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Jul 17, 2025

प्रश्‍न- भारत में एक पार्टी के प्रभुत्व से लेकर गठबंधन सरकारों के युग तक राजनीतिक दलों के विकास का पता लगाएँ। क्या गठबंधन की राजनीति ने भारत में प्रधान मंत्री के अधिकार को कमजोर किया है ? कारण बताएँ ।

 
प्रश्‍न- भारत में एक पार्टी के प्रभुत्व से लेकर गठबंधन सरकारों के युग तक राजनीतिक दलों के विकास का पता लगाएँ। क्या गठबंधन की राजनीति ने भारत में प्रधान मंत्री के अधिकार को कमजोर किया है ? कारण बताएँ । 


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उत्‍तर- स्वतंत्रता के पश्चात भारत में राजनीतिक दलों का विकास एकदलीय वर्चस्व से प्रारंभ होकर बहुदलीय और गठबंधन आधारित व्यवस्था की ओर अग्रसर हुआ है। 1951 से 1977 तक कांग्रेस का अटल प्रभुत्व रहा, जो नेहरूवादी विचारधारा और स्वतंत्रता संग्राम के वैचारिक प्रभाव पर आधारित था। किंतु 1977 में आपातकाल के प्रतिवादस्वरूप जनता पार्टी की सरकार बनने से भारतीय राजनीति में एक निर्णायक मोड़ आया जिसके बाद अन्‍य राजनीति दलों का उभार होने लगा।

 

1980 के दशक में क्षेत्रीय अस्मिता, भाषा और सांस्कृतिक पहचान को केंद्र में रखकर द्रविड़ मुनेत्र कड़गम, अकाली दल, तेलुगु देशम पार्टी जैसे क्षेत्रीय दलों का उदय हुआ। 1990 के दशक में सामाजिक न्याय व मंडल आयोग की पृष्ठभूमि में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी व राष्ट्रीय जनता दल जैसे दल उभरे। बिहार में आरजेडी ने सामाजिक न्याय को तो जेडीयू ने विकास को राजनीति का केंद्र बनाया। साथ ही, 1990 के बाद भारतीय जनता पार्टी ने राष्ट्रवाद व हिन्दुत्व के आधार पर राष्ट्रीय स्तर पर उभार लिया और 2014 के बाद पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई। भ्रष्टाचार-विरोधी आंदोलन से आम आदमी पार्टी का उदय हुआ जिसने शहरी मतदाताओं का प्रतिनिधित्व करते हुए सत्‍ता में जगह बनायी ।

 




इस प्रकार भारत में राजनीतिक दलों के विकास में 1990 के बाद का समय महत्‍वपूर्ण रहा जब सामाजिक, जातिगत, धार्मिक और क्षेत्रीय पहचान आदि मुद्दों पर आधारित दलों का लगातार विस्तार हुआ । इस राजनीतिक विविधता ने गठबंधन युग को जन्म दिया। यद्यपि इसने लोकतंत्र में भागीदारी, प्रतिनिधित्व और बहुलता को प्रोत्साहित किया, परंतु इसके प्रभाव स्वरूप प्रधानमंत्री की अधिकारिक स्थिति भी व्यवहारिक रूप से प्रभावित हुई है जिसे निम्‍न प्रकार समझ सकते हैं:-

 

  • नीतिगत निर्भरता: प्रधानमंत्री को हर निर्णय में सहयोगी दलों की सहमति लेनी होती है।
  • राजनीतिक सौदेबाज़ी: सरकार बचाने हेतु सहयोगियों की शर्तें स्वीकार करनी पड़ती हैं।
  • अस्थिरता और विलंब: विभिन्न विचारधारा वाले दलों के चलते निर्णयों में विलंब व अस्थिरता आती है।
  • निर्भरता की राजनीति: जैसे 2024 में भाजपा को तेलगुदेशम और जनता दल (यू) का समर्थन लेना पड़ा, जिससे प्रधानमंत्री पर दबाव बना।
  • समन्वयक की भूमिका: प्रधानमंत्री नीति निर्माता के स्थान पर गठबंधन समन्वयक बन जाते हैं।


निष्कर्षतः राजनीतिक दलों के विकास और गठबंधन राजनीति ने सामाजिक विविधता और क्षेत्रीय अस्मिता को प्रतिनिधित्व प्रदान किया किंतु सत्ता के साझा स्वरूप ने प्रधानमंत्री की शक्ति को सैद्धांतिक रूप से बनाए रखते हुए व्यवहारिक रूप से सीमित कर दिया है।

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