71th BPSC Mains answer writing practice/Test
अभ्यास, मॉडल उत्तर PDF, मूल्यांकन हेतु ग्रुप ज्वाइन करें।
प्रश्न: हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने मानहानि को अपराध की श्रेणी से बाहर करने पर विचार व्यक्त किया। भारतीय कानूनी व्यवस्था में मानहानि की प्रासंगिकता और इसे अपराध से बाहर करने की आवश्यकता पर चर्चा कीजिए। 8 Marks
उत्तर:
सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया कि मानहानि को अपराध से बाहर किया जाना चाहिए, जिससे प्रेस की
स्वतंत्रता सुरक्षित रहे और लोकतांत्रिक बहस प्रभावित न हो।
मानहानि
का अर्थ है झूठे या दुर्भावनापूर्ण बयानों (लिखित या मौखिक) द्वारा किसी व्यक्ति
या समूह की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाना है। वर्तमान में इसकी प्रासंगिकता तथा
आवश्यकता को देखें तो स्पष्ट है कि
- वर्तमान भारतीय न्याय
संहिता की धारा 356 (पूर्व भारतीय दंड संहिता की धारा 499
के तहत) में अपराध माना जाता है।
- इसके
दुरुपयोग को देखते हुए विधि आयोग की 285वीं रिपोर्ट में "प्रतिष्ठा" को अनुच्छेद 21 का हिस्सा मानते हुए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ
संतुलन बनाए रखने की अनिवार्य रेखांकित किया।
- सुप्रीम कोर्ट ने भी सुब्रमण्यम स्वामी बनाम भारत संघ (2016) में इसी संतुलन को स्थापित किया।
- हालिया
घटनाओं को देखें तो आपराधिक मानहानि का डर
नागरिकों और मीडिया को खुले विचार व्यक्त करने से रोक सकता है जिससे संविधान के
अनुच्छेद 19(1)(a) के अधिकार सीमित हो सकता है।
- यह राजनीतिक या सामाजिक आलोचना में सक्रिय व्यक्तियों को डराने के लिए इसका दुरुपयोग संभव है।
निष्कर्षत:
मानहानि को सिविल दायित्व तक सीमित करना न्यायसंगत है। इससे व्यक्तियों की
प्रतिष्ठा की रक्षा होगी,
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अवैध प्रतिबंध नहीं लगेगा, और लोकतांत्रिक समाज में विचार-विमर्श के लिए उचित माहौल बनेगा।
BPSC Mains special Notes
प्रश्न: WMO की रिपोर्ट “State of the Climate in Asia 2024” के अनुसार एशिया में तीव्र गति से हो रहे जलवायु परिवर्तन के
प्रभावों का विश्लेषण करें और बताएं कि इस संदर्भ में भारत जैसे संवेदनशील देशों
के लिए आवश्यक अनुकूलन और नीति उपाय कौन-कौन से हो सकते हैं।
उत्तर:
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO)
की रिपोर्ट “State of the Climate in Asia 2024”
एशिया में जलवायु परिवर्तन की गंभीर और व्यापक चुनौतियों को उजागर करती है।
रिपोर्ट की मुख्य बातों और प्रभावों को देखें तो स्पष्ट होता है कि
- एशिया
वैश्विक औसत से दोगुनी गति से गर्म हो रहा है और 2024 में महाद्वीप का औसत तापमान
1991–2020 की तुलना में 1.04°C
अधिक रहा।
- अप्रैल–नवंबर
के दौरान पूर्वी एशिया में लगातार हीटवेव और दक्षिण–पूर्व व मध्य एशिया में चरम
तापमान ने जीवन, पारिस्थितिकी तंत्र व अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डाला ।
- भारत में घातक हीटवेव से 450 से अधिक मौतें तथा भूस्खलन व बिजली गिरने से लगभग 1,300 मौतें हुईं।
- हिंदू
कुश–हिमालय के ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। 2023–24 में 24 में से 23
ग्लेशियरों में बर्फ की हानि दर्ज हुई, जिससे सिंधु, गंगा और
ब्रह्मपुत्र जैसी नदियों की जल आपूर्ति पर खतरा बढ़ा है।
- समुद्री
हीटवेव और समुद्र सतह तापमान वृद्धि में 2024 में 1.5 करोड़ वर्ग किमी महासागर
क्षेत्र प्रभावित हुआ। उत्तर भारतीय
महासागर, येलो
सी और जापान के आसपास के जल सबसे ज्यादा गर्म हुए। इससे समुद्र स्तर बढ़ रहा है,
तटीय आबादी, मीठे जल और आवासीय भूमि की हानि
और समुदायों के विस्थापन का खतरा बढ़ रहा है।
उपरोक्त
से स्पष्ट है कि एशिया में जलवायु परिवर्तन की व्यापक चुनौतियां है जिसके
सामाजिक और आर्थिक प्रभाव गंभीर हैं। बाढ़, सूखा, तूफान और हीटवेव से
कृषि और पशुपालन प्रभावित हो रहे हैं, खाद्य असुरक्षा बढ़
रही है। इसी क्रम में अधोसंरचना क्षतिग्रस्त होने से जहां गरीब एवं हाशिए पर रहने
वाले समुदायों पर सबसे अधिक बोझ पड़ रहा है वहीं महिलाओं और बच्चों के लिए
असमानताएँ और बढ़ रही हैं।
- आपदा प्रबंधन के लिए उन्नत समाधान विकसित करना
- जलवायु पूर्व चेतावनी प्रणाली का सुदृढ़ीकरण
- वनों
की पुनः स्थापना, जलवायु-अनुकूल बुनियादी ढांचे का निर्माण करना
- हिमालयी जल स्रोतों और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा
- कृषि और अधोसंरचना में अनुकूलन रणनीतियों को तेज़ करना
- ऊर्जा दक्षता में सुधार के साथ ऊर्जा खपत जीवनशैली अपनाना।
- वैश्विक और क्षेत्रीय सहयोग से जलवायु शमन और लचीलापन निर्माण को मजबूत करना
निष्कर्षत:
2024 की रिपोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि जलवायु परिवर्तन और चरम मौसम घटनाओं ने
खाद्य सुरक्षा, जल आपूर्ति, सार्वजनिक स्वास्थ्य और सामाजिक स्थिरता
पर गहरा प्रभाव डाला है। भारत को निर्णायक नीति, अनुकूलन और
वैश्विक सहयोग के माध्यम से जलवायु लचीलापन निर्माण में अग्रणी भूमिका निभानी होगी,
ताकि सतत विकास सुनिश्चित किया जा सके।
No comments:
Post a Comment