प्रश्न-चम्पारण नील आन्दोलन का वर्णन कीजिए तथा भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष पर इसके प्रभावों की व्याख्या कीजिए । 38
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उत्तर- भारतीय
स्वतंत्रता आंदोलन में चंपारण आंदोलन एक महत्वपूर्ण घटना थी। इसने राष्ट्रीय
आंदोलन को नई दिशा दी और गांधीजी तथा किसानों दोनों के लिए मील का पत्थर बना। चम्पारण
नील आंदोलन किसानों के असंतोष का परिणाम था जो तत्कालीन नील बगान मालिकों के ‘तीन कठिया प्रणाली’ के
आर्थिक शोषण के विरुद्ध थी । तीन कठिया प्रणाली में निम्न व्यवस्थाएं
थी
- प्रति बीघा 3 कट्ठे पर नील की खेती अनिवार्य।
- मूल्य निर्धारण का अधिकार किसानों को नहीं।
- मिल मालिकों द्वारा तय दाम पर ही बिक्री।
- कम मजदूरी, बेगार और प्रताड़ना।
- उपज न होने पर भारी जुर्माना।
- अनुबंध समाप्त करने पर और तरह-तरह का शोषण।
इस समय रासायनिक
रंगों के कारण भारतीय नील की अंतरराष्ट्रीय मांग घट गई। इसके अलावा जहां बागान
मालिकों ने किसानों को खेती से मुक्त किया पर लगान में भारी वृद्धि कर दी। ऐसे में
किसानों की स्थिति बेहद दयनीय हो गई। इन्हीं परिस्थितियों में
राजकुमार शुक्ल
ने 1916
के लखनऊ अधिवेशन में
गांधीजी को चंपारण आने का निमंत्रण दिया।
गांधी के
बिहार आगमन पर अंग्रेज प्रशासन ने वापस जाने का आदेश दिया लेकिन उन्होंने इसे
मानने से इंकार कर दिया। इस अवज्ञा ने भारत में सत्याग्रह की राह खोली। गांधीजी के
नेतृत्व में किसानों ने संगठित होकर भारी संख्या में आंदोलन को समर्थन दिया। अंततः
अंग्रेज सरकार को किसानों पर थोपे गए नील की बंधनकारी खेती समाप्त करनी पड़ी।
यह आंदोलन न
केवल किसानों की जीत थी बल्कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सत्याग्रह और अहिंसा
के प्रयोग की ऐतिहासिक शुरुआत भी हुई जिसका व्यापक प्रभाव
भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष पर पड़ा जिसे निम्न प्रकार समझ सकते हैं
स्वतंत्रता संघर्ष पर प्रभाव
- सत्याग्रह की स्थापना –आंदोलन के दौरान गांधीजी ने अहिंसक प्रतिरोध, सविनय अवज्ञा और शांतिपूर्ण संघर्ष को अपनाया जो आगे के राष्ट्रवादी आंदोलनों की नींव बने।
- गांधीजी का उदय – गांधीजी राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्वकर्ता बनकर उभरे, इनके प्रति जनता का विश्वास बढ़ा और “महात्मा” बनने की प्रक्रिया प्रारंभ हुई।
- किसानों का आत्मविश्वास – ग्रामीण जनता ने सीखा कि संगठित होकर अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाई जा सकती है।
- सामाजिक पुनर्निर्माण– शिक्षा, स्वास्थ्य, खादी व आश्रमों की स्थापना जैसे कार्यक्रमों से आंदोलन में सामाजिक पुनर्निर्माण के तत्व भी जुड़ गए।
इस प्रकार
चम्पारण नील आन्दोलन ने न केवल औपनिवेशिक शोषण के विरुद्ध किसानों जो जागृत किया
बल्कि गांधीजी के सत्याग्रह को भारतीय राजनीति में स्थापित कर भारत में जन-आधारित, अहिंसक और नैतिक
संघर्ष की परंपरा का प्रारंभ किया जिसने स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी।
शब्द
संख्या-398
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