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Sep 20, 2025

प्रश्‍न- महात्मा गाँधी के रचनात्मक कार्यों का आंकलन कीजिए । 38

प्रश्‍न- महात्मा गाँधी के रचनात्मक कार्यों का आंकलन कीजिए । 38


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उत्‍तर- महात्मा गांधी के रचनात्मक कार्य स्वतंत्रता संग्राम की सबसे दूरदर्शी पहल थे। उनका लक्ष्य केवल राजनीतिक आज़ादी नहीं, बल्कि सत्य, अहिंसा और सामाजिक न्याय पर आधारित नए भारत का निर्माण था। वे मानते थे कि “स्वराज केवल राजनीतिक स्वतंत्रता नहीं, बल्कि आत्मशासन और आत्मसंयम है।”

 

गांधी जी के रचनात्मक कार्यक्रमों का दार्शनिक आधार सत्य, अहिंसा और सर्वोदय था। उनके अनुसार साधन और साध्य दोनों की शुद्धता आवश्यक है। सर्वोदय का सिद्धांत अंतिम व्यक्ति तक न्याय और अवसर पहुँचाने का प्रयास था। ट्रस्टीशिप ने संपत्ति को सामाजिक कल्याण हेतु नैतिक दायित्व माना, जबकि ग्राम स्वराज ने ग्राम को आत्मनिर्भर इकाई के रूप में प्रस्तुत किया।

 



 

सामाजिक सुधार

गांधी जी ने अस्पृश्यता निवारण को जीवन का मिशन बनाया, दलितों को “हरिजन” कहकर सम्मान दिया और समानता का संदेश दिया। महिला सशक्तिकरण में उन्होंने महिलाओं को स्वतंत्रता आंदोलन से जोड़ा और बाल विवाह व पर्दा प्रथा जैसी कुरीतियों का विरोध किया।

 


आर्थिक स्वावलंबन

खादी और ग्रामोद्योग उनके चिंतन का केंद्र थे जो आत्मनिर्भरता और समानता के प्रतीक बने। उन्होंने विकेंद्रीकृत अर्थव्यवस्था और सर्वोदय के माध्यम से अंतिम व्यक्ति तक न्याय और अवसर पहुँचाने पर बल दिया।

 


शिक्षा और स्वच्छता

गांधी जी ने व्यावहारिक कौशल और नैतिक मूल्यों पर आधारित शिक्षा का समर्थन किया। स्वच्छता के विषय में उनका मानना था कि “स्वच्छता स्वतंत्रता से भी अधिक आवश्यक है,” और उन्होंने व्यक्तिगत व सामुदायिक सफाई दोनों पर ज़ोर दिया।

 


हालाँकि गांधी जी के रचनात्मक कार्यों में चुनौतियाँ रहीं। ग्रामोद्योग और विकेंद्रीकरण को औद्योगिक युग में अव्यावहारिक माना गया, जबकि अस्पृश्यता निवारण और महिला मुक्ति सीमित सफलता तक ही पहुँच सके। स्वतंत्रता के बाद भी इन्हें पर्याप्त संस्थागत समर्थन नहीं मिला। फिर भी इन कार्यक्रमों ने नैतिक राजनीति और अहिंसक लोकशक्ति का निर्माण किया, जो गांधी जी की अद्वितीय देन थी। दीर्घकाल में पंचायती राज, महिला आरक्षण, स्वच्छ भारत, सर्व शिक्षा अभियान और खादी-ग्रामोद्योग जैसी योजनाएँ उनकी रचनात्मक दृष्टि का ही विस्तार बनीं, जिन्होंने भारतीय समाज को आत्मनिर्भरता और आधुनिक सोच की दिशा में प्रेरित किया।

 

निष्कर्षत: गांधी जी के रचनात्मक कार्य राजनीतिक स्वतंत्रता से आगे बढ़कर एक संपूर्ण समाज-निर्माण का प्रयास थे। उनका मानना था कि “भारत की आत्मा उसके गाँवों में बसती है” और जब तक गाँव सशक्त नहीं होंगे, स्वराज अधूरा रहेगा। आज भी ये कार्य समानता, न्याय और अहिंसा-आधारित समाज के लिए प्रेरणास्रोत हैं।

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