प्रश्न- भारत में 13 जनवरी, 2025 से 26 फरवरी, 2025 तक महा कुम्भ मेले का आयोजन किया गया। यह मेला भारतीय संस्कृति, धार्मिक विश्वास और सामाजिक समरसता का प्रतीक कैसे है ? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए । 8
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उत्तर- 13 जनवरी से 26 फरवरी, 2025 तक प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक, सांस्कृतिक और सामुदायिक समारोह था जहां करोड़ों श्रद्धालु, साधु-संत, योगी एवं
पर्यटक एकत्र हुए। महाकुंभ मेला भारतीय संस्कृति, धार्मिक विश्वास और सामाजिक समरसता का अद्वितीय प्रतीक है जिसे निम्न
प्रकार समझ सकते हैं
भारतीय संस्कृति
समुद्र-मंथन से अमृत प्राप्ति की पौराणिक कथा पर आधारित कुंभ, भारतीय धार्मिक लोककथाओं, अनुष्ठानों
और आध्यात्मिक मूल्यों को जीवंत कर भारतीय संस्कृति को दर्शाता है।
यह मेला विभिन्न भाषाओं, वेशभूषा व जीवन शैलियों की विविधता को समाहित भारतीय संस्कृति का उत्कृष्ट
उदाहरण प्रस्तुत करता है।
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धार्मिक विश्वास
संगम में डुबकी लगाने को मोक्ष व आध्यात्मिक शुद्धि का मार्ग माना जाता है, जिसमें जाति, वर्ग, क्षेत्र की सभी सीमाएं मिट जाती हैं।
यहाँ के साधु-संतों के प्रवचन, मंत्रोच्चार, यज्ञ, धार्मिक संगोष्ठियां, सांस्कृतिक कार्यक्रम भारत के धार्मिक विश्वास का प्रतीक है।
सामाजिक समरसता
मेले में देश-विदेश के विभिन्न धर्म, जाति, भाषा, वर्ग के करोड़ों लोगों का स्नान, भोजन, आपसी संवाद, पूजा, प्रवचन, सहयोग व
समर्पण साझा होता है। महाकुंभ में लगभग 10 करोड़ श्रद्धालुओं ने एकजुटता और समरसता से इसमें भाग लिया।
इस प्रकार
महाकुंभ मेला भारत की आध्यात्मिक एवं
धार्मिक,
सांस्कृतिक जड़ों और समरसता का अद्भुत उत्सव है। जो संपूर्ण विश्व में अपनी इन विशेषता
के लिए जाना जाता है।
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