प्रश्न दक्षिण एशियाई देशें विशेषकर पड़ोसी देशों के संदर्भ में सुरक्षा, आर्थिक विकास एवं राजनीतिक स्थिरता जैसे लक्ष्यों पर केन्द्रित भारत की विदेश नीति को और बेहतर बनाने हेतु क्या प्रयास किए जा सकते हैं। चर्चा करें
उत्तर-
दक्षिण एशियाई देशों में भारत, पाकिस्तान, नेपाल, अफगानिस्तान,
मालदीव, भूटान, श्रीलंका
और बांग्लादेश शामिल है जिनके मध्य काफी गहरे सामाजिक, जातीय, भाषायी और सांस्कृतिक संबंध स्थापित है ।
भारत
दक्षिण एशिया में विशिष्ट एवं महत्वपूर्ण देश है । भौगौलिक रूप से जहां भारत इन
देशों के बीच स्थिति है और सभी देश भारत के पड़ोसी है वहीं आकार जनसंख्या, अर्थव्यवस्था आदि के
मामले में आर्थिक स्थिति इन देशों में बड़ा है । इस कारण भारत हमेशा से ही अपने
पड़ोसी देशों के साथ विशेष संबंधों को प्राथमिकता देता है तथा अपनी विदेश नीति में
पड़ोसी प्रथम को महत्व देते हुए पड़ोसी
देशों की सुरक्षा, आर्थिक विकास एवं राजनीतिक
स्थिरता जैसे मुद्दों को प्राथमिकता देता रहा है जिसे निम्न प्रकार समझा जा सकता
है।
सुरक्षा
भारत हमेशा यह चाहता
है कि पड़ोसी देशों में शांति एवं सुरक्षा का माहौल रहे क्योंकि यदि वहां अशांति
एवं हिंसा होगी तो उसका प्रभाव भारत पर भी पड़ सकता है। इस कारण से भारत पड़ोसी
देशों की सुरक्षा और स्थायित्व का पक्षधर है।
आर्थिक
विकास
भारत अपने साथ-साथ
पड़ोसी देशों का विकास भी चाहता है। अगर पड़ोसी देशों में आर्थिक अस्थिरता आती है, तो स्वाभाविक ही भारत के सामने भी
चुनौतियां बढ़ सकती हैं। जैसे हालिया में श्रीलंका में आर्थिक संकट गहराने से भारत
में शरणार्थी, सुरक्षा की समस्या बढ़ सकती है ।
राजनीतिक
स्थिरता
किसी देश में
राजनीतिक स्थिरता होने से बाहरी हस्तक्षेप नहीं होता है जिससे कोई भी देश अपने
राष्ट्रीय हित में निर्णय ले सकता है। यदि दक्षिण एशिया में राजनीतिक अस्थिरता
आती है तो बाहरी हस्तक्षेप बढ़ सकती है जो भारत की सुरक्षा एवं हितों के प्रभावित
कर सकता है।
इस
प्रकार देखा जाए तो भारत पड़ोसी देशों की शांतिपूर्ण सहअस्तित्व की नीति के कारण
ही इन देशों के राजनीतिक समूहों का एक बड़ा हिस्सा जहां भारत का समर्थन करता है
वहीं एक छोटा धड़ा अपने राजनीतिक लाभ के लिए इसका विरोध करता है।
हालिया
मालदीव-प्रकरण इसी का उदाहरण है जिसमें नए राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू 'इंडिया आउट' के नारे के साथ चुनाव में उतरे और चीन के सहारे भारत-विरोधी राजनीति का
प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। यह स्थिति भारत एवं मालदीव दोनों के लिए बेहतर नहीं है
क्योंकि पड़ोस में लगी आग का लाभ हमेशा दूसरों को मिलता है।
बेहतर संबंध की दिशा में प्रयास
भारत इस स्थिति को समझता है और सदा ही उसने विदेश नीति में पड़ोसी देशों को प्रथमिकता दी है। अत: पड़ोसी देशों के साथ संबंध सुधार की दिशा में वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय राजनीति को देखते हुए भारत को अपनी विदेश का विश्लेषण करना होगा तथा गुजराल नीति द्वारा पड़ोसी देशों के साथ संबंध बेहतर बनाने के साथ साथ सीमा विवाद, नदी समझौते, संसाधनों का बंटवारा, व्यापारिक एवं बुनियादी ढांचे निर्माण में भारत को तेजी लाना होगा ।
इसी क्रम में पड़ोसी
देशों में हमारी कई परियोजनाएं देरी से चल रही हैं,
जिनमें तेजी लानी होगी। इसी तरह, हमें
राष्ट्रीय हितों के बजाए स्थानीय हितों को प्राथमिकता देते हुए साफ्ट पावर के माध्यम
से पड़ोसी देशों के साथ संबंध बढ़ाते हुए वहां की जनता को भारत के प्रति सोच में
बदलाव की ओर कार्य करना होगा।
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