जैन धर्म-महावीर स्वामी संबंधी महत्वपूर्ण प्रश्न
Complete History Video click here
जैन धर्म के संस्थापक
किसे माना जाता है- प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव
ऋग्वेद में किस जैन
तीर्थकर का उल्लेख मिलता है- ऋषभदेव (1) एवं अरिष्ठनेमी (22)
ऋषभदेव का निर्वाण
स्थल- अष्टपद (कैलश)
ऋषभदेव को किस वृक्ष
के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई -बरगद
किस तीर्थ कर का
निर्वाण स्थल चंपापुरी है- वासु पूज्यनाथ
22वे जैन तीर्थकर अरिष्ठनेमी को कहां पर निर्वाण
प्राप्त हुआ-गिरनार पर्वत
जैन धर्म के 24वें एवं अंतिम तीर्थकर महावीर
स्वामी को कहां निर्वाण प्राप्त हुआ- पावापुरी
महावीर स्वामी का जन्म
कहां हुआ था- कुंडग्राम, वैशाली, 540 ईसा पूर्व
महावीर के अनुयायियों
को मूलतः क्या कहा जाता था- निग्रंथ
महावीर स्वामी एवं बुद्ध से
संबंधित तथ्य |
||
|
महावीर स्वामी |
महात्मा बुद्ध |
पिता |
सिद्धार्थ, वज्जि संघ के
कुंडग्राम के ज्ञातृक कुल के प्रधान |
शुद्धोधन इक्ष्वाकु वंशीय क्षत्रिय शाक्य
कुल के राजा |
माता |
त्रिशला, लिच्छवी
शासक चेटक की बहन |
महामाया (कोलीय वंश) पालन-गौतमी
प्रजापति |
जन्म |
कुंडग्राम, वैशाली |
लुम्बिनी, नेपाल
तराई |
पत्नी |
यशोदा |
यशोधरा |
पुत्री |
अनोज्जा प्रियदर्शनी |
पुत्र- राहुल |
बचपन नाम |
वर्धमान |
सिद्धार्थ |
ज्ञान प्राप्ति |
ऋजुपालिका नदी, साल वृक्ष के नीचे |
बोधगया, निरंजना
नदी पीपल वृक्ष |
पहला उपदेश |
प्राकृत भाषा,
वित्तूलांचल पर्वत, बिहार |
पाली भाषा, सारनाथ
|
प्रथम भिक्षुणी |
चंपा |
गौतमी |
मृत्यु |
पावापुरी, राजगीर |
कुशीनगर |
जैन भिक्षु के
आचार नियमों का उल्लेख कहां मिलता है- आचारांगसूत्र
महावीर के प्रथम
अनुयाई कौन थे- उनके दामाद जामिल
प्रथम जैन भिक्षुणी
कौन बनी थी- चंपा
महावीर ने प्रथम उपदेश
किस पर्वत पर दिया- वित्तूलांचल पर्वत, बिहार
पार्श्वनाथ ने अपने शरीर का त्याग किस पर्वत पर किया- सम्मेद पर्वत, झारखंड
महावीर ने अपने
शिष्यों को कितने गणधरों में विभाजित
किया-11
महावीर की मृत्यु के
बाद जैन धर्म का प्रथम मुख्य उपदेशक कौन बना- आर्य सुधर्मा
प्रमुख जैन तीर्थ कर एवं उनके प्रतीक चिन्ह |
|||
ऋषभदेव |
सांड |
नेमिनाथ |
नीलकमल |
अजीत नाथ |
हाथी |
अरिष्ठनेमी |
शंख |
संभावनाथ |
घोड़ा |
पार्श्वनाथ |
सर्प |
अभिनंदन नाथ |
कपि |
महावीर |
सिंह |
जैन साहित्य को क्या
कहा जाता है- आगम
वह जैन ग्रंथ जो
महावीर के जीवन पर प्रकाश डालता है तथा महाजनपदों का उल्लेख मिलता है- भगवती सूत्र
जैन धर्म में किस बात
पर विशेष बल दिया गया है- अहिंसा
श्रवणबेलगोला स्थित
गोमतेश्वर/बाहुबली मूर्ति किसके द्वारा बनवाई
गई- चामुंडराय
गोमतेश्वर/बाहुबली कौन थे- ऋषभदेव के पुत्र
पंच
महाव्रत |
||
01 |
अहिंसा |
जीव के
प्रति हिंसा न करना |
02 |
सत्य |
सदा
सत्य बोलना |
03 |
अपरिग्रह |
संपत्ति ग्रहण
न करना |
04 |
अस्तेय |
चोरी
न करना |
05 |
ब्रह्मचर्य |
इंद्रिय
निग्रह करना |
जैन धर्म में संथारा/सल्लेखना प्रथा क्या है- उपवास द्वारा प्राण
त्याग
किस मौर्य शासक ने श्रवणबेलगोला में सल्लेखना विधि द्वारा अपने शरीर का
त्याग किया- चंद्रगुप्त मौर्य
मोक्ष
कैवल्य की प्राप्ति हेतु त्रिरत्न |
||
01 |
सम्यक ज्ञान
|
वास्तविक
ज्ञान |
02 |
सम्यक दर्शन |
सत्य में
विश्वास |
03 |
सम्यक
चरित्र |
इंद्रियों व
कर्मों पर पूर्ण नियंत्रण |
मगध में पड़े
भीषण अकाल के कारण किसके नेतृत्व में जैन अनुयायियों का एक दल कर्नाटक गया- भद्रबाहु
जैन तीर्थंकरों की जीवनी भद्रबाहु द्वारा रचित
किस पुस्तक में मिलती है-
कल्पसूत्र
भद्रबाहु के शिष्य क्या कहलाए- दिगंबर
स्थूलभद्र के शिष्य क्या कहलाए- श्वेतांबर
जैन
संगीति |
वर्ष |
स्थान |
अध्यक्ष |
प्रथम |
300
ई.पूर्व |
पाटलिपुत्र |
स्थूलभद्र |
द्वितीय |
छठी
शताब्दी |
बल्लभी
(गुजरात) |
क्षमाश्रवण |
जैन धर्म ने अपने आध्यात्मिक विचारों को ग्रहण किया- सांख्य दर्शन से
खजुराहो के जैन मंदिरों का निर्माण कराया गया- चंदेल शासकों द्वारा
किसके राजप्रासाद में महावीर स्वामी को निर्वाण
प्राप्त हुआ- मल्ल राजा सृष्टिपाल
72 वर्ष की आयु में 468 ई.पूर्व महावीर की मृत्यु (निर्वाण) किस स्थान पर हुई- पावापुरी,
राजगीर
No comments:
Post a Comment