता और
भागीदारी सुनिश्चित करने की आशा की जा रही है। ई-वोटिंग की प्रमुख विशेषताएं निम्न
है।
ब्लॉकचेन तकनीक, चेहरे की पहचान, लाइव स्कैन जैसी सुविधाएं सुरक्षा को मजबूत बनाती हैं।
ऑडिट ट्रेल की व्यवस्था से पारदर्शिता को बढ़ावा।
दिव्यांग, वृद्ध और
शारीरिक रूप से अक्षम मतदाताओं के लिए विशेष रूप से उपयोगी।
युवा मतदाताओं को भी ऑनलाइन माध्यम के प्रति आकर्षित करने की संभावनायुक्त ।
इस प्रकार ई वोटिंग के कई लाभ तो कुछ चिंताएं भी हैं। साइबर सुरक्षा जोखिम, डेटा की गोपनीयता, तकनीकी साक्षरता की कमी और नेटवर्क
अवसंरचना की खामियाँ इसकी सफलता में बाधा बन सकती हैं। इसके अतिरिक्त, दबावमुक्त और स्वतंत्र मतदान का
सिद्धांत घर बैठे मतदान में सुनिश्चित करना एक महत्वपूर्ण चुनौती है।
यह स्पष्ट है कि ई-व्होटिंग लोकतांत्रिक सशक्तिकरण की दिशा में एक उल्लेखनीय
पहल है, किंतु इसकी
सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि किस हद तक नागरिकों का विश्वास जीता जा सके और
सभी वर्गों को समान अवसर प्रदान करते हुए समावेशिता कायम रखी जा सके। इसके लिए
व्यापक जागरूकता, मजबूत
साइबर अवसंरचना और विधिक प्रावधानों को सुदृढ़ करना अनिवार्य होगा।
शब्द संख्या -206
प्रश्न: “G-7 शिखर सम्मेलन वैश्विक चुनौतियों के समाधान हेतु सहयोग की
संभावनाओं और सीमाओं दोनों को उजागर करता है।” हाल ही में कनाडा के कामानिक्स में
आयोजित 51वें G-7 शिखर
सम्मेलन (2025) की प्रमुख
उपलब्धियों और भारत की भूमिका का विश्लेषण कीजिए। (8 Marks)
उत्तर: कनाडा में आयोजित 51वें G-7 शिखर
सम्मेलन (2025) वैश्विक स्तर पर बहुपक्षीय सहयोग की
जटिलताओं और आवश्यकताओं को उजागर करता है। सम्मेलन की प्रमुख उपलब्धियों में कनाडा
वाइल्डफायर चार्टर का अनुमोदन रहा जिसके
तहत 2030 तक
वैश्विक स्तर पर वनों की कटाई और भूमि क्षरण को रोकने और सुधारने का लक्ष्य तय
किया गया।
भारत ने एक आउटरीच देश के रूप में इस सम्मेलन में भाग लेकर अपनी वैश्विक
भूमिका को रेखांकित किया जिसे निम्न प्रकार देख सकते हैं।
पर्यावरणीय
प्रतिबद्धता: भारत ने कनाडा वाइल्डफायर चार्टर का समर्थन कर 2030 तक वनों की कटाई और
भूमि क्षरण रोकने की वैश्विक पहल में भागीदारी जताई।
खनिज
सुरक्षा:भारत ने G-7 क्रिटिकल
मिनरल्स एक्शन प्लान का समर्थन किया और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में अपनी सक्रिय
भूमिका को स्पष्ट किया।
मानवाधिकार
:Transnational Repression पर चिंता व्यक्त करते हुए भारत ने
वैश्विक स्तर पर मानवाधिकारों की रक्षा पर बल दिया।
आतंकवाद और
डिजिटल अपराध: भारत ने आतंकवाद तथा डिजिटल अपराधों के खिलाफ अपनी कठोर और संवेदनशील
भूमिका को रेखांकित किया।
हालांकि G-7 जैसे
मंचों पर विकासशील देशों की प्राथमिकताओं और जरूरतों को पूरी तरह से समाहित करना
एक चुनौती बना हुआ है फिर भी इन सभी पहलुओं के माध्यम से भारत ने सम्मेलन में सतत
विकास, वैश्विक
आपूर्ति, मानवाधिकार
और सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में अपनी सशक्त और जिम्मेदार भूमिका को प्रस्तुत किया।
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शब्द संख्या -220
प्रश्न: "भारत में
राजनीतिक दलों के वित्त पोषण में पारदर्शिता की कमी लोकतांत्रिक प्रक्रिया की
विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगाती है।" 2024 के आम चुनावों के सन्दर्भ में चुनावी वित्त पोषण
की प्रमुख समस्याओं और सुधार के उपायों का विश्लेषण कीजिए। (8 Marks)
उत्तर: एसोसिएशन फॉर
डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट के अनुसार 2024 के आम चुनावों के बाद अधिकांश दलों ने अपने खर्च का ब्यौरा देने में
अत्यधिक देरी की या दिया ही नहीं। यह प्रवृत्ति राजनीतिक दलों की वित्तीय जवाबदेही
पर गंभीर प्रश्न खड़े करती है।
2024 के लोकसभा
चुनाव दुनिया का सबसे महंगा चुनाव आयोजन बन गया, जिसमें अनुमानित 1.35 लाख करोड़ रुपये खर्च हुए। फिर भी, 2004-05 से 2022-23 के बीच
पांच प्रमुख राष्ट्रीय दलों ने अपने चंदे का लगभग 60% हिस्सा अज्ञात स्रोतों से प्राप्त किया। इतना विशाल खर्च सत्ता प्राप्ति को
आर्थिक शक्ति पर निर्भर बनाता है और नीतिगत फैसलों में जनहित की बजाय धनबल और
हितसंपन्न समूहों की प्राथमिकता को आगे कर सकता है। इससे काले धन और दबाव समूहों
के प्रभाव की आशंका गहराती है। राष्ट्रीय दलों के 93% खर्च में शीर्ष चार दलों का वर्चस्व दर्शाता है कि वित्तीय असमानता
राजनीतिक प्रतिस्पर्धा को भी प्रभावित कर रही है।
चुनावी वित्त पोषण की पारदर्शिता लोकतंत्र की विश्वसनीयता और समावेशिता का
आधार है। ऐसी स्थिति में सुधार की आवश्यकता की दिशा में विधि आयोग, इंद्रजीत गुप्ता समिति आदि के सुझावों को ध्यान में रखते हुए सार्वजनिक वित्तपोषण, सभी चुनावी खर्चों को डिजिटल भुगतान
करने, निगरानी
हेतु स्वतंत्र एजेंसी के साथ साथ जनजागरुकता जैसे उपायों पर ध्यान देकर ही वास्तविक
लोकतंत्र को स्थापित किया जा सकता है।
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