प्रश्न-बिहार में उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य से आगे पश्चिमी शिक्षा के फैलाव का परीक्षण कीजिए । 38
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उत्तर-
भारत के शिक्षा इतिहास में बिहार का नाम प्राचीन नालंदा, विक्रमशिला और
ओदंतपुरी जैसे विश्वविद्यालयों के कारण गौरवपूर्ण है। किंतु मध्यकाल में इनका
अवसान हुआ और आधुनिक काल में औपनिवेशिक शासन के आगमन के साथ बिहार में शैक्षणिक
संस्थानों का नया अध्याय प्रारंभ हुआ और बिहार की शिक्षा प्रणाली में पश्चिमी
प्रभाव बढ़ा। औपनिवेशक शासनकाल में बिहार में पश्चिमी शिक्षा के फैलाव को निम्न
चरणों में बांटकर देखा जा सकता है
प्रथम चरण (1835 के बाद)
- बिहार में पाश्चात्य शिक्षा के विकास में 1835 महत्वपूर्ण रहा, जब लार्ड विलियम बैंटिक के प्रयास से अंग्रेजी शिक्षा हेतु कोष आवंटित हुआ और मैकाले प्रस्ताव के अनुसार पटना, पूर्णिया, बिहार शरीफ, भागलपुर, आरा, छपरा आदि में जिला स्कूल व सरकारी सहायता प्राप्त उच्च विद्यालय स्थापित हुए।
- 1863 में देवघर, हजारीबाग, मोतिहारी, चाईबासा में भी शिक्षा केन्द्र खुले। ये विद्यालय बाद में पश्चिमी शिक्षा के प्रमुख केन्द्र बने और बिहार में इसके प्रसार का आधार बने।
द्वितीय चरण (1854–1917)
- इस चरण में 1854 के चार्ल्स वुड के वुड डिस्पैच को लाया गया। इसे “भारतीय शिक्षा का मैग्नाकार्टा” कहा गया जिसमें व्यावसायिक और तकनीकी शिक्षा पर बल दिया गया।
- इस समय उच्च शिक्षा के क्षेत्र में 1863 में पटना कॉलेज और बाद में मुंगेर, रांची, मुजफ्फरपुर, हजारीबाग आदि में कॉलेज खोले गए। इसके अलावा 1902 में पूसा एग्रीकल्चरल रिसर्च सेंटर और पश्चिमी तर्ज पर पहला विश्वविद्यालय 1917 में पटना विश्वविद्यालय की स्थापना हुई। नारी शिक्षा हेतु बांकीपुर में कन्या विद्यालय के अलावा सेंट जोसेफ स्कूल, बालिका विद्यालय जैसे संस्थान प्रारंभ हुए।
तृतीय चरण (1917 के बाद)
- सैडलर आयोग की सिफारिश पर अनेक व्यावसायिक एवं तकनीकी संस्थान स्थापित हुए जिनमें पटना विश्वविद्यालय, पटना मेडिकल कॉलेज, गवर्नमेंट आयुर्वेदिक स्कूल व इंडियन स्कूल ऑफ माइन, धनबाद, पटना साइंस कॉलेज, पटना वेटनरी कॉलेज, पटना इंजीनियरिंग कॉलेज (वर्तमान NIT) प्रमुख है।
भारतीयों का योगदान
- आर्य समाज द्वारा डीएवी स्कूल श्रृंखला, ब्रह्म समाज द्वारा पटना में राजा राममोहन राय सेमिनरी के अलावा मुजफ्फरपुर में साइंटिफिक सोसाइटी, पटना में मोहम्मडन एजुकेशनल सोसाइटी आदि ऐसे संस्थान है जिनके विकास में भारतीय बुद्धिजीवियों का योगदान रहा है।
इस प्रकार
औपनिवेशिक काल में बिहार में पश्चिमी शिक्षा का विकास हुआ लेकिन यह मुख्यतः उच्च
शिक्षा तक सीमित रहा। अंग्रेजों ने शिक्षा का प्रयोग शासन को स्थिर करने हेतु किया, किंतु इसके बावजूद
बिहार में बौद्धिक जागरण, वैज्ञानिक सोच और राष्ट्रवादी
चेतना का विकास हुआ और इसी शिक्षा ने स्वतंत्रता आंदोलन को वैचारिक आधार दिया।
शब्द
संख्या-397
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